काव्या के लाईफ में अचानक एक टर्निंग पोइंट आया उसके साथ एमबीबीएस की पढ़ाई करता राहुल उसे बेहद पसंद करने लगा था । जिससे काव्या साफ अनजान थीं ।
लेकिन आवारा लफगा राहुल उसके पीछे मधुबन का भंवरा बनकर रोज इर्द-गिर्द घुमता रहता था ।
खामखा कोई इश्क़ मिजाजी आशिक बनकर मंजिल तलाशने चला हो , वैसा खास मालूम पडने लगा था ।
राहुल अब कोलेज के टाईम में भी काव्या को किसी भी तरह इम्प्रेश करने के लियें रोज नई-नई तरकीबें आजमाने लगा था । वो सोचता की काश... काव्या मुझ पर फिदा हो जाये, ओर मेरा प्यार सहज स्विकार ले.. जैसे काव्या इस बात से भलीभाँति अनजान थी ।
अब वक़्त के साथ राहुल का इस तरह पीछा काव्या का करना सबको कोलेज में मालुमात हो गया था । जिससे काव्या साफतौर पर नाराज थीं ।
एकबार हद हो गई, राहुल का सब्र का बांध टूट चुका ?
उसने काव्या के आगे जाकर प्रपोज कर दिया
" जबर्दस्ती पिंक राॅज हाथों में थमाकर दिल से कहता है
" काव्या आई लव यू " आई मिसी यू ऐवरिडे ...!
मैं सिर्फ तुम्हें बेइंतहा चाहता हूँ ..
आज पुरी कायनात हम दोनों को मिलाने कबसे बेताब है । क्या तुम्हें मालूम है ?
ये सब बाते सुनकर काव्य गुस्से में बोली " आई हेट यू .. "आई हेट यू .. मैं सिर्फ़ तुम्हें नफरत करतीं हूँ ! और मेरे दिल में तुम्हारे लियें कोई फिलिंग नही हैं । इसलिए तुम खामखा मेरा पीछा करने छोड़ दो ! वर्ना मैं तुम्हारी शिकायत प्रिन्सिपल सर से कर दूंगी !
राहुल ने थोडा मुस्कुराते हुये कहां " बेशक हक़ है तुम्हें जरूर जाना मेरे बिमार दिल की कम्प्लेन लेकर, शायद इस बेदर्दी रोगी का कोई क्लू मिल जायें । ट्रीटमेंट के वास्ते
लेकिन ऐ पागल और जिद्दी दिल सदा तुम्हारे लियें ही आखरी साँस तक धड़कता रहेगा ।
राहुल के वन साईड लव ने ( एक तरफा प्यार ) काव्या को पुरी तरह हिला कर रख दिया था । वो जरा भी अपनी स्टडी में माइंड फोकस नही कर पाती । बल्कि उसके भीतर में तरह-तरह के नेगेटिव, पोजिटिव विचारों ने आक्रमण कर दिया हो ऐसा आभास होने लगा । मानो वो कोई गहरी खाई में गिर गई हो ओर निकलने लियें छटपटाती हो ऐसे ख्यालात दिमाग पर बारबार हावी होने लगे । जैसे कोई बिन बुलाये मेहमान की तरह द्वार खटखटाता हो ऐसा अब लगने लगा था ।
दुसरी तरफ राहुलने काव्या के मोबाईल पर मिस कोल्स, मेसेज, ईमेल की बौछार कर दि थी । तद उपरांत भी वो रुका नही काडॅस, गिफ्ट जैसे वेपन से काव्या का दिल पिघलाने का जरिया राहुलने ढूँढ लिया था ।
ऐसी राहुल की ऊंट-पटाग हरकतें देखकर काव्या का आपा बर्दाश्त के बहार हो गया । उसने प्रिन्सिपल सर से राहुल की कम्प्लेन कर दि ! वहाँ से राहुल को कई बार कोलेज से बेदख कर देने की वाॅरनिग भी मिलती रहीं । फिर भी वो अपनी इश्कबाज हरकतों से जरा भी बाज नही आया । एकबार पोलिस थाने की हवा भी खा आया फिर उसमें जरा भी परिवर्तन नही आया बल्कि उल्टा ये हुआ की आवारगी का नशा ओर गहरा बनता गया ।
इन सभी मुशिबतों से हारकर काव्यने कोलेज बदल दिया, वो दूर दराज शहर में अपनी रियल लाईफ को छूपाकर नये जिंदगी को कामयाबी का पंख देने संघर्ष करने लगीं..!
इस बात से अनजान राहुल को जब पता चला तभी उसने काव्या को तलाशने के लियें जमीन, आसमाँ एक कर दिया । फिर भी काव्या कोई ठिकाना नही मिला , उसने काव्या के नजदीकी दोस्तो से पूछा तो उन्हें भी काव्या का अचानक लापता हो जाना का कुछ भी मालुमात नही था ।
इन सभी बातों से राहुल को गहरा सदमा सीधा दिल पे लगा
जिस की वजह से वो डिप्रेशन का शिकार बन गया और शराब, ड्रग्स का आदि बन गया । बस अपनी ईमेजिक वल्डॅ में ड्रिम देखता रहता या खुद को कमरे में बंध कर लेता कई घंटों तक.. जिसे घर के सदस्य भी हैरान हो गये थे ।
एक दिन ज्यादा ड्रग्स लेने के बाद वो काव्या की वफ़ा में खो गया था । तभी राहुलने आवेश में आकर पंखे से लटककर स्यूसाइड कर लिया ।
बाद में पुलिश की शानबिन में अहम सबूत पर एक डायरी मिली थी । जिस में राहुल और काव्या की " वन साईड लव स्टोरी " का पक्के तौर पर संपूर्ण किस्से आरंभ से अंत तक साफ लफ्जों में दर्ज थे । फिर क्या था केस स्यूसाइड डिकलेर करके बंध कर दिया ।।
सत्य- जिंदगी में क्षणिक आवेग प्यार नही बल्कि सहज आकर्षण हैं । जो कुछ पल और सेकन्ड तक रहता हैं । जबकि रियल लव होता हैं तो वो कहकर नही होता वो तो बस हो जाता हैं क्योंकि दोनों तरफ समर्पण और आत्मीयता का भाव प्रगट होता हैं । इसमें परवाह, फिक्र बेहद बढ़ जाती है । जिसमें रिश्ता या बंधन जिस्मों से नही बल्कि रुह से जुड़ जाता हैं ।।
- शेखर खराडीं ईडरिया