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Corona Crime - 2

13 फरवरी,2020

शौर्ये के आगे अब चुनौती थी की वो कैसे इस्तांबुल में दाखिल हो?

उसने एक प्लान बनाया वो बीजिंग की एक एक्सपोर्ट फैक्ट्री के बाहर पहुंचा और उसने वहां काम के लिए गुज़ारिश की
उसे मज़दूरों में शामिल कर दिया गया और वो वहाँ मेहनत से काम करने लगा लेकिन इस मेहनत के पीछे की साजिश कोई नही जानता था,काफी लोगों ने उसके करीब आने की कोशिश की पर शौर्य ने सबसे दूरी बनाए रखी,वहाँ एक व्यक्ति हिंदुस्तानी था जिसका नाम ज़मीर था।


लंच की घंटी बज चुकी थी,सब हाथ-मुँह धोकर एक लंबी विशाल टेबल पर बैठ गए,शौर्य के बराबर ही ज़मीर बैठा हुआ था,ज़मीर ने अपना लंचबॉक्स खोला ही था और दुआ के लिए हाथ उठाये थे परमेश्वर का धन्यवाद करने के लिए तभी एक चीनी व्यक्ति आ कर उसके खाने में थूक कर चला जाता है।

और ये कहता हुआ जाता है की हिंदुस्तानी खाने में हमारे थूक देने से उसका स्वाद और बढ़ जाता है चीनी कर्मचारी ज़मीर के हिंदुस्तानी होने की वजह से उसको बहुत प्रताड़ित करते थे।

शौर्ये ये सब देख रहा था,उसने धीरे से अपना खाना ज़मीर की तरफ खिसका दिया ज़मीर के चेहरे पर अपनेपन का भाव व्यक्त होने लगा और फिर दोनों ने साथ में खाना खाया।

लंच का समय खत्म होने में सिर्फ 10 मिनट बाकी थे,
जिस चीनी व्यक्ति ने ज़मीर के खाने में थूक दिया था वह वाश रूम में अपने हाथ धो रहा था,तभी अचानक उसके मुँह को कोई काले कपड़े से ढक देता है वो और कोई नहीं शौर्य था।

फिर क्या था मुँह पर कपड़ा ढक कर शौर्य ने उसके ऊपर हिंदुस्तानी दम-खम की नुमाइश कर दी,शौर्य का एक बाज़ू जब उठा उसने मानो जैसे मुक्कों की छड़ी सी लगा दी हो,
दरसअल ज़मीर के साथ जो उस चाइनीज़ व्यक्ति ने बर्ताव किया था,वो शौर्य को बिल्कुल पसंद नही आया।
उस व्यक्ति को सबक सिखाते-सिखाते लंच खत्म होने की सूचना हो गई और शौर्य वहाँ से निकल गया,बौखलाया सा वो व्यक्ति चेहरे से कपड़ा हटा कर कुछ देर वहीं पड़ा रहा।

लेकिन ज़मीर को इस बारे में कुछ भी मालूम नही हुआ।

दिन बीतते गए,ज़मीर और शौर्य अब धीरे-धीरे मित्र बन चुके थे,तभी शौर्य ने ज़मीर से एक सवाल किया....


शौर्य: ये लोग तुम्हारे से साथ इतना बुरा बर्ताव करते हैं,तो
तुम भारत वापस क्यों नहीं लौट जाते।

ज़मीर ने अपनी मशीन को ऑटो मोड पर लगाया और फिर बोलना शुरू किया....


ज़मीर: कैसे लौट जाऊं,मेरा पासपोर्ट तो इस कम्पनी के पास
है और मुझसे धोके से 3 साल के एग्रीमेंट पर साइन भी करा लिए गए हैं।

शौर्य: तो यहाँ सारे हिंदुस्तानी मज़दूर इसी हालात में जी रहे
हैं।


ज़मीर: सभी हिंदुस्तानी मज़दूर वापस लौट जाना चाहते हैं
पर कोई जा नहीं सकता।

शौर्य: कोई भागने का रास्ता नहीं है क्या?

