इंस्पेक्टर राजवंश महेश्वर के घर के अंदर आते है और उनसे इस घटना के बारे में पूछते है। महेश्वर पांडेय सारा घटना क्रम इंस्पेक्टर को कह देते है और महेश्वर इंस्पेक्टर से घर से बाहर निकल के सबके साथ बात करने के लिए कहता है। इंस्पेक्टर और जीवा के मम्मी-पापा बाहर आ जाते है। जीवा को उसने पापा ने फोन ले के बाहर आने का कहते है और थोड़ी देर में जीवा भी बाहर आ जाती है। इंस्पेक्टर घटना के बारे में जिस जिस को किसी अनजान पे शक गया हो वो लोग कॉन्स्टेबल को नाम लिखवा देने के लिए कहता है। तभी वॉचमेन भागते भागते, सहमा सहमा सा आके इंस्पेक्टर को कहता है कि बाहर किसी का खून हुआ है। अब देखिए आगे!
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इंस्पेक्टर उस लाश के पास जाने के लिए घूमता ही है कि सोसाइटी की महिलाओं में से एक बोल उठी,"इंस्पेक्टर सर !.." इन्स्पेक्टर बात काटके कॉन्स्टेबल को जल्दी जल्दी कहता है,"ये बहन जो भी बोले उस अनजान के बारे में वो लिख लो और में बाहर जाके छानभीन करता हूं।" इन्स्पेक्टर गेट के बाहर जाता है। साथ में सारे पुरुष मेंबर भी बाहर जाते है।
"जी ! सर !"
"जी! आप क्या बोलना चाहती थी? बोलिये में लिख लेता हूं।" कॉन्स्टेबल बोलता है।
"अरे भैया! में ये पूछना चाहती थी कि अभी रात के साढ़े सात बजने को आये है क्या हम सब महिलायें रात का खाना बनाने के लिए जाए?"
"सर हा कहे तो आप लोग जा सकते है। में सर को फोन फोन लगाता हूं।" कॉन्सटेबल कॉल लगाता है।
इस तरफ इन्स्पेक्टर उस लाश के पास इकठ्ठी हुई भीड़ को "हटो..हटो.." कहके उस लाश के पास पहुँचता है। लाश को देखता है तो एकदम सुन्न हो जाता है।
अपना होश खोये बिना वो वॉचमेन से पूछता है,"कहाँ गए थे तुम ? ये खून होते हुए नहीं देखा? और ये एम्बुलेंस किसने बुलवाई है?"
दो मिनिट तक वॉचमेन कुछ नहीं बोल सका !
तभी सोसायटी के अंदर खड़े हुए कॉन्स्टेबल का फोन आता है।
“हा! हरीश। बोलो। क्या खबर मिली?" राजवंश पूछता है।
“सर! ये लोग पूछ रहे है कि शाम के साढ़े सात बजने को आये है तो क्या ये लोग खाना बनाके के लिए जाए?"
"फोन स्पीकर पे रखो।" इंस्पेक्टर कॉन्स्टेबल को कहता है। कॉन्स्टेबल स्पीकर पे फोन रखता है।
"देखिए अभी आप सब पर से कोई खतरा नहीं टला है, आप सब सतर्क रहिएगा और आप खाना बनाके के लिए जा सकते है। स्पीकर से फोन हटाओ।" इन्स्पेक्टर कहता है।
हरीश कान पे फोन लगाता है और वहाँ से इंस्पेक्टर कॉन्स्टेबल को कहता है,"हरीश तुम वहीं आसपास ही रहना। कोई ऐसा शख्स दिखे जिस पर आसानी से शक हो जाये तो उसका पीछा करना और मुझे फोन करना और हाँ अपना फोन वाइब्रेट मोड़ पे लगा दो ताकि अगर ऐसे किसी का पीछा करने का हो तो उसको पता न चले।"
"ठीक है सर !" फोन रखता है और सोसाइटी की सभी महिलाओं को कहता है,"अब आप लोग जा सकते है।"
सभी अपने अपने घर जाने के लिए निकलती है।
इस तरफ राजवंश अपने बेटे के खून हो जाने से परेशान था। वो सोचने लगा,"नहीं पता था, आज मेरे बेटे के साथ खाया दोपहर का खाना मेरे जीवन का आखरी खाना था। मुझे अब मेरे बेटे के खूनी को ढूंढना ही है।"
राजवंश को ऐसे सोचते हुए देख महेश्वर उनसे पूछता है," क्या हुआ सर? आप अचानक ऐसे सुन्न क्यों हो गए है। ये कोई आपका संबंधी था?" महेश्वर थोड़ा गभराते गभराते राजवंश को पूछता है।
"ये मेरा बेटा है, जिसका खून किसी ने कर दिया है। आप सब गभराइये मत, शायद ये खून का आप सब को ब्लेकमैल करने वाले उस इंसान से नाता है। बस वो एक बार मुझे मिल जाये, उसको ऐसे व्हाइटमैल करूँगा की वो अपनी ज़िंदगी से ब्लेकमैल क्या होता है वही भूल जाएगा।"
"सर, क्या आप ये छानभिन कर लेंगे? बड़ी दुःख की बात है कि आपके बेटे का ही खून हो गया।" महेश्वर थोड़ा अच्छा बनने की एक्टिंग करते करते राजवंश से कहने लगा।
"आप लोग चिंता मत कीजिये, में आपके ब्लैकमेलर को भी पकडूंगा और मेरे बेटे के खूनी को भी ! ये एक पुलिस ऑफिसर का वादा है।" थोड़े फिल्मी ढब से राजवंश बोलता है।
और तुरंत ही राजवंश अपनी फोरेंसिक लैब में फ़ोन लगाता है,"आपकी एक टीम को तुरंत ही A.G. Road की ‛जीवन-लीला सोसायटी’ में भेज दीजिये।" और फोन काट देता है।
वॉचमेन आगे आता है और राजवंश से कहता है," सर! एक बात कहना चाहता हूँ।"
"हा! कहो!"
