नया सवेरा - (सवेरे का सूरज)
यशवन्त कोठारी
(4)
अपने गांव के घर में आकर अभिमन्यु ने सर्वप्रथम मॉं-बाप के चरण स्पर्श किये। दोनों बुजुर्गो ने उसे आशीपा। कुशल क्षेम पूछी। कमला की चोटी खींचकर अभिमन्यु ने उसे पूरे चौक में घुमाया। फिर अटैची खोलकर कमला के लिए फ्राक, बापू के लिए धोती कुर्ता और मां के लिए साड़ी निकाल कर दी। कमला ने फ्राक पहनी, इठलाती हुई गयी और अपने भाइ्र के लिए चाय बना लाई। चाय पीते हुए अभिमन्यु ने अपने बापू से कहा-
‘‘ बापू मैं कहता हूं अब आप सभी मेरे साथ चले चलो। वहां पर मुझे क्वार्टर मिल गया है। तीन कमरे हैं। और सब ठीक है। अपन सभी वहां आराम से रह सकते हैं। ’’
‘‘ वो तो ठीक है बेटा मगर अब इस बुढ़ापे में इस गांव को छोड़कर कहां जाये। खेती-बाड़ी है, खेत खलिहान हैं और यह झोपड़ा है। और फिर तुम्हारी मां का मन अब अन्य किसी जगह नहीं लगता है। ’’
‘‘ मां को मैं मना लूंगा। बापू आप हां कर दो। ’’
‘‘ नहीं बेटा अब इन बूढ़ी हड्डियों का मोह छोड़ दो। हमें यहीं रहने दो खेती-बाड़ी की देखभाल भी होती रहेगी और मन भी बहला रहेगा। तुम कमला को ले जाओ। उसे पढ़ाओं लिखाओं। ’’ बापू ने फिर कहा।
‘‘ और अभिमन्यु अब तेरी शादी भी तो करनी है ’’ मां बीच में बोल पड़ी।
‘‘ तू अब पढ़ लिख गया। नौकरी धन्धे से भी लग गया। अब काहे की देरी। ’’
‘‘ हां भैया अब एक भाभी ले भी आओ। घर में बड़ा सूना सूना लगता है। ’’ कमला ने कहा।
‘‘ अरे मॉं तुम भी क्या पचड़ा ले बैठी। अभी तो मुझे प्रतियोगी परीक्षा में बैठना है। उसकी तैयारी करनी है। ’’
‘‘ देखो बेटे ये सब मैं नहीं जानती। बिरादरी से अभी रिश्ते आ रहे हैं। फिर दिक्कत होगी। ’’ मां ने फिर कहा।
‘‘ कोई दिक्कत नहीं होगी मां तुम चिन्ता मत करो। ’’
‘‘ ष्शायद भैया ने कोई लड़की पसन्द कर ली है। ’’ कमला ने कहा।
‘‘ धत् ’’ चुप।’’ ऐसा भी होता है क्या। ’’ तो फिर क्या तय रहा बापू ? ’’ अभिमन्यु ने पूछा।
‘‘ तय यह रहा बेटे कि हम दोनों यहीं रहेंगे। तुम कमला को ले जाओ। और माह में एक बार आकर संभाल जाना। घबराने और चिन्ता करने की कोई बात नहीं है। पूरा गांव अपना है ओर फिर अकबर भी तो यहॉं है। कुछ बात होगी तो उसे बता देंगे। ’’ बापू ने निर्णय सुनाया।
‘‘ ठीक है। तो कमला तुम चलने की तैयारी करो। अपन कल सुबह ही चलेंगे। ’’
‘‘ ओ.के. भैया । ’’ कमला ने इठलाकर कहा।
सब खिलखिलाकर हंस पड़े।
अभिमन्यु गांव में निकल गया। अकबर अपनी दुकान पर बैठा था। दोनों गले मिले। अभिमन्यु ने उदास स्वर में कहा-
‘‘ अकबर मॉं और बापू साथ नहीं चलना चाहते हैं, तुम उनको संभालते रहना। मैं कमला को लेकर कल सुबह ही चला जाउंगा। ’’
‘‘ इसमें इतना उदास होने की क्या बात है। अमंगल में मंगल छिपा है। तू निश्चित रह । मैं मां-बापू का ख्याल रखूगां। ’’
‘‘ अच्छा अब चलता हूं। मां रोटी लिये बैठी होगीं ’’
अभिमन्यु ने खाना खाया और सो गया।