ज़मीर: हम चाहें तो कजाखिस्तान के बॉर्डर से होकर
ईरान और अफगानिस्तान के रास्ते हिन्दुस्तान
वापस लौट सकते हैं,लेकिन ये चीनी लोग हमारे
पासपोर्ट और दस्तावेज़ों के बिना पर हमें ढूंढ लेंगे
और एग्रीमेंट के ज़रिए हमे वापस चीन ले आएंगे।

शौर्य: ये हिंदुस्तानियों के पासपोर्ट और दस्तावेज़ कहाँ
रखते हैं?

ज़मीर: सामने वाली उस बड़ी सी बिल्डिंग में।

इतना सुनकर शौर्य ने अपनी मशीन चालू की और ज़मीर भी काम करने लगा।

20 फरवरी,2020

आज फैक्ट्री का अवकाश है शौर्य अपने हॉटेल में ही था,उसने एक योजना तैयार कर रखी थी,लेकिन वो शायद किसी अवसर की तलाश में था,उसका मिशन बीच मे कहीं अटक कर रह गया था ,उसे जल्द से जल्द इस्तांबुल जाना था,उसने पूर्ण रूप से योजना बना ली थी परंतु वो किसी अवसर की तलाश में था उसका इस एक्सपोर्ट फैक्ट्री में नकली दस्तावेज़ जमा कर के यहाँ काम करना कोई फ़िज़ूल में नहीं था वो उसके इस्तांबुल जाने का एक रास्ता था।
लेकिन हालात बत्त से बत्तर होते जा रहे थे चीन में अब कोरोना तेज़ी से बढ़ने लगा था,काफी बॉर्डर बन्द होने की कगार पर थे,अब जो भी करना था फटाफट करना था।

उसके पास अचानक एक फ़ोन आता है शौर्य फ़ोन उठा लेता है फोन ज़मीर ने किया था।

ज़मीर: हेलो,अविनाश।

दरसअल शौर्य ने अपनी पहचान छुपा रखी थी,उसने नकली पासपोर्ट पर अपना नाम अविनाश दर्ज किया था।

शौर्य: हाँ,ज़मीर बोलो।

ज़मीर: मेरे पास फैक्ट्री से फोन आया है हम सब
हिंदुस्तानियों को तुर्की भेजा जा रहा है
हमे एक ट्रक में कंपनी का माल तुर्की छोड़ कर
आने की ज़िम्मेदारी दी गई है कल सुबह हमें
निकलना है लिस्ट में तुम्हारा नाम भी शामिल है।

इतना सुनकर शौर्य ने फ़ोन काट दिया और चेहरे पर चमक सी आ गई यही तो उसका प्लान था इस फैक्ट्री के ज़रिए इस्तांबुल पहुंचना और जेम्स वाड्रा को ढूंढना।

उसी रात,11:30 बजे
एक्सपोर्ट फैक्ट्री,बीजिंग.

शौर्य हाथ मे एक फ़ाइल लिए,बिल्डिंग के बाहर किसी चीनी गार्ड को समझा रहा था,उसे इस फ़ाइल को अंदर जमा करना है,उसे अंदर जाने दिया जाए,लेकिन गार्ड उसे अंदर जाने की अनुमति नही दे रहा था,फिर शौर्य ने बताया कि कल जो कन्साइनमेंट तुर्की जाने वाला है उसमें उसका नाम शामिल है और सुबह उसे निकलना है लेकिन उस से पहले ये डॉक्यूमेंट अंदर जमा करने है उसके रिकॉर्ड के लिए गार्ड ने भी बात समझी पर गार्ड कहने लगा कि अंदर कोई नही है सबकी छुट्टी हो चुकी है,फिर शौर्य ने उसे समझाया कि वो ये डॉक्यूमेंट अंदर रख कर चला जायेगा,गार्ड ने अनुमति दी पर एक शर्त पर की वो भी उसके साथ अंदर रहेगा,शौर्य ने भी सहमति दी शौर्य गार्ड के साथ डॉक्युमेंट रूम में गया और वो फ़ाइल ऑफिसर की टेबल पर रख कर बिल्डिंग से बाहर आ गया और वापस हॉटेल चला आया।


