"जब तक हम अपने अतीत के बारे में सोचते रहेंगे तब तक हमारा वर्तमान भी अतीत बनता जाएगा इसलिए हमे अपने अतीत के बारे मे न सोचकर अपने वर्तमान के बारे में सोचना चाहिए, जिससे कि हमारा भविष्य अच्छा हो सके।"
अतीत वो दलदल है जिसमे में हम एक बार अगर गिर गये तो उसमें से बाहर निकलना हमारे लिए इतना आसान नहीं होता हैं, जब भी हम अपने वर्तमान से रुष्ट होते है तो हम अपने अतीत के दलदल में जा गिरते हैं, और उसमें से हम फ़िर निकल नहीं पाते।आप हमेशा दूसरे व्यक्तियों से ये दिखावा करने में लगे रहते हैं कि मुझे अतीत की कोई घटना प्रभावित नहीं करती हैं, जब तक आप अपने अतीत के अस्तित्व को स्वीकार ना ले तब तक आप अपने अतीत से छुटकारा नहीं पा सकते है।जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, व्यक्ति अतीतजीवी होता जाता है।
जो लोग अतीत पर ही अधिक ध्यान केंद्रित करने लगते हैं, उनका वर्तमान बुरी तरह प्रभावित होता है।मनोचिकित्सकों का मानना है कि पूरी तरह अतीत में जीना वर्तमान की घोर अनदेखी का रास्ता साफ कर सकता है।कुछ लोगों के लिए यह समस्या इतनी गंभीर हो जाती है कि वे नई पीढ़ी के अपने संबंधियों से ही नाता तोड़ लेते हैं और गुमसुम रहने लगते हैं। जाने-माने मनोचिकित्सकों के मुताबिक़ जो लोग अपने आसपास की दुनिया से नाराज़ या असंतुष्ट होते हैं, वे अतीत की दुनिया की पनाह लेने लगते हैं। अतीतजीवी होना नकारात्मक सोच की भी निशानी है। जो लोग सकारात्मक सोच वाले होते हैं, वे अपने वर्तमान का भरपूर आनन्द लेते हैं।हम ये नहीं कह रहें हैं कि आप अपने अतीत के बारें में सोचना ही बन्द कर दे।
अतीत के बारे में याद करना चाहे आपका अतीत अच्छा हो या बुरा नुकसानदेह नहीं है ,किन्तु अतीत में रहना आपके विकास में बाधा उत्पन्न जरूर कर सकता है जिससे आपका वर्तमान व भविष्य दोनो बर्बाद हो सकता है।भूतकाल के पीछे भागने की बजाय वर्तमान में जीयें ,एक सकारात्मक सोच के साथ क्योंकि केवल सकारात्मक सोच ही हैं जो आपके जीवन में सब कुछ सुन्दर कर सकती है। विंस्टन चर्चिल ने एकबार कहा था-"A pessimist sees the difficulty in every opportunity; an optimist sees the opportunity in every difficulty." जिसका मतलब "एक निराशावादी हर अवसर में मुश्किलें खोजता और देखता है और वहीं एक आशावादी हर मुश्किल में अवसर खोजता है।" जीवन विभिन्न प्रकार की समस्याओं से भरा पड़ा है।
हर कोई सफल नहीं है क्योंकि अधिकांश व्यक्ति नहीं जानते कि वो जीवन से क्या चाहते हैं और इस प्रकार न जानने के कारण वो कठोर परिश्रम करने की ओर अग्रसर नहीं हो पाते।व्यक्ति को यह समझने की आवश्यकता है कि व्यक्ति का अपना मिज़ाज ही निर्धारित करता है कि वो जीवन को किस नज़रिये से देखता है।मान लीजिए कि आप एक दिन जब अपने कार्यस्थल पर पहुँचते हैं और पाते हैं कि लिफ्ट काम नहीं कर रही है और आपके सबसे उपरी मंजिल के ऑफिस तक पहुँचने के लिए सीढ़ियों के अतिरिक्त कोई और रास्ता नहीं है,तो आप दूःखी हो जाते हैं।ऐसे में यदि आप अपने को दुःखी न महसूस करें और इसे एक अपने फिटनेस के स्तर को जांचने का एक अवसर मानें और जांचें कि क्या आप सीढ़ियों से ऊपर जाने में सक्षम हैं जैसा कि आप बचपन में थे तो आप हंसी-ख़ुशी उस वक्त को तय कर लेंगे।
अपने जीवन में सकारात्मकता लाने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि जीवन की छोटी-छोटी बातों को गौर करें उन बातों में खुशियाँ खोजें और इस जीवन को पाने के लिए हमेशा ईश्वर का एहसानमंद रहें।हम सभी ख़ुशी की तलाश में जीवन भर भागते रहते हैं ,जबकि उन छोटी-छोटी बातों को नज़र अंदाज़ कर देते हैं जो हमारे आन्तरिक मन को खुश कर सकती हैं।ये हमारे जीवन में एक छोटे आशीर्वाद की तरह हैं।हमारी समस्याएँ हमें ऐसे दिखाई देती हैं जैसे हमारे लिए संसार का अंत हो गया हो।हमने अपनी सुविधा के अनुसार ख़ुशी का मतलब नए सिरे से परिभाषित कर लिया है जिसमे ख़ुशी का मतलब है भौतिकवादी चीजों पर अधिकार।अपने आप को याद दिलाएं कि आप कितने भाग्यशाली हैं कि आपको ये जीवन मिला है। क्यूंकि इस धरती पर बहुत से केवल जिन्दा रहने के लिए जूझ रहे हैं।
हर बार जब आप भोजन ले रहे हों ,उन व्यक्तियों के बारे में सोचें जो दो वक्त का भोजन भी जुटाने में समर्थ नहीं हैं।हर बार जब आप घर में प्रवेश कर रहें हो तो उन व्यक्तियों के बारे में सोचें जिनके सर पर छत नहीं है। हर बार जब आप महसूस कर रहें हो कि आपके माता-पिता आपके ऊपर एक बोझ हैं ,उन के बारे में सोचें जो अनाथ हैं।कहने का अर्थ ये हैं कि जीवन के प्रति अपना दृष्टिकोण बदलिए और तब जीवन यात्रा आपके लिए और हसीन हो जायेगी।आप उन चीजों को अपने मुत्तसिल रखते हैं जो आपको आपके अतीत से जोड़े रखते है, इसलिए आप उन सभी चीजों को अपने से दूर रखिए। तब जाकर आप अतीत से मुक्त हो पाएंगे। आप हमेशा यह सोचिए जो आप कोशिश कर रहें हैं उनसे आपको बेहतर मार्ग मिलेगा या नहीं आपकी यही कोशिश से आपको कहीं बेहतर आत्मविश्वास प्राप्त होगा।
一 बालानाथ राय