लव कंसलटेंट सोनम VIKAS BHANTI द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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लव कंसलटेंट सोनम

"हाँ गलती हो गई तुमसे शादी कर के, बताओ अब क्या करूँ?" सोनम झल्लाहट में कुछ ज्यादा ही बोल गई आज । वैसे तो वरुण और सोनम के बीच लड़ाइयां आम सी हो चुकीं थीं पर किसी ने कभी सीमा नहीं लांघी थी ।

"तुम तलाक दे दो मुझे ।" वरुण बिना किसी झिझक के इतना ही बोला और ऑफिस के लिए निकल गया ।

सोनम आंगन में अपने एक साल के बेटे बॉबी की पॉटी से सने हाथ लिए वहीँ बैठी रह गई । बच्चा ज़मीन पर पड़े पानी को हाथ से समेटने की कोशिश में लगा था और सोनम उसी पानी में अपने अस्तित्व को ढूंढने की कोशिश में लगी थी ।

उस परछाई में सोनम को कभी गिटार सीखने की तमन्ना दिखी तो कभी इंजीनियरिंग करने का ख्वाब पर आज बस यहाँ पानी मौजूद था जिसे न सोनम पकड़ सकती थी न बॉबी ।

हाथ पैर साफ़ कर के सोनम ने बॉबी को गोद में उठाया और उसका चेहरा निहारने लगी । शायद यही अब उसका ख्वाब था । वैसे यह ख्वाब शब्द बहुत करीब से जुड़ा था सोनम से पर अधूरा । वरुण और सोनम के बीच लड़ाई की वजह ये सपने नहीं थे बल्कि कुछ और ही थी ।

सोनम को पिछले कई महीनों से वरुण बदला बदला सा लगने लगा था । ज्यादा बात नहीं करता था, दोनों कई महीनों से कहीं बाहर भी नहीं गए थे । 4 दीवारों के भीतर कटती ज़िन्दगी ने भी सोनम को कुछ ज्यादा ही एग्रेसिव बना दिया था । कहने को तलाक जैसा कोई रीज़न था नहीं फिर भी बहुत सी कड़वाहटें भरी बैठी थीं दोनों के बीच ।

बॉबी को सीने से लगाए सोनम वरुण की गलतियाँ खोजने में लगी थी । वो सारी गलतियाँ जो शादी के पहले दिन से आज तक वरुण ने की । शादी की पहली रात तो शराब के नशे में धुत होकर सो गया था वरुण और सोनम अकेली सी बिस्तर के एक कोने को कभी पैर फैला कर तो कभी समेट कर नापती रही ।

वैसे सोनम की ज़िन्दगी की कसक सिर्फ शादी के बाद नहीं बल्कि लड़की के रूप में जन्म लेते ही शुरू हो गई थी । फुटबॉल की शौक़ीन 7 साल की लड़की का मैदान पर नेकर पहन कर दौड़ना दादी को पसंद नहीं था, 13 साल की उम्र में कत्थक पर पापा को ऑब्जेक्शन था और 17 साल की सोनम की इंजीनियरिंग में ताऊ जी बाधा बन गए ।

सोनम को अपना पहला प्यार भी उसी तरह याद था जैसे सुबह की चाय । 11वी में पढ़ती थी सोनम और वो 12वी में । दिखने में कुछ ख़ास तो नहीं था पर सोनम को उसकी सादगी ही पसंद आ गई थी । जब भी कभी वो सोनम के पास से गुज़रता, तो हलके से कभी बाल झटक देती तो कभी आँखें नचा देती । वो सब कुछ समझता तो था पर शायद घबराता था ।

स्कूल कप्तान का सेलेक्शन था । वो हर किसी से वोट की अपील कर रहा था, सोनम के बगल से गुज़रा तो बिना कुछ बोले ही आगे बढ़ गया ।

"ओ तेरी, लड़का शर्मा गया ।" दोस्तों ने कमेंट किया । सोनम भी झेंप गई । अन्दाज़ा तो उसे भी था पर आज कन्फर्म हो गया था । स्कूल ख़त्म होते ही सोनम बाहर खड़ी थी, वो निकला और सोनम को देख रुक गया ।

नज़रें मन ही मन बात करने की कोशिश में थीं पर दोनों ही सहमे से खड़े एक दूसरे को ताक रहे थे । उसने हिम्मत की और सोनम की करीब आ गया । "मुझे वोट दोगी ना ।"बड़ी हिम्मत कर के वो इतना ही बोल पाया ।

सोनम ने गर्दन वर्टिकली हिलाई और मुस्कुरा दी । वो भी हंस दिया । उसकी साईकिल पैदल सोनम के रास्ते पर चल पड़ी और यह रोज़ का शिगूफा हो गया । दोनों बस यही चाहा करते थे कि स्कूल से सोनम के घर का रास्ता 10-12 किलोमीटर का हो जाए ।

साल पूरा हो रहा था, दोनों का यह अनकहा रिश्ता 6 महीने का हो गया था । उसके बोर्ड के एग्जाम आ रहे थे और जिस तरह रिश्ता शुरू हुआ था वैसे ही ख़त्म भी होने लगा । उसने स्कूल आना बहुत कम कर दिया था और सोनम ने भी एक्सेप्ट कर लिया था कि उसकी लव स्टोरी अब लास्ट लेवल पर है ।

सोनम 12वी में आ गई थी । सब कुछ भूल कर उसने पढाई को अपना प्यार क़ुबूल लिया था । एक दो कदम आगे बढ़ी सोनम वापस उसी पायदान पर पहुँच गई थी । वो अपनी मार्क शीट लेने स्कूल आया था और ठीक सोनम की क्लास के बाहर खड़ा था । इंग्लिश की क्लास पढ़ती सोनम ने जैसे ही नज़र खिड़की पर घुमाई उसकी धड़कन बढ़ सी गई पर फिर खुद को समझाया कि शायद इट्स ओवर और आँखें बोर्ड पर टिका दीं ।

वो आखिरी नज़ारा था उसका और फिर सोनम ने अपनी नज़रें जेईई पर टिका दी । कुछ भी कर के वो आईआईटी से इंजीनियरिंग करना चाहती थी । स्कूल के बाहर पर्चे बंट रहे थे । सोनम ने भी हाथ में एक परचा पकड़ लिया । नामी कोचिंग का क्रैश कोर्स और वो भी सिर्फ 2000 रुपये में ।

सोनम परचा लिए घर पहुंची, माँ को दिखाया । "बेटा, मुझे नहीं अपने पापा को दिखाना । पैसा उनको खर्च करना है तो फैसला भी वही करेंगे ।" माँ ने बात पापा पर डाल दी ।

सोनम को पता था कि शाम 6 बजे से 9 बजे की कोचिंग के लिए पापा नहीं मानेंगे पर फिर भी उसने कागज़ पापा के आगे रखा ।

"क्या है?" पापा बिना देखे ही बोले ।

"पापा, वो.....IIT का क्रैश कोर्स है,...... सिर्फ 2000 में ।" सोनम डरते हुए बोली ।

"स्कूल में नहीं पढ़ाते जो कोचिंग जाना है !" पापा ने इतना ही बोला और अखबार में नज़रें गड़ा दीं ।

कुछ देर खड़ी इंतज़ार करने के बाद सोनम ने आस छोड़ दी । स्कूल पूरा होते ही कई इन्ट्रैस एग्जाम देने के बाद मैसूर के एक अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेज में जगह भी मिल रही थी पर ताऊ जी की 'न' ने एक और ख्वाब जला कर राख कर दिया था सोनम का ।

बुझे मन से बीएससी करती रही सोनम । 80 से ज्यादा परसेंट लाने वाली सोनम ने 52% से बीएससी पास की । अब कोई लक्ष्य बचा नहीं था सोनम का, बस काठ की गुड़िया सरीखी अपनी किस्मत को दूसरों के हाथों सौंप चुकी थी वह ।

ग्रैजुएशन किये एक साल हो रहा था , सपने देखने वाली सोनम ने घर के कामों को ही अपनी ज़िन्दगी स्वीकार लिया था । पर किस्मत को शायद एक पलटी और खानी थी ।

जाने जादू था या कुछ और पापा खुद ही MBA का फॉर्म लेकर आये थे । वैसे भी उसकी ज़िन्दगी का हर फैसला पापा ने ही तो किया था, तो एक और सही । सोनम की कॉलेज लाइफ फिर से शुरू हो चुकी थी ।

कॉलेज, दोस्त, कैंटीन, क्लास बंक सब कुछ था इस बार । HR स्ट्रीम की बहुत डिमांड थी कॉर्पोरेट में । सपने फिर से कलम चलाने लगे थे ।

पहला क्लास टेस्ट था, सबकी तरह सोनम को खुद भी अपने से बहुत उम्मीदें थीं । हर टेस्ट बड़े दिल से दिया था उस ने । क्लास में कॉपियाँ दिखाई जाने लगीं । एक एक कर के हर कॉपी सोनम के हाथ में थी । 92% के साथ उसने पूरे फर्स्ट ईयर में टॉप किया था ।

सोनम की मेहनत बता रही थी कि उसके दिल में क्या है । वह जॉब करना चाहती थी, खुद के पैरों पर खड़ा होना ऐम् था उसका । सारे प्रोफेसर, लेक्चरर बोलते थे कि बहुत ब्राइट फ्यूचर है सोनम का ।

देखते देखते डेढ़ साल गुज़र गए । बस एक आखिरी सेमेस्टर बचा था । वह कॉलेज से बस आकर बैठी ही थी कि मेज पर पड़े उस ओरेंज लिफाफे को पलटते ही उसकी ज़िन्दगी फिर से पलटी मार गई थी ।

लिफाफे में एक खूबसूरत लड़के की फोटो और बायो डाटा था । IIT से मैकेनिकल इंजीनियर वरुण सोनम के मुकाबले बीस ही था ।

रात के खाने के वक़्त पापा ने ज़िक्र छेड़ा,"सोनम, तुमने फोटो देखी ?"