21 फरवरी,2020
सुबह 4 बजे।

तमाम हिंदुस्तानी 48 मज़दूर ट्रक में बैठ चुके थे,उनके साथ 2 चीनी सुरक्षा कर्मी और एक चीनी ड्राइवर समेत ट्रक को तुर्की के लिए रवाना कर दिया गया।

तकरीबन 16 घंटे बाद ट्रक कजाखिस्तान के अंदर दाखिल हो गया,समय तकरीबन रात 8 बजे का था,ट्रक को रोका गया,सभी को सुरक्षा कर्मियों ने अपनी निगरानी में बाहर बुलाया और रेगिस्तान में कैम्प बना कर खाने का बंदोबस्त किया गया,सबने खाना खाया और सुरक्षा कर्मियों ने सारे मज़दूरों को उनके नाम के मुताबिक ट्रक के अंदर भेजा,लेकिन दो व्यक्ति गायब थे और वो दोनों थे शौर्य और ज़मीर।

बहुत समय तक इंतेज़ार करने के बाद ये निर्णय लिया गया कि सभी मज़दूरों को एक कतार में बेड़ियों से बाँधा जाएगा
और सुरक्षा कर्मी ड्राइवर को मज़दूरों पर निगाह रखने के लिए छोड़ जाएंगे और खुद उन दो व्यक्तियों को ढूँढेंगे।

उन्होंने ऐसा ही किया ड्राइवर बंदूक लिए मज़दूरों के सामने खड़ा था और सारे मज़दूर ट्रक में बैठे थे।

उधर सुरक्षा कर्मी रेगिस्तान में शौर्य और ज़मीर को ढूंढ रहे थे,दोनों अलग-अलग दिशाओं में चले गए ,एक सुरक्षा कर्मी को महसूस हुआ कि वो जिस जगह खड़ा है वो जगह थोड़ी सख्त महसूस हो रही है इस से पहले वो कुछ समझ पाता उसी जगह रेत में दबा हुआ शौर्य बाहर आया और सुरक्षा कर्मी गिर गया उसने संभलने की कोशिश की पर उससे पहले ही शौर्य ने उसके चेहरे पर एक लात जम कर मारी और वो फिर से गिर गया इतने में शौर्य ने पास पड़ी बंदूक उठाई एक फायर किया और सुरक्षा कर्मी ढेर हो गया।

गोली की आवाज़ सुन कर दूसरा सुरक्षा कर्मी शौर्य की ओर भागा, लेकिन इससे पहले वो वहां पहुँचता, रेतीली ढलान पर से फिसलते हुए ज़मीर ने भागते हुए सुरक्षा कर्मी की टाँगों पर वार किया और उसकी कमर से चाकू निकालकर सीधा उसके सीने की तरफ बिजली की तेज़ी से फेंका और चाकू सुरक्षा कर्मी के सीने में जा घुसा।

तभी शौर्य वहाँ आ गया और फिर.....


शौर्य: शाबाश ज़मीर तुम जांबाज़ हो,ये लो चाबियाँ अब ट्रक
की तरफ चलते हैं।

दोनों ट्रक की तरफ आये और आते ही शौर्य ने ड्राइवर की तरफ एक फायर किया और ड्राइवर भी ये दुनिया छोड़ चला।

ये देख मज़दूर भी डर गए,तभी ज़मीर उनके सामने आया और सारे मज़दूरों को बेड़ियों से आज़ाद किया।
शौर्य ने सबको बताया कि हम कजाखिस्तान के बॉर्डर पर हैं
और ज़मीर के साथ सभी मज़दूर अफ़ग़ानिस्तान की तरफ चलें जाएं और अफगान-भारत बॉर्डर पर पहुँच जाएं और उस बॉर्डर पर तुम्हे खालिद नाम का व्यक्ति मिलेगा उस से तीन शब्द कहना "जन्नत जाना है"
वो तुम सबको हिंदुस्तान सही सलामत भेज देगा।

