हिम स्पर्श - 79 Vrajesh Shashikant Dave द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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हिम स्पर्श - 79

79

याना और विक्टर गुफा से बाहर की तरफ जाने लगे। गुफा को पार कर वह आगे बढ्ने लगे। दिशाओं की धारणा करते हुए उस दिशा में चलने लगे जहां से उन्होंने गुफा में प्रवेश किया था। दोनों कुछ समय तक चलते रहे किन्तु गुफा का वह मुख, जहां उन्होंने बरफ को काटा था, उन दोनों को दिखाई नहीं दिया।

“अब तक तो वह प्रवेश स्थल आ जाना चाहिए था।“ याना ने संशय प्रकट कीया।

“किंतु दूर दूर तक कहीं कोई संकेत ही नहीं मिल रहे है।“

“तुम अपना दिशा सूचक यंत्र निकालो। उसके सहारे हम उस स्थल को ढूंढ लेंगे।“

विक्टर दिशा सूचक यंत्र से दिशाओं को ढूँढने लगा, समझने का प्रयास करने लगा। किन्तु दिशाएँ कोई रहस्य बनकर उसके छल करने लगी।

“क्या हम भटक गए हैं?” विक्टर ने चिंता व्यक्त की।

“मैं नहीं जानती।”

“मैं भी तो नहीं जानता। मेरी समझ में कुछ भी नहीं आ रहा।”

“तो क्या हमें लौट जाना चाहिए? उस स्त्री के सामने पराजय स्वीकार कर लें?”याना ने विक्टर की तरफ देखा।

“इस तरह से तो हम पूरा जीवन इसी पहाड़ी पर घूमते ही रहेंगे।”

“इसका अर्थ यह है याना की हम...।”

“अर्थ ढूँढने का यह अवसर नहीं है। हमें लौट जाना चाहिए। और उस स्त्री की बात मान लेनी चाहिए। यदि हम उसकी बात मान लेते हैं तो यहाँ से सकुशल लौट भी जाएंगे और हमारी पूरी कहानी भी चेनल पर प्रसारित हो पाएगी। एक बार यह कथा प्रसारित हो गई तो फिर...।”

“तो फिर हम दोनों का नाम...।”

“अत्यंत प्रचलित हो जाएगा। हम प्रसिध्ध हो जाएंगे।“ विक्टर खुश होकर हंसने लगा।

“गुमनाम होने से पहले हमें लौटना होगा।“याना ने हँसते हुए विक्टर को रोका।

“तो वापिस चलें? चलो।“ दोनों लौटने लगे।

“लौटने का मार्ग तो तुम्हें याद ही होगा।“ याना ने पूछा।

“याद तो है। नहीं, अरे, वह तो मैंने याद ही नहीं रखा।“

“तुम ऐसा कैसे कर सकते हो विक्टर?” याना विचलित हो गई।

“मुझे क्या पता था कि हमें लौटना भी पडेगा। मैं तो यही मानता था कि हम किसी भी पहाड़ से मार्ग ढूंढ लेते हैं तो यहाँ भी....।”

“विक्टर, कुछ करो। किसी भी दिशा का मार्ग ढूंढ निकालो।“

विक्टर एक तरफ जाकर शीला के सहारे खड़ा हो गया।

“विक्टर, यहाँ से हम कैसे बाहर निकलेंगे? कौन हमें उचित मार्ग दिखाएगा?”याना भी विक्टर के समीप जाकर खड़ी हो गई।

“मैं तुम दोनों को उचित मार्ग पर ले जाऊँगी। तुम मेरे साथ चल सकते हो यदि मेरी बात मान लेते हो तो।“

याना और विक्टर ने उस ध्वनि की तरफ देखा। वह स्त्री उनके सामने खड़ी थी। उसके मुख पर शांति थी। वह जरा भी विचलित नहीं थी। और ना ही अपनी विजय का गर्व उसके मुख पर था। वह स्थितप्रज्ञ थी। सौम्य और शांत खड़ी थी।

याना और विक्टर विस्मयित थे। दोनों ने एक दूसरे को देखा। दोनों की आँखों में किसी अकल्पनीयता के भाव थे। उस स्त्री ने दोनों को देखा, एक क्षण रुकी और चलने लगी। याना और विक्टर भी अनायास ही उस के पीछे पीछे चलने लगे। कुछ ही क्षणों में वह उस गुफा में आ गए।