"जी पापा, पर......."सोनम इतना ही बोल पाई थी ।

" देखी ना, लड़का अच्छा है मुझे और ताऊ जी को भी बहुत पसंद है । अगले हफ्ते आएंगे वो सब । अभी कॉलेज मत जाना, थोड़ा शक्ल सूरत जो धूप में डाउन हुई है वो सही करो । चाहो तो मम्मी के साथ पार्लर चली जाना । लड़का अच्छा है, दोबारा नहीं मिलेगा ।" पापा ने फैसला सुना दिया था ।

किसी की भी हिम्मत नहीं थी कि पलट के कुछ बोल सके । पर सोनम ने विद्रोह करने की ठान ली थी ।

पिता की इच्छा के विरुद्ध सोनम अगले दिन कॉलेज में थी । अपनी हर बात शालू से डिस्कस करना आदत बन गई थी सोनम की तो सारी बात उसके सामने कह सुनाई ।

"पागल है क्या? ऑनर किलिंग हो जानी है तेरी ।" शालू पूरी बात सुनकर बोली ।

"तो फिर क्या करूँ?" सोनम ने सवाल किया ।

"जो हो रहा है होने दे, लड़के से बात कर लेना तू । लड़के भी प्रैक्टिकल होते हैं आजकल , वो समझ जाएगा और खुद मना कर देगा ।" शालू ने सलाह दी ।

सोनम को भी यही प्लान ज्यादा सही लग रहा था । तो अगले दिन से वो हर काम शुरू हो गया जैसा दोस्त ने बोला था ।

लड़के वालों के स्वागत की तैयारियां होने लगीं । पापा किसी हालत में यह रिश्ता हाथ से जाने नहीं देना चाहते थे । पार्लर शब्द से चिढ़ने वाले पापा खुद स्कूटर पर बिठा कर उसे ब्यूटी पार्लर ले गए, सोनम का प्री मेक अप ट्रीटमेन्ट होने लगा । पापा बाहर धूप और छाँव का अंतर परखते हुए 4 घंटे खड़े रहे ।

वास्तव में एक खूबसूरत सा निखार आ गया था सोनम के चेहरे पर । वक्त उड़ा और वो दिन भी आ गया जब दिखाई होनी थी । ब्यूटी पार्लर में बैठी सोनम बहुत नर्वस थी । मन ही मन उन बातों को बुनने में लगी थी जो उसे लड़के से करनी थीं ।

बाहर बैठी छोटी बहन के मोबाइल पर व्हाट्सएप आया कि लड़के वाले आ गए हैं घर आ जाओ । मेकअप तो हो ही चुका था । सोनम और पूनम बाहर खड़ी इंडिका में बैठे और घर की तरफ रवाना हो लिए ।

गेट से घुसने के साथ ही सोनम ने हलकी सी नज़र मार ली थी वर पक्ष पर । सामने की तरफ बैठे हुए उसके मम्मी पापा, दरवाज़े की तरफ पीठ किये बैठी एक लड़की और दीवार की आड़ में छुपा हुआ वो लड़का, कम बोलने वाले पापा हंस हंस कर सबसे बातें करने में लगे थे ।

सोनम पीछे के दरवाज़े से भीतर के कमरे में ले जाकर बिठा दी गई । पूनम, शालू और उसकी 2 सहेलियां चुहलबाज़ी करने में मगन थीं । बिना रिश्ता जुड़े ही जीजाजी नाम का जाप उस कमरे में शुरू हो गया था पर सोनम के मन में कुछ और ही चल रहा था ।

एक आवाज़ आई और कमरे में हलचल शुरू हो गई, सोनम का बुलावा आ गया था । लड़कियों से घिरी, सर पर पल्लू रखे गुलाबी साड़ी में वाकई आज खूबसूरती लिमिटलेस थी उसकी । गर्दन नीची किये उसने कमरे में एंटर किया । कई सारे हाव भाव मन में उठ रहे थे सोनम के, "ये सब नौटंकी लड़कियों को ही क्यों झेलनी पड़ती है । काश मैं वैसे बैठी होती सोफे पर टांग पर टांग रख कर और ये चूज़ा आता सर झुकाये सर पर कपडा़ रख कर और सवाल मैं करती कि गाना आता है, नाचना आता है । वाकई गाने और नाचने से क्या मतलब है घर गृहस्थी का ।" यही सब सोचते हुए एक हंसी की फुलझड़ी सी छूट गई सोनम की । फिर खुद को वापस अनुशासित कर के बैठ गई ।

तिरछी सी नज़र से उसने लड़के को देखा । हर मायने में वह सोनम से 20 ही था, ठीक वैसा जैसा हर लड़की अपने पार्टनर के बारे चाहती । 6 फ़ीट की हाइट, गोरा चेहरा, चार्मिंग पर्सनालिटी, उसे देख कर सोनम का दिल धड़क तो गया पर दिमाग उसे समझा कर ले गया कि अभी शादी कर के करियर पर फुल स्टॉप लग सकता है ।

धीरे धीरे कर के हर कोई उस कमरे से उठ कर चला गया, बस वरुण और सोनम बैठे रह गए आमने सामने । काफी देर तक दोनों में कोई भी बात शुरू नहीं हुई । वरुण भी यूंही कभी सोनम को देखता कभी पर्दों को, होठ हिलने की कोशिश करते पर फिर सील हो जाते ।

खामोशी तोड़ने का फैसला खुद सोनम ने किया,"जी मैं HR से MBA कर रही हूँ । 94 परसेंटाइल चल रहा है मेरा, 3 सेमेस्टर हो चुके हैं बस लास्ट स्टार्ट हुआ है अभी ।"

"जी बहुत ख़ुशी की बात है । आज की डेट में हर लड़की को सेल्फ डिपेंड होना ही चाहिए । मैं खुद चाहता हूँ कि मेरी वाइफ जॉब करे ।" वरुण ने अपने विचार रखे ।

"ये तो अच्छी बात है, वरना कई लोग लड़कियों को बस हाउस होल्ड बना कर रखना चाहते हैं ।"सोनम बोली ।

" नहीं नहीं......." वरुण की बात पूरी भी नहीं हो पाई थी कि सबका आना धीरे धीरे शुरू हो गया और फिर से सोनम ज़मीन और वरुण परदे ताकने लगा ।

"तो भाई, बात वात हुई तुम दोनों में या यूं ही बस बैठे रहे ।" वरुण के पापा आते ही बोले ।

"जी पापा हो गई, मुझे लड़की पसंद है ......." वरुण के मुंह से यह सुनकर सोनम धक्क से रह गई । अब उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि यह रिश्ता रोका कैसे जाएगा । सब लोग खुश होने लगे । मिठाईयां मुंह में ठूंसी जाने लगीं और शगुन का लेन देन शुरू हो गया ।

सोनम को उठा कर भीतर के कमरे में ले जाया गया और वो बस बैठी सोचती रही कि क्यों वो इंतज़ार करती रही कि वरुण बात शुरू करें । इतना वक़्त था दोनों के पास कि सारी बातें बड़े आराम से की जा सकतीं थी ।

"अबे ये ना की जगह हाँ कैसे करवा आई तू ?" शालू कमरे की कुण्डी लगाते हुए बोली ।

"यार, मैं भूमिका बना ही रही थी कि सब लोग आ गए । मैं मुद्दे की बात कर ही नहीं पाई ।" सोनम सर झुकाये बोली ।

"क्या बोला था तूने ?" शालू ने पूछा ।

"कुछ ख़ास नहीं बस यही बात हो पाई कि मैं जॉब करना चाहती हूँ ।" सोनम बोली ।

"तो क्या बोला वो?" शालू ने पूछा ।

"बोला कि उसे भी वर्किंग वाइफ चाहिए ।" सोनम ने कहा ।

"अबे तो फिर क्यों मुंह लटकाए बैठी है कमीनी, प्रॉब्लम तो तेरी सॉल्व हो ही रही है । देख..... अंकल ने तुझे MBA तेरे सपने पूरे करने के लिए नहीं बल्कि अच्छे रिश्ते के लिए करवाया है और मुझे पक्का यकीन है कि MBA कम्पलीट करने के बाद तू जॉब यहाँ रह कर तो नहीं कर सकेगी । लड़का स्मार्ट भी है और सेंसिबल भी लग रहा है तू दांव खेल जा । हो सकता है कि ऊपर वाले ने तेरे लिए बेटर प्लान सोच रखा हो ।"शालू ने सोनम को समझाया ।

सोनम को भी शालू की बात सही ही लग रही थी । इस घर में तो उसके लिए कभी कोई फ्यूचर रहा नहीं । हो सकता है कि वरुण ही उसके सपनों को पंख दे दे ।

सोनम की तरफ से भी हामी होने के बाद शादी की तैयारियां शुरू हो गईं । तारीख 2 महीने बाद की निकली थी । इस दौरान लास्ट सेमेस्टर की पढाई, वरुण से फ़ोन पर बातें और शादी की शॉपिंग सब साथ साथ चल रहीं थीं ।

कॉलेज में भी एलान हुआ कि एक मल्टी नेशनल कंपनी कैंपस सेलेक्शन के लिए आ रही है । सोनम ने यह बात वरुण को बताई । वरुण भी खुश था क्योंकि कंपनी की लोकेशन उसके ऑफिस से आधा किलोमीटर की रेंज में ही थी । सोनम यह बात जानकर और ज़ोर की कोशिश में लग गई ।

इंटरव्यू का दिन आ गया था । फॉर्मल्स में सजी सोनम बहुत नर्वस थी । पहुँचते ही सबको एक एक फॉर्म दिया गया जिसे भर के जमा करना था । सोनम जितनी नर्वस थी उतनी ही एक्सासिटेड भी थी ।थोड़ी ही देर में 342 फॉर्म जमा हो चुके थे । फॉर्म सबमिट करते ही 15 मिनट का एक रिटेन टेस्ट हुआ जिसमे 342 में से 200 कैंडिडेट सेलेक्ट होने थे ।