"सर, आपके बेटे को मैंने कई बार इस सोसायटी के बाहर चक्कर लगाते हुए देखा था। मुझे नही पता की वो आपका बेटा था। लेकिन बगल वाली सोसायटी से एक काले रंग का स्कार्फ पहन के हररोज एक लड़की आती थी। लेकिन सर, पिछले 2 महीनों से मैंने उस लड़की को कभी बाहर आते हुए नहीं देखा। पर आपका बेटा हररोज यहाँ आता था।"
"ओह! तो ये बात है। तुमने उस लड़की का चहेरा देखा था कभी?"
"नहीं सर। वो तो अपने घर से ही शायद स्कार्फ पहनके आती थी। उसका चहेरा नहीं देखा मैंने कभी।"
"क्या वो फिर से एक बार वहाँ से बाहर निकलेगी तो तुम पहचान जाओगे?"
"अरे हाँ सर, में पहचान जाऊंगा। उसको ऐसे ही कितनी बार देखा था। एक बार वो बिना स्कार्फ पहने नीचे आयी थी पर मैंने चश्मा नहीं लगाया था तो ठीक से देख नहीं पाया। जितना भी उसका चहेरा दिख रहा था मुझे ऐसा लग रहा था कि वो किसी पे गुस्सा है और एक बार जमीन पर पैर पछाड़ के फिर से अंदर चली गयी थी। लेकिन शायद वहाँ के वॉचमेन ने उससे देखा होगा।"
तभी फोरेंसिक टीम आ पहुँचती है और उसके साथ ना बुलाये महेमान भी। दूसरा कौन ये मीडिया !
अपने अपने तरीको से खबरों का कवरेज लेना चालू हो गया; कैमरे, लाइट्स और उनकी बेबुनियादी बकबक।
फोरेंसिक टीम अपना काम करने में जुट गई।
तभी महेश्वर राजवंश के पास जाता है और बड़े ही कड़क दिल से जोर से कहता है, "सर ! ये सारा प्लान मेरा था !"
दो पल के लिए सारे सोसायटी मेंबर्स, वॉचमेन और राजवंश अचंभित हो जाते है।
"क्या ? ये ब्लैकमेल और फिर ये खून, ये सब आपने करवाया?" सुमित नाम से एक सोसायटी मेंबर बोल उठता है।
"हा ! सुमित भाई! मैंने ही ये खून करवाया है और आप सबके घर जो खंज़र के साथ शायरी आयी थी, वो सब मेरा प्लान था।"
"आप क्या बोल रहे है उनका तो भान है ना आपको? एक बार सोच लीजिये आप अपने इस दावे पर सम्पूर्ण सही है? क्या किसी ने आप पर फ़ोर्स तो नही किया है? आप बता दीजिए, हम उनको पकड़ लेंगे।"
"जी इंस्पेक्टर सर, में पुरे होश में हूँ और में अपना जुर्म कबुल करता हूँ।" महेश्वर रो पडता है।
"कॉन्सटेबल ! हथकड़ियां लाओ !" राजवंश गुस्से में कॉन्स्टेबल से कहता है।
"चलिए, गाड़ी में बैठिये। आपका तो जोरों शोरों से जेल में स्वागत करना है।"
और इस तरफ मीडिया "A.G. Road की सोसायटी के हुए खून के अपराधी ने सरेंडर कर दिया है। पुलिस को अब ज्यादा छान-भिन करने की जरूरत नही रहेगी। आखिर क्या वजह रही होगी एक पिता को किसी दूसरे के बेटे को उसके माता-पिता से अलग करने की? "
तभी राजवंश महेश्वर को लेके पुलिस जीप की तरफ सारे मीडिया वालों को ‛हटो...हटो...’ कहके मीडिया से बचते बचते जीप में बिठाता है।
फोरेंसिक टीम बॉडी पर से सारे फिंगरप्रिंट्स, खून के सैंपल उठा लेती है और बॉडी को फोरेंसिक लैब की वेन में रख के उस तरफ का बाकी बचा एरिया बेरिकेट कर देती है।
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क्या कारण होगा महेश्वर को नीरव को मारने का ? जानिए अगले पार्ट में।