आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस विश्व महाशक्ति – किसका नेतृत्व, कौन दावेदार Utpal Chakraborty द्वारा पत्रिका में हिंदी पीडीएफ

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आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस विश्व महाशक्ति – किसका नेतृत्व, कौन दावेदार

लेखक - उत्पल चक्रबोर्ती

हिंदी सह-लेखक - रोहित शर्मा

आज सम्पूर्ण विश्व में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (ए.आई.) का डंका जोरों शोरों से बज रहा है, कंप्यूटर साइंस की इस विधा को विश्व के बेहतरीन भविष्य के लिए गेम चेंजर के रूप में देखा जा रहा है। विभिन्न देशों में विविध सामाजिक / प्रशासनिक / औद्योगिक / वैज्ञानिक प्रक्रियाओं में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का भरपूर उपयोग अभिनव तरीकों से किया जा रहा है। इस पृष्ठभूमि में यह जानना अत्यंत रोचक और ज्ञानप्रद होगा कि विश्व के विभिन्न देशों में से कौन से देश इस सकारात्मक प्रतिस्पर्धा के अग्रणी दावेदार हैं और कौन सा देश इसमें सबसे आगे है।

इस सन्दर्भ में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन कहते हैं – “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भविष्य है और जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में नेता बनेगा वही दुनिया का शासक बनेगा”। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के अनुसार – “चीन 2030 तक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में विश्व का नेता बनना चाहता है”। अमेरिकी व्हाइट हाउस प्रशासन पहले ही घोषणा कर चुका है – “अमेरिका आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में वैश्विक नेता रहा है, और ट्रम्प प्रशासन यह सुनिश्चित करेगा कि हमारा महान राष्ट्र आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में वैश्विक नेता बना रहे”। भारत के नीति आयोग द्वारा प्रकाशित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की राष्ट्रीय रणनीति में “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस–फॉर-ऑल" सबसे महत्वपूर्ण दृष्टिकोण है।

उपरोक्त कथन स्पष्ट रूप से इंगित करते हैं कि ए.आई. के क्षेत्र में वर्चस्व की दौड़ ने पहले से ही गति पकड़ रखी है और ए.आई. ने मुख्यधारा की राजनीति और विश्व के नेताओं को एक शानदार तरीके से प्रभावित करने में कामयाबी हासिल की है।

दूसरी ओर, दुनिया भर में कई विशेषज्ञ पहले से ही यह घोषणा करने की जल्दी में हैं कि कौन सा देश ए.आई. महाशक्ति बनने जा रहा है और कौन पहले से ही दौड़ में आगे है। उनमें से कुछ, प्रयोजनपूर्वक, सिमुलेटेड ए.आई. मृग मरीचिका का निर्माण कर खुद के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस महाशक्ति होने का दावा कर रहे हैं ताकि दुनिया और निवेशकों का ध्यान आकर्षित किया जा सके।

ध्यान दें, यह एक स्वस्थ प्रतियोगिता नहीं होने जा रही है, खासकर जब हमारे पास ऐसे दावेदार हैं जो इस प्रतियोगिता में आगे रहने के लिए कोई भी संभव नैतिक या अनैतिक प्रयास करने से नहीं कतराने वाले हैं। जहाँ कुछ देश पहले से ही इस दौड़ में अग्रणी हैं, वहीँ कुछ अन्य देश मजबूत दावेदार हैं जिनके पास निकट भविष्य में नेता बनने की बहुत संभावनाएं हैं। किसी निष्कर्ष पर पहुँचने से पहले और छिपे हुए एजेंडों को अलग रखते हुए, हमें पहले इस दौड़ में एक दावेदार होने की पूर्वापेक्षाओं पर विचार करना होगा।

इस बहस को आगे बढ़ाने से पहले हमें ए.आई. के वर्चस्व को मापने और उसे प्रभावित करने वाले कारकों को मापने के लिए मापदंडों को परिभाषित करना होगा। क्या यह वर्चस्व इस मापदंड से मापा जा सकता है कि एक देश द्वारा ए.आई. का उपयोग करने से कितने डॉलर उत्पन्न होते हैं, या इस मापदंड से कि ए.आई. का उपयोग कर मानवता की किन मुख्य समस्याओं का हल किया जा सकता है जिससे एक राष्ट्र के नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता को ऊपर उठाया जा सके? साथ साथ ये भी देखना होगा कि ए.आई. के उपयोग की प्राथमिकताएं देश विशिष्ट या क्षेत्र विशिष्ट हैं क्या?

