एडवेंचर ऑफ़ करुण नायर - रहस्य भरतपुर का - आत्महत्या या मर्डर Author Pawan Singh द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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एडवेंचर ऑफ़ करुण नायर - रहस्य भरतपुर का - आत्महत्या या मर्डर

एक पुलिस का फोरेन्शिक टीम मेंबर बैडरूम के खुले दरवाजे के पास कुछ इन्वेस्टिगेशन कर रहा था दूसरा मेंबर बड़ा लेंस द्वारा जमीन पर कुछ ढूंढ रहा था उतने में इंस्पेक्टर शिशोदिया औऱ करुण नायर विक्रम ओर सुजान के साथ आ जाता है वह इन्वेस्टिगेशन करने वाला पलटकर देखने के पहले ही उसे कड़े स्वर में इंस्पेक्टर शिशोदिया ने पूछा बॉडी किधर है ??
सर इधर अंदर है ! वह टीम मेंबर अदब के साथ खड़े होते हुए बोला।
जब करुण नायर बैडरूम में घुसा तब रश्मि का शव नीचे लेटाया हुआ था फांसी का फंदा अभी भी पंखे से लटका हुआ था कमरा ज्यो का त्यों प्रतीत होता था । नायर ने चारों तरफ अपनी नजर घुमाई तब उसने एक टीम मेंबर से पूछा
कुछ सबूत या फिंगर प्रिंट प्राप्त हुए ?? 
नही सर ! सिर्फ एक आत्महत्या पत्र प्राप्त हुआ है जिसमे उसने अमर से दूर होने की कारण आत्महत्या करने की बात कबूल की है ।
डिटेक्टीव नायर ने पत्र को बारीकी से देखा तभी पीछे से आवाज आती है ।
अब हम क्या करेंगे हमे अब कैसे पता चलाएगा की उस दिन हत्या से पहले क्या हुआ था ? विक्रम ने पूछा
इंस्पेक्टर शिशौदिया ने विक्रम को सहलाते हुए कहा वह तुम्हारे भाई से बहुत प्यार करती थी इसलिए उसने आत्महत्या कर ली वह तुम्हारे भाई की जुदाई सह नही पाई।
यह आत्महत्या नही है इंस्पेक्टर ! करुण नायर दीवार की तरफ देखते हुए बोला।
तो फिर ये क्या है? इंस्पेक्टर ने अचम्भे से पूछा
मर्डर !
यह आप कैसे कह सकते है कमरे में कोई फिंगर प्रिंट नही मिले है सिवाय रश्मि के और उसका खुद का लिखा हुआ इसलिए आत्महत्या यह एक आत्महत्या ही है सभी तथ्य इसी बात का गवाह है ! शिशौदिया ने कहा।
लेकिन तथ्य बदले भी जा सकते है औऱ मेरा मानना है कि यह सिर्फ मात्र एक छलावा है पुलिस को गुमराह करने के लिए दरअसल यह एक मर्डर है ! करुण नायर लाश को बड़ी गौर से देखते हुए कहता है।
लेकिन आप यह कैसे कह सकते है ।
तुम देख सकते हो कि रस्सी छोटी है इसका अर्थ यह है कि आम तौर पर फांसी रस्सी की लंबाई को दर्शाता है छोटी रस्सी में पीड़ित व्यक्ति की मौत गला घोंटने जाने के कारण हो सकती है जिसमे मस्तिष्क को कम ऑक्सीजन मिलने के कारण होती है । अगर लड़की को कुर्सी पर खड़ा भी किया जाए तब भी पंखे ओर लड़की से लगभग सात से आठ इंच का फैसला रह जायेगा और रस्सी इतनी छोटी है कि पंखे तक अकेली लड़की की बसकी बात नही है इसलिए यह साफ होता है कि पहले इस लड़की का रस्सी से गला घोंटा गया फिर लटकाया गया है लड़की के नाखूनों में किसी तरह का मांस का टुकड़ा है जो एक अहम सबूत यह है कि कोई व्यक्ति के नाखूनों में किसी छोटे मांस का टुकड़ा तभी होता है या तो उसे अपने आप को खुजलाने की आदत हो लेकिन बॉडी पर ऐसा कोई निशान नही है तो हो सकता है कि यह मांस का टुकड़ा हत्यारे का हो । मेने जब कमरे में प्रवेश किया तब कमरे को मैने ध्यान से देखा तभी मेरी नजर एक पिक्चर पर गई जिसमें अमर रश्मि बैड पर बैठे हुए है आमतौर पर लडकिया अपनी सजावट का तरीका कभी नही बदलती इस पिक्चर पर बैड पर तकियों को ओर चादर को व्यवस्थित ढंग से रखा गया है औऱ कातिल ने भी बेहतरीन नकल की लेकिन वह ताकियो को कर्मानुसार नही रख पाया लेकिन ऐसी नकल वही कर सकता है जो जान पहचान का हो जिसका यंहा आना जाना हो और वह रश्मि को अच्छी तरह से जानता हो इसलिए इंस्पेक्टर शिशोदिया पहले आप वह मांस का टुकड़े की पोस्टमार्टम की जांच कराए ओर रश्मि के साथ के जितने भी रिश्तेदार सगा सम्बधी दोस्त पड़ोसी सबका D N A करवाया जाए और उस टुकड़े से जोड़ कर इसको चेक किया जाए हमे खूनी के बारे में पता चल जाएगा ओर शायद वही अमर का भी कातिल हो।
