DISCLAIMER
प्रस्तुत कथा संपूर्ण: काल्पनिक है। इसका किसी भी घटना, व्यक्ति, स्थान, समय, जाति, लिंग, धर्म से कोई संबंध नहीं है। ये कथा का उद्देश्य किसी की भी भावनाओं को ठेस पहुँचाना नहीं है।
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हर कहानी में कुछ न कुछ नया जरूर होता है, ये कहानी में भी कुछ नया है। ये कहानी है एक ऐसे रहस्य की, जिसको आज तक कोई पुलिस भी पकड़ नहीं पायी है। एक ऐसा रहस्य सामने आया है जिसमे एक पुराने जमाने का खंजर है, जिसके बलबूते पे एक परिवार पुरा तहस नहस हो जाता है। ये व्यक्ति जो भी था उसका उद्देश्य केवल परिवार के सभी सदस्यों को साथ रखना था, पर इस उद्देश्य को वो गलत तरीके से लागू करवाता था।
ऐसे ही एक परिवार के ऊपर इस खंज़र वाला भूत आन चढ़ा है। आखिर में लेकिन ये परिवार एक साथ रह लेता है और पिछले 5 साल से पुलिस जिसे ढूंढ है वो आदमी मिल जाता है।
आखिर कैसे जानना चाहोगे ये कहानी? तो जरूर पढियेगा एक नई दास्ताँ!
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शाम के 6 बजे का समय था। जीवा घर पे अपने पापा की राह देख रही थी। वो घर पे अकेली थी और उसकी मम्मी सब्जी लाने बाज़ार गयी थी।
(अचानक डोरबेल बजती है!)
जीवा को लगा, उसके पापा आये होंगे। ये सोचकर बिना डोर-आई (Door-Eye) में देखे उसने दरवाजा खोला। सामने एक लड़का खड़ा था। उसको देखकर जीवा डर सी गयी। उसका शरीर थोड़ा सा गंदा हो चुका था, लग रहा हो जैसे कोई कीचड़ में गिर कर आया! उसके कपड़े भी गंदे हो चुके थे पर शक्ल पे कीचड़ के थोड़े ही दाग थे, इस लिए शक्ल से तो अच्छे परिवार का लग रहा था।
जीवा ने देखा, और थोड़े डरते हुए आवाज से पूछा,"जी आप कौन? और आपको क्या चाहिए!?"
उस लड़के ने बोला,"मुझे सिर्फ एक गिलास पानी दे दो, प्यास बहुत लगी है और मुझे कुछ नहीं चाहिए। में यहाँ आगे कीचड़ में गिर गया था, चक्कर से आ गए थे।"
"ओके..ओके..! अभी आयी।" कह कर जीवा पानी लाने गयी।
थोड़ी देर में वो पानी लेके आयी। वो लड़का ऐसे ही पीछे मुड़के खड़ा था। जीवा ने पानी से भरा गिलास उस लड़के को दिया। उसने पानी पिया और "आपका बहुत बहुत धन्यवाद! भगवान आपको बचाए रखे!" कह कर चला गया।
जीवा को कुछ अजीब सा लगा। उसने दरवाजे को अच्छे से लॉक करके बंध किया। वो पीछे मूडी, देखा तो सामने एक खत पड़ा था। एक तो डरी हुई थी उस लड़के को देखकर, ऊपर से ये खत देखा, जो टेबल पर पहले था ही नहीं।
उसने वो कवर उठाया, कवर भारी था। कवर में देखा तो एक पुराने जमाने का खंज़र था। वो सोचने लगी,"आखिर ये खत यहाँ कैसे आया? क्या ये उस लड़के ने रखा होगा? और उसमे से ये खंजर...!? आखिर वो चाहता क्या होगा? मुझे जल्दी से पापा को फ़ोन करना पड़ेगा।"
खंज़र की धार भी इतनी तेज थी कि जरा सा भी छू ले तो खून निकल जाए। ऊपर से खंज़र खुला हुआ था।
वो तो अब एकदम डर गई। फिर से उसने कवर में देखा, एक कागज़ का टुकड़ा था, उसने कागज़ में लिखा हुआ पढ़ा, उसके तो होश ही उड़ गए। सोचने लगी कि इसका क्या मतलब होगा? आखिर ये सही में उस लड़के की ही कोई चाल है?