उदाहरणार्थ, भारत जैसे विकासशील देश के लिए ए.आई. के द्वारा यह अनुमान लगाना कि उपयोगकर्ता किस फिल्म या विज्ञापन को पसंद करेगा, उतने मायने नहीं रखता जितने मायने ए.आई. का उपयोग स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सा, कृषि, भोजन, पानी, शिक्षा, शहरीकरण आदि जैसे कुछ मुख्य क्षेत्रों में किया जाना रखता है और इन क्षेत्रों में एआई की सफलता को बहुत अधिक महत्व से मापा जाना चाहिए। आइये, इसे समझने के लिए एक कदम पीछे हटते हैं और पहले उन कारकों पर चर्चा करते हैं जो अनिवार्य रूप से इस दौड़ के दावेदारों को नेता बनाने में भारी मदद कर सकते हैं।

तकनीकी रूप से पाँच ऐसी प्रमुख पूर्वापेक्षाएँ हैं जो एक देश में ए.आई. इकोसिस्टम के विकास के लिए अत्यावश्यक हैं। इन पांच पूर्वापेक्षाओं के अलावा ऐसी अन्य अपेक्षाएं भी हो सकती हैं जो ए.आई. की उन्नति और कार्यान्वयन में योगदान करती हों।

ए.आई. अनुसंधान – ए.आई. एक विकासशील क्षेत्र है, विभिन्न ए.आई. तकनीकें अनुसंधान के साथ परिपक्व और बेहतर हो रही हैं। पिछले कुछ वर्षों में "डीप लर्निंग" के बाद शायद एक और ज़बरदस्त सफलता नहीं मिली हो, लेकिन कई सुधार हुए हैं और कई अलग-अलग क्षेत्रों में डीप लर्निंग और अन्य ए.आई. प्रौद्योगिकियों के द्वारा छोटे और मध्यम इनोवेशन किये गए हैं, और वे सभी अनिवार्य रूप से ए.आई. क्षेत्र में हो रहे निरंतर शोधों के कारण हैं। इसलिए, ए.आई. अनुसंधान को गले लगाने वाला इकोसिस्टम एक देश के ए.आई. क्षेत्र में प्रगति के लिए बहुत आवश्यक है, चाहे ये अनुसंधान ए.आई. कंपनियों के अनुसंधान/विकास कक्षों में किये जाएँ या शिक्षा तंत्र में किये जाएँ या फिर सरकार के सहयोग से किये जाएँ।

उपयोग करने योग्य डेटा – उपयोग करने योग्य डेटा वास्तविक दुनिया की डिजिटाइज्ड भौतिक सेवाओं से आता है, जिसका अर्थ है कि देश में कितनी भौतिक सेवाओं को डिजिटल किया गया है और उन सेवाओं से डेटा एकत्र और संग्रहित किया गया है, जिसे ए.आई. कंपनियों और शोधकर्ताओं के लिए उपलब्ध कराया जाए, ताकि वे उसका उपयोग अपने ए.आई. मॉडल्स को समृद्ध बनाने के लिए कर सकें।

एआई इंजीनियर्स और डेटा वैज्ञानिक मानव संसाधन – पारंपरिक सॉफ्टवेयर इंजीनियरों को ए.आई. में निपुण होने के लिए मशीन लर्निंग, डीप लर्निंग, नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग आदि क्षेत्रों में विशेष कौशल की आवश्यकता होती है। डेटा साइंस बैकग्राउंड से आने वाले ए.आई. शोधकर्ताओं को ए.आई. के विभिन्न क्षेत्रों में शोध करने के लिए उच्च कौशल और पृष्ठभूमि की जरूरत होती है। ऐसे ए.आई. इंजीनियरों और शोधकर्ताओं की पर्याप्त तादाद ए.आई. को देश में आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक होती है। जिस देश के तकनीकी कॉलेज और विश्वविद्यालय जितने अधिक कुशल मानव संसाधन तैयार करेंगें, उस देश के वैश्विक ए.आई. महाशक्ति होने की सम्भावना उतनी ही ज्यादा होगी।

सरकार से समर्थन और नागरिकों में जागरूकता – सरकार से समर्थन और सहयोग, चाहे वो ए.आई. के लिए आधारभूत संरचना का निर्माण करने के लिए हो या ए.आई. को विकसित करने के लिए नीतियां तैयार करना हो या ए.आई. को अपनाने के लिए उद्यमों को प्रोत्साहित करना हो, और नागरिकों में इसके लिए जागरूकता, अत्यावश्यक है। एक देश की सरकार ए.आई. जैसी बढ़ती हुई प्रौद्योगिकी के लोकतंत्रीकरण में प्रमुख भूमिका निभाती है।

वित्त पोषण एवं उद्यम पूंजीपति इकोसिस्टम – उचित वित्त पोषण (पूँजी निवेश) और एक परिपक्व वेंचर कैपिटलिस्ट इकोसिस्टम देश में ए.आई. स्टार्टअप एवं अन्य ए.आई. उपक्रमों को आगे बढ़ाने के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। उचित वित्त पोषण के साथ साथ उनका मार्गदर्शन करना, उनके दृष्टिकोण पर विश्वास करना और उनके विकास का हिस्सा होना बहुत महत्वपूर्ण है, जिसकी उम्मीद केवल एक परिपक्व वेंचर कैपिटलिस्ट इकोसिस्टम से ही की जा सकती है। इस विशिष्ट क्षेत्र में, अन्य सभी ए.आई. अवयवों के होने के बावजूद, भारत जैसे सभी विकासशील देश और उनके युवा उद्यमी और स्टार्टअप संघर्ष कर रहे हैं।

