गाँव Rupal Mehta द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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गाँव

 कहीं दिनों पहले की ये बात है।
        एक गाँव था। मनिहारी गाँव में कही घरे थे।
सब  मजे से रहेते थे।वहा सबसेे पीछे एक घर था। वहा  दो लोग रहेते थे।बुजुर्ग बुढ़िया और उनका पति रामलाल रहेता था।
अपने कामों में दोनों उलझे रहते थे। रामलाल और रुखीबा कभी-कभी झगडते थे।
        उसके यहाँ एक बकरी का बच्चा भी था। वो दोनों उसको बहोत प्यार से रखते थे। उसको बहोत चाहतें थे।गाँव के लोग भी ये दो बुजुर्ग जोडी को प्यार करते थे।
        एक दिन शाम ढल गई थी पर रामलाल शहर से वापस नही आया था । रुखीबा को चिंता होने लगी थी ।बुरे बुरे खयाल मन में आ रहे थे। रात हो गई पर फिर भी रामलाल घर नही आया।
         सुबह होने लगी पर कोई खबर नही आई थी।सुबह होते ही गाँव के लोगो को पता चला। पंचायती में फरियाद कराई ।सब लोग कोशिश में लग गये।
           पता नही गाँव का लडका माधव कहीं से खबर लाया की रामलाल चाचाजी शहर से आते समय रास्ते में कही उतरे थे। कोई गाँव के आगे ,,फिर पता नहीं कहा गये वो।  अब चाचाजी को क्या ऐसा काम आ गया होगा की वो बीच रास्ते में उतर गयें??? 
 सभी लोग  अंदर अंदर बाते करने लगे। रुखीबा की तो येे बात सुुुनकर हालत  बिगडने लगी।
      सब लोग तलाश ने लगे थे । रामलाल का कोई अता पता  नही चल रहा था ।
           दिनों निकल गये महिना हो गया था।ईधर रुखीबा और उनका मेमना दुःखी और लाचार मन से दिन गुजार रहे थे। कहीं से कोई समाचार मिल नहीं रहा था।
        पुलिस को भी सामिल किया गया। पुलिस अपने तरीके से काम करने लगी थी।
                आखिर वो घडी भी आ गई  जब रामलाल के गुमशुदा होने की खबर से पर्दा उठ गया।
           पुलिस ने सभी गाँव वालों को इकठा किया। रुखीबा का तो गुस्सा सातवें आसमान पे था।मन की हालत बहुत खराब थी।
          पुलिस ने बताया के रामलाल की हत्या की हे। ओह ये खबर सुनते ही रुखीबा बेहोश हो गये।गाँव वाले भी गुस्से में आ गयें।सब लोग रुखीबा को बेहोशी से बाहर आये ऐसी कोशिश करनें लग गये थे।कोई पानी छिडकने लगे तो कोई जूता सूंघा ने लगे।
        पुलिस भी चूप।जब तक रुखीबा को होश ना आये तब तक वो कुछ बताना नही चाहती थी।
              जैसे तैसे करके रुखीबा को होश आया । सब ने रुखीबा को भरोसा दिया जो भी है उसको हम छोडेंगे नहीं।
   पुलिस ने देखा की रुखीबा अब सुनने के लिए स्वस्थ है, तभी उसने आगे की खबर सुनाई।
     पुलिस ने बताया की हुआ यु की माघव ने जब बताया था की शहर से वापस आते रामलाल चाचाजी कहीं बीच में उतर गयें थे,, वही खबर से हमने छानबीन शूरू की।
           हम लोग शहर गये ।कोनसी बस में बेठे थे ? कौन उसका ड्राइवर था? ये सवाल अलग-अलग लोगों से पूछा।
  तब खबर आया की उस रोज मोहनलाल ड्राइवर था। उसको थोड़ा सख्त होकर पूछा तो वो तूट गया और रोने लगा।
       उसने बताया की उनकी बस में रोज की मुसाफ़िर आते थे ।उसमें दो लोग से जान पहेचान हो गईं थी।उसका नाम था मनु गुंडा और शामु उसका शागिर्द।
          एक रोज मनु और शामु ने बताया के हम कुछ ऐसा काम करे के पेसै ज्यादा मिलें।तुम्हें भी मिलेगा अगर तुम हमारी योजना में साथ दो।
           मोहनलाल सोच में डूब गया की ये कोनसा काम होगा?? हालांकि पैसों की जरूरत उनको सख्त थी।क्युकी उनके भी छोटे छोटे बच्चे थे।
        लेकिन उसने सोचा की जान तो लू क्या रास्ता है ??
अब उसने तैयारी बताई। 
    मनु ने कहा की गाँव के  वो बुजुर्ग है।उसको हम अगवा करके शहर के किसी आदमी को सोंप देंगे।पता नही वो क्या करेंगा पर उसके अच्छे पैसे मिलेंगे।
      मोहनलाल सोच ने लगा ,, फिर पूछा मुझे इसमें कया करना होगा??
 अब मनु ने पुरा बताया की जब रामलाल हर महीने में एकबार शहर जाता है तुझे उनकों कोई बहाने बनाकर पास वाले गाँव में उतारना है।
         अब तक तो ठीक समझ में आ रहा था गाँव के लोगो को। लेकिन ,,,सबकी ऑखो में सवाल था। वो जानना था।
      पुलिस ने बताया की माघव को खबर मिली उसी से सारा भेद का  उकेल मिला।
     जब रामलाल को पास वाले गाँव में उतारा तो वहां से उसको अगवा करके गाँव के खंडेर वाली जगह पे ले गयें वहाँ उनको बेहोश करके शहर भेज दिया।
      वहाँ रामलाल के शरीर में से कुछ निकाल के उनके उपर कोई प्रयोग करना था। जो जिवित ही होना चाहिए ।
     बाद में मनु को डर लगा की कई हम पकड़े गए तो ?? उस सब ने मिलके हत्या कर दी थी।
    सब को पुलिस ने गिरफ्तार करके सजा दिलाई थी।
          पर रुखीबा का जीवन तो वही का वही रहे गया था।