अब उसके पास अपने पापा को फ़ोन करने के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं था। फ़ोन लगाया, फोन नहीं उठा; दूसरी बार किया फिर भी फ़ोन नहीं उठा।
शाम के 6:30 बज गए! अभी तक उसके पापा-मम्मी नहीं आये। वो थोड़ी सी और डरने लगी।
(फिर से डोरबेल बजी।)
डरते डरते वो दरवाजे के पास गई। डोर - आई में देखा तो उसके पापा ही खड़े थे। उसकी जान में जान आयी। उसने बिना समय गवाएं दरवाजा खोला और जल्दी से पापा को अंदर जाने के लिए कहा और दरवाजा फिर से पहले की तरह अच्छे से लॉक कर दिया।
अपनी बेटी को थोड़ी सी अलग पाते देख वो थोड़ा सा डर गए, की आखिर जीवा को क्या हुआ?
यही सोचते सोचते जीवा के पापा ने अपने फ़ोन को चार्ज में लगाया। उसके बाद दोनों सोफे में बैठे, जीवा से पूछा,"क्या हुआ बेटा!? ऐसे क्यों डर रहे हो? और तुम्हारी मम्मी कहाँ है? कुछ तो बोलो बेटा!"
जीवा डरे हुए आवाज़ से बोली,"Mummy मम्मी सब्ज़ी लाने बाज़ार गयी है, और आपको फ़ोन क्यों नहीं लग रहा था? स्विच ऑफ है ऐसा भी नहीं बताया?"
जीवा के पापा ने कहाँ,"Beta! बेटा! फ़ोन में सिर्फ 1% बेटरी थी, और उपर से फ़ोन साइलेंट पर था। अब बताओ पापा कैसे फ़ोन उठाते? और देखो पापा ने फ़ोन चार्जिंग में भी रख दिया।"
जीवा ने उस लड़के के बारे में बताया। उस अनजाने खत को पापा को पढ़ने दिया।
खत में लिखा था,
"दिमाग़ खा जाती है एक ऐसी चीज़,
फूँटां है एक पेड़, बिना बीज़;
याद रखना ये बात,
हमेंशा बचके रहो और दिमाग़ ना खाएं वो चीज़!
आपका शुभचिंतक"
ये पढ़ा तो जीवा के पापा भी थोड़ा हिचकिचा गए, आखिर ये हो क्या रहा है हमारे साथ? ये पहेली, हमेंशा बचके रहो, जीवा को भी उस लड़के ने कहा था भगवान बचाएँ रखे! कुछ अजीब सा है!
उन्होंने जीवा के फ़ोन से जीवा की मम्मी को फ़ोन लगाया। फ़ोन लगा, रिंग जा रही थी, पर फ़ोन नहीं उठा! दूसरी बार फ़ोन किया, सामने से एक दम धीरे आवाज़ में किसी ने "हेल्लो" bola.
"हेल्लो, कहाँ है आप? यहाँ हम घर पे कब से राह देख रहे आपकी!....." और आगे कुछ बोले उससे पहले फ़ोन कट गया।
"अरे रे! इस फ़ोन की बेटरी को भी अभी ही खतम होना था!? एक काम करती हूँ, किसी से मदद माँगके फ़ोन कर लेती हूं।" जीवा की मम्मी मन में सोचने लगी।
"ओ भाई! जरा आप अपना फ़ोन दे सकते है, वो क्या है मुझे मेरी बेटी का फ़ोन आया था और बात करूं उससे पहले मेरे फ़ोन की बैटरी खतम हो गयी।" पास वाली दुकान पर बैठे हुए एक भाई से जीवा की मम्मी ने पूछा।
(आखिर क्या हुआ है उनकी फैमिली में? ये लड़का बचके रहो ऐसा बोलके क्यों गया? उस पहेली में भी बचके रहना लिखा था! आखिर इसका क्या मतलब होगा?)
एक रहस्य सामने आनेवाला है, अगले पार्ट में! जुड़े रहिये मेरे साथ!