सोनम बेसब्री से लिस्ट लगने का वेट करने लगी । लिस्ट लगी और सोनम का नाम उसमे 98वे नंबर पर आ गया था । अब जीडी की बारी थी । 20-20 के 10 ग्रुप बनाये गए और सोनम का नाम थर्ड ग्रुप में था ।

जीडी में भी बढ़ चढ़ कर बोली सोनम और पर्सनल इंटरव्यू के लिए सेलेक्टेड 100 स्टूडेंट्स में एक सोनम भी थी । सोनम को इंटरव्यू के लिए 2 दिन बाद की डेट दी गई ।

बाहर निकलते ही उसने वरुण को कॉल किया । दोनों की ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं था । दो दिन पढ़ते पढ़ते बीत गए सोनम के और इंटरव्यू का दिन आ गया । पैन्ट- शर्ट, कोट शू में सच में सोनम किसी प्रोफेशनल सी दिख रही थी । जैसे ही वह कॉलेज के गेट पर पहुंची तो थम सी गई ।

गेट पर वरुण खड़ा था । हाथों में बुके लिए, मुस्कुराती हुई सोनम पास आई और वरुण के आगे चुप सी खड़ी हो गई । दोनों के होठ चुप थे पर निगाहों थीं कि बातें किये जा रहीं थीं । सरप्राइज यहीं नहीं रुका, एक कार्ड उसने सोनम के हाथ पर रखा जिस पर खूबसूरत हैंड राइटिंग में 'बेस्ट ऑफ़ लक' लिखा था ।

कुछ बातें हुईं और सोनम कांफ्रेंस हॉल की तरफ बढ़ ली । वरुण भी साथ ही था । हर लड़की बड़ी आहों के साथ वरुण को देख रही थी । कॉलेज का कोई भी लड़का उसकी पर्सनालिटी के आगे ठहरता ही नहीं था । एक पल में सोनम को गुस्सा आता और एक पल में अपने मंगेतर पर फक्र वाली फीलिंग ।

दोपहर बाद सोनम का नाम इंटरव्यू के लिए पुकारा गया । इंटरव्यू स्टार्ट हो चुका था और वरुण पूरे एक घंटे बाहर रहा । कभी टहलता, कभी बैठ जाता, कभी मोबाइल फ़ोन में आँखें गड़ाता तो कभी आसमान में उड़ती चीलों को निहारता । उसकी बॉडी लैंग्वेज उसके मन को साफ़ दिखा रही थी । फाइनली सोनम होठों पर मुस्कान लिए बाहर निकली । वरुण देखते ही समझ गया कि सफलता सोनम की मुट्ठी में है । दोनों एक दूसरे की तरफ बढे और भावनाओं का ऐसा सैलाब उठा कि एक दूजे के गले लगने से खुद को रोक नहीं पाए ।

यह दोनों के लिए फिजिकल टच का पहला एक्सपीरियंस था । जब दोनों को समझ आया कि वो कितने करीब हैं तो दिल धड़क उठा ज़ोरों से । हलके हाथों से एक दूसरे को अलग किया और फिर आँखें बातों में मशगूल हो गईं ।

जब स्थिति समझी एक दूसरे की तो खिलखिला कर हंस भी पड़े । सोनम को आज लग रहा था कि वरुण को चुन कर उसने कोई गलती की नहीं है ।

इस सक्सेस को सेलीब्रेट करने दोनों देर शाम तक कॉफ़ी शॉप, मॉल, मार्केट और मंदिर जैसी जगहों पर हाथ में हाथ थामे घूमते रहे ।

रात के 8 बज चुके थे । वरुण ने सोनम को घर के बाहर छोड़ा और ऑटो पकड़ के निकल गया । जॉब लगने और वरुण की साथ होने की ख़ुशी में वक़्त कब बीत गया पता भी नहीं लगा । वरुण ने अपने आने की बात न बताने के लिए रिक्वेस्ट भी किया था । डोर बेल बजाने के साथ डर से पसीने पसीने हो रही थी सोनम ।

दरवाज़ा माँ ने खोला, घर में शांति सी फैली हुई थी । घुसते ही सोनम माँ के गले लग कर रोने लगी ।

"क्या हुआ मेरी सुन्नी ?" माँ बोली ।

"माँ, मुझे नौकरी मिल गई ।" सोनम ने कहा ।

"अरे वाह, अफसर बनेगी मेरी बिटिया अब ।" माँ की आँखों में भी ख़ुशी वाले आंसू थे ।

"पापा कहाँ हैं?" सोनम ने दबी हुई आवाज़ में पूछा ।

"वो तो इलाहाबाद गए हैं, देर से लौटेंगे ।" माँ बोली ।

यह सुन सोनम की जान में जान आ गई । फटाफट पूनम और माँ को रेडी करवा कर रेस्टोरेंट ले कर गई । माँ भी खुश थीं और सोनम भी, पूनम की फ़रमाइशें तो ख़त्म होने का नाम नहीं लेती थीं ।

ढेर सारा खा पी कर तीनों घर आ गए । पापा की ट्रेन का वक़्त भी हो गया था । रात करीब एक बजे पापा लौटे और थक कर सो गए ।

सुबह उठकर सोनम को दुनिया बिलकुल नयी सी लग रही थी । बहुत सारे ख्वाब जो अब तक दुबके से थे उसके सब पंख फैलाने लगे थे ।

चाय लेकर खुद गई वो पापा के पास और कप रख कर वही बैठी पापा का मूड तलाशने लगी ।

"पापा वो डीजे वाले से बात हुई?" सोनम धीरे से बोली ।

"हाँ डीजे हो गया, हॉल बुक है, कैटरिंग वाला आएगा आज ही, तू बता क्या क्या पसंद है तुझे सब तेरी पसंद का बनवाऊंगा ।" पापा अच्छे मूड में लग रहे थे ।

"पापा, एक गुड न्यूज़ है ।" सोनम घबराते हुए बोली ।

"अरे वाह, बता बता ।" पापा बोले ।

"पापा, मेरा कैंपस सेलेक्शन हो गया है । MBA पूरी होते ही मेरी जॉब लग जायेगी ।" सोनम बोली ।

पापा के चेहरे पर न तो ख़ुशी थी और न गुस्सा, कुछ पल नीचे झुकी आँखों को उठा कर बोले,"देख अभी तो तू सोनम बाजपेयी है पर MBA पूरा होने तक सोनम त्रिवेदी हो चुकी होगी । अब यह खबर भी त्रिवेदी जी के लिए है और फैसला भी वही करेंगे ।" पापा इतना बोले , आधा पिया चाय का प्याला रखा और चले गए ।

सोनम कुछ पल तो वही बैठी रही फिर जब वरुण का ख्याल आया तो एक पल मुस्काई और फिर कॉलेज जाने की तैयारी में लग गई । उसे इस बात की तसल्ली थी कि वरुण उसके हर ख्वाब में उसके साथ है ।

दिन पानी की तरह हाथ से निकल रहे थे । शॉपिंग, प्रोजेक्ट, पढ़ाई, प्री वेडिंग ब्यूटी ट्रीटमेन्ट्स जैसी कई चीज़ों में फंसी सोनम कैलेण्डर तक नहीं देख पा रही थी । शादी को सिर्फ 5 दिन रह गए थे ।

"डर लग रहा है?" वरुण ने फ़ोन पर पूछा ।

"बहुत...." फुसफुसाती आवाज़ में सोनम बोली ।

"गोल्डन नाईट का क्या प्रोग्राम है?" वरुण थोड़ा नॉटी हो रहा था ।

"न कोई प्रोग्राम है और न होगा, हम दोनों पहले मेन्टल कम्पैटिबिलिटी बढ़ायेंगे तब फिजिकल कम्पैटिबिलिटी की तरफ बढेंगे । आई नीड ऐट लीस्ट 1 वीक बिफोर ऐनी फिजिकल अटैचमेन्ट ।" सोनम ने क्लियरली बोल दिया ।

"जो हुकुम मेरी रानी साहिबा, जैसा आप कहो ।" वरुण सोनम की हर बात का ख्याल रखा करता था ।

शादी की रस्मे शुरू हो गईं । फ़ोन तो पॉसिबल हो नहीं पा रहे थे आजकल क्योंकि दोनों ही हर वक़्त दोस्तों या रिश्तेदारों से घिरे रहते थे तो टेक्स्ट मेसेज से लाइव कवरेज एक दूसरे को दिया करते थे ।

लगुन और सगाई के वक़्त सोनम शालू की मदद से स्काईप पर फन्क्शन का लाइव टेलीकास्ट देख रही थी । वाकई कुर्ते पायजामे में क्या डैशिंग लग रहा था वरुण । वो जितनी बार भी उसे निहारती उससे प्यार कर बैठती । हर कोई बोल रहा था कि वाह क्या दूल्हा ढूंढा है बाजपेयी जी ने अपनी बिटिया के लिए ।

हल्दी की रस्म में जम कर होली सी खेली गई सोनम के यहाँ । भाग भाग कर हर कोई एक दूसरे को पीला करने में लगा था । इंदौर वाली भाभी, महेश जीजू के पीछे ऐसी भागी कि संभल ही नहीं पायीं और ताऊ जी से टकरा गईं । एक पल के लिए सन्नाटा छा गया ।

पापा निकल कर आये और तैश से आगे बढे पर ताऊ जी ने उनका हाथ पकड़ लिया,"अरे छोडो मल्लू बच्चे हैं, शादी ब्याह में ही तो वक़्त मिलता है हुल्लड़ मचाने का । तुम जाओ रसगुल्ले का सामान ले आओ ।" और पापा स्कूटर उठा कर चलते बने ।