***
अभिमन्यु अपनी बहन कमला को लेकर जब बस से अपने गांव से राजपुर आया तो सुबह का सूरज बादलों से निकलना ही चाहता था। आसमान में आपाढ़ी बादलों का एक झुण्ड था। और हवा में हल्की खुमारी थी। रात को हल्की बारिश हो चुकि थी, और अभी बारिश की संभावना थी। वैसे भी जुलाई में मानसून प्रारम्भ हो जाता है।
अभिमन्यु छात्रावास में अपने क्वार्टर में आया। कमला को सब समझाया और तैयार होकर अपने कक्ष में आया तभी चारों मॉनीटर भी आ गये।
लिम्बाराम ने अभिवादन के बाद कहा-
‘‘ सर। आपके जाने के बाद छात्रावास के पीछे वाले मैदान पर काम करने में कुछ परेशानी हुई। ’’
‘‘ क्या परेशानी हुई ? ’’
‘‘ बस सर। गांव के कुछ लोगों ने आपत्ति की। मगर प्राचार्य साहब ने सब ठीक-ठाक कर दिया। ’’
इसी बीच सुरेश बोल पड़ा-
‘‘ सर कल शाम को झगड़ा हो ही जाता। वो तो प्रतिभा मेडम तथा कुछ अन्य लोग समय पर पहुच गये।’’
‘‘ क्यों , झगड़े का कारण। ’’
‘‘ गांव वाले इस जमीन को अपने प्शुओं के लिए चाहते हैं दूसरी ओर प्रधानजी इस जमीन पर अतिक्रमण की फिराक में थे। ’’ असलम बोल पड़ा।
‘‘ मगर सर। हमने भी कमर कस ली थी और पक्का निश्चय कर लिया थाकि इस जमीन पर वृक्षारोपण, ही करेंगे। ’’ लिम्बाराम ने बताया।
‘‘ अच्छा फिर । ’’
‘‘ फिर सर प्रतिभा मेडम ने प्रिन्सिपल साहब को समझाया। फिर प्रिन्सिपल साहब ने बीडीओ साहब से बात की। ’’
‘‘ अच्छा। बात यहॉं तक पहुच गयी। ’’
‘‘ जी सर। ’’ फिर जब बीडीओ साहब ने आकर गांव वालो तथा प्रधान जी को समझाया तब बात बनी। लिम्बाराम ने पूरी बात बताई।
‘‘ इसका मतलब है कि तुम लोगों ने मेरे नहीं होने के बावजूद एक किला फतह कर लिया है .अब सब लोगों को मिलकर काम करना होगा ताकि हम इस मैदान का सम्पूर्ण विकास कर सकें तथा जमीन का सदुपयोग हो। ’’ अभिमन्यु ने गम्भीर स्वर में कहा। उसे कुछ अजीब सा लग रहा था। उसने प्रोक्टर को बुलवाया । छात्रावास के मेस, सफाई आदि की व्यवस्था के लिए निर्देश दिये और विद्यालय जाने की तैयारी करने लगा।
कुछ देर बाद अभिमन्यु विद्यालय पहुचा, उसने स्टाफ रूम में झांका। कोई नहीं था। प्राचार्य कक्ष में कुछ अध्यापक थे। वह भी वहीं चला गया। प्राचार्य ने उसके अभिवादन के जवाब में कहा-
‘‘ अभिमन्यु बाबू प्रारम्भिक सफलता तो मिल गयी है मैंने बी.डी.ओ. साहब से कह सुनकर जमीन पर फिलहाल विद्यालय का कब्जा करवा दिया है मगर स्थिति ज्यादा ठीक नहीं है कस्बे के प्रभावशाली लोग इस जमीन को आसानी से हाथ से नहीं जाने देंगे। ’’
‘‘ आप ठीक कहते हैं सर । मगर मेरी पूरी कोशिश होगी कि
इस मैदान का पूरा उपयोग वृक्ष, पेड़-पौधो, घास आदि के लिए हो। बारिश हो गयी है और हम आज ही से वृक्षारोपण शुरू कर देंगे। ’’ अभिमन्यु ने उत्तर दिया।
‘‘ ये तो ठीक है अभिमन्यु बाबू मगर अन्य सुविधाओं हेतु हमारे पास कोइ्र बजट नहीं है। ’’ प्रिन्सिपल साहब ने फिर कहा।
‘‘ फिलहाल मैं आपसे कोइ अतिरिक्त बजट की मांग नहीं करूंगा। ’’ अभिमन्यु ने दृढ स्वर में कहा। तभी अंग्रेजी के अध्यापक एन्टोनी बोल पडे़-
‘‘ लेकिन हमें इन सब से क्या लेना देना। अपनी कक्षा लें। नौकरी करें। वेतन लें। और घर जायें। हम इस पचड़े में क्यों पड़ें ’’