मैं यहां इस दौड़ के अग्रणी देशों और कुछ मजबूत दावेदारों की सूची प्रस्तुत कर रहा हूँ। ध्यान दें, इस सूची में दावेदारों का क्रम और उनके लिए लिखे गए गद्य की लंबाई, दौड़ में उनकी क्षमताओं और स्थिति के लिए कोई महत्व नहीं रखती है।

अमेरिका – निस्संदेह ए.आई. अनुसंधान और बड़े पैमाने पर ए.आई. कार्यान्वयन दोनों मामलों में संयुक्त राज्य अमेरिका इस दौड़ में सबसे आगे है। अमेरिका को दुनिया के सबसे अच्छे ए.आई. शोधकर्ता मिले हैं, अधिकांश तकनीकी और ए.आई. दिग्गज अमेरिका-आधारित हैं। विश्व स्तर पर उपयोग किए जाने वाले ए.आई. उत्पादों में से अधिकांश अमेरिकी उत्पाद हैं। अमेरिका के पास ए.आई. को फलने-फूलने देने के लिए बहुत बड़ा डेटा उपलब्ध है क्योंकि वहां की अधिकांश भौतिक सेवाएं पहले से ही डिजीटल हैं। अमेरिका में सबसे अच्छे विश्वविद्यालय और प्रतिभाएं हैं, सर्वश्रेष्ठ ए.आई. प्रयोगशालाएं और अब तक का सबसे अच्छा वित्त पोषण इकोसिस्टम अमेरिका के पास है। लेकिन कहानी में एक मोड़ है - अन्य प्रौद्योगिकियों के विपरीत, ए.आई. के मामले में कुछ देश अमेरिका से बहुत पीछे नहीं हैं और वास्तव में भविष्य में अमेरिका को पीछे छूट जाने की संभावना है।

कनाडा – ए.आई. शोध में कनाडा बहुत आगे है, कनाडा के पास बेहतरीन ए.आई. शोधकर्ता और विश्वविद्यालय हैं। कनाडा के विश्वविद्यालय हर साल कुछ सर्वश्रेष्ठ ए.आई. शोधकर्ताओं को तैयार करते हैं। इसके अलावा दुनिया भर के प्रतिभाशाली पेशेवर ए.आई. के विभिन्न क्षेत्रों पर शोध करने और अपने विचारों को कार्यान्वयन योग्य समाधानों में बदलने के लिए कनाडा जाते हैं। दुर्भाग्य से कनाडाई प्रतिभाएं बहुत ही अकादमिक और अनुसंधान उन्मुख हैं और वहां वास्तविक उद्यमियों की वास्तविक कमी है जो ए.आई. को कक्षाओं और प्रयोगशालाओं से परे सड़क पर ले जा सकें। शायद यही कारण है कि दुनिया के अधिकांश प्रतिभाशाली ए.आई. पेशेवर होने के बावजूद अभी तक वे सर्वश्रेष्ठ ए.आई. उत्पादों या ए.आई. कंपनियों का निर्माण करने में सक्षम नहीं थे। कनाडा सरकार ने इस तथ्य को महसूस किया है और वर्तमान में वह ए.आई. कार्यान्वयन पर भारी ध्यान केंद्रित कर रही है और यह खोज कर रही है कि इससे राजस्व कैसे उत्पन्न किया जाए। इसके अलावा, हाल ही में अमेरिका में आव्रजन प्रतिबंध लगने से कनाडा और कुछ अन्य ए.आई. दावेदार देशों के लिए दुनिया भर से अधिक से अधिक प्रतिभाओं को आकर्षित करने का रास्ता खुल गया है।