सबकी जान में जान आई । शाम हो चुकी थी कल शादी का दिन था । सोनम रह रह कर अपना कमरा, घर, आँगन, गली, मोहल्ला तक रही थी । कल सब पराया हो जाना था ।

एक पल सोनम को लगता था कि वक़्त थम जाए और दूसरे पल चाह उठती कि पर से लग जाएं घड़ी की सूईयों को । एक अनजान सी फीलिंग थी जिसको वह खुद भी बयान कर नहीं सकती थी ।

कभी शादी का जोड़ा उठा कर देखती तो कभी गहने, फिर अलमारी खोलती और न जाने क्या देख कर बंद कर देती । इन सब उहापोहों से घिरी सोनम को पता भी नहीं चला कि जाने कब से माँ बैठी यह सब देख रहीं थीं ।

"वाकई तुम मुझ पर ही गई हो ।" माँ ने मुस्कुराते हुए कहा,"मैं भी शादी के एक दिन पहले इतनी ही बेचैन थी ।"

"माँ, आप प्यार करते थे पापा से?" सोनम ने पूछा ।

"प्यार न होता तो कैसे 3 साल सबके जुल्म झेलते हुए कुछ न बोली और तो और पापा के वापस आने पर भी कुछ न कहा । प्रधान जी ने कुछ न कहा होता तो जीवन भर तेरे पापा को कुछ पता न चलता ।" माँ बोली ।

" माँ मुझे सही से सब बातें याद नहीं हैं , एक बार फिर से बताओ न ।" सोनम बोली ।

"अभी सो जा, जब वक़्त आएगा तब सुना दूँगी ।" माँ इतना ही बोली और सोनम को अपनी गोद में लिटा लिया ।

आँख खुली तो सुबह हो चुकी थी । हर कोई अपने अपने काम में बिजी था । आज शादी का दिन था । सुबह से ही मेहमानों का तांता लगा हुआ था । हर कोई आकर दुल्हन से ही मिलना चाह रहा था । इस मेल मिलाप में जाने कब दोपहर हो गई पता ही नहीं लगा । लंच करते ही दरवाज़े पर वैन तैयार खड़ी थी । 3 बजे तक सोनम, पूनम, शालू और मामा-बुआ, चाचा-ताऊ की मिलाकर 9 लड़कियाँ ब्यूटी पार्लर पहुँच चुकी थीं ।

एक तरफ ब्राइडल मेकअप की शुरूआत हुई तो दूसरी तरफ एक एक कर के बाकी सारी लड़कियाँ रेडी हो रहीं थीं । सबसे पहले सोनम के बाल धुले गए, फिर गर्म हवा की बौछार करता हुआ हेयर ड्रायर उसे एक एक कर के एहसास दिला रहा था कि घर से जुदाई का मौका पास आ रहा है ।

फेस वाश और फिर कपडे़, उसके बाद बारी थी दुल्हन की तरह दिखने की । मेकअप, गहने और टच अप वगैरह होते हुए रात का साढ़े आठ बज चुका था । खबर भी आ गई कि बारात निकल गई है । गुलाबी रंग के शादी के जोड़े में खूबसूरती देखने लायक थी सोनम की ।

पार्लर से गेस्ट हाउस तक के रास्ते में सोनम आगे आने वाले पलों के बारे में सोच रही थी । तभी व्हाट्सएप पर पिंग हुआ, वरुण का मैसेज था,"अरे पत्नी जी, हम आ कर बैठ गए हैं सिन्हासन पर । आप कहाँ हो? इतना भी इंतज़ार कराना अच्छी बात नहीं है ।" सोनम पढ़ कर मुस्कुराई और ज़वाब में लिखा," अरे! अभी से इतनी तड़प पति जी को । थोड़ा इंतज़ार कीजिये क्योंकि किसी महान व्यक्ति ने बोला है कि इंतज़ार का फल बहुत मीठा होता है ।"

थोड़ी देर में फिर पिंग हुआ, " हाय! वैसे लाइफ का मज़ा तो खट्टे में है । जल्दी आइये कहीं हमारी जान न निकल जाए ।"

सोनम जवाब सोच ही रही थी कि माँ का फ़ोन आ गया,"अरे कहाँ हो तुम लोग ? यहाँ दूल्हे को स्टेज पर बैठे 15 मिनट हो गए हैं ।"

"बस माँ 5 मिनट की दूरी पर हैं ।" सोनम बोली और फ़ोन कट गया । दिल की धड़कन बढ़ती ही जा रही थी । गेस्ट हाउस पहुँच , पीछे की दरवाज़े से एंट्री करी सोनम ने और 5 मिनट का ब्रेक लेकर स्टेज की तरफ रवानगी की रस्म होने लगी । नज़रें झुकाये, चारों तरफ से भाई बहनों से घिरी दुल्हन की तरफ ही सब देख रहे थे । वीडियो कैमरे के फ़्लैश की चमक इतनी तेज़ थी कि कुछ भी दिख नहीं रहा था सोनम को । कुछ ही देर में स्टेज आ गई और नज़र उठाई तो महरून और क्रीम कलर की शेरवानी में वरुण उसकी तरफ हाथ फैला कर खड़ा था । पहले तो थोड़ा सकुचाई पर फिर उसने भी हाथ थाम ही लिया ।

स्टेज पर बैठते ही वरुण कान के नज़दीक आकर बोला,"हेलो मैडम, बहुत गदर लग रही हो ।"

पर शर्माने की जगह शॉक लगा सोनम को, वरुण के मुंह से शराब की महक आ रही थी । पर यह मौका था नहीं रिएक्ट करने का, चुपचाप वहां बैठी यह सोचती रही कि शायद शादी के मौके पर दोस्तों ने ज़िद कर के पिला दी होगी ।

रस्मे पड़ती गईं और हर रस्म के साथ सोनम वरुण की होती जा रही थी । रात बीती और विदाई का वक़्त आ गया । सबकी आँखें तो नम थीं पर दिल में सोनम के लिए एक ख़ुशी भी बसी हुई थी । पगफेरा होने के बाद सोनम ससुराल आ गई ।

माँ, पापा जैसे सास ससुर और बहन जैसी एक ननद, दिन भर सोनम का ढेर सा ख्याल रखते रहे । आज की रात शादी के बाद की पहली रात थी । गोल्डन नाईट के कई एक्सपीरियंस सोनम ने अपनी सहेलियों से सुने हुए थे । एक तरफ डर भी लग रहा था तो दूसरी तरफ एक्ससिटेमेंट भी हिलोरे मार रहा था । हर कोई बहाने मार कर कहीं और सोने की सेटिंग कर चुका था ।

फूलों से सजा वो कमरा,लाल चादर, लाल तकिये, सिरहाने रखा एक चॉकलेट बॉक्स और हवा में उड़ती परफ्यूम की महक किसी को भी मदहोश करने के लिए काफी थे । सोनम खूबसूरत साड़ी में सजी वरुण का इंतज़ार कर रही थी । 11 बजे डोर बेल बजी, वरुण पूरी तरह से शराब के नशे में घर आया था । लड़खड़ाते कदमों से बेडरूम की तरफ बढ़ते अपने पति को अनजानी नज़रों से देख रही थी सोनम । सोनम को नज़रअन्दाज सा करता वरुण कपड़ो और जूतों समेत ही बेड पर गिर गया और फिर हिला तक नहीं ।

सोनम बहुत देर तक लिविंग हॉल में बैठी सोचती रही कि क्या उसने गलती कर दी ! पर फिर खुद को वरुण के प्यार का भरोसा दिलाया और बेडरूम में जाकर दूसरी तरफ लेट गई । रात भर उन सपनों को दबाती रही जो उसकी सहेलियों ने उसे सुहागरात के बारे में दिखाए थे ।

सुबह वरुण जल्दी ही उठ गया और सोनम के उठने से पहले ही चाय तैयार कर के उसके बगल में आ कर बैठ गया । सोनम जगी और तुरंत ही उठ कर बैठ गई । वरुण उससे आँखें नहीं मिला पा रहा था ।

"वो मेरी गलती नहीं है , धीरज और पिंकू ने तुम्हारी कसम दे कर पिला दी । अब तुमसे प्यार इतना करते हैं कि मना कर नहीं पाए ।" वरुण खुद ही बोल उठा ।

"और अगर मैं खुद कसम दूं कि आज के बाद शराब को मुंह से क्या हाथ तक से नहीं लगाओगे तो !" सोनम गुस्से में बोली ।

"अरे आप बिना कसम ही बोल दीजिये , मुलाज़िम उस गली से नहीं गुज़रेगा जहाँ शराब की बोतल खुली हो ।" वरुण ने दोनों हाथों को कान पर लगाकर कहा । दोनों हंस पड़े, गुस्सा काफूर हो चुका था । हँसते हँसते कब एक दूसरे के गले लग गए दोनों को पता भी नहीं लगा और गले लगने से शुरू हुआ टच अपने अन्ज़ाम तक पहुँच कर ही रुका ।

दोनों एक दूसरे के मन से तो बहुत पहले से थे पर अब फिजिकल दूरी भी दूर हो चुकी थी । दोपहर तक सब लोग भी वापस आ चुके थे । बाकी का दिन तो खाने पीने में ही बीत गया, बातों और मेल मिलापों का सिलसिला अगले 3 दिनों तक चलता रहा । वरुण ने ऑफिस जाना शुरू कर दिया था और सोनम का कॉलेज भी फिर से शुरू हो गया था ।

हर रोज़ वरुण सोनम को अपने ऑफिस की हर बात बताता और वह कॉलेज की । दिन बीतने के साथ साथ दोनों में प्यार बढ़ता ही जा रहा था ।

सोनम सुबह उठती, सबके लिए प्यार से चाय बनाती, पापा जी का अखबार, मम्मी जी की पूजा, वरुण का टिफ़िन सब 8 बजे तक निबटा कर सोनम कॉलेज चली जाया करती । एग्जाम को बस एक मंथ रह गया था । पढ़ाई करने कभी शालू घर आ जाती तो कभी वो शालू के यहाँ ।