वफ़ाई अभी भी जीत के पास बैठी थी। जीत निश्चेत अवश्य था किन्तु भय से मुक्त था। जीत की सांसें सामान्य हो चुकी थी। वफ़ाई फिर भी चिंतित थी।

स्त्री रुक गई। याना और विक्टर भी।

“आप दोनों किसी भी शीला पर बैठ सकते हो।“

स्त्री बड़ी सी शीला पर बैठ गई। याना और विक्टर भी चुपचाप एक शीला पर बैठ गए। दोनों अब उस स्त्री की शरण में थे।

स्त्री ने आँखें बंध कर ली। गहरी सांस ली, सांस को क्षण भर के लिए रोका, फिर छोड़ दिया।

“क्या आप लोग जीत को बचाना चाहते हो?” स्त्री ने आँखें खोल दी, अपनी द्रष्टि को सामने वाली शीला पर स्थिर कर ली।

“हाँ।“ वफ़ाई, याना और विक्टर तीनों ने एक साथ उत्तर दिया।

“हमारी प्राथमिकता क्या है? जीत का स्वस्थ होना है अथवा मेरी इस गुफा का रहस्य?” स्त्री ने याना और विक्टर को पूछा।

याना और विक्टर अपनी भूल से लज्जित हो गए। मौन ही बैठे रहे।

“हमें क्या करना होगा?” वफ़ाई ने उत्सुकता दिखाई।

“हम भी आपकी योजना के साथ हैं। हमारे लिए क्या आदेश है?”याना ने कहा।

तीनों व्यक्ति मौन हो गए, स्त्री के आदेश की प्रतीक्षा करने लगे। स्त्री मौन थी, स्थिर द्रष्टि से कहीं देख रही थी।

सब ने मौन के कुछ तरंगों को बहने दिया। समय का एक टुकड़ा एक क्षण के लिए रुकना चाहता था किन्तु वह विवश था। वह धीरे धीरे अपनी यात्रा करने लगा। अपने साथ मौन को लेकर चल पड़ा। समय का दूसरा टुकड़ा आया, अपने साथ वह कोई योजना लेकर आया। समय ने उस योजना को स्त्री के मन में प्रस्थापित कर दिया। स्त्री के मुख पर स्मित आ गया।

“याना और विक्टर, आप लोगों को एक काम करना होगा। करोगे क्या?” स्त्री के प्रश्न से तीनों व्यक्ति अपने अपने विचारों को छोड़ कर पुन: गुफा में आ गए।

तीनों ने अपने मुख के भावों से मौन सम्मति दे दी।

“आप की चेनल के लिए आप जो कथा मुद्रित करना चाहो, कर सकते हो, प्रसारित कर सकते हो। आप मेरे विषय में भी एक कथा बना कर प्रेषित कर सकते हो।”

एक क्षण के लिए वह रुकी, गहरी सांस ली और कहा,”किन्तु जीत को कुछ भी करके बचाना होगा।“

“हमें स्वीकार है। आप आदेश करें।“ याना और विक्टर ने कहा।

“मेरे लिए क्या आदेश होगा?” वफ़ाई ने उत्साह दिखाया।

“जीत का रोग सामान्य नहीं है। हिम का एक टुकड़ा जीत के फेफड़े के अंदर घुस गया है जो जीत को सांस लेने में बढ़ा कर रहा है। यह हिम के टुकड़े को वहाँ से निकालना होगा। यह काम सरल नहीं हैं। एक विकट शस्त्रक्रिया से यह संभव हो सकता है।“ स्त्री ने कहा।

“कौन कर सकता है यह शस्त्रक्रिया? कहाँ होगी?” वफ़ाई उत्तेजित हो गई।

“जर्मनी में हो सकती है तो कोई समस्या ही नहीं है। हम जीत को वहाँ ले चलते हैं। कितना भी व्यय होगा हम प्रबंध कर लेंगें। आप पूरी योजना बताओ।“ विक्टर ने कहा।

