समिरा B M द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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समिरा

समीराने उठकर अपना मोबाईल चेक कीया। कोई नया मेसेज या फोन कॉल नही था। मोबाईल चार्ज पर रख कर वो नित्य काम करने लगी। ब्रेक फास्ट करते हुए उसने समाचार पत्र देखना सुरू कीया। पागल खाने मे से एक दरदी भाग गया। उसने हेडलाईन पढी और नास्ता करने मे व्यस्त हो गई।

वो तैयार होकर अपने काम पे जाने को तैयार हो गई। वो एक N.G.O. मे काम कर रही थी। वो मुंबई मे अकेली अपने परिवार से दूर बसी हुई थी। उसकी कुछ सखीया थी जो अब मुंबई मे उसका परिवार था।

समीरा काफी सरल और शांत स्वभाव की थी। वो अपनी दुनिया मे ही व्यस्त थी। वो सोश्यल मिडीया पर भी ज्यादा एक्टिव नही थी।

शाम को जब सारी सहेली अपने ओफिस का काम खत्म करके एक पार्टीं मे आई, समीरा भी वहाँ पर आइ थी। समीरा अक्सर ऐसी पार्टींयो मे शामिल नही होती थी पर सभी के जोर देने पर वह मान गई थी।

पार्टीं मे काफी लोग जमा हुए थे। पार्टीं समीरा की एक दोस्तने दी थी। समिराने बार स्टेंड पर जाकर कोक मंगवाया। उसकी सारी सहेलिया पार्टीं मे डांस करने मे मशगुल थी,

समीरा एक तरफ बेठकर पार्टीं देखने लगी. तभी वहाँ एक लडका उसके पास आया। हाय..

क्यां मे यहाँ बैठ सकता हुं। लडके ने पुछा?

समीरा ने हाँ मे सीर हिलाया।

हाय.. मेरा नाम प्रणय |

मेरा नाम समीरा |

आप पार्टीं की मजा नही ले रही हो। यहाँ अकेली बैठी हो। प्रणय ने पूछा।

नही मैं ठीक हूँ| समीरा ने शोर्ट मे निपटाया।

आपको डान्स पसंद है। मेरे साथ एक डान्स करोगी? प्रणय ने पूछा।

नही मुझे डान्स नही आता। समीरा ने कहाँ|

यहाँ कीसी को डान्स नही आता| पर कोइ बात नहीं मैं आपको सीखा शकता हूँ| समीरा ने मना कीया। पर प्रणय उसका हाथ खींचकर उसे डान्स फ्लॉर पर ले गया। उसने समीरा को अपनी ओर खींचा समीरा के दोनो हाथ अपने गले मे डालकर प्रणय ने अपना एक हाथ समीरा के कमर पर रखा और दुसरा हाथ कमर के थोडी उपर रखकर उसने समीरा को अपनी ओर खींचा|समीरा के लिये ये उसका पहला अनुभव था की कीसी लडके ने उसके कमर से उसे पकडा हुआ था| वो थोडी अंदर से हचमचा गई थी और दोनो तरफ से अपना पूरा शरीर मानो सिकोडने लगी। थोडी देर बाद प्रणय ने समीरा पर रखे हाथो को उपर की तरफ उठा ते हुए उसके गरदन की और बढा उसने गरदन पकडी और अपने दोनो होठ समीरा के होठ पे रख दीए समीरा को क्या करू, क्या न करू कुछ पत्ता नही लग रहा था| वो बस सहमी सी खडी थी।कुछ क्षणो के बाद उसने प्रणय को धक्का देकर वहाँ से चलने लगी, और गुस्से मे जाकर सोफे पर बैठ गई।प्रणय भी उसके पीछे गया।

तुम्हारी हिंमत कैसे हुई मुझे कीस करने की। गुस्से मे समीरा ने कहाँ।

क्युँ मैने कुछ गलत कीया। मुझे तुम्हे देखते ही कीस करने का मन हुआ तो मेने कर दी कीस प्रणय ने कहा |

तो तुम्हारे दील मे जो आएगा वो करोगे। दुसरो की भावना की कोई कदर नहीं है। समीरा ने कहाँ।

