हुआंग चाउ की बेटी
8 - पंछियों का पिंजरा
"नहीं," लाला ने कहा, "हमारे घर में कभी चोर नहीं आये।" उसने डरहम की तरफ भोलेपन से देखा। "तुम चोर नहीं हो, हो क्या?"
"नहीं, बिलकुल नहीं हूँ," उसने जवाब दिया और अपने बालों में हाथ फिराया।
वह लोग उस जगह कर्मचारियों से भरे रहने वाले एक चायखाने में बैठे हुए थे, और जैसे ही डरहम ने, अपनी ठूंठ संगमरमर लगे टेबल पर टिकाते हुए, अपनी साथी की काली आँखों में देखा, उसने खुद को फिर समझाया कि बूढ़े हुआंग के जो भी रहस्य हैं, उसकी बेटी नहीं जानती।
चीनी ने पुलिस से कोई शिकायत नहीं की थी हालाँकि स्काईलाइट के नीचे जमा फर्नीचर इसका ठोस प्रमाण था कि कोई चोर वहां आया था।
"मुझे घबराहट हो रही है," डरहम ने कहा, "घर में कितनी कीमती चीज़ें हैं।"
"मुझे अपने पिता की लिए घबराहट होती है," लड़की ने धीमी आवाज में कहा। "उनका कमरा गोदाम के बाहर खुलता है, मेरा अन्दर इमारत के दूसरे कमरे में है। और अह फु कार्यालय के पीछे सोता है।"
"क्या तुम्हें दर नहीं लगा था जब तुम्हें कोहेन के चोर होने का शक हुआ था? तुमने खुद बताया था कि तुम्हें उस पर शक हुआ था।"
"हाँ, मैंने अपने पिता से इस बारे में बात की थी।"
"और उन्होंने क्या कहा था?"
"ओह"-उसने कंधे उचकाए-"वह सिर्फ मुस्कुराये और मुझे चिंता न करने के लिए कहा।"
"और यह आखरी बार था जब तुमने उस मामले में कुछ सुना था?"
"हाँ, जब तक कि तुमने नहीं बताया कि वह मर चुका है।"
उसने फिर काली आँखों से जैसे कुछ पुछा और फिर वह हैरान हुआ। पहली बार नहीं था कि उसके मन में केस छोड़ देने का ख्याल आया। आखिरकार, यह बहुत मामूली जानकारी पर टिका था - एक ऐसे चीनी की रहस्यमयी मौत जिसका इतिहास अज्ञात था और एक ठग की कहानी जिसके कहे का कोई मतलब नहीं था।
अंत में उसने खुद से एक सवाल पूछा जो वह पहले भी खुद से पूछ चुका था, क्या फर्क पड़ता है? यदि बूढ़े हुआंग चाउ ने इन लोगों को किसी अजीब तरीके से ठिकाने लगाया है, तो उन लोगों ने भी उसे लूटना चाहा था। केस की नैतिकता गूढ़ और अस्पष्ट थी, और वह ज़्यादा से ज्यादा लाला की काली आँखों के जादू का शिकार हो रहा था।
पर हमेशा उसका पेशागत गर्व उसके बचाव में आया। हत्या हुई थी, न्यायोचित्त या नहीं, और हत्यारे की खोज का काम उसे दिया गया था। ऐसा लगता था कि उसे विफलता ही हाथ लगनी थी, क्योंकि यदि लाला कुछ जानती थी तो वह मंजी हुई अभिनेत्री सिद्ध हो रही थी और अगर नहीं जानती थी, तो जानकारी पाने की उसकी आखरी उम्मीद बुझ चुकी थी।
चाहता तो वह भी यही था कि उसे इस केस से छुटकारा मिल जाए बशर्ते वह यह मामला आत्मा पर कोई बोझ डाले बिना छोड़ पाता। खाई इस समय जब वह उस आकर्षक यूरेशियाई से अलग हो रहा था और उसकी पतली काया को देख रहता, जब उसने मुड़ते हुए अपना हाथ हिलाया था और एक मोड़ पर खो गयी, वह जानता था कि उसके लिए आराम हराम था।
उसने उस शैडवेल जानवरों के व्यापारी की दूकान खोज निकाली थी जिससे अह फु सभी प्रकार के नए विकसित पंछी लेने वाला था। खरीद हमेशा शाम होने के बाद होती थी और अह फु अपने पंछियों के पिंजरे के साथ उस शाम वहां आने वाला था।
डरहम ने एक योजना सोची हुई थी, जिस पर वह अमल करने जा रहा था, इसलिए जैसे ही अँधेरा हुआ और अह फु, खली पिंजरा लेकर हुआंग चाउ के घर से निकला, उसी समय एक बहुत गन्दा दिखने वाला लोफर गली के उस कोने से गुज़रा जब चीनी छिपते-छिपाते बाहर निकला।
डरहम ने मन में हिसाब लगाया था कि वह करीब आधे घंटे में अपना काम निबटा लेगा पर चीनी उसकी अपेक्षा के विपरीत कुछ ज़्यादा ही तेज़ चलता था।
वह जैसे ही ढलान वाली छत पर चढ़ने वाला था उसने प्रांगणमें लौटते क़दमों की पदचाप सुनी, हालांकि बीस मिनट ही बीते थे।