बहुत खूब डिटेक्टिव करुण नायर जितना आपके बारे में सुना था आप उससे ज्यादा चमत्कारी व्यक्तिव वाले है इंस्पेक्टर शिशोदिया ने तारीफ करते हुए कहा।
धन्यवाद यह मेरा काम है ! करुण नायर ने कहा।
लेकिन नायर मुझे एक बात अभी भी नही समझ आई कि वह चिट्ठी जो खुद रश्मि ने लिखा वह क्या है इंस्पेक्टर शिशोदिया ने उत्सकुतापूर्वक पूछा।
में सोच ही रहा था कि आप ये कब पूछोगे । दरअसल यह सच है कि यह रश्मि ने ही लिखा लिखा है लेकिन उसने यह खुद से नही लिखा है।
मतलब क्या है आपका? विक्रम ने पूछा
यह रश्मि से लिखवाया गया है क्योंकि रश्मि बांये हाँथ से लिखती है लेकिन उसने यह पत्र दांये हाँथ से लिखा है यह क्योकि उसके शब्दो का टेढ़ापन यह दर्शाता है जो कि ऐसे हाँथ से लिखने पर ही आता है जिसके हम आदि नही होते इस प्रकार हम यह कह सकते है कि वह इस आत्महत्या पत्र से यह दर्शाना चाहती थी कि उसकी हत्या की जा रही है । डिटेक्टिव नायर ने समझाते हुए कहा।
लेकिन आपको ये कैसे पता चला कि रश्मि बांये हाँथ से लिखती है विक्रम ने तपाक से पूछा
उसी पिक्चर से जिसमे रश्मि ने पेन को बांये हाँथ में पकड़ा हुआ है ! नायर ने कहा।
धन्यवाद डिटेक्टिव नायर अब हम खूनी को जल्द ही पकड़ लेंगे ! इंस्पेक्टर शिशोदिया ने कहा 
मुझे आशा है कि ऐसा ही हो इंस्पेक्टर! करुण ने एक मुस्कराहट के साथ कहा ।
इतना कह कर करुण नायर विक्रम ओर सुजान के साथ बैडरूम से बाहर आ जाते है ओर इंस्पेक्टर टीम मेंबर के साथ गहराई से कमरे का निरीक्षण करने लगता है । करुण कार में बैठकर अपने कमरे पर आ जाता है और विक्रम के साथ सुजान हॉटेल चले जाता है जंहा विक्रम ठहरा हुआ था।

अगले दिन...
विक्रम ओर सुजान एक तरफ बैठे हुए है और करुण सुबह की चाय पी रहा है बरामदे में पीपल का पेड़ है जिस पर कई प्रकार की चिड़िया चहचहा रही है। सुबह के इस मनमोहक दृश्य में शांति फैली हुई है मानो चर्चा शुरू करने के लिए कोई बात खोज रहे हो।
अब हम क्या करे हमारे पास एक ही व्यक्ति था जो यह बता सकता था कि उस रात क्या हुआ ! सुजान ने कहा
नही सुजान हमारे पास एक अन्य व्यक्ति ओर है जो हमे उस रात का कुछ तो वर्णन कर ही सकता है ! करुण ने बड़े ही शालीनता से कहा।
लेकिन कौन ?? सुजान ने पूछा
लीगल ग्राउंड कंपनी का चौकीदार बहादुर ! करुण ने कहा
हां सही कहा ! सुजान ने हामी भरते हुए कहा
फिर तो हमे फ़ौरन वँहा चलना चाहिए ! विक्रम ने एकदम से कहा।
नही आपको आज ही भरतपुर के लिए निकलना पड़ेगा क्योंकि आपकी जान को यंहा खतरा है पहले अमर फिर उसकी प्रेमिका अब वो आपकी जान लेना चहएगा इसलिए आप आज की ही तत्काल ट्रेन पकड़कर भरतपुर के लिए रवाना हो और में सुजान दोनो उस चौकीदार से पूछताछ करेंगे उसके दो दिन बाद हम भी भरतपुर आ जाएंगे । हो न हो कातिल आपके कोई घर का ही है करुण नायर ने समझाते हुए कहा।
ठीक है जैसा आप कहे ! विक्रम ने कहा
इतना कह कर विक्रम वँहा से चला जाता है और करुण अपनी चाय खत्म करके अपने रहस्यमयी कमरे में चला जाता है जिसमे सिर्फ सुजान के ही आने की अनुमति थी और सुजान बैठकर अपनी कुर्सी पर वकालत की किताबें पढ़ने लगता है। चिड़ियों की चहचहाहट अब शांत हो चुकी थी और ठंडी हवाएं बरामदे के पीपल के पेड़ की पत्तियों को हिला कर नीचे गिरा रही थी।

अगले दिन...
