Bharat ke sachche ratno ki katha - Rajiv Dixit books and stories free download online pdf in Hindi

भारत के सच्चे रत्नों की कथा - राजीव दीक्षित (भारत के अनकहे नायक की कथा)

# GREAT INDIAN STORIES
राजीव दीक्षित
(भारत के अनकहे नायक की कथा)

ये विषय है भारत का गौरव बढ़ाने वाले सच्चे रत्नों की सत्य कथाओ का । वास्तव में जिस किसी का भी जन्म भारत मे हो जाता है तो उसका गौरव खुदबखुद बढ़ जाता है। दो करोड़ वर्ष पुरानी इस भूमि पर जन्मना अर्थात मोक्ष के लिए मार्ग की प्रशस्ति और हमेशा से ही इस मिट्टी ने ऐसे सपूत वीर विद्वानों को जन्म दिया है जिसने हमेशा ही देश मे और विश्व मे भारत का गौरव और सम्मान बढाया है एवं भारत को शीर्षस्थ स्थापित किया है
इस भूमि पर श्रीराम ,श्री कृष्ण, महात्मा बुद्ध, महावीर, आर्यभट्ट, स्वामी दयानंद, भगतसिंह, रामप्रसाद बिस्मिल, महात्मा गांधी, लाल बहादुर शास्त्री, अब्दुल कलाम जैसे सैकड़ो वीरो को जन्मदिया है इतिहास इन सबको जानता भी है मानता भी है।अक्सर लोगो के मन मे एक धारण बन जाती है कि कोई युगपुरुष या महान विभूति अब के समय मे नही हो सकता । या तो वो प्राचीन भारत का कोई महात्मा होगा या आजादी के पहले का कोई क्रांतिकारी। लेकिन भारत माता कभी वीरविहीन नही रही। उसने समय समय पर ऐसी सन्तानो को जन्म दिया