तभी मज़दूरों ने सवाल किया कि उनके पासपोर्ट ओर दसतावेज तो चीनियों के पास हैं

तभी शौर्य ने अपनी जेब से हाथ की घड़ी निकाली और उसका बटन दबा दिया और बटन दबाते ही चीन की एक्सपोर्ट फैक्टरी की ओफ्फिशल बिल्ड़िंग में डॉक्यूमेंटेशन रूम में टेबल पर रखी फ़ाइल में ब्लास्ट हुआ और पूरा रूम धमाके से जल कर तबाह हो गया।

तभी शौर्य ने मज़दूरों से कहा अब तुम लोगों का कोई पासपोर्ट,एग्रीमेंट और भारतीय दस्तावेज़ चीन में नही है,
अब जाओ अपने देश लौट जाओ।

ज़मीर शौर्य से आखरी बार गले मिला और सारे मज़दूरों को लेकर वहाँ से चल दिया सारे हिंदुस्तानियों की आंखें नम थीं और शौर्य को भी आज लगा कि उसने कुछ ऐसा किया जिससे उसके मन को भी इन फॅसे हुए हिंदुस्तानियों की सहायता करके खुशी मिली।


24 फरवरी,2020, सुबह 9 बजे ,तुर्की बॉर्डर ।

शौर्य तुर्की के बॉर्डर पर पहुँच गया और तुर्किश सैनिकों ने ट्रक को रोका और शौर्य के कंपनी के दस्तावेज़ और माल का निरक्षण किया और उसे अंदर जाने की आज्ञा दी।

अब शौर्य तुर्की में दाखिल हो चुका था माल को पहुंचाने की जगह थी तुर्की की राजधानी अंकारा लेकिन शौर्य को जाना था इस्तांबुल तो उसने बीच रास्ते मे ट्रक को छोड़ दिया और उसमें आग लगा दी और चल पड़ा इस्तांबुल।

नीला शहर समंदर के किनारे बसा दुनिया का एक खूबसूरत शहर,अब शौर्य इस्तांबुल में था उसने हॉटेल में एक रूम लिया,थोड़ा आराम किया फिर उसने एक लैपटॉप और तुर्किश सिम कार्ड खरीदा और फेसबुक ओपन की और सर्च बार मे "ओमार ओगलु" नाम डाला ।

सामने आयी काफी प्रोफाइल्स अब उसमें से कौन सा ओमार ओगलु उसे चाहिए ये पता लगाना था,उसने सबके अबाउट ऑप्शन देखे एक प्रोफाइल में लिखा था स्टडी फ्रॉम बीजिंग,चीन।
और फिर उसने उसकी मित्र सूची देखी उसमे "शिन झाओ" का पति "मिन सु" दिखाई दिया,अब शौर्य को पक्का विश्वास हो गया कि यही ओमार ओगलु है जिसे वो ढूंढ रहा है।

फिर शौर्य ने ओमार ओगलु का अबाउट ऑप्शन दोबारा देखा उसमे लिखा था वर्क एट "डैल लैपटॉप्स"
दरअसल ओमार ओगलु एक तीस वर्षीय व्यक्ति था जो डैल कंपनी में कार्यरत था उसे लैपटॉप और कंप्यूटर्स की अच्छी जानकारी थी।

शौर्य ने ओमार ओगलु के घर का पता लगाया और उसके घर के ठीक सामने वाले घर को कुछ दिन के लिए किराये पर ले लिया अब वो दिन रात ओमार ओगलु के घर पर निगाह रखने लगा।

28 फरवरी,2020
समय दोपहर 3 बजे

शौर्य को एक कार की आवाज़ सुनाई दी,वो दौड़ कर खिड़की पर पहुँचा,उसने देखा ओमार ओगलु के घर के बाहर एक काली कार में से एक काले सूट पहने हुए एक व्यक्ति उतरा और उसने डोर बैल बजाई, फिर ओमार ओगलु ने दरवाज़ा खोला और उस व्यक्ति को घर के अंदर ले गया।

शौर्य झटपट फुर्ती में आया और अपने घर से बाहर आया
और सीधा ओमार ओगलु के घर की खिड़की के नीचे छुप गया,अंदर से बात चीत की आवाज़ें आ रही थीं उसने अपनी गन निकाली और सीधे कांच को तोड़ता हुआ घर के अंदर छलांग लगा दी,वो झटपट उठा और उसने गन तान दी,लेकिन ये क्या वहाँ तो कोई भी नहीं था उसने ध्यान से इधर उधर देखा लेकिन घर मे कोई नहीं था,तभी उसने कार की आवाज़ सुनी और वो भागता हुआ बाहर आया उसने देखा वो काली कार भी काफी दूर निकल चुकी थी।