चीन – चीन एक नकलची से रूपांतरित होकर अतुलनीय उद्यमशीलता के अनूठे रूप में उभरा है। यहाँ नकलची शब्द थोड़ा आक्रामक लग सकता है लेकिन मेरा विश्वास है कि लेख के इस विशेष संदर्भ में इस शब्द का बड़ा महत्व है जिसकी चर्चा हम अगले कुछ पैराग्राफ में करने जा रहे हैं। व्यक्तिगत रूप से मैं चीन और चीनी उद्यमियों का बहुत सम्मान करता हूँ, विशेष रूप से इस बात के लिए कि पिछले कुछ दशकों में उन्होंने खुद को कैसे बदल दिया है। यह परिवर्तन अविश्वसनीय है और हम सभी को उनसे सीखने के लिए एक महान सबक है। उन्होंने इस तथ्य को बड़े पैमाने पर प्रदर्शित किया है कि कैसे आप एक नकल के रूप में शुरुआत कर सकते हैं और कड़ी मेहनत और समर्पण के माध्यम से एक आविष्कारक बन सकते हैं। यह सच नहीं है कि एक सफल उद्यमी बनने के लिए आपको हमेशा एक आउट-ऑफ-द-बॉक्स अभिनव कॉन्सेप्ट या एक उत्पाद की आवश्यकता होती है जैसा कि हमारे कई युवा भारतीय उद्यमी कभी-कभी गलत तरीके से सोचते हैं। आप अपनी साधारण अवधारणा को उपयोगकर्ता की जरूरतों, परिचालन उत्कृष्टता और बेहतर उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए भी एक अभिनव उत्पाद में बदल सकते हैं, इस तरह से आपका उत्पाद एक महान उत्पाद के रूप में सामने आ सकता है और आज के कई चीनी सफल उत्पादों के साथ यही हुआ है।

दो दशक पूर्व, चीन ने ऐसी शुरुआत की जिसे हम सीधी नकल कह सकते हैं। चीन ने गूगल, अमेज़न, फेसबुक, व्हाट्सएप और इसी तरह के अन्य उत्पादों के चीनी संस्करणों का निर्माण किया, जो चीनी बाजार और चीनी उपयोगकर्ताओं के लिए उपयुक्त हैं। जल्द ही चीनियों को एहसास हुआ कि अगर वे अपने उपयोगकर्ताओं और ग्राहकों को विश्व स्तर की बेहतरीन सेवाएं, क्षेत्रीय स्वरूप में प्रदान कर पाते हैं तो यह नुस्खा एक सामान्य वैश्विक उत्पाद की तुलना में बहुत बेहतर काम करेगा। यही चीन की अद्वितीय उद्यमशीलता के गुप्त नुस्खे का संभवतः एक तत्व है।

कल्पना कीजिए कि आप एक प्रसिद्ध उत्पाद की नकल करने में सक्षम हैं और आपके पास इसके ऊपर इनोवेशन करने की क्षमता है तो आप हमेशा अपने प्रतिस्पर्धियों पर बढ़त बनाये रख सकते हैं। चीन की उद्यमशीलता, इनोवेशन और मूल्य निर्माण का सूत्र इस तथ्य पर टिका है कि हर क्षेत्र में चीनी उद्यमियों के बीच बहुत कड़ी प्रतिस्पर्धा है और इन प्रतिस्पर्धियों के बीच टिके रहने का एकमात्र तरीका यही है कि आप अपने उत्पाद को उस उच्चतम स्तर पर ले जाएं, जहां यह सबसे बेहतर हो। कई चीनी उद्यमियों ने पहले ही कार्य निष्पादन, उत्पाद की गुणवत्ता, बाजार में उत्पाद लाने की गति और व्यवसाय में निर्णय लेने में डेटा का बेहतर उपयोग करने में अपनी उत्कृष्टता साबित कर दी है। निष्पादन और उत्पाद की गुणवत्ता में उत्कृष्टता के मामले में वे लगातार उत्कृष्ट प्रदर्शन करते रहे हैं और आज एक ऐसे मुकाम पर पहुंच गए हैं जो न केवल चीन के भीतर और बाहर अपने प्रतिद्वंद्वियों से बेहतर है, बल्कि इस भांति से अद्वितीय है कि उनकी नक़ल भी नहीं की जा सकती है।

यही कारण है कि चीनी और पड़ोसी देशों के बाजार इन चीनी उत्पादों को गले लगाते हैं। हम सभी जानते हैं कि किसी भी उद्यमशीलता की यात्रा दूरदृष्टि से शुरू होती है और इसे प्राप्त करने के लिए एक आक्रामक निष्पादन योजना की आवश्यकता होती है। लेकिन हम अक्सर इस तथ्य को भूल जाते हैं कि निष्पादन योजना को निरंतर आधुनिकीकरण और निगरानी की आवश्यकता होती है ताकि स्थिति की मांग और बाजार की गतिशीलता के अनुसार इसे प्रासंगिक बनाए रखा जा सके। चीनी उद्यमी जानते हैं कि ऐसे अत्यधिक प्रतिस्पर्धी माहौल में कैसे जीवित रहा जा सकता है, जहां जीवित रहने का एकमात्र तरीका सिर्फ जीतना नहीं है, बल्कि अन्य सभी प्रतियोगियों को खत्म करना है ताकि वे प्रतिस्पर्धा में वापस न आ सकें।