देखो मैने कुछ गलत नही किया है। गुन्हा तो तब होता जब मै अपने जसबात को अंदर ही दबाकर रखता और वो फिर मुझे कोसते रहेते की क्युँ मैने उस दीन कुछ नही किया। और अपने जसबात जाहीर करना कोई गुन्हा तो नही है! इतना कह कर वो वहाँ से चला गया। समीरा को समझ नही आ रहा था की वो कौन था।

दो दिन बाद वह अपनी ओफिस से बहार निकल के चलने लगी। थोडी आगे बढकर उसने अपने साथ किसी को कदम ताल मिलाते हुए पाया। उसने बाजु की और देखा वो प्रणय था। वो नीचे सर रख कर चलने लगी।

हेल्लो, कैसी हो तुम? प्रणय ने पुछा।

समीरा ने कोई जवाब नही दीया। प्रणय भी कदम ताल मिला कर चलने लगा।

आगे एक रेस्टॉरा थी। प्रणय ने चलते चलते समीरा का हाथ पकडा और रेस्टॉरा के अंदर ले जाकर एक टेबल पर समीरा को बिठाया।

तुम्हारी हिंमत कैसे हुई मेरा हाथ पकड ने की! समीरा ने कहाँ और टेबल पर से उठ गई। तुम मुझसे बात नही कर रही थी, ना ध्यान दे रही थी तो मैने सोचा तुम रेस्टॉरा में बैठ कर बातचीत करना पसंद करोगी। प्रणय ने कहा, देखो बैठ जाओ बातचीत ना सही कुछ चाय कोफी पी लो।

उसने दो कोफी ओर्डर की। समीरा गुस्से मे बैठ गई।

देखो तुम गुस्से में हो पर जब से तुम्हे पार्टीं मे देखा, तबसे तुम्हे फिर से देख ने की तमन्ना हो रही थी। इसलिये मै बिना बताए आ गया। कुछ तो बात है जो मुझे तुम्हारी तरफ खींच रही है।

वेटर कोफी लेकर आया। कोफी टेबल पर रखी और चला गया।

समीरा बिना कही देखे कोफी का कप उठाकर कोफी पी ने लगी। प्रणय ने कोफी नहीं पी। समीरा की कोफी जब खत्म हो गइ तो प्रणय ने पैसे दीये और वहाँसे दोनो निकल गए। समीरा ने देखा प्रणय ने कोफी नही पी थी।

दोनों बाहर निकले, दोनों कुछ नहीं बोल रहे थे। बस चल रहे थे। समीरा ने देखा प्रणय की नाक पे गुस्सा बैठा हुआ था। और वह बस चले जा रहा था। वो वहाँ से चला गया, कुछ भी कहे बिना।

कुछ दिन ऐसे ही बित गए। समीरा अपनी जिंदगी में व्यस्त हो गइ थी तभी एक दिन सुबह जब वो अपने घरसे काम को जाने निकली तभी रस्ते मे समिरा ने देखा प्रणय खडा हुआ था। और उसे देखते ही वो उसके पास आया उसका हाथ पकडा और जेब से अंगुठी निकाली और समिरा की उंगली मे डाल दी।

मैं तुमसे बहोत प्यार करता हूँ, मैं तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकता हुँ| जब से तुम्हे देखा है तब से पहेली नजर का प्यार हो गया है। मैने तुम्हसे दुर रहने की बहोत कोशिश की मगर बार बार तुम्हारा ख्याल सताता रहा। मेरा कीसी भी काम मे मन नही लगता। प्रणयने यह कहते हुए समिरा को पकडा और उसके होठो को चुमने लगा। समिरा को यह सब क्या हो रहा है, क्युँ वो प्रणय को ये सब करने से रोक नही रही है। क्युँ वो प्रणय को वहाँ से धक्का मार के चली नही जाती। क्युँ वो प्रणय की तरफ खींची जा रही थी। वो ये सब समझ नही पा रही थी।

प्रणय उसकी ओर देखे जा रहा था। प्रणय ने उसको अपनी बांहो मे भर लिया था। समिरा को लगा की उसका उसके शरीर पर कोई वर्चस्व ही नही रहा है। वो कठ पुतली की तरह बेजान हो चुकी है।