हताश और उदास शौर्य वापस ओमार के घर के अंदर गया और उसने ओमार ओगलु के बेरूम की तलाशी ली उसने अलमारी खोली और ये क्या अलमारी खोलते ही शौर्य के ऊपर एक लाश आ गिरी और वो लाश थी ओमार ओगलु की ओमार की शर्ट की जेब में शौर्य को एक काग़ज़ मिला जिसमें लिखा था, "मुझसे मिलने की ख़्वाहिश में कब्रिस्तान पहुंच जाओगे" ।
और शौर्य ने वो काग़ज़ अपनी जेब में रखा और ओमार के घर से अपने सारे सबूत और निशान मिटाए और ओमार की लाश को उसके घर के नीचे बने तहखाने में छुपा दिया और वापस अपने घर लौट आया।

उसी रात,समय 10 बजे।
अपने बेड पर लेट कर शौर्य बस उसी काग़ज़ के टुकड़े को देखे जा रहा था जो उसे ओमार की लाश से बरामद हुआ था

उसमें लिखे अल्फ़ाज़ "मुझसे मिलने की ख्वाहिश में कब्रिस्तान पहुँच जाओगे" जैसे शौर्य को चिड़ा रहे थे,अचानक ही वो एक दम अपने बिस्तर से उठा और अपना लैपटॉप ऑन किया और गूगल मैप पर "कब्रिस्तान नियर मी"
खोजने लगा उसने तुरंत लैपटॉप ठप्प से बंद किया और घर के बाहर भागा और सड़क पर निकल गया,चलते-चलते वो पहुँच गया "क्रिस्चियन कैथोलिक कब्रिस्तान" उसने फ़ोन की टॉर्च जलाई और सारी कब्रें देखने लगा अचानक वो ठहर गया उसकी नज़र एक कब्र पर पड़ी जिस पर लिखा था
"जेम्स वाड्रा,जन्म 9 सितम्बर 1988,मुम्बई और मृत्यु 30 जनवरी 2020,इस्तांबुल ।

ये देख कर शौर्य को आश्चर्य हुआ कि "जेम्स वाड्रा" 1 महीना पहले मर चुका है उसने तुरंत वो कब्र खोदना शुरू कर दी,कब्र खोदने के बाद उसमें से ताबूत निकला और उसने उस ताबूत को खोला और शौर्य मुस्कुराने लगा कभी अपने माथे पर हाथ रखने लगा कभी ताबूत को देखता फिर हँसता,दरसअल ताबूत में कोई लाश नही थी
उस ताबूत में लैपटॉप था उसे उम्मीद नहीं थी की उसे लैपटॉप और जेम्स वाड्रा का खाली नाम कब्रिस्तान में मिलेगा
,उसे कागज़ के टुकड़े पर लिखे अल्फ़ाज़ों का मतलब अब समझ आया।

"मुझसे मिलने की ख्वाहिश में कब्रिस्तान पहुँच जाओगे"


कहानी जारी है......
कहानी के अगले भाग में जानेंगें-

जेम्स वाड्रा की कब्र तक पहुंचाने वाला और ओमार ओगलु को मारने वाला वो आदमी कौन था?

क्या उस लैपटॉप में नुक्लेयर मिसाइल फॉर्लमुला था अगर था तो क्या वो फ़ाइल खुली?

जेम्स वाड्रा की कब्र में सिर्फ लैपटॉप मिला तो जेम्स वाड्रा की लाश कहाँ हैं या फिर वो सच मे मर गया या वो ज़िंदा है तो कहाँ है?

जिस आदमी ने शौर्य को लैपटॉप तक पहुंचाया क्या वही जेम्स वाड्रा था?


इन सब सवालों के जवाब हमें जल्द ही इस कहानी के तीसरे और अंतिम भाग में मिलेंगे.......

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