“उस डॉक्टर के विषय में भी बताती हूँ। हम जीत को लेकर उस डॉक्टर के पास नहीं जा सकते। हमें उस डॉक्टर को यहाँ तक लेकर आना होगा। और केवल डॉक्टर ही नहीं, उसके सारे साथियों को भी यहाँ तक लाना होगा, शस्त्रक्रिया कक्ष के साथ।“

“क्या आप जीत को पहले से ही जानती हो? आप को यह सब कैसे ज्ञात है?“याना ने प्रश्न किया।

“नहीं। मैं जीत को आज ही मिली हूँ। आप को भी आज ही मिली हूँ। केवल वफ़ाई से यह मेरा दूसरा मिलन है। मैं जीत ही क्या, किसी के भी विषय में कोई भी बात जान सकती हूँ। आप के विषय में भी। आप की चेनल के विषय में भी। उस डॉक्टर के विषय में भी जो जीत को बचा सकता है। किन्तु इस समय यह सब बातें उपयुक्त नहीं है। मैं सब कुछ बताउंगी, किन्तु उचित समय पर। इस समय तो हमें जो काम करना है उस पर ध्यान केन्द्रित करना होगा।“ स्त्री ने उत्तर दिया।

“उस डॉक्टर, उसके साथी और सब साधन सामग्री के साथ उसे यहाँ तक कैसे लाया जा सकता है? क्या वह इस स्थल को जानता है?“ विक्टर ने कहा।

“नहीं। वह डॉक्टर कुछ भी नहीं जानता। उसे यह भी नहीं पता कि दो चार दिवस पश्चात वह यहाँ आकर जीत की शस्त्रक्रिया करेगा।“

“दो चार दिवस में? यह सब कैसे होगा?”

“आप लोगों को अपने चेनल के माध्यम से एक प्रसंग आयोजित करना होगा।“

“कब?”

“कहाँ?”

“कैसे?”

“जीत एक चित्रकार भी है। जीत ने और वफ़ाई ने मिलकर कई चित्र बनाए हैं। चित्रों में संवेदना सुंदरता से अभिव्यक्त हुई है। आपको इन चित्रों की प्रदर्शनी का आयोजन करना होगा।“

“इस पहाड़ पर? हिम से भरी घातक शीतल हवाओं में? इन गुफाओं में?” विक्टर बोला।

“हाँ। इसी पहाड़ पर, इसी हिम के साथ, इसी गुफाओं में, इसी ठंडी घातक हवाओं में। कर पाओगे?” स्त्री ने आव्हान किया।

याना और विक्टर संभावनाओं को समझने का प्रयास करने लगे। वफ़ाई को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि यह स्त्री क्या चाहती है? क्या करना चाहती है? वफ़ाई विस्मय को धारण किए मौन ही थी।

“यह सब संभव नहीं लगता मुझे तो।“ याना ने कहा।

“असंभव को संभव कर चुके हो आप दोनों, अनेक बार। तो इस बात को भी संभव कर सकते हो।“

“तो आप हमारे विषय में...।”

“आपकी धारणा से अधिक जानती हूँ। अधिक ही नहीं पूरी जानकारी रखती हूँ।“

“यह सब कैसे कर लेती हो तुम?”

“सब बताऊँगी। उचित समय की प्रतीक्षा करो। अभी इस आयोजन की संभावनाओं को खोजो।“

“किन्तु कैसे होगा? और यदि हमने आयोजन कर भी लिया तो इससे जीत के उपचार का क्या संबंध? हमारा उद्देश्य तो जीत को बचाना ही है ना?” वफ़ाई ने मौन तोड़ा।

“वफ़ाई, तुमने दो बातें कही। एक, कैसे होगा? जब हम सोचना प्रारम्भ करते हैं कि यह असंभव सा कार्य कैसे होगा, उस क्षण से ही हम उसे पूरा करने का मार्ग ढूँढने लगते हैं। और जो ढूँढता है उसे तो ईश्वर भी मिल जाता है। इस कार्य का भी मार्ग मिल जाएगा।