उस बात को अब एक सप्ताह बित गया था। अब वो रोजाना प्रणय से मिलने लगी थी। प्रणय ने उसके सामने उसके साथ रहने का प्रस्ताव भी रखा था।समिरा ने थोडी देर तक वो बात को हवा मे उडा दिया था। एक महीने बाद प्रणय के ज्यादा जोर देने पर प्रणय के खरीदे हुए घरमे दोनो रहने लगे। मकान दो मंजिला था, दोनो उपर की और रहेते थे। समिरा अब काफी वक्त प्रणय के साथ ही गुजारती थी। समिरा अब अपने दोस्तो से भी कम ही मिलती थी। वो ज्यादातर प्रणय के साथ घर मे ही रहेती थी।

उनके घर के आसपास का विस्तार बडा शांतनुमा था। यहाँ अभी कुछ ही लोग रहेते थे. इसके कारण यहाँ काफी शांती सा माहोल था।

प्रणय अक्सर रात को किसी खोफ से डर जाता था। और निंद से उठ खडा होता था। वो कुछ दवाए भी खाता था ये समिराने कइ बार देखाथा। समिरा के पुछने पर प्रणय ने बताया थी की वे नोर्मल सी विटामिन की गोलिया है और कुछ नही। प्रणय काफी मुडी स्वभाव का था। ये भी समिरा ने जाना। वो ज्यादात्तर समय घर मे ही गुजारता था। और कम ही बहार जाता था। वो जब समिरा के साथ बहार निकलता था तो ज्यादात्तर वो डरा सहमा ही रहता था।

समिरा अब इन सब बातो पे ध्यान देने लगी थी। समिरा ने अपने ओफिस के कोम्प्युटर मे उन दवाईयो की भी जानकारी निकाली जो प्रणय अक्सर लेता था।

समिरा ने अपने शहर से दुर एक अस्पताल मे भी कुछ जानकारी इकठ्ठा की। वो अब घर मे अकेली रहेती तब उसने अब पुरे घर कि तलाशी भी लेनी शुरु कर दी थी। उसने एक दीन प्रणय का पीछा किया। उसने देखा प्रणय एक सुमसान जगह पर जा रहा था। वहाँ एक घर था। समिरा ने आसपास देखा तो पुरा इलाका सुमसान था। आसपास कुछ ना था। प्रणय घरमे अंदर गया। समिरा भी उसके पीछे पीछे जा पहोंची। पर घर का दरवाजा बंद था। उसने दुसरा दरवाजा ढुंढने की कोशिश की पीछे का एक दरवाजा खुला था। वो घर के अंदर गइ। अंदर का माहोल बहुत ही भयानक था। चारो तरफ हलकी रोशनी जगमगा रही थी। समिरा थोडी आगे बढी, घर के अंदर काफी ज्यादा सन्नाटा था। वो कुछ ढुंढते ढुंढते आगे बढी उसने प्रणय की तलाश करनी शुरू की। वहाँ आगे दो कमरे थे और एक किचन था। वह किचन मे गइ वहाँ कोइ न था। उसने उपर की तरफ के रूम मे तलाशी ली। वहाँ पर रूम के अंदर एक लडकी की लाश थी जो बंधी हुई थी। ये देखते ही वह डर गई। और वहाँ से भागने लगी। वही ही प्रणय ने उस को पीछे से मारा। समिरा वहीं बेहोश हो गइ।

शाम को जब समिरा बेहोशी की हालत से बहार आई तो उसने खुद को अपने बेडरूम मे पाया। उसने अपने आसपास नजर फेरी कोई नही था वहाँ। उसने बिस्तर से खडे होकर बाहर देखा। नीचे सोफे पर प्रणय बैठा था। उसने पहेले अपने बेडरूम का दरवाजा बंद कीया। दरवाजा बंद होने की आवाज प्रणय के कानों पर पडी। वो उपर की और बढा। प्रणय ने कइं बार दरवाजा खट खटाया पर वो बाहर नहीं आई| वो फिर दरवाजा जोर जोर से पीटने लगा। तुम दरवाजा खोलो। मुझे बात करनी है। प्रणय ने कहा।

मुझे तुमसे कोई बात नही करनी है। तुम चले जाव यहाँ से, समिरा ने डरते हुए कहा। तुम खुनी हो। तुम पागलखाने से भागे हुए मुझरीम हो, तुम्ह चले जाव। समिरा ने कहा।