"सुन, तू प्रेग्नेंट है क्या?" शालू ने एक दिन पुछा ।

"भाग बे, कुछ भी बोलती रहती है ।" सोनम झिड़की सी देते हुए बोली ।

"अबे पागल, अपना पेट देख । मैं लास्ट 1 मंथ से नोटिस कर रही हूँ कि बढ़ता ही जा रहा है ।" शालू बोली ।

"ओ मैडम, वो थोड़ा खाने पीने की वजह से बढ़ रहा है, एग्जाम होने दे उसके बाद फिट करुँगी खुद को ।" सोनम बोली ।

"तेरे सायकिल को कितना टाइम हो गया ।" शालू बोली ।

अबकी सोनम चुप रह गई । उसे भी शालू की बात में दम महसूस होने लगा था । लौटते वक़्त उसने मेडिकल स्टोर से प्रेगनेंसी टेस्टिंग किट खरीदी और घर आ गई ।

डिनर करते करते 10 बज गए थे । वह चुपके से बाथरूम में गई और शालू की बात की कन्फर्मेशन करने लगी । वह शॉक्ड थी । दो लाल लाइनें उसके प्रेग्नेंट होने की गवाही दे रहीं थीं । अगले 15 मिनट सोनम बाथरूम में बैठी रोती रही ।

"सोनम, क्या हुआ बहुत देर हो गई तुमको ।" वरुण ने दरवाज़ा खटका कर आवाज़ दी ।

"कुछ नहीं बस आई 2 मिनट में...." सोनम आंसू पोछ्ते हुए बोली ।

सोनम बाहर आई पर उसने चुप्पी नहीं तोड़ी । अगली सुबह सब कुछ करने के बाद वह कॉलेज चली गई और हमेशा की तरह शालू को अपने मन की बात बताई ।

"अबे, कॉलेज ख़त्म होने में अभी 1.5 महीना है । तब तक तो तेरा पेट साफ साफ़ निकल आएगा । अभी तो बस तोन्द सी फील होती है तब तक क्लियर पता चलने लगेगा । तू सबसे पहले अपने हबी को बता । ऐसी बातें छिपाई नहीं जातीं , कल को कुछ हुआ तो तेरे ही सर फूटेगा दोष " शालू की यह बात पूरे दिन सोनम के मन में घूमती रही ।

न पढाई में मन लगा और न प्रोजेक्ट में, तबियत खराब की बात कहकर जल्दी ही सोनम घर लौट आई । चेहरा उसके दिल के हालात साफ़ बयान कर रहा था । सास और ससुर दोनों ने पूछा पर सोनम ने बस सर दर्द की बात कही और बेडरूम में आकर लेट गई ।

आज मीटिंग थी वरुण की, रात 10 बजे जब तक वह आया सोनम सो चुकी थी ।

"मम्मी, क्या हुआ सोनम आज बहुत जल्दी सो गई ?" वरुण ने मम्मी से पूछा ।

"हाँ, उसको डिस्टर्ब न करना । तबियत ठीक नहीं है उसकी ।" मम्मी बोलीं ।

वरुण चुपचाप डिनर कर के कमरे में आकर लेट गया । आधी रात को जब सोनम की आँख खुली तो खुद के सर पर वरुण का हाथ पाया । हाथ को चुपके से हटा कर सोनम उठ कर बैठ गई । अभी बच्चा चाहती नहीं थी सोनम, यह तो उसका करियर टाइम था ।

"सोनम, क्या हुआ? तबियत खराब है मेरी बेबी की?" वरुण ने दुलारते हुए आवाज़ दी ।

"वरुण.....एक्चुअली.....वो....." सोनम सकुचाते हुए इतना ही बोली ।

*क्या हुआ बेबी? क्या बात है जो कहना भी चाहती हो और छिपाना भी ?" वरुण सोनम के मन को ताड़ गया था ।

"वरुण, आई एम प्रेग्नेंट ...." सोनम ने एक सांस में बोल दिया ।

वरुण तो उछल ही पड़ा ख़ुशी से और सोनम को गले से लगा लिया । वरुण की इस ख़ुशी के आगे सोनम ने खुद के आंसू दबा लिए । एक झूठी सी मुस्कराहट में अपना गम दबाये सोनम सो गई ।

सुबह तक हर किसी करीबी को यह खबर पहुंच चुकी थी । बधाईयों की लड़ी के बीच वह कैसे बोलती कि अभी वह माँ बनने के लिए तैयार नहीं है ।

बचपन से आज तक बस कॉम्प्रोमाईज़ ही करती आई थी सोनम, फिर चाहें वो गाँव में बीता वक़्त हो, जब माँ भी घर की नौकरानी से ज्यादा नहीं थी और वो दोनों बहनें भी घर में काम करने वालियों सरीखी कभी सर पर कचरा ढोतीं तो कभी खेत में उगी सब्जियों को टोकरे में रख कर मंडी में बेचने जाया करतीं । पूनम तो फिर भी कभी कभी विरोध दर्ज़ करती थी पर सोनम ने कभी चूं तक नहीं की ।

आज भी सबकी ख़ुशी महसूस करती हुई सोनम सबके साथ ही हो ली । उनकी ख़ुशी में मुस्कुराना, बधाइयों का मुस्कुरा कर ज़वाब देना और 'लड़का होगा या लड़की वाले' प्रेडिक्शन झेलना, मेन्टली हर रोज़ तोड़ रहा था उसे । आखिर में सोनम ने परिवार के आगे करियर को तिलान्जली देने का फैसला कर लिया ।

एक बार फिर से सोनम ने एडजस्ट किया था । वैसे अब तो आदत हो चुकी थी उसे सपनों का कत्ल करने की । एक और सपना दम तोड़ चुका था । सोनम ने कॉलेज जाना बंद कर दिया था । अब उसका पूरा ध्यान अपने होने वाले बेबी पर था ।

चेकअप हुआ, और डॉक्टर ने 3 महीने की प्रेगनेंसी डिक्लेअर कर दी । धीरे धीरे सोनम ने खुद को समझा ही लिया ।

"क्या लगता है तुमको? बेटा या बेटी !" वरुण ने पूछा ।

"बेटा....." इतना बोल कर चुप हो गई सोनम ।

"मुझे तो तुम्हारी जैसी खूबसूरत एक बेटी चाहिए ।" वरुण इतराते हुए बोला ।

सोनम कुछ बोली तो नहीं पर दिल ही दिल में सोचने लगी कि अगर बेटी हुई तो वह उसके ख्वाबों को मरने नहीं देगी ।

पेट में होने वाली हलचलें सोनम को महसूस होने लगी थी अब । कभी बच्चा पेट के ऊपरी हिस्से में महसूस होता तो कभी दाएं-बायें । अब सोनम मातृत्व को एन्जॉय करने लगी थी । आधी रात को वरुण को जगाती और बच्चे की किक से बना बम्प दिखाती । वरुण भी बहुत एक्साईटेड था अपने होने वाले बच्चे के लिए ।

पति की केयर, सास का प्यार और माँ की सलाहें , बहुत कुछ नसीब हो रहा था सोनम को । हरी सब्जियां, सलाद, मेवा, दूध , ढेर सारी गोलियां और मंथली चेकअप, बहुत ध्यान रखा जा रहा था सोनम का । इन सबके बीच अपने जॉब करने के अधूरे ख्वाब को भी पीछे छोड़ चुकी थी वह । अब बस वो यही चाहती थी कि उसका बच्चा पूरी तरह से मेन्टली और फिजिकली हेल्दी पैदा हो ।

डिलीवरी की तारीख नज़दीक आ रही थी । पेट में हलचल सी मची हुई थी सोनम के । हर दिन एक नया चैलेंज ला रहा था उसके लिए । कभी पैरों में दर्द उठता तो कभी पेट में । कभी मीठा खाने का मन उठता तो कभी खट्टे का और वरुण भी एक अच्छे पति की तरह उसकी हर फरमाइश पूरी करता ।

वक़्त आ कर ठहर गया उसी तारीख पर जब सोनम की मुलाक़ात उसके शरीर के उस टुकड़े से होनी थी जो 9 महीनों से उसके भीतर पल रहा था ।

सुबह जल्दी ही सोनम को हॉस्पिटल में एडमिट कर लिया गया था । दोपहर एक बजे का समय तय हुआ था अॉपरेशऩ का । डर तो सबको लग रहा था पर सोनम आज पहली बार कोई घटना अकेले फेस करने जा रही थी । 12:55 पर उसे अॉपरेशऩ थियेटर में ले जाया गया । 20 मिनट का वो वक़्त वरुण न तो बैठ पा रहा था और न खाली खड़ा हो पा रहा था । पूरे टाइम कभी गैलेरी के एक कोने से दूसरा कोना नापता तो कभी मंदिर में लगी गणेश जी की मूर्ति के आगे हाथ जोड़ कर खड़ा हो जाता ।

उसके पापा बहुत देर से वरुण की बेचैनी देख रहे थे । पास पहुँच कंधे पर हाथ रखा तो वरुण बिलकुल ठंडा पड़ रहा था ।

"एवरीथिंग विल बी फाइन ।" वरुण के पापा बोले ।

कुछ ही देर में सोनम के मम्मी, पापा और पूनम भी वहां आ गए । ऑपरेशन थिएटर का दरवाज़ा खुला और नर्स एक प्यारे, छोटे से बच्चे को लेकर बाहर आई ।

"फादर कौन है बेबी का ?" चिल्लाते हुए नर्स बोली । वरुण एक कदम आगे आ गया । "काँग्रेचुलेशन, इट्स अ बेबी बॉय ।" नर्स वरुण के पास आ कर बोली ।