दूसरा, इससे जीत के उपचार का क्या संबंध? मेरी द्रष्टि से सीधा संबंध है।“

“पूरा विगत से बताइए। मैं और विक्टर भी यह बात समझने का प्रयास कर रहें हैं।“

“याना तुम और विक्टर भी जान लो। पोलैंड के एक छोटे से शहर में डॉक्टर गिब्सन और उसके साथी श्वसन तंत्र और फेफड़ों पर वर्षों से शोध कर रहे हैं। उन्होंने कई असंभव सी लगती शरत्र क्रियाएँ की है। जीत का उपचार भी डॉक्टर गिब्सन ही करेंगे। डॉक्टर गिब्सन के लिए यह कार्य असंभव नहीं है। जीत की शस्त्र क्रिया कठिन अवश्य है किन्तु असंभव नहीं।“

“किसी भी डॉक्टर के लिए उस के क्षेत्र में कार्य करना असंभव नहीं होता। असंभव तो होता है ऐसे बड़े डॉक्टरों को इस कार्य के लिए तैयार करना।“ वफ़ाई ने कहा।

“उस से भी अधिक कठिन कार्य है डॉक्टर गिब्सन को यहाँ तक लाना। साथ में सभी साथी टहता सारे साधनों को भी यहाँ लाना होगा।” विक्टर ने कहा।

“सबसे कठिन बात तो यह है कि उसे हमें यहाँ तीन-चार दिवस में ही यहाँ लाना होगा।“ याना ने स्त्री के सामने प्रश्न भरी द्रष्टि से देखा।

उस स्त्री के मुख पर चिंता के कोई भाव नहीं थे। वह अभी भी शांत थी, सौम्य थी। उसके अधरों पर मोहक स्मित था।

“आप लोग जब प्रश्न करते हैं और उस पर प्रतिक्रिया करते हैं तब मुझे अच्छा लगता है क्यूँ कि तब आप लोग इस कार्य के विषय में, कार्य की कठिनाइयों के विषय में विचार करते हो। प्रश्न का उत्तर खोजने का प्रयास करते हो। जो व्यक्ति प्रश्न के विषय में सोचता है, उसके उत्तर को ढूँढने का प्रयास करता है वही उस कार्य को कर पाता है।“

“अर्थात?”

“अर्थात तुम तीनों लोग यह कार्य कर पाओगे यह मेरा विश्वास है।“ स्त्री ने कहा।

“तो बताओ अब क्या करना है? कैसे करना है?”

“डॉक्टर गिब्सन चित्रकला के बड़े जानकार है। उसकी नजर बड़ी परखू है। जीत और वफ़ाई के चित्र उसे अवश्य आकृष्ट करेंगे। आप को चित्र प्रदर्शनी के बहाने डॉक्टर गिब्सन को यहाँ तक लाना होगा। दूसरी बात, डॉक्टर गिब्सन कभी भारत नहीं आए। आज से तीन साल पहले उसने एक टीवी साक्षात्कार में भारत भ्रमण की और विशेष रूप से हिमालय भ्रमण की मनसा प्रकट की थी। हमें इन दोनों बातों के द्वारा डॉक्टर गिब्सन को यहाँ आने के लिए प्रेरित करना होगा।“

“किन्तु उसके साथी तथा उसका पूरा शस्त्रक्रिया कक्ष? वह यहाँ तक कैसे आएगा?”

“यही तो प्रश्न है जिसका उत्तर हमें ढूँढना है।“ वह स्त्री बोली।

“तो आशा की कोई किरण...।” वफ़ाई ने आशंका प्रकट की।

किसी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। कुछ क्षण मौन ही व्यतीत हो गए।

“मौन किसी भी प्रश्न का उत्तर नहीं हो सकता। हमें कोई न कोई मार्ग खोजना होगा।“ याना ने मौन भंग किया।

“विक्टर और याना, यह कार्य आप लोगों को ही करना पड़ेगा। आप अपने चेनल के माध्यम से यह कर सकते हो।“

विक्टर और याना कुछ समय तक सोचते रहे, फिर दोनों ने आपस में कुछ बातें जर्मन भाषा मे की और दोनों के मुख पर प्रसन्नता दिखने लगी।

“यह काम हो जाएगा। आज से पाँच दिवस पश्चात यहीं प्रदर्शनी भी होगी और जीत का उपचार भी।“ याना ने कहा।

“तो ठीक है अभी से काम पर लग जाओ।“