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कसक प्यार की

सबसे पहले तो मेरे सभी पाठको को हृदय से धन्यवाद | मेरी पुरानी हवेली का राज़ कहानी को इतना प्यार देने के लिए उसी की वजह से मैं लगातार कई दिनों तक Trending Writers में Top पर रहा| साथ की मेरी रचना भी ट्रेंडिंग में रही | पुरानी हवेली का राज़ कहानी का आगे के भाग पर अभी काम चल रहा है जो कि शीघ्र ही आएगा|

पर तब तक आप मेरी प्रेम कहानियो का आनंद लीजिये| आज प्रस्तुत है एक लघु प्रेम कथा, जो कि एक सच्ची कहानी है|

कोटा एक ऐसा शहर, जहां से हर साल लाखों विद्यार्थी इंजीनियर या डॉक्टर बनने का सपना आंखों में लिए आते है। पर इन्हीं में से कुछ को पढ़ाई के साथ साथ प्यार का बुखार भी चढ़ जाता है। देखा जाए तो ये उमर ही कुछ ऐसी है कि मन को लाख समझाओ पर वो समझ ही नही पाता है। किसी के लिए आकर्षण कब प्यार मुहब्बत में बदल जाता है पता ही नही चलता है।

ऐसा ही कुछ हुआ मेरे दोस्त योगेश के साथ। वो अजमेर से आया तो पढ़ाईं के लिए ही पर उसे नही पता था कि उसे पढ़ाई के साथ साथ यहां पहले प्यार का अनुभव भी होगा।

पहला प्यार इसलिए क्योंकि वो बचपन से ही सीधा सादा और शर्मीला था। कभी किसी लड़की से आमने सामने बात नही की थी। अगर कोई लड़की आगे होकर बात कर ले तो फिर तो उसे जवाब देना तक नही आता था।

पर योगेश की जिंदगी में शायद वो सबसे खुशनुमा दौर था। जब उसकी जिंदगी में आरोही आई।

ये कहानी शुरू होती है आज से 6 साल पहले 2013 में। जब फेसबुक लोगों का जोड़ने का एक बहुत सशक्त माध्यम बन चुका था। योगेश को भी उस समय फेसबुक का नया नया शौक लगा था। दिनभर किताबों के सागर में डूबने रहने के बाद फेसबुक के उस दरवाजे पर आकर मन को बहुत सूकून मिलता था। पहले ये हमउम्र दोस्तों से बात करने का जरिया था , जरूरी बातें होने पर मैसेज कर दिया जाता और हालचाल पूछ लिए जाते थे।

लेकिन उस दिन से फेसबुक चलाना उसकी जरूरत बन गया। जिस दिन आरोही का मित्रता निवेदन फेसबुक पर आया। आरोही ने योगेश को उसके सरनेम की वजह से उसके भैया के ऑफिस का ही कोई दोस्त समझ लिया था। पर योगेश को इन सब से ज्यादा मतलब नही था उसके लिए ये ज्यादा महत्वपूर्ण था कि किसी लड़की की तरफ से दोस्ती का निवेदन आया।

वो गुजरात के राजकोट से थी। सीधी सादी मासूमियत से भरी। उससे बात करते समय ऐसा लगा ही नही कि वो उससे अनजान है। ऐसा लगा जैसे बहुत समय से दोनों एक दूसरे को जानते हों। उसकी बातों में अपनापन था। और इसी वजह से फेसबुक पर बात होने के दो तीन दिन बाद दोनों ने कॉल पर एक दूसरे से बात कर ली थी। योगेश को उससे बात करना अच्छा लगने लगा।

पहले फेसबुक जहां केवल पढ़ाई के बोझ से मुक्ति लेने का माध्यम था वही अब वो उसके लिए एक जरूरत एक आदत बन चुका था। वो बातें भी उस समय शुरू हुई जब JEE MAINS के एग्जाम आने वाले थे। और साथ ही 12वीं कक्षा की परीक्षाएं भी शुरू होने वाली थी।