‘‘ आप इस पचड़े से बिल्कुल दूर रहें। एन्टोनी साहब। मगर मेरी बात अलग है। एक सीमा के बाद आदमी को किसी से डरने की जरूरत नही है। न समाज न अफसर से और न अपने आपसे क्योंकि गलत काम नहीं करना है।’’ अभिमन्यु ने दृढ़ स्वर में जवाब दिया।
‘‘ सवाल गलत या सही काम का नहीं हैं सवाल ये है कि जमीन पर कब्जा चाहने वाले लोग बड़े प्रभावशाली हैं और वे हम सभी के लिए मुसीबत खड़ी कर सकते है। ’’ महेश जी बोल पड़े।
‘‘ अब ये सब तो भुगतना ही पड़ेगा। आखिर कब तक अन्याय के सामने घुटने टेक कर जिया जा सकता है। और फिर कानून तथा प्रशासन हमारे साथ है। ’’ अभिमन्यु ने तीखे स्वर में कहा।
‘‘ शायद आप ठीक कहते हैं। मगर, अगर मुसीबत आई तो हम सभी पर आयेगी। भुगतना हम सभी को ही है। हम सभी को यहीं रहना है और पानी में रहकर मगर से बैर नहीं करना चाहिये। ’’ एन्टोनी बोल पड़े।
‘‘ ठीक है। अभिमन्यु बाबू आप अपना काम जारी रखें। ’’ प्राचार्य ने निर्णायक स्वर में कहा।
तभी प्रार्थना की घन्टी बजी। सभी प्रांगण की ओर बढ़ चले। नियमति काम शुरू हो गया।
अभिमन्यु अपनी कक्षा में आया। उसने छात्रों से स्वास्थ्य शिक्षा की बात करना प्रारम्भ की। सभी छात्र यह जानने को उत्सुक थे कि क्या वे अपने घर के अन्दर मामूली बातों का ध्यान रखकर बीमारी से बच सकते हैं। विज्ञान के इस क्षेत्र में उनकी जानकारी बहुत कम थी। अभिमन्यु ने अपने गम्भीर स्वर में छात्रों से संवाद कायम करते हुए अध्यापन प्रारम्भ किया। छात्र प्रभावित होते चले गयें ।
अभिमन्यु ने बताया कि ग्रामीण स्वस्थ्य केंन्द्रों पर टीकाकरण, गर्भवती महिलाओं की देखभाल, परिवार कल्याण आदि की निशुल्क सुविधा होती है। सन् 2000 तक सबके लिए स्वास्थ्य का नारा विश्व स्तर पर दिया जा रहा है और यदि साफ सफाई, पाने के पानी की शुद्धता का ही ध्यान रख लिया जाये तो बहुत सी बीमारियों से बचा जा सकता है। गामीण क्षेत्रों में स्वस्थ्य सुधार के लिए जरूरी है कि ग्रामीणों को स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी उनकी भापा में तथा सामान्य तरीके से दी जाये। आप लोग चाहें तो अपने घर परिवार, मोहल्ले, पड़ोस में लोगों को पेयजल की ष्शुद्धता के बारे में बता सकते हैं इससे बड़ा लाभ होगा। खाना खाने से पहले हाथ अच्छी तरह धो लेने मात्र से कई बीमारियों से बचा जा सकता है विपय को गम्भीरता बनाते हुए अभिमन्यु ने फिर कहा- सब स्वस्थ्य होंगे तभी देश स्वस्थ होगा। और देश की खुशहाली सभी के स्वास्थ्य में छुपी हुई है। आप लोग अपने खाली समय में गांव की खुशहाली के लिए लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता पैदा करें।
‘‘ लेकिन सर। स्वास्थ्य रक्षा इतनी जरूरी है तो फिर हमारी पहले वाली पीढ़ी इस ओर ध्यान क्यों नहीं देती। ’’एक छात्र पूछ बैठा।
‘‘ कारण बड़ा साफ है, अशिक्षा। प्राचीनकाल में सभी जागरूक थे। लेकिन गुलामी के दौर ने हमें अशिक्षित कर दिया। अशिक्षा के अंधेरे ने हमें पंगु,