इसके अलावा, चीन की अर्थव्यवस्था और चीनी बाजार में एक बढ़त यह है, जो भारत के लिए भी सच है, कि इन दोनों देशों में किसी भी नई अवधारणा या नए उत्पाद की कोशिश करने और परीक्षण करने के लिए एक विशाल घरेलू बाजार रुपी परीक्षण-आधार और उपयोगकर्ता-आधार है। इस बाजार की पहुँच इतनी विशाल है कि वह किसी भी उत्पाद या सेवा को अपने भीतर समाहित कर सकता है, इसके लिए आपको कम से कम प्रारंभिक अवस्था में किसी अन्य बाजार के बारे में सोचने की आवश्यकता भी नहीं है।

चीन के ए.आई. में अग्रणी होने का एक और कारण यह है कि वह खुद को कैशलेस, कार्ड-लेस, मोबाइल-ओनली अर्थव्यवस्था में बदल चुका है। इससे चीन को विशाल उपयोग करने योग्य डेटा एकत्र करने में मदद मिली जो ए.आई. कंपनियों और अन्य शोधकर्ताओं को अपने ए.आई. विकास में तेजी लाने के लिए अविश्वसनीय रूप से उपयोगी हो गया।

चीन ए.आई. रिसर्च पर भी अत्यधिक ध्यान केंद्रित कर रहा है। पिछले 3-4 वर्षों में ए.आई. शोधपत्रों और पेटेंटों की सबसे अधिक संख्या चीनी कंपनियों और चीनी शोधकर्ताओं द्वारा भरी गई है। जिन तथ्यों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि चीन ए.आई. महाशक्ति बनने की ओर अपना मार्ग प्रशस्त कर रहा है, वे नीचे दिए गए हैं।

सबसे पहले, चीन के पास बड़ी मात्रा में उपयोग करने योग्य डेटा है जो ए.आई. के लिए प्रमुख आवश्यकता है। चीनी सरकार के साथ चीनी कंपनियां नागरिकों द्वारा उपयोग की जाने वाली अपनी कई सेवाओं को डिजिटल कर चुकी हैं, इसी वजह से चीन के पास वह पूरा डेटा है जो ए.आई. के विकास के लिए आवश्यक है। सही मायने में चीन पहला मोबाइल-फर्स्ट देश है और चीनी बाजार और सरकार ने इन परिवर्तनों को पूरी गंभीरता से अपनाया है। दूसरा कारण है, चीन का शक्तिशाली वेंचर कैपिटलिस्ट इकोसिस्टम। विशाल वेंचर कैपिटल फंड चीनी बाजार में आसानी से उपलब्ध है और निवेशक चीनी कंपनियों और स्टार्टअप्स में धन निवेश के लिए तैयार हैं। तीसरा कारण, मेहनती चीनी उद्यमी हैं जिनके अंदर सफलता के लिए भारी भूख है और जो सच्चे ग्लेडियेटर्स की तरह “करो या मरो” दृष्टिकोण के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं। चौथा कारण है, ए.आई. का लोकतंत्रीकरण करने वाली चीनी सरकार का भारी समर्थन।

चीनी सरकार और अधिकारी इस तथ्य के बारे में पूरी तरह से आश्वस्त है कि ए.आई. ही भविष्य है और इसलिए वे ऐसे बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहे है जो "फ्युचर ए.आई. रेडी" है, उदाहरणार्थ बीजिंग के पास एक नए शहर की योजना बनाई गई है जिसे ऑटोमेटेड वाहनों के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसी प्रकार चीन ऑटोमेटेड वाहनों के लिए राजमार्गों का निर्माण कर रहा है क्योंकि सड़क पर प्रकाश की स्थिति ऑटोमेटेड वाहनों को सबसे अधिक प्रभावित करती है जिसे किसी भी प्रकार की दुर्घटनाओं से बचने के लिए राजमार्गों के साथ सेंसर द्वारा पुष्टि की जा सकती है।

यहाँ चीनी ए.आई. उत्पादों के इस बड़े नुकसान का उल्लेख करना भी महत्वपूर्ण है कि वे चीन से बाहर विस्तार करने में सफल नहीं हुए हैं। इसके अलावा, चीनी उद्यमियों के लिए उनकी भाषा भी एक अवरोधक बन जाती है जब उनके उत्पादों को वैश्वीकरण करने की बात आती है। इसीलिए चीन, चीनी बाजार में बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहा है, लेकिन जब बात विश्व स्तर पर व्यापार के विस्तार की आती है तो चीन कुछ ख़ास नहीं कर पा रहा है, जो कि आज के संदर्भ में बहुत आवश्यक है। इसके अलावा, गुणवत्ता के मोर्चे पर चीनी उत्पादों की प्रतिष्ठा खराब रही है।