सब एक दूसरे के गले लगने लगे । बच्चे के बाबा ने 251 रुपये से बेबी का उतारा किया और नर्स को थमा दिया । नाना भी कहाँ पीछे रहने वाले थे, उनकी जेब से 500 का नोट निकला और बच्चे के सर के चारों ओर घूम कर नर्स की मुट्ठी में चला गया ।

जब हर कोई जश्न मना रहा था तब वरुण बेसुध पड़ी सोनम के चेहरे को निहार रहा था । कुछ देर बाद सोनम ने आँखें खोलीं वरुण को अपने नज़दीक देखा और फिर सो गई ।

4 दिन की इन्टेन्सिव केयर के बाद बच्चे और सोनम को छुट्टी दे दी गई । घर आकर ढेर स्वागत हुआ सोनम और बच्चे का । सब कुछ सोनम की पसंद का बनाया गया उस शाम । हर कोई बहुत खुश था और सोनम सबकी ख़ुशी से खुश थी । पार्टी हुई, ढेर से गिफ्ट्स आये उस नए मेहमान के लिए । घर खिलौनों और कपड़ो से भर गया था । अब टास्क था बेबी का नाम रखने का, घर का नाम तो बड़ी आसानी से तय कर लिया गया । बेबी से बिगड़ कर बच्चे का घर का नाम बॉबी हो गया था पर एक ऑफिशियल नाम भी ज़रूरी था । बहुत सी माथापच्ची के बाद सबकी सहमति एक नाम पर बनी, 'बोधिक' ।

घर के हर सदस्य के लिए खिलौना सा था बॉबी, गोल मटोल सा, देखने में बहुत सुन्दर । कभी बुआ के पास रहता तो कभी बाबा-दादी के पास । वक़्त बेवक़्त नाना नानी भी बॉबी के साथ खेलने आ जाया करते थे ।

बॉबी की हर प्रोग्रेस वीडियो पर रिकॉर्ड होती थी और फोटोज़ तो इतने थे की लैपटॉप की एक ड्राइव उसकी फोटो से ही भर चुकी थी । उसका पहले शब्द, पहले मूवमेन्ट और पहले निवाले से लेकर पहले कदम तक सब कुछ स्पेशल था सोनम के लिए ।

बॉबी की अपब्रिंगिग में सोनम इतनी बिजी हो गई कि सब कुछ भूल बैठी । उसमे और वरुण में बातें कम होने लगीं । कई बार तो ऐसा भी होता कि वरुण ऑफिस से लौटता और सोनम उसे अटेन्ड करने भी नहीं आती ।

एक दूरी सी बनने लगी थी उसके और वरुण के बीच, फिर एक कम्पटीशन सा शुरू हो गया । जो वरुण सोनम को दिन रात पैम्पर किया करता था, वह अब प्यार सिर्फ बॉबी को करने लगा था और जो दूरियां ख़त्म होने की कोई सम्भावना भी होती तो वह ख़त्म सी होने लगी थी ।

बॉबी ने अपना पहला कदम चला था । सोनम आज बहुत एक्साइटेड थी । उसने वरुण को वीडियो भेजा पर शाम तक उसने सीन तक नहीं किया । 10 बजे वरुण घर आया, सोनम जाग रही थी पर न हिली न कुछ बोली । वरुण जैसे ही कमरे में घुसा उसने झटके से आँखें बंद की पर वरुण ने नोटिस कर लिया था और खाई बढ़ कर दोगुनी हो गई ।

सुबह होने से पहले सोनम को अपनी गलती का एहसास हो गया था , वह बात करना चाहती थी वरुण से पर जाने कौन सी घबराहट में न तो बात कर सकी और न नज़रें मिला पाई । वरुण के मम्मी पापा ने 2 महीने का तीर्थयात्रा का प्रोग्राम बनाया हुआ था और ख्याल रखने के लिए वरुण की बहन भी साथ ही जा रही थी । पैकिंग हो चुकी थी, सुबह ट्रेन थी उनकी, वरुण और सोनम के बीच की दूरी को महसूस तो किया था दोनों ने पर जानते भी थे कि झगड़ा ख़त्म किसी तीसरे के हस्तक्षेप से नहीं हो सकता । शायद यह 2 महीने का वक़्त दोनों के बीच की दूरी कम कर सकता था ।

अर्ली मॉर्निंग वरुण मम्मी पापा और बहन को रेलवे स्टेशन छोड़ कर घर आ गया । 7 बज चुके थे, घर में घुसते ही वरुण और सोनम की नज़रें मिलीं पर होंठ दोनों तरफ से नहीं खुले ।

"वरुण, मुझे बात करनी है तुमसे ।" सोनम बहुत हिम्मत कर के बोली ।

"बातें तो बहुत पहले ख़त्म हो चुकीं हैं हमारे बीच..." वरुण इतना बोला और नहाने चला गया । आधे घंटे का शॉवर लेने के बाद वह बाहर निकला खुद का नाश्ता तैयार किया और ऑफिस निकल गया ।

अकेली बैठी सोनम के आंसू बॉबी के गालों पर गिरने लगे । बॉबी उठ बैठा और माँ को देख खिलखिलाने लगा । जैसे जैसे सोनम के आंसू बॉबी के गाल पर गिरते बॉबी खुल कर हंसता । 15 मिनट तक सोनम रोती रही और बॉबी हँसता रहा ।

फिर खुद को सम्भालते हुए आँखों के साथ साथ दिल को भी सुखाया और अपने कामों में लग गई । शाम को भी कोई बात नहीं हुई दोनों के बीच और यह घटना आदत होने लगी । ज़रुरत के अलावा कोई और बातें होतीं नहीं थी उनमें ।

बॉबी कल एक साल का हो रहा था, बाबा-दादी और बुआ का कल प्रोग्राम इसी तरह सेट था कि बॉबी के पहले जन्मदिन पर सुबह तक सब घर पहुँच जाने थे ।

रात के 10 बज चुके थे सोनम अपने बच्चे के पहले जन्मदिन की सजावट में बिजी थी वो पर वरुण का कोई अता-पता नहीं था । सोनम ने कई बार कॉल किया पर बेल जाने के बावजूद कॉल उठता ही नहीं था । अकेली सोनम परेशान हो रही थी । ऑफिस कॉल लगाया तो पता लगा कि आज वरुण 7 बजे ही ऑफिस से निकल गया था । उसके कुछ कलीग्स को फ़ोन किया तो कुछ घर पर थे और कुछ ऑफिस में । कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे, कहाँ पता करे वरुण के बारे में । आखिरी रास्ता पुलिस के पास जाना था । 12 बज चुके थे, बॉबी की पहली बर्थडे आ चुकी थी । सोनम पुलिस स्टेशन जाने के लिए तैयार होने लगी थी कि तभी बेल बजी, दरवाज़े पर वरुण था नशे में धुत ।

पैर तक ढंग से नहीं पड़ रहे थे उसके, आँखें चढ़ी हुई और ज़बान खुद में ही उलझ कर रह जाती थी । सोनम को रास्ते से हटाता हुआ वरुण बेडरूम की तरफ बढ़ चला ।

सोनम को कुछ समझ ही नहीं आ रहा था । सुहागरात की घटना जैसे रिपीट टेलीकास्ट हो रही थी आज और साथ ही खुद की दी हुई कसम भी उसके कानों में गूँज रही थी । वो वहीं दरवाज़े पर बॉबी को लेकर बैठ गई । सोता हुआ बॉबी और फिर से रोती हुई सोनम, रात भर उसी हालत में बैठे रहे ।

सुबह हुई और वरुण कमरे से बाहर निकला, सोती हुई सोनम की बाहों से बॉबी को उठाया और वापस भीतर चला गया । सोनम की आँख खुल गई । वो तैश में उठी और सीधे वरुण के सामने जाकर खड़ी हो गई ।

"अभी तक तो मैं सब झेलती रही हूँ पर आज तुमने कसम तोड़ी है मेरी ।" सोनम बोली ।

"मुझे कल्प्रिट कहने से पहले अपने गिरेबान में झाँक कर देख लो सोनम ।" वरुण भी गुस्से में था ।

"अपने गिरेबान में झाँक कर देखती हूँ तो छूटा हुआ MBA दिखता है, छूटी हुई जॉब दिखती है, मेरे टूटे हुए ख्वाब दिखते हैं । तुमने कहाँ खोया है कुछ मैंने खोया है । मैं बनना चाहती थी कुछ पर सिर्फ तुम्हारे घर का फर्नीचर बन कर रह गई हूँ ।" सोनम और ज्यादा बोलना चाहती थी, अपने दिल की सारी भड़ास निकाल देना चाहती थी । पर नज़र बॉबी पर गई तो मुंह बंद हो गया । उसने पॉटी कर ली थी ।

सोनम ने बॉबी को गोद में उठाया और आँगन की तरफ चल दी । वो बॉबी को साफ़ कर ही रही थी कि वरुण बहुत ज्यादा गुस्से में वहां आया और बोला, "फिर तो तुमने बहुत बड़ी गलती कर दी मुझसे शादी कर के ।"

"हाँ गलती हो गई तुमसे शादी कर के, बताओ अब क्या करूँ?" सोनम भी उतनी ही तेज़ आवाज़ में बोली

"तुम तलाक दे दो मुझे ।" वरुण ने इतना ही कहा और ऑफिस के लिए निकल गया ।

सोनम बैठी अपने फैसले को सही और गलत के तराज़ू में तौलती रही । अपने लिए हर कदम को जाँचने के बाद सोनम ने तय किया कि अब वह सिर्फ अपने और बॉबी के लिए है जियेगी ।

उदास मन की दीवारों को सास के फ़ोन ने तोडा, वो लोग स्टेशन पहुँच चुके थे । मन इतना व्यथित था सोनम का कि सास के मोबाइल पर घर की चाभी का पता लिखा, फिर अपना मोबाइल ऑफ किया और सबके आने से पहले ही बॉबी को साथ लेकर अपने घर चली गई ।