ये सारी प्रेम कहानियां दसवीं और बारहवीं की मुख्य परीक्षा के दौरान ही क्यों शुरू होती है इस सवाल का जवाब शायद दुनिया के किसी भी व्यक्ति के पास नही होगा। योगेश के साथ भी यही हुआ था ।

वो बहुत असमंजस में था। अगर केवल पढ़ाई पर ध्यान देता तो आरोही को खोने का डर था और अगर सिर्फ आरोही पर ध्यान देता तो फेल होने का डर। ऐसे ही बातों ही बातों में कब सुबह से शाम और शाम से रात हो जाती पता नही चलता।

आरोही मना करती कि आप पहले पढ़ाई पर ध्यान दो। बातें तो बाद में भी कर सकते है। पर दोनों एक दूसरे से बात किए बिना नही रह पाते थे। शुरूआत में दोनों इस बातचीत को अभी तक दोस्ती ही समझ रहे थे पर अब बात दोस्ती से आगे बढ़ चुकी थी। दोनो जब तक बात नही कर लेते थे। एक बैचेनी एक उदासी सी रहती थी।

योगेश को भी पता था कि इस समय पढ़ाई ज्यादा जरूरी है पर मन तो आरोही में लग चुका था। पर वो कहते है ना इश्क में डूबा हर आशिक एक अलग ही जोश से भरा होता है। और इसी वजह से शायद उसने 12वीं की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण कर ली।

लेकिन उसका का सपना अधूरा रह गया। क्योंकि वो इस बार उसे क्लीयर नही कर पाया। परीक्षा खत्म होने के बाद वो गांव चला गया। गांव जाने के बाद दोनो का बात करना और घंटो तक चैट करना कम हो गया क्योंकि गावं में परिवार को भी समय देना पड़ता था।

पर फिर भी योगेश वक्त निकालकर आरोही से बात जरूर करता था। पर पहले जहां फोन पर गुड नाइट कहे बिना बात नही होती थी अब मैसेज से ही एक दूसरे के दिल का हाल समझा जाता था।

प्यार के रिश्तों में जमीन पर दूरियां जितनी ज्यादा होती है। दिलों में नजदीकियां उतनी ही ज्यादा होती है। दोनो ही एक दूसरे से अब आमने सामने मिलना चाहते थे। पर राजस्थान और गुजरात की ये दूरियां कम नही हो रही थी। दोनों बातों के दौरान बहुत सारे सपने सजाते। वो एक दूसरे के लिए क्या उपहार लाएंगे ? जब मिलेंगे तो क्या बातें करेंगे ? कहां पर घूमने जाएंगे ? और प्यार का इजहार कैसे करेंगे। इन बातों में ही बहुत खुशी मिलती थी। ये सब जब सच में होगा तब कितना अच्छा लगेगा ये सोचकर ही दोनो खुश रहते थे।

ये सब बातें योगेश के घर में सब को पता चल गई। पर उन्होने कुछ विरोध नही किया । लेकिन आरोही के घर में उसकी भाभी को ये बात पता चल गई थी। पर अच्छी बात ये थी कि भाभी ने इस बात को खुद तक ही सीमित रखा था।

योगेश की छुट्टियां खत्म होने के बाद उसने इंजिनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लिया। आरोही ने बी एस सी कॉलेज में एडमिशन लिया। दोनों का प्यार और पढ़ाई अब एक साथ चल रहे थे। दोनों जिंन्दगी में अब खुश थे। और साथ ही आने वाली खुशियों के बारें में सोच कर और खुश रहते थे।

पर खुशियों का दौर हमेशा कब रहता है ? खुशी तो एक चंचल हवा का झोंका है जो कुछ पल के लिए आती है और फिर गायब हो जाती है। दोनों का प्यार अब परवान चढ़ चुका था और वो एक दूसरे को अपना जीवन साथी बनाने का वादा भी कर चुके थे।