यूके, यूरोप, जापान और रूस – हालांकि इन देशों में ए.आई. की सभी क्षमताएं हैं, लेकिन वे अभी तक इस दौड़ में शीर्ष पर आने के लिए इन क्षमताओं का पूरी तरह से लाभ उठाने में सक्षम नहीं हैं। उनके पास बहुत उपयोग करने योग्य डेटा है, लेकिन इस डाटा के ऊपर बहुत सारे प्रतिबंध हैं। इसीलिए ए.आई. कंपनियां इसका पूरा उपयोग नहीं कर पा रही हैं। इसके अलावा, कुछ बेहतरीन ए.आई. शोधकर्ता और ए.आई. पेशेवरों के होने के बावजूद इन देशों के पास ए.आई. क्षेत्र में दृढ़ और मेहनती उद्यमी नहीं हैं। ब्रिटेन और यूरोप में वेंचर कैपिटलिस्ट इकोसिस्टम उतना मजबूत और परिपक्व नहीं है। इसलिए यूरोपियन संघ और उसके सदस्य देशों की सरकारों को दौड़ में आगे रहने के लिए बहुत काम करने की जरूरत है। इसी तरह जापान और रूस में भी काफी संभावनाएं हैं लेकिन उन्हें आक्रामक निष्पादन की आवश्यकता है। निश्चित रूप से ये देश मजबूत दावेदार हैं बशर्ते कि वे उपरोक्त पहलुओं पर काम करें।

भारत – भारत में आईटी पेशेवरों की काफी बड़ी संख्या है जो अत्यधिक कुशल से मध्यम कुशल हैं और पहले से ही विभिन्न शीर्ष स्तर की वैश्विक कंपनियों में काम कर रहे हैं और वैश्विक उत्पादों को विकसित करने या वैश्विक संचालन के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। वे इस तरह के उत्पादों को समझते हैं, उनके पास व्यापार मॉडल की उचित समझ है और उनमें से कई पहले से ही भारत में स्टार्टअप की दुनिया में कूद चुके हैं और अपने स्वयं के उत्पादों का निर्माण कर रहे हैं। इनमें से अधिकांश स्टार्टअप बैंकिंग और वित्त, स्वास्थ्य सेवा, विनिर्माण, खुदरा इत्यादि स्थापित क्षेत्रों से लेकर कृषि, मत्स्य पालन, समुद्री संसाधनों, जल प्रबंधन, वैकल्पिक दवाओं, आयुर्वेद, सुरक्षा और महिला सशक्तिकरण जैसे असामान्य क्षेत्रों में ए.आई. उत्पाद विकसित करने का काम कर रहे हैं।

भारत में ए.आई. क्रांति वृहद स्तर पर शुरू हो चुकी है और दुनिया आने वाले कुछ वर्षों में इसके वास्तविक परिणाम देखेगी।

“ए.आई.-फॉर-ऑल इन इंडिया” के नारे के साथ, नीति आयोग द्वारा दो महीने पूर्व प्रकाशित "आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए राष्ट्रीय रणनीति" एक संपूर्ण योजना और रोडमैप है, जो दर्शाता है कि नीति आयोग और भारत सरकार ने ए.आई. को कितनी गंभीरता से लिया है और इसे हमारे देश और इसके नागरिकों के हर पहलू के साथ एकीकृत करने की कोशिश की है। यह एक विकासशील देश का, अपनी महत्वाकांक्षी यात्रा में मुख्य धारा के रूप में प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने की महत्वाकांक्षा के लिए, एक महत्वपूर्ण कदम है और मेरा मानना है कि किसी भी देश ने इसके बारे में उस विविध तरीके से नहीं सोचा है।

यह रणनीति स्पष्ट रूप से दिखाती है कि कैसे हमारा आयोग और हमारी सरकार भारतीय परिस्थितियों के लिए उन विशिष्ट क्षेत्रों की पहचान करने में सक्षम हुई है जहां ए.आई. एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है और अर्थव्यवस्था और अन्य क्षेत्रों का उत्थान कर सकता है। आयोग ने इस रणनीति को बनाते समय सरकारी, निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों को समान महत्व दिया है; इसलिए आप उस विचार प्रक्रिया, विशेषज्ञता, गंभीरता और मर-मिटने के प्रयासों की गहराई का अंदाजा लगा सकते हैं जिनके द्वारा ए.आई. का भारतीयकरण किया गया है।

भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए ए.आई., 1.3 प्रतिशत की अनुमानित अतिरिक्त वार्षिक विकास दर के माध्यम से बहुत बड़ा अवसर लाने जा रहा है और एक दशक में एक ट्रिलियन अमरीकी डालर अतिरिक्त राशि जोड़ना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बहुत बड़ी सफलता होगी। विशेषज्ञों के अनुसार भारत ए.आई. समाधान विकसित करने के लिए विश्व स्तर के उद्यमों और संस्थानों के लिए सही “प्लेग्राउंड” प्रदान करता है, जिसे बाकी विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्थाओं में आसानी से लागू किया जा सकता है और "सोल्व्ड इन इंडिया" मिशन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एज ए सर्विस (AIaaS) के साथ सही तालमेल में है।