काहिल बना दिया। हमारी प्राचीन संस्कृति में स्वास्थ्य सम्बन्धी जो जानका रियां थी हम उन्हें भूल गये। उपर से कुपोपण और गरीबी ने हमारी हालत और भी खराब कर दी। इसी कारण स्वास्थ्य शिक्षा हम सभी के लिए जरूरी है। और अशिक्षा का अन्धेरा मिटंगा तो सब का स्वास्थ्य ठीक होगा। ’’अभिमन्यु ने विपय को समाप्त किया। तभी घंटी बजी। वह कक्षा से बाहर आया। स्टाफ रूम की ओर चल दिया।
वहां पर मिसेज प्रतिभा व अन्ना बैठी बतिया रही थी।
अभिवादन के बाद उसने अन्ना से पूछा।
‘‘ आपका प्रोजेक्ट कैसा चल रहा है ? ’’
‘‘ प्रोजेक्ट की प्रगति संतोपजनक है। मैनं जो प्रारम्भिक रपट जयपुर भेजी थी उसे निर्देशक महोदय ने ठीक बताया है। लेकिन कुछ बातें समझ में नहीं आती हैं। गांवों में स्वरोजगार और स्त्री शिक्षा की स्थिति बहुत खराब है कुछ लोगों में नशाखोरी की आदतें भी हैं। सामाजिक बुराईयों भी है। कल मैं एक गांव में गई थी। वहां पर गांव वालों ने बताया पिछले साल एक गरीब आदमी की बिटिया की शादी दहेज के कारण नहीं हो सका। ’’
‘‘ दहेज के राक्षस ने एक परिवार उजाड़ दिया। ’’मिसेज प्रतिभा बोली।
‘‘ गांवों में ऐसी घटनाएं कम ही हैं। ’’अभिमन्यु ने कहा।
‘‘ हां घटनाएं तो कम होती हैं मगर इन्हें रोकने का कोई तरीका भी तो हो। ’’ प्रतिभा मेडम ने कहा।
‘‘ तरीका एक ही है शिक्षा का उजाला फैलाओं। और कन्या केा भी अपने पांवों पर खड़ा होने का अवसर दो। ’’
‘‘ प्रशासन भी तो कुछ करें। आये दिन अखबारों में बाल विवाह के समाचार आते रहते हैं। ’’ अन्ना बोली।
‘‘ हां केवल कानून या नियम बना देने से समस्या का समाधान नहीं हो जाता है, सामाजिक समस्या से लड़ने के लिए पूरे समाज को जागृत होकर लड़ना पड़ता है और आप जानती है कि अनपढ़ आदमी से ज्यादा खतरनाक होता है कुपढ। कुपढ़ गांव-कस्बेां में खूब मिलते हैं उपर से छोटी मोटी नेतागिरी की सुविधा या प्रशासन में पहुंच। गरीब आदमी भी इन कुपढ़ लोगों से बच कर जी नहीं सकता। ये लोग सामाजिक बुरीईयों को थोपते है और आम आदमी को सहन करना पड़ता है।’’ अभिमन्यु ने समझाया।
‘‘ मगर आम आदमी इस बुराई को समझता क्यों नहीं। ’’
‘‘ समझता है खूब समझता है मगर उसकी मजबूरी है। वो क्रान्ति की भ्रन्ति में नहीं पड़ना चाहता। पानी में रहकर मगर से बैर कौन ले। गांव वालों को रहना तो उन्हीं लोगों के बीच है। ’’अभिमन्यु ने कहा।
‘‘ लेकिन अब तो बहुओं को जलाने जैसी घटनाएं भी कभी कभार होने लगी है। ’’ अन्ना ने फिर कहा।
‘‘ हां ये भी शहरी सभ्यता का प्रसाद है पहले गांवों-कस्बों में ऐसा नहीं होता था। ’’ अभिमन्यु बोला।
‘‘ यदि गांवों में स्वरोजगार के साधनों का विकास हो तो स्थिति में सुधार आ सकता है।’’मिसेज प्रतिभा ने कहा।
‘‘ मगर रोजगार है कहॉं ? अन्ना ने पूछा।
‘‘ है। गांवों से शहरों की ओर पलायन करने की संस्कृति को रोकने की जरूरत है गांव अपने स्तर पर रोजगार पैदा कर सकता है गांवों में बहुत संभावनाएं हैं और इन संभावनाओं को तलाशा जाना चाहिए। ’’अभिमन्यु बोल पड़ा।
तभी छुट्टी की घन्टी बजी। अभिमन्यु भी छात्रावास की ओर चल पड़ा।
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