अचानक घर पहुंची बेटी के लिए मम्मी पापा खुश तो हुए पर आश्चर्य भी उतना ही था । सोनम ने भी बस याद आने का बहाना किया और सबके साथ हिल मिल गई । कोई सोच भी नहीं सकता था कि कुछ वक़्त पहले तक जीवन से हार सी मान गई थी वो । उसे भी बहुत दिनों बाद आज हवा में हल्कापन सा फील हो रहा था । वैसे मम्मी पापा जानते थे कि सब कुछ ठीक नहीं है उनकी बेटी के साथ, पर कोई कुछ नहीं बोला ।

अगली सुबह अपने सर्टिफिकेट्स का पुलिन्दा कुछ पेपर की कटिंग के साथ सोनम ने फाइल में डाला और बिना किसी से कुछ बोले निकल गई घर से । दर्जनों ऑफिस के चक्कर के बाद उसके हाथ MBA पूरा न हो पाने की हताशा ही थी । शाम 5 बजे जब घर लौटी तो मम्मी ठीक सामने सोफे पर बैठी हुईं थी ।

"इधर आ! मिली कोई नौकरी?" मम्मी ने पूछा ।

"नहीं! पर आपको कैसे पता चला ?" सोनम बोली ।

"मुझे पता नहीं लगेगा, मुझे तो यह भी मालूम है कि वरुण से लड़ कर आई है तू यहाँ । तेरे ससुर का कॉल आया था । अच्छा , याद हैं तुझे, शादी वाली रात तूने मुझसे गाँव के बारे में पूछा था । आज सही वक़्त है उन बातों को बताने का ।" माँ ने सोनम के गाल पर हाथ रखते हुए बोला ।

"पर उन बातों का......" सोनम इतना ही बोल पाई थी कि माँ ने उसके होठो पर हाथ रख कर चुप करा दिया ।

"आ मेरी गोदी में सर रख और चुपचाप सुन जो मैं कह रही हूँ ।" मम्मी बोलीं ।

सोनम ने भी कोई विरोध नहीं किया और माँ की गोद में लेट गई ।

माँ ने कहना शुरू किया," जब मैं शादी हो कर घर आई तो तेरे छोटे चाचा सिर्फ 7 साल के थे और बिट्टू चाचा 11, नयी नवेली दुल्हन थी मैं । थोड़ी ही दूर पर तेरे चचेरे ताऊ जी रहा करते थे ।

गाँव की ज़िन्दगी शहर से बहुत अलग होती है और उस वक़्त तो बहुत फर्क था । शादी के 2 साल बाद तू हुई, सोने जैसी मेरी बेटी तो नाम रखा सोनम । घर की ज्यादातर ज़िम्मेदारियां तेरी दादी सम्भालती थी पर उसी वक़्त उनकी तबियत कुछ बिगड़ने लगी । पहले औरतें अपने स्वास्थ्य के बारे में ज्यादा बात नहीं करतीं थीं । जब तबियत बहुत बिगड़ती चली गयी तो अस्पताल में दिखाया, दादी को कैंसर था, लास्ट स्टेज..... दादी बेड रेस्ट पर चली गयी और घर की पूरी ज़िम्मेदारी मुझ पर आ गई ।

बाबा, दादी, बुआ, 2 चाचा के अलावा तेरे बाबा की एक भतीजी और उनके 2 बच्चे भी साथ ही रहते थे पर बाहर के काम की ज़िम्मेदारी तेरे पापा की थी और घर की मेरी । पर मुझे कोई शिकायत नहीं थी इसकी । दादी को खाना पीना नहाना धोना सब मैं करती थी । 8 महीने बाद दादी चल बसी । फिर जब पूनम पैदा होने को थी तेरी मौसी आयी और दंग रह गई कि 7 महीने की गर्भावस्था में भी मैं घर के सारे काम कर रही थी । वो मुझको अपने घर ले गई और वही तेरी बहन ने जन्म लिया ।

1 महीने बाद मैं वापस आ गयी । नयी जच्चा पर भी किसी को तरस नहीं था । सुबह चार बजे उठती तेरे पापा कुएं से पानी भर कर लाते और कोहरे वाली सर्दी में मैं उस ठन्डे पानी से नहाकर काम में लग जाती । तेरे पापा को काम के लिये लखनऊ शहर जाना पड़ता था और हर मौसम को झेलते हुए वो सायकिल पर सवार सुबह 6 बजे निकल जाते । मैं घर साफ़ करती, गायों को सारा काम करती । कुछ दिन बाद तेरे पापा को आगरा में नौकरी मिल गई और वो चले गए । तेरे पापा के सामने तब भी हम कुछ थे घर में पर फिर बिलकुल नौकर से हो गए । तुझे याद हैं उस कच्चे से मकान की छत भी टपकती थी ।"

"हाँ और आप खुर्पी लेकर मिट्टी खोदती और छत के छेद भरती, चाचा और बुआ सिर्फ बैठ कर तमाशा देखते ।" सोनम को भी कुछ बातें याद आने लगीं थी ।

माँ ने आगे बोलना जारी रखा," मैं जानबुझ कर उनसे कुछ न कहती थी , कुछ बोलती तो गाँव वाले कहते कि बिन माँ के बच्चो पर हुकुम चलाती हैं भाभी । इस दौरान तेरी बुआ की शादी हुई और बड़े चाचा ने लव मैरिज कर ली । कुछ ही दिनों में घर में चाची का राज चलने लगा ।

सबने बाबा को ऐसा भरा कि उन्हें मैं गलत दिखने लगी । आये दिन तुम दोनों बहनें बाबा और चाचाओं से मार खाने लगे थे । मुझे खराब तो लगता था पर कुछ कह नहीं पाती थी ।

फिर जब तू सात साल की हो रही थी तब मुझे तूने मदद करना शुरू कर दिया था । तू चूल्हा जला देती, दाल देख लेती, खिचड़ी बना देती । तेरी वजह से काम में तसल्ली तो थी पर मुझे तुझसे काम करवाना अच्छा लगता नहीं था ।"

माँ को बीच में टोकती हुई सोनम बोली,"अब मुझे याद आ रहा है । याद है माँ मैं और पूनम जब गाँव के बाहर कूड़ा फेंकने जाते थे तो जो देखता वही बोलता घर में दो दो मर्द बैठे हैं और छोटी छोटी बच्चियो से ये काम करवा रहे हैं बाजपेयी जी । और हाँ, घनी सर्दियाँ और वो एक रज़ाई, जिस में आप तो किनारे पड़ी रहतीं और हम बहनों को उढ़ा कर रखतीं । काश टाइम मशीन मिलती तो पास्ट में जाकर सबको ठीक कर के आती ।"

"ऐसा नहीं कहते बेटा ।" माँ बोली ।

"क्यों नहीं कहते, कितना ज़ुल्म करते थे सब आप पर । ये तो प्रधान अंकल का भला हो जो पापा को लेटर लिख दिया वरना सब आपको मार ही डालते । आगे क्या हुआ था मम्मी?" सोनम बोली ।

"फिर तेरे पापा आये, सबको खूब सुनाया । घर में खूब हायतौबा मची और पापा ने फैसला किया कि हम सब आगरा जाएंगे उनके साथ ।" मम्मी इतना बोली ही थी कि बॉबी जग गया और रोने लगा । सोनम उठी और अपने दिल की टुकड़े को उठाने चल दी । बॉबी को लेकर जैसे ही सोनम वापस आई माँ ने फिर से हाथ पकड़ कर बैठा लिया ।

"मैं कितना प्यार करती हूँ तुझसे ?" माँ बोली ।

"इन्फाईनाइट...." सोनम बोली ।

"और पापा ?" माँ ने फिर सवाल किया ।

"पापा भी प्यार तो करते है बस शो नहीं करते ।" सोनम इतना ही बोली और फिर किसी सोच में डूब गई ।

"क्या सोच रही है?" माँ बोली ।

"कुछ नहीं माँ, बस आपकी बात समझ आ गई ।" सोनम ने तुरंत मोबाइल उठाया और वरुण को कॉल लगा दिया," हेलो,....
.हाँ मम्मी के यहाँ हूँ ......... कुछ नहीं बस इमोशन ऐसे आये कि कुछ समझ नहीं आया । वैसे एक काम था ज़रूरी तुमसे.....
.हाँ यहीं आ जाओ कल ..... कुछ नहीं बस एक कहानी सुनानी है ...... अरे कभी भी ..... ओके.... बाय ।" इतना बोल फ़ोन कटा और सोनम ने मम्मी के चेहरे को देखा । वो मुस्कुरा रहीं थीं ।

"चल सो जा, बाकी की कहानी तुम मियां बीवी को मिलकर सुनाऊँगी ।" मम्मी बोलीं और सोनम बॉबी को लेकर अपने कमरे की तरफ चल दी ।

सोनम के पापा यह सब देख रहे थे, सोनम के जाते ही बाहर निकले और मम्मी को देख कर मुस्कुराने लगे,"तुम्हारे पास हर समस्या का हल रहता है न । वैसे उस टाइम क्यों नहीं बोली जब सब कुछ झेल रही थी ?"