पर अचानक से आरोही के कॉल और मैसेज आना बंद हो गए। योगेश ने कॉल किया था कॉल नही उठाया। उसने फेसबुक पर एक के बाद एक कई मैसेज किए। नाराज हो क्या ? कहां बिजी हो ? कुछ परेशानी है क्या ? तबीयत तो ठीक है ? और भी बहुत कुछ लिखा। पर एक का भी रिप्लाई नही आया।

दिन में कई बार मैसेज चेक करता कि कभी तो मैसैज देखेगी। पर 15 दिन हो गए। उसका कोई रिप्लाई नही आया। फिर एक दिन अचानक मैसेज आया। 2-3 मिनट बात हो पाई। योगेश कुछ पूछ पाता इससे पहले ही वो ऑफलाइन हो गई। योगेश ने बैचेन होकर फोन लगाया पर मोबाइल स्विच ऑफ था। 1 महीने तक दोनो की कोई बात नही हो पाई। योगेश हर वक्त उसके बारे में ही सोचता रहता। क्या उससे कोई गलती हो गई है ? या आरोही ही बदल गई है ?

दिमाग में सवालों का तूफान मचा था पर उस तूफान को शांत करने वाला कोई नही था। पर अचानक एक दिन उसके पास आरोही की एक सहेली का मैसेज आया।

आरोही के बारे में जो उस सहेली ने बताया उसे सुनकर योगेश को विश्वास नही हुआ । पर अपने कलेजे पर पत्थर रखकर उसे इन सब बातों पर विश्वास करना पड़ा।

आरोही की सगाई हो चुकी थी। उसके लाख मना करने के बावजूद उसके घरवालों ने उसकी सगाई तय कर दी थी। और उसमें इतनी हिम्मत नही थी कि वो योगेश को ये सब बता पाती। ये सब बता कर वो योगेश को दुखी नही करना चाहती थी। वो बस यही चाहती थी कि योगेश कुछ दिन उसका इंतजार करेगा और फिर शायद भूल जाएगा। पर फिर उसने सोचा कि अगर योगेश हमेशा ही उसका इंतजार करता रहा तो क्या होगा ? इसलिए उसने अपनी सहेली को सारी बात योगेश को बताने के लिए कहा। वैसे भी उसकी फेसबुक आईडी के पासवर्ड अब उसके होने वाले पति के पास थे। तो अब वो उससे बात नही कर सकती थी।

योगेश के दिल के उस दिन कितने टुकड़े हुए वो खुद नही जानता था। उसका पहला प्यार अधूरा रह गया। उसे समझ नही आ रहा था कि वो अब क्या करे ? प्यार की वो पहली बातें, हंसी मजाक के पल जो उसे खुशी देते थे। वही अब उसके दुख का कारण बन गए थे। उसकी आंखें नम हो चुकी थी। उसे समझ नही आया कि अब उसे क्या कहना चाहिए ? क्या करना चाहिए ?

योगेश ने आरोही की सहेली से कहा कि वो एक बार बस एक बार उसकी बात आरोही से करवा दे। तो वो जिंदगी भर उसका एहसानमंद रहेगा। उसने कहा कि वो कोशिश करेगी। योगेश ने सोचा नही था कि उसकी लाइफ में ऐसा भी कुछ होगा। कहां तो वो दोनों एक दूसरे के पल पल की खबर रखते थे और कहां अब एक बात करने के लिए भी किसी का सहारा लेना पड़ रहा था।

दो दिन बाद अचानक एक अनजाने नम्बर से कॉल आया। योगेश ने फोन उठाया। पर उधर से आवाज नही आई। योगेश ने पूछा कौन ? पर कुछ जवाब नही आया। बस किसी के धीरे धीरे रोने की आवाज आई।

योगेश ने कहा - आरोही। आरोही ये तुम ही होना। मैं तुम्हारी खामोशियां भी समझ सकता हूं। रोना बंद करो आरोही। कुछ तो कहो।