स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल ने ए.आई. का उपयोग कर “कैंसर हीट मैप” पर काम शुरू किया है जिसके द्वारा भारत में कैंसर विकारों को कम किया जा सकता है। “डिजिटल पैथोलॉजी” और “इमेजिंग बायोबैंक” ए.आई. परियोजनाएं, कैंसर रोग की प्रारंभिक चरण में ही सटीक पहचान करने के लिए मदद करेंगीं। भारतीय स्टार्ट-अप “फ़ोरस हेल्थ” ने एक पोर्टेबल यंत्र “3 नेत्र” विकसित किया है, जो आँखों की आम समस्याओं के साथ-साथ मधुमेह संबंधी रेटिनोपैथी जैसी जटिल स्थितियों की भी जांच कर सकता है। ए.आई. का उपयोग कर स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों का समाधान करने के लिए भारत सरकार ने बड़े पैमाने पर कार्य योजनाएं तैयार की हैं जिनमे शामिल हैं, 1.5 लाख स्वास्थ्य और कल्याण केन्द्रों का आमूलचूल परिवर्तन, असंक्रामक रोगों के लिए दीर्घकालिक देखभाल को पूरा करने के लिए जिला अस्पतालों का विकास, “आयुष्मान भारत मिशन” और ई-हेल्थ को बढ़ावा देना; इन सभी क्षेत्रों में सफलता के लिए ए.आई. ने महत्वपूर्ण भूमिका निभानी शुरू कर दी है।

कृषि क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में, लगभग 50 भारतीय ए.आई. प्रौद्योगिकी आधारित स्टार्ट-अप कंपनियों ने 500 मिलियन अमरीकी डालर से अधिक का निवेश जुटाया है। उदाहरणार्थ, भारतीय स्टार्ट-अप कंपनी इंटेलो लैब्स, फसलों की निगरानी करने और खेत की पैदावार की भविष्यवाणी करने के लिए इमेज-रिकग्निशन सॉफ्टवेयर का उपयोग करती है। इसी तरह स्टार्ट-अप कंपनी ऐबोनो, फसल की पैदावार को स्थिर करने वाला समाधान प्रदान करने के लिए कृषि-डेटा विज्ञान और ए.आई. का उपयोग करती है। एक अन्य स्टार्टअप कंपनी त्रिथी रोबोटिक्स, किसानों को वास्तविक समय में फसलों की निगरानी करने और मिट्टी का सटीक विश्लेषण करने के लिए ड्रोन तकनीक का उपयोग करती है।

इसके अलावा विभिन्न ए.आई. आधारित समाधान जैसे फसल स्वास्थ्य निगरानी, किसानों को वास्तविक समय पर उचित कार्रवाई हेतु सलाह प्रदान करना और दूरस्थ और स्थानीय आंकड़ों के साथ इमेज क्लासिफिकेशन यंत्रों का उपयोग आदि, भारतीय कृषि क्षेत्र में कृषि मशीनरी के उपयोग और दक्षता में क्रांतिकारी बदलाव ला रहे हैं। भारत में कई राज्यों में मिट्टी की देखभाल, फसलों की बुवाई, हर्बीसाइड ऑप्टिमाइज़ेशन और सटीक खेती के लिए ए.आई. आधारित ऍप्स का उपयोग शुरू हो चुका है।

शिक्षा क्षेत्र में, केंद्र और राज्य सरकारों के साथ-साथ भारतीय स्टार्टअप कंपनियों ने ए.आई. आधारित अनुकूलित शिक्षण और इंटेलिजेंट/इंटर-एक्टिव शैक्षणिक तरीकों का उपयोग कर ग्रामीण और अन्य शिक्षा प्रणालियों में क्रांति ला दी है। उदाहरणार्थ, आंध्र प्रदेश सरकार ए.आई. का उपयोग कर स्कूल छोड़ने वालों की भविष्यवाणी कर रही है और इसे कम करने के उपाय कर रही है। राज्य सरकारों और अन्य शैक्षिक निकायों द्वारा भाविष्यिक मांग के आधार पर शिक्षकों की युक्तिसंगत तैनाती और ज्ञान और कौशल अंतराल की पहचान और पूर्ति के लिए अनुकूलित व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के विकास के लिए ए.आई. आधारित समाधानों का उपयोग किया जा रहा है।

स्मार्ट सिटीज और स्मार्ट लिविंग के क्षेत्र में भारी मात्रा में निवेश शुरू हुआ है जिसके माध्यम से स्मार्ट पार्क, स्मार्ट होम और सार्वजनिक सुविधाओं का निर्माण, भीड़ प्रबंधन, इंटेलिजेंट सेफ्टी सिस्टम, साइबर हमलों की रोकथाम और ए.आई. संचालित सेवा वितरण (जैसे कि नागरिक डेटा के आधार पर भाविष्यिक सेवा वितरण, भाविष्यिक मांग और रुझान विश्लेषण के आधार पर प्रशासनिक कर्मियों की युक्तिसंगत तैनाती, और चैट-बॉट और स्मार्ट असिस्टेंट्स के माध्यम से एआई आधारित शिकायत निवारण) के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का भरपूर उपयोग शुरू हो चुका है।