"प्यार सिर्फ सुख का नाम नहीं है दुःख भी तो हम दोनों के ही थी । आप उस टीन शेड के घर में नौ साल रहे पर मुझे कुछ बोले ! तो मैं क्यों बोलती?" सोनम की मम्मी बोलीं और फिर वो दोनों भी सोने चल दिए ।

सोनम की आँखों में सुबह का इंतज़ार था, रह रह कर उसे वरुण की पर्सनालिटी के पॉजिटिव्स याद आ रहे थे और वो बस इतना ही सोच रही थी कि कैसे अब तक लाइफ को गलत चश्मे से देखती रही ।

सुबह की शुरूआत वरुण के मेसेज से हुई,"आई कैंट कम टुडे, सी यू अनदर टाइम ।"

सोनम के रात भर के सपने धराशाई हो गए । कुछ देर छत को और कुछ देर खिड़की को ताकने के बाद वो बॉबी को लेकर लिविंग हॉल में आ गयी ।

"माँ, वरुण नहीं आ रहा । शायद वो अवोइड कर रहा है, जानता है न कि गलती किसकी हैं ।" भड़भड़ायी हुई सोनम माँ से बोली ।

माँ भी कुछ बोली नहीं । चुपचाप मुँह दबा के सोनम को देखती रहीं ।

सोनम 10 बजे तक अपने सर्टिफिकेट्स का थैला उठा कर बिल्डिंग्स की उंचाईयां नापने निकल चुकी थी ।

हर ऑफिस का दरवाज़ा शायद उसके बाहर जाने को हमेशा खुला था, नौकरी पाना इतना कठिन होगा कभी सोचा भी नहीं था सोनम ने ।

थकी हारी सोनम रात के 8 बजे घर में घुसी । एक अजीब सा सन्नाटा पसरा था पूरे घर के माहौल में ।

पापा एक तरफ सोफे पर कोहनी घुटने पर और हथेली ठोड़ी पर रखे बैठे थे । माँ भी किचन के ठीक बाहर बुत बनी खड़ी थी ।

"क्या...... हुआ.....सब.....ऐसे .....क्यों.....?" सोनम घबराते हुए बोली ।

"बेटा वो वरुण......" इतना इतना बोल माँ चुप हो गयी ।

"बेटा, वरुण हॉस्पिटल में है ।" पापा कुर्सी से उठते हुए बोले । "ले कार की चाभी और लाइफटाइम हॉस्पिटल वार्ड नंबर 6 ।"

सोनम ने झट से चाभी लपकी और अकेली ही निकल ली । तेज़ी से हॉस्पिटल की ओर बढ़ती सोनम बस वरुण के बारे में ही सोच रही थी ।

जैसे ही सोनम हॉस्पिटल के गेट पर पहुंची तो कुछ सोच कर ठिठक गयी ।

"अगर वरुण हॉस्पिटल में है तो मम्मी पापा साथ क्यों नहीं आये ।" सोनम के मन में इतना ही आया और वो धीमे से मुस्कुरा उठी ।

जैसे ही वार्ड नंबर 6 में उसने कदम रखा तो वरुण बाहर कुर्सी पर सही सलामत बैठा था । जैसे ही दोनों की नज़रें मिलीं तो दिल ठीक उसी तरह धड़का जैसा पहली मुलाकात में धड़का था ।

"तुम यहाँ कैसे?" वरुण ने पूछा ।

"बस तुमको जो कहानी सुनानी थी । तुम यहाँ थे तो सोचा मैं ही आ जाऊं ।" सोनम वरुण की आँखों में देखती हुई बोली ।

"हाँ वो मनीष की वाइफ को लेबर स्टार्ट हो गया । उसके माँ पापा की अब्सेन्स में मुझे तो साथ देने आना ही था ।" वरुण सोनम का हाथ थामते हुए बोला । "वैसे सेल फोन ऑफ़ हो चुका है और पूरी रात बैठना है यहाँ तो ......."

" तो?" सोनम बोली ।

"कहानी सुने बरसों हो गए हैं, आज बहुत दिल कर रहा है ।" वरुण फुसफुसाती आवाज़ में बोला ।

सोनम ने वरुण की तरफ देखा और अपनी माँ की बताई हर बात वरुण को सुनाती गई, ".........फिर पापा आये, सबको खूब सुनाया । घर में खूब हायतौबा मची और पापा ने फैसला किया कि हम सब आगरा जाएंगे उनके साथ । आगरा जाने के नाम पर मैं बहुत खुश हुई । नाच नाच कर पूरे गाँव को बताया कि मैं शहर जा रही हूँ रहने । गाँव से हम कुछ भी नहीं लाये थे । हम चार लोगों का सामान कुल मिलाकर 2 बैग था । शहर आने का शुरुआती एक्सपीरियंस तो अच्छा नहीं था । टीन पड़ा वो एक कमरा, जिसमें हम चार लोग बिना खाट ज़मीन पर सोते । माँ खुद दरी पर सोती और हमें और पापा को गद्दों पर सुलाती । घर में 2 प्लेट 2 कटोरी थीं, एक में हम बहनें खातीं और दूसरे में मम्मी पापा । पर धीरे धीरे गृहस्ती बनती गयी । माँ ने कम से कम में भी ज्यादा से ज्यादा कर के दिया पापा को । आज माँ जो भी है वो पापा की वजह से और पापा माँ की वजह से ।" इतना बोल सोनम चुप हो गई थी । जैसे मन कहीं किसी और दुनिया में खो गया हो ।

"आई एम सॉरी फॉर एवरी थिंग रॉंग आई डिड, सोनम ।" वरुण सोनम की तरफ बिना देखे बोला । फिर एक गहरा सन्नाटा सा छा गया । बहुत देर तक चुप्पी नहीं टूटी तो सोनम बोल पड़ी,"थाली अकेले नहीं खटकती वरुण । आई एम सॉरी टू ।"

"चलो एक चीज़ तो कन्फर्म हो गई कि तुमको भी इंग्लिश आती है ।" वरुण मुस्कुराते हुए बोला और दोनों हंस पड़े ।

तभी मनीष बाहर निकला और चिल्ला कर बोला,"अबे मैं बाप बन गया । लड़की हुई है ।" हंसी की फुहार और खुशियों की बारिश में कब वरुण और सोनम गले लग गए पता ही नहीं चला ।

मन में मैल तो नहीं था पर जो काई की परत जमी थी वो इस बरखा में धुल सी गई । सुबह होने लगी थी । सोनम बड़े चैन से वरुण के कंधे पर सर रखे सो रही थी । वरुण ने हलके से एक झटका दिया," मैडम उठ जाओ , सुबह हो गई है । चलो तुमको घर छोड़ दूँ ।"

"नहीं तुम यहीं रुको, मैं पापा की कार ले आई थी । चली जाउंगी ।" सोनम वरुण की उंगलियों से खेलती हुई बोली और अंगड़ाई लेकर उठ खड़ी हुई ।

एक धीमी सी बाय हुई और सोनम घर की तरफ चल दी । पूरे रास्ते उसकी मुस्कुराहट कम होने का नाम नहीं ले रही थी । वो बस जल्द से जल्द अपने खुद के घर वापस जाने के ख्वाब संजोने लगी थी ।

जैसे ही घर पहुंची, माँ ने दरवाज़ा खोला और बस एक मुस्कान ने पूरी कहानी कह दी । सोनम बहुत खुश थी आज, कभी मुस्कुराती, कभी इतराती और कभी बॉबी को उठा कर नाच पड़ती ।

शाम हो गई, वरुण का कोई मेसेज तक नहीं आया । "शायद बिजी होगा " सोचकर सोनम अपना ध्यान हटाने में लग गई ।

रात भर सोनम कल के बारे में प्लान बनाती रही और सो गई, सुबह उठकर सबसे पहले मोबाइल उठाया पर कोई नोटिफ़िकेशन नहीं था । आज भी दिन के घंटे बीतते जा रहे थे पर वरुण का कुछ अता पता नहीं था । थक कर सोनम ने खुद काल लगाया तो उठा ही नहीं । घड़ी से ज्यादा बेचैनी सोनम के दिल में थी । शाम को फिर कॉल लगाया तो कॉल वेटिंग में गया पर फिर भी पलट कर वरुण का फ़ोन नहीं आया ।

चिन्ता की लकीरें बढ़ने लगीं और 3 दिन में सिमट भी गईं । वरुण ने कोई कांटेक्ट नहीं किया था । हॉस्पिटल की मुलाकात को एक हसीं ख्वाब मान कर सोनम ने भुला दिया और फिर अपने लक्ष्य में लग गई , नौकरी की तलाश ।

अपनी फाइल लेकर सोनम घर से निकली ही थी कि एक टेक्स्ट मेसेज उसके फ़ोन पर आया," देयर इस अ बिग अपोर्च्युनिटी फॉर यू , प्लीज़ कम ऑन फॉलोइंग एड्रेस असैप ।" और मेसेज के नीचे एक एड्रेस लिखा था ।

सोनम उस जगह के लिए निकल ली," कौन सी कंपनी होगी ? मेरा नंबर कहाँ से मिला ? क्या जॉब होगी ।" जैसी बहुत सी बातें सोनम के मन में दस्तक दे रहीं थीं । आधे घंटे में एक बड़े से मॉल की तीसरी मंज़िल पर उस ऑफिस के सामने वो मौजूद् थी ।

गेट पर एक बोर्ड था जिस पर बोल्ड में लिखा था "लव कन्सल्टैन्ट सोनम" और वही मोबाइल नंबर जिस से मेसेज आया था । सोनम ने कांपते हाथों से दरवाज़े को धकेला तो एक पल के लिए तो बस खड़ी ही रह गई । भीतर वरुण बैठा था और सोनम की तरफ देख कर मुस्कुरा रहा था ।

सोनम की आँखों से झर झर आंसू फूट पड़े और वो सीधे जाकर वरुण के गले लग गई ।

"जो लड़की प्यार के आँगन में पली हो, मोहब्बत को जिसने इतने करीब से देखा हो और जो खुद भी प्यार का मतलब समझती हो उसके लिए इससे बेहतर काम कोई और नहीं हो सकता ।" वरुण ने सोनम के कान में इतना ही कहा और मेज़ के उस तरफ पड़ी रिवॉल्विंग चेयर पर उसे बैठा दिया ।"थिस इज़ योर ओन ऑफिस सोनम एंड सॉरी तुम्हारा कॉल इसलिये नहीं उठाया क्योंकि तुमको सरप्राइज देना था । आई लव यू माय वाइफ ।"

सोनम अभी भी बस रो ही रही थी पर ये ख़ुशी के आंसू थे ....

समाप्त