डरहम झपटकर कोने हो गया और तब तक प्रतीक्षा की जब दरवाज़ा बंद हो गया तब लौटकर, वह छत पर चढ़ा और रेंगते हुए तब तक आगे बढ़ा जब तक स्काईलाइट से नीचे अँधेरे कमरे में देखने के काबिल नहीं हुआ।
दस मिनट या उससे थोडा अधिक वह रुका रहा लेकिन फिर वह असहज महसूस करने लगा। तब वह हुआ जिसकी उसे उम्मीद थी तथा जो होने का उसे अंदाजा था। नीचे जगह में रौशनी हुई, पूरी तरह से नहीं, लटकते बल्बों के ज़रिये, इतनी मद्धिम कि फर्श पर विकृत परछाईंयां बन रही थीं। कोई लालटेन लेकर कमरे में आया था।
डरहम का नजरिया उसके देख पाने की जगह तक सीमित था, पर अब जैसे रौशनी पास आई, उसने अह फु को पहचाना जो एक हाथ में लालटेन और दूसरे में पंछियों का पिंजरा लिए था। उसे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था, जाली लगी हुई थी और कांच मोटा था। इसके अलावा वह बहुत गन्दा था। जगह साफ़ करने के प्रयास को लेकर हालांकि वह डरा हुआ था।
अह फु ने संभवत: लालटेन एक टेबल पर रखा था और रौशनी के रेडियस में एक आकृति टहल रही थी। डरहम ने हुआंग चाउ को पहचाना और महसूस किया कि उसके दिल की धड़कन तेज़ हो गयी थी।
जाली के ढांचे को अपने हाथों से कस कर पकडे हुए उसने सावधानी से अपनी गर्दन आगे बढाई, इसलिए अब वह दो चीनियों को देख पा रहा था। वह ड्रैगन के पैरों जैसे तख़्त पर रखे लाख के ताबूत के पास खड़े थे। डरहम ने अपनी हैरानी को दबाया।
सुंदर ताबूट का एक सिरा थोडा खोला गया!
देखने वाले को असीमित आश्चर्य का झटका देते हुए, अह फु ने पिंजरा उस खुली जगह पर रखा और ताबूत का वह सिरा बंद कर दिया। उसने अपनी मोटी पीली उँगलियों से कुछ हरकत के जो डरहम समझ नहीं पाया।
आखिर पंछियों का पिंजरा वहां से हटाया गया और जैसे ही यह लालटेन की रौशनी से गुज़रा तो उसने देखा कि पिंजरा खाली था, जबकि पहले इसमें कई छोटे पंछी पड़े हुए थे!
रौशनी हुआंग चाउ के चश्मे पर चमक रही थी। उसे देखते हुए, डरहम ने पाया कि उसने तख़्त में छिपे एक खाने से एक लम्बी, पतली चाबी निकाली, उसे लकड़ी में छिपे एक ताले में डाली और फिर धीरे से ढक्कन हटाया जो ढूंढ पाने में वह हाल ही में विफल रहा था।
उसने केवल कुछ इंच उठाया और फिर, लालटेन ऊपर उठाते हुए उसे ताबूत के अन्दर रौशनी की तथा उसी समय उसने अह फु को जाने का इशारा किया। कुछ पलों के लिए वह खड़ा रहा और अन्दर देखता रहा और फिर उसने ढक्कन नीचे किया और फिर ताला लगाया, लालटेन हाथ में लिए, सीढियां चढ़ने लगा।
डरहम ने गहरी सांस ली। उसने महसूस किया कि पिछले कुछ सेकंड से वह अपनी सांस रोके हुए था। अब जब वह ढलान से वापस रेंगने लगा उसने पाया कि उसके हाथ कांप रहे थे।
वह आँगन में कूदा और कई मिनट के लिए दीवार से टिककर खड़ा रहा, अनुमान लगाने के लिए कि उसने जो देखा था उसका मतलब क्या था और साथ ही खुद को सयंत करने के लिए भी।
इस सबके पीछे कुछ भयावह था जिसका सामना करने से उसे उतना डर नहीं लग रहा था। पर रहस्य को सुलझाने का संकेत अब भी उसकी पकड़ में नहीं था।
जो उसने देखा था क्या वह एक तरह की अजीब रस्म थी, या उसके पीछे कोई अधिक नीच आशय उसे ढूंढना चाहिए, वह निर्णय नहीं कर पाया था। उसे एक बार अपनी पिछली करतूत दोहरानी होगी, यदि संभव हो तो और एक बार फिर उस कमरे तक पहुंचना होगा जहाँ लाख की लकड़ी का ताबूत था।
पर कार्य बहुत बदमज़ा था। उसने जगह की गंध याद की और केवल याद से ही उसे उलटी का ख्याल आने लगा। उसने लाला हुआंग के बारे में सोचा और उसके विचार और विचित्र तथा अराजक लगे। इसके बावजूद रहस्य का हल आखिरकार उसकी पकड़ में था और एक जासूस की दिलचस्पी के लिए बाकी सब गौण हो जाता था।
वह धीरे-धीरे चलने लगा, अपने रबर-सोल वाले जूतों में चुपचाप।
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