देखो दरवाजा खोलो मे तुमसे प्यार करता हुँ। मुझे तुमसे बात करनी है। मैने कुछ नही किया है। मे पागल नही हुँ| मुझे एक मौका तो दो समझाने का। दरवाजा खोलो। पर समिराने दरवाजा नही खोला। प्रणय गुस्से मे निचे गया। और किचन मे से हथोडी लेकर दरवाजा तोडने लगा। तभी अंदर समिरा अपना बेग तलाश ने लगी। उसे बेग मिल गया। उसने पोलिस को कॉल किया। पुलिस को सारी जानकारी दी।

प्रणय ने दरवाजा तोड दीया। दरवाजा तुटते ही वो अंदर गया। समिराने उसके सिर पर पानी का जग फोड दीया। पर प्रणय ने उसे पीछे से पकड लिया। समिरा ने अपने आपको छुडाने की कोशिश की पर वो नाकामयाब रही। प्रणय ने उसे शांत करने की कोशिश की। प्रणय के सिर से रक्त बह रहा था। प्रणय ने समिरा को जकडते हुए पलंग पर बिठाया। देखो मैने कुछ गलत नही किया है। मुझे जबरदस्ती पागलखाने मे भेज दीया गया था। मेरे भाई और मेरी गर्लफ्रेंड ने मिलके मुझे पागल बनाने की कोशिश की थी। उसने ये सब पैसे की लालच में कीया था। मुझे पागलखानेमे पागल बनाने का पुरा ईंतजाम कर दीया गया था। पर मेरा नसीब अच्छा था की मे वहाँ से भागने मे कामयाब रहा। पर मैने मेरा बदला ले लिया है। कई हफ्ते पागलखाने में रहेने और शॉक के कारण मुझे साईड इफेक्ट हुआ था। जिस के कारण मुझे कइ दवाईया लेनी पडती है। पर मे पागल नहीं हुं। ना ही खुनी हुँ|

अब हम दोनो यहाँ से कहीं दूर चले जाएंगे। फिर सब ठीक हो जाएगा। तुम और मे हंमेशा खुश रहेंगे। समिरा चुपचाप प्रणय की बात सुनती रही। प्रणय ने उसे अपनी बांहो मे भर लिया। और उसको चूमने लगा।

तभी वहाँ पुलिस आ पहूंची। उसने प्रणय को अपने हाथ पीछे रखके खडे रहने कहा। प्रणय पुलिस को देखते ही गुस्से मे आ गया। उसने समिरा की और देखा। और नीचे पडे हुए काच का टुकडा उठाया और समिरा के गले पर रख दीया।पोलिस ने अपनी रिवोलवर प्रणय के सामने धर दी। प्रणय ने हथ्यार नीचे रखने की पुलिस से गुहार की। समिरा ने उसको पुलिस के हवाले हो जाने को समझाया। पर वह न माना। प्रणय ने समिरा से कहा, तुम्ह चिंता न करो मे तुम्हे यहाँ से बाहर निकाल लुंगा। तुम्ह अभी बस मेरा साथ दो।

तभी एक पुलिस ने अपनी रिवोलवर से निशाना तांकते हुए प्रणय पे गोली चला दी। गोली लगते ही उसकी पकड ढीली पड गई। समिराने गोली की आवाज सुनते ही प्रणय की तरफ देखा। प्रणय नीचे गीर गया। समिरा उस के पास ही बैठे उसे देखते रही, उसने पुलिस को एमब्युलंस बुलाने को कहा। पुलिस ने तुरंत अस्पताल में कोल कीया।

प्रणय ने कहाँ, समिरा में तुम्हे बहुत चाहता हुं। मैं पागल नही हुं। मेरे पास रहो। मुझे अपनी बांहो मे भरलो, मे तुम्हारी बांहो मे आखरी सांस लेना चाहता हुं। मेरे पास रहो। समिरा ने उसको अपनी बांहो मे भरते हुए कहाँ, मे तुम्हारे पास ही हुं, तुम्हे कुछ नही होगा, डॉक्टर अभी आते ही होंगे।तभी प्रणय की हिलचाल बंद हो गई। समिरा ने उसे हीलाया, उसके होठो को चुमा पर कोई प्रतिक्रिया नही आई। समिरा प्रणय की लाश के सामने बेजान लाश की तरह उसे देखती रह गई.