न जाने कितने दिनों बाद उसने फिर आरोही की आवाज सुनी। पर जिस आवाज में हमेशा एक मधुरता एक खुशी होती थी आज उस आवाज में दुख बेबसी थी। उसने लगभग रोते हुए कहा - मुझे माफ कर दो योगेश। आप मुझे अच्छे लगते हो। आपसे प्यार भी करती हूं । लेकिन घर वालों से भी उतना ही प्यार करती हूं। भाभी ने सगाई से पहले एक बार घर में बताया पर सब घरवाले नाराज हो गए। उनकी खुशी के लिए मुझे हां करना पड़ा। आप को कुछ भी बताने कि हिम्मत नही हुई।

योगेश ने कहा - कोई बात नही आरोही। इसमें छुपाने वाली बात कहा थी। तेरी खुशी में ही मेरी खुशी है। खुशी की बात है तुम्हारी सगाई हो चुकी है। चलो अब मेरा भी पढ़ाई पर ध्यान ज्यादा लगेगा। - योगेश झूठी हंसी हंसते हुए कहा।

आरोही ने भी एक पल को झूठी हंसी हंसते हुए कहा - हां। इसीलिए तो। वैसे पतिदेव क्या करते है ? और मुझसे सुंदर है या ऐसा ही कोई ढूंढ लिया ?

नही आपसे सुंदर नही। - आरोही ने कहा।

और फिर उस दिन योगेश और आरोही ने बहुत देर तक जी भर के बातें की। आरोही उस दिन उसकी सहेली के रूम पर ही रूकी गई थी। बातचीत के दौरान उसने अपने पति का फोटो भेजा। उसके बारे में बताया। वो एक इंजिनियर है। और भी बहुत बातें की।

उस समय योगेश न जाने कहां से समझदारी बातें करने लगा। मन में कितनी शिकायतें थी। पर सब भूल गया। आज बस वो आरोही की बातों को दिल भर के सुनना चाहता था। और फिर एक समय ऐसा आया जब दोनो चुप हो गए। शायद ये जुदाई का वक्त दोनों के मन में एक दूसरे के आमने सामने देखने और मिलने की इच्छा अधूरी रह गई। काश एक बार मिल लेते। पर ये मुमकिन न हो सका। प्यार मोहब्बत और शादी की बातें हंसी मजाक में तो बहुत की थी। पर कभी सोचा नही था। दोनों ने सोच रखा था कि जब दोनों सेल्फ डिपेन्ड हो जाएंगे तो शादी जरूर करेंगे।

पर किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था। प्यार का पहला अक्षर ही अधूरा है शायद इसलिए अक्सर लोगों का पहला प्यार अधूरा रह जाता है। वो जिंदगी में एक बसंत की तरह आई थी। दिल की बगिया को महका कर चली गई। सारे सपने अधूरे रह गए। अधूरे रह गए वो मुलाकात के वादे। वो दिन और रात की बातें।

चलो ठीक है। अपना ख्याल रखना। - योगेश ने कहा।

और तुम भी - आरोही ने कहा।

बाई ।

बाई। - और आरोही ने फोन काट दिया।

योगेश उस नम्बर को मोबाइल का घंटो देखता रहा। जैसे शून्य की स्थिति में पहुंच गया हो।

मोहब्बत एक ऐसी ग़ज़ल है
जो हर एक सुनने वाले के दिल में उतर जाती है
मोहब्बत गुलशन के फूलो की वो दिलकश खुशबू है जिससे सारा गुलशन महक उठता है
मोहब्बत आंसू का समंदर है
जो किसी के इन्तेज़ार में खामोशी से बैठा है
मोहब्बत करने वाले इस दुनिया के खुशकिस्मत इंसान है
और
जिस के दिल में मोहब्बत नहीं
वो इस दुनिया का बदतरीन इंसान है
मोहब्बत किसी को खामोशी से चाह जाने का नाम है |


अन्तशील शब्द.

कहते हैं ना कुछ वादे और यादे अधूरी ही रहती हैं कुछ कि मोहब्बत मुक़म्मल होती हैं अपनों से ख़फ़ा दुर होकर और कुछ कि मोहब्बत अक्सर परिवार रिश्तेदारों जातपात के बोझ से अधूरी ही रह जाती हैं| और दिल में रह जाती है कसक प्यार की . . .

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