लीगल ग्राउंड कंपनी में मशीनों के कार्यात्मक होने की आवाजें  चारो तरफ शोर कर रही थी । मजदूर अपना अपना कार्य करने में व्यस्त थे मशीनों द्वारा खुदाई का कार्य हो रहा था । दूसरी जगह रेत को छानने का कार्य चल रहा था । कंपनी का चौकीदार बहादुर अपने कमरे में बैठा हुआ था वह किसी ख्यालो में खोया हुआ था  वह उस रात की बातों को बार बार याद कर रहा था मानो वह अपने आप से ही मूक भाषा मे  अपने आप से बात कर रहा था तभी डिटेक्टिव करुण नायर और सुजान चटर्जी कंपनी में प्रवेश करते है और चारो तरफ देखने लगते है मानो वह उस चौकीदार को ढूंढ रहे थे।
जी साहब मेरा नाम बहादुर है आपको मुझसे मिलने था ?? बहादुर ने कहा
हां बहादुर मुझे कुछ जानना था उस रात को क्या हुआ था और मुझे आशा है कि मुझे तुमसे पुलिस को बताई गई जानकारी से ज्यादा प्राप्त होगी खैर माफी चाहता हु में बताना भूल गया में डिटेक्टिव करुण नायर हु ओर जो उस रात मेरे क्लायंट विक्रम सिंह राठौड़ का बड़ा भाई अमर सिंह राठौड़ थे ! करुण ने सिगार सुलगाते हुए कहा।
विक्रम सिंह राठौड़ ! बहादुर ने अचम्भे से बोला
क्या तुम विक्रम सिंह राठौड़ को जानते हो ?? सुजान ने पूछा
नही लेकिन उस रात जो व्यक्ति मरा उसने यही नाम का जिक्र किया था और कुछ देने को भी कहा था ! बहादुर ने धीमे स्वर में कहा
क्या ?? करुण ने पूछा 
बहादुर ने चिट्ठी निकाल कर करुण को दे दिया और करुण ने चिट्ठी को बड़े ही धयान से पड़ा
“ रहस्य लेकर मौत आया है 
जिंदगी में फिर वो लौट आया है
भरतपुर का खजाना भरतपुर में है 
कातिल छुपा भरतपुर में है ”
भरतपुर का खजाना ? क्या ये कत्ल भरतपुर के खजाने के लिए हो रहे है और ये किस रहस्य की बात कर रहे है ?? सुजान ने पूछा।
पता नही लेकिन ये सच तो भरतपुर जाकर ही पता चलेगा कि किस रहस्य की बात हो रही है और ये कातिल भरतपुर में कँहा है और खजाना ये क्या चक्कर है ! करुण ने कुछ सोचते हुए कहा।
शाम का समय करुण नायर ओर सुजान चटर्जी कुर्सी पर बैठे है पास में आग जल रही है जिससे उनके पैरों को गरमाहट मिल रही है करुण नायर अपनी सिगार को सुलगाने में व्यस्त है और सुजान अपनी वकालत की किताबें पढ़ रहा था तभी इंस्पेक्टर शिशोदिया बरामदे में प्रवेश करते है ।
आइये इंस्पेक्टर शिशोदिया ! करुण ने एक खाली कुर्सी को आगे बैठने का इशारा किया ।
यह गुथी ओर उलझ गई है करुण ! शिशोदिया ने कहा
क्या हुआ कातिल का कुछ पता चला और वह  D N A किसी रिश्तेदार से दोस्त या पड़ोसी से मेल किये ? करुण ने पूछा
नही डिटेक्टिव लेकिन ! इतना कह कर शिशोदिया रुक जाता है
लेकिन क्या ?सुजान ने पूछा
अमर की लाश गायब हो गई है ! शिशोदिया ने कहा
लेकिन कैसे ! 
पता नही डिटेक्टिव नायर
आप जल्द ही उस लाश को ढूंढ़िए जरूर कातिल का उस लाश के पास छूट गया है जिससे वह पाना चाहता है ।
जी हम पूरी कोशिश करेंगे डिटेक्टिव।
सुजान अपना समान लपेट लो हम आज रात की ट्रेन से ही भरतपुर निकलेंगे अब इस रहस्य का पता वही चलायेगा ! करुण ने भीनी मुस्कराहट के साथ कहा
सही कहा तुमने ! सुजान ने हामी भरते हुए कहा।