परिवहन और यातायात से जुड़े मुद्दों और विशेष रूप से इन क्षेत्रों में रोजमर्रा की चुनौतियाँ के समाधान के लिए भारत सरकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कार्यान्वयन पर बहुत ध्यान दे रही है। ऐसी कुछ चुनौतियाँ हैं, सार्वजनिक परिवहन आधारभूत संरचना का अभाव, भारी भीड़ और सड़क दुर्घटनाएँ, यातायात के कारण होने वाली मौतें आदि। इन चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों की समस्याओं को हल करने के लिए ए.आई. आधारित तकनीकों जैसे असिस्टेड व्हीकल, ग्रीनफील्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर, ऑटोनॉमस ट्रकिंग, इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम, ट्रैवल रूट एंड फ्लो ऑप्टिमाइजेशन और कम्युनिटी बेस्ड पार्किंग का इस्तेमाल किया जाएगा।

लेकिन वो सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र जो भारत को ए.आई. की दौड़ में सबसे आगे ले जाएंगे, वे हैं “नेशनल ए.आई. मार्केटप्लेस” (NAIM) और “डेटा मार्केटप्लेस”। इन दोनों क्षेत्रों पर कुछ प्रारंभिक प्रयास शुरू हो चुके हैं, लेकिन जिस दिन ये दोनों क्षेत्र अच्छी स्थिति में आ जायेंगे, उस दिन कोई भी भारत को ए.आई. महाशक्ति की सूची में शीर्ष पर आने से नहीं रोक पायेगा।

तकनीकी दिग्गजों और प्रमुख तकनीकी संस्थानों के साथ मिलकर और भारत सरकार के सहयोग से भारतीय स्टार्टअप कंपनियों द्वारा ए.आई. क्षेत्र में किए गए नवोन्मेषों को हालाँकि वैश्विक मीडिया ने ज्यादा प्रचारित नहीं किया है, लेकिन मेरा विश्वास कीजिये, भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से कई शानदार चीजें होने लगी हैं और पूरी दुनिया इसके परिणाम आने वाले कुछ वर्षों में देखेगी।

देर से ही सही, भारतीय युवा पीढ़ी की उद्यमी मानसिकता नित नयी ऊंचाइयों को छूने निकल पड़ी है। हमारी नई पीढ़ी की जोखिम उठाने की क्षमता, कुछ नया करने की इच्छा, देश और देशवासियों के लिए कुछ करने का जज्बा और दुनिया को यह दिखाने की मनोदृष्टि कि “भारत में भी यह सब कुछ हो सकता है”, ये सब भारत में तकनीकी क्रांति के उत्प्रेरक बन रहे हैं।

भारत में आई.टी. पेशेवर विशाल संख्या में है, जो बीसवीं सदी के आठवें दशक की तत्कालीन कंप्यूटिंग प्रणालियों से लेकर इक्कीसवीं सदी के दूसरे दशक की नवीनतम प्रणालियों तक की आई.टी. यात्रा के सहचर हैं। उनमें से कई डेटा वैज्ञानिक और ए.आई. इंजीनियर हैं और बचे हुए पेशेवरों का एक बड़ा समूह खुद को डेटा विज्ञान में परिपक्व बनाने में लगा हुआ है। किसी भी अन्य देश की तुलना में भारत में अधिक से अधिक डेटा वैज्ञानिकों का उत्पादन करना बहुत आसान है क्योंकि हमारे इंजीनियर पहले से ही आईटी वातावरण में विकसित हो चुके हैं, इसलिए उन्हें सक्षम डेटा वैज्ञानिकों में बदलना केवल कुछ महीनों की बात है। दूसरी बात यह है कि कोई भी तकनीकी ए.आई. प्रशिक्षण भारत में बहुत सस्ता और आसानी से उपलब्ध है। हमारे पास अपने युवा उद्यमियों और महत्वाकांक्षी ए.आई. पेशेवरों को उचित सलाह देने के लिए कई फोरम हैं। हमारे कई प्रमुख शैक्षणिक संस्थान डेटा विज्ञान और ए.आई. में नवीनतम पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं। इसलिए भारत में ए.आई. के लिए दुनिया के किसी भी अन्य देश की तुलना में बेहतर फलने-फूलने के लिए एक अनुकूल वातावरण है। भारत पहले से ही एक आई.टी. महाशक्ति है और इसमें ए.आई. महाशक्तियों की दौड़ में अव्वल आने की जबरदस्त क्षमता है।