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मिस्टर फट्टू. - भाग - ३






लेखक, परेश मकवाना





अगली सुबह जैसे ही में कॉलेज के लिए निकली कॉलेज के पास ही, कुछ गुंडो ने पीछे से आकर मेरा मुह दबोच लिया ओर फिर मुजे बेहोश कर के एक वेन में दाल दिया।
ये सब दूर से आ रहे वीर ने देख लिया जैसे ही वो पास पोहचा वेन हाइवे पर फूल रफ्तार से दौड़ने लगी।
वीर को लगा की ये उन दो नमूनों का ही प्लान है उसने तुरन्त ही अजय ओर साहिल को कोल किया दोनों का कोल स्विच ऑफ आ रहा था। अब तो उसे पक्का यकीन हो गया की ये सारा खेल उन दोनों का ही है उसने पल्लवी को कोल किया पल्लवी ने फोन उठाया ''हैल्लो पल्लवी कहा हो तुम..?''
पल्लवी ने बताया ''हम तीनो केम्पस में है''
''ओर मुस्कान..?''
''मुस्कान.. उसका तो पता नही..शायद रास्ते में होगी''
''ठीक है में वह आ रहा हु''

केम्पस में पोहचते ही उसने अजय का कॉलर पकड़ लिया- ''मुस्कान कहा है..बता उसे कहा ले जा रहे है..''
साहिल-''ले जा रहे है...ये क्या बात कर रहा है वीर तू...''
''तेरा ही प्लान था ना मुस्कान को किडनेप करने का..''
''हा..प्लान था लेकिन वो गाड़ीवाला अभी तक नही आया जिसमे मुस्कान को उठाना था''
''नही आया मतलब..अभी मेने बाहर अपनी आंखों से देखा है कुछ लोग मुस्कान को उठा कर ले गए..''
''ये क्या कह रहा है वीर..अगर हमारा गाड़ीवाला अभी तक नही आया तो मुस्कान को कोन ले गया..''
पल्लवी-'' किडनैपर्स..,
अजय-''किडनैपर्स तो हम है पल्लवी...''
पल्लवी-'' में असली किडनैपर्स की बात कर रही हु..''
''असली किडनैपर्स मतलब मुस्कान को सच में किडनेप कर लिया..''
साहिल-''भाई हमे मुस्कान को बचना चाहिए..
पल्लवी ओर अजय-''वीर चल हम भी तुम्हारे साथ चलते है''
''नही ये मेरी लड़ाई है... में अकेला जाऊंगा..''
अजय-''भाई वो गुंडे है...''
वीर चिल्लाया '' मेने कहा ना मुस्कान को बचाने सिर्फ में जाऊंगा..ओर कोई मेरे पीछे नही आएगा..समज गए..!
वीर मुजको ढूंढने निकल पड़ा..
अपनी रॉयल एनफील्ड बाइक लेकर वो उसी रास्ते की ओर भागा जहा किडनैपर्स वेन लेकर गए थे। बाइक से काफी चलने के बाद उसे अचानक ही रास्ते की जाड़ियों में फसा मेरा दुपट्टा मिला जो मेने चलती वेन से मदद के लिए फेका था। वीर ने बाइक से उतरकर जादियो में फसे उस दुपट्टा को जाडीयो से अलग किया, 'अरे ये तो मुस्कान का दुपट्टा है इसका मतलब मुस्कान को यही से ले जाया गया है' उसने बाइक स्टार्ट की ओर उसी रास्ते आगे चलने लगा कुछ आगे गया की एक बहुत बड़ी इंडस्ट्रीज़ आई 'हीरापन्ना इंडस्ट्रीज़' जो काफी सालो से बंद पड़ी थी। वो आगे ही जानेवाला था की उसकी नज़रे गोडाउन के खुले शटर पर पड़ी ''हो ना हो मुस्कान को वो लोग यही लेकर आये है'' उसने वही दूर अपनी बाइक पार्क की ओर चुपचाप छुपते छुपते गोडाउन के शटर तक आ गया अंदर से आ रही कुछ आवाजे सुनकर उसने अपने कदम रोक लिए।
''भाई तू इस साली को चुप करा वरना में गोली मार दूंगा अभी बताई रहा हु..चुप करा इस लौंडिया को''
''चुपकर साली कोई नही आनेवाला तुजे बचने समझी..''
ओर फिर एक जोरदार के चाटे ओर मेरे चिल्लाने की आवाज सुनकर वीर से रहा नही गया वो वही पास में पड़ा एक डंडा उठाकर अंदर तक आ गया।
गोडाउन के बीचो बीच मुजे ख़ुर्शी से बंधा देख ओर मेरे मुह से बह रहे खून को देख वीर से देखा नही गया। उसने जोरसे कहा-
''छोड़ दो मुस्कान को वरना..''
''वरना वरना क्या कर लेगा तू...मरेगा हमे..चल मार..चल मार..''
जोश में आकर वीर ने डंडा घुमाया दो चार को पीटा भी लेकिन एक गुंडे ने पीछे से आकर उसके सर पर बंदूक के दस्ते से वार किया ओर वो घूम के वही गिर पड़ा। में चिल्लाई ''वीर...''उसके माथे से खून बहने लगा
गुंडा हसने लगा- ''हां.. हा.. हा..देख साली तेरा आशिक..तेरा हीरो तुजे बचाने आया था लेकिन खुद ही जान से हाथ धो बैठा''
में वही से चिल्लाई..''वीर उठो..वीर तुम्हे कुछ नही हो सकता वीर..वीर प्लीज़ उठो..''
एक गुंडे ने उठाकर वीर को एक ख़ुर्शी पर बिठा दिया, ओर कस के रस्सी से हाथ पेर बांध दिए।
इतने में हमारे फ्रेंड्स भी वहां आ चुके गोडाउन के पीछे की काँचवाली टूटी फूटी खिड़की से उन्होंने ये सब देखा।
अजय से रहा नही गया..''चल भाई वीर ओर मुस्कान की जान खतरें में है बचाते है उन्हें..'' साहिल- ''हां.. चल..'' पल्लवी-''रुको ए वीर की अपनी लड़ाई है वो खुद लड़ेगा..''
अजय-''लेकिन पल्लवी उन दोनों की जान खतरे में है..''
पल्लवी-''मुजे पता है.. लेकिन वीर ने कहा था की वो मुस्कान के प्यार के लिए कुछ भी कर सकता है आज देखते है वो हारेगा नही..''
मेने गुंडो से कहा-'' तुम्हे क्या लगता है..तुम लोग बच जावोगे यह पोहुचने से पहले वीर ने पुलिस को कोल कर ही दिया होगा ओर पुलिस आती ही होगी..''
वो लोग फिर जोरजोर से हसने लगे..एक ने हसते हुवे कहा-''पुलिस आती होगी..हा.. हा..तूने सुना तो होगा लड़की के पुलिस हमेशा देर से ही आती है..''
पल्लवी-''आई थिंक हमे पुलिस को कोल कर देना चाहिए..अजय पुलिस को कोल करो..''
साहिल-''पल्लवी ठीक कह रही है..''
लेकिन अजय को लगा की पुलिस देर से ही आएंगी तबतक तो ये लोग निकल जाएंगे। फिर उसने वीर के पापा को कोल किया क्योंकि शहर के एस.पी. उनके अच्छे दोस्त थे।
इधर वीर को होश आ गया..उसने मेरी ओर देखा..-''मुस्कान तुम ठीक तो हो ना..''
''में ठीक हु...वीर..यहां से कैसे निकलेंगे..''
''डरो मत में हु ना..मेरे होते हुवे तुम्हे डरने की जरूरत नही है..''
इतने में पुलिस सायरन बजा..''जल्दी यहां से निकलना होगा..पुलिस आ गई है...''
''पर इन दोनों का क्या करेंगे..?''
''फिलहाल इन्हें यही बन्द कर के हमलोग निकलते है..''
वो लोग निकल ही रहे थे की बाहर पुलिस जीप आकर खड़ी रह गई ओर उसमे से कुछ हवलदार बड़ी बड़ी बन्दूको को के साथ सबको चारो ओर से घेर लिया।
''कोई हिलेगा नही..''
हमारे फ्रेंड अंदर आये ओर हमदोनो के हाथ पाव खोले। में वीर के गले लग गई।
''वीर तुम ठीक तो हो ना..''
वीर ने हसकर कहा-''में बिल्कुल ठीक हु मुस्कान''
इतने में एक मोटे हवलदार के साथ एक बड़ी मुछोवाला दरोगा अंदर आया। जिन्हें देखकर में, वीर ओर हमारे दोस्त हैरान रह गए। दरसल वो ओर कोई नही वीर के पापा थे।
वीर ने हैरानी से पूछा-''पापा..आप यहां..?''
''पापा..अरे हम दरोगा है..कोनो पापा नही..'' ओर हवलदार को हुकुम दिया "हवलदार इनसबको लेकर थाने पोहचो, हम आते है अभी।''
सब हवलदार चारो गुंडो को पकड़कर ले गए। इधर अजय ने कहा
''पापा जी को मेने ही फोन किया था..आप जल्दी से पुलिस को लेकर पोहच जाए मुजे कहा पता था की वो खुद पुलिस बनकर आ जाएंगे..''
पापा ने कहा..-''बेटे पुलिस हमेशा सही वक़्त पर आती है..ए साबित करना था मुजे..''
वीर ने कहा-''लेकिन पापा आपको पुलिस बनने की क्या जरूरत थी..''
पापा हसे..-''भाई कलाकार है हम..बचपन से नोटंकी में काम करते आये है..आज तक वकील बने डॉक्टर बने लेकिन पुलिस कभी ना बने..आज वर्दी पहनने का मौका हाथ लगा तो पहन ली..''
''लेकिन असली पुलिस आएगी तो..''
पापा ने कहा''बेटा बहस ना कर ओर सुबह जो बिस हजार दिए थे वो ला..,उन सब हवलदार को भी देने है सब कलाकर है।''
''पैसे..,पापा उन पैसे से तो मेने मुस्कान के लिए एक साड़ी खरीद ली..''
में ख़ुशी से उछल पड़ी..''सच वीर तुमने मेरे लिए साड़ी खरीदी..''ओर वीर को गले लग गई.."
वीर ने कहा"मुस्कान कहा था ना.. की एकदिन ए फट्टू तुम्हारे लिए पूरी दुनियां से लड़ जाएगा..।"
उसका नाक खींचते हुवे मेने कहा-
"फिर भी वीर तुम मेरे लिए तो फट्टू ही रहोगे" ओर में हसने लगी।
पापा ने कहा..''ए तो अच्छी बात है वीर के तुम दोनों के बीच की दूरिया मिट गई..साहिल बेटा तू पुलिस को कोल कर..पता नही पुलिस कब आएगी..।''
अजय..''पुलिस कब आएगी..? अंकल ये आप बोल रहे है..अभी तो आप बोल रहे थे की पुलिस हमेशा वक़्त पर आती है..ओर अब आप..''
अजय को डांटते हुवे पापा मुस्कुराये-''भाई देर से बुलाएंगे तो देर से ही आएंगी..।''
ओर हमसब हसने लगे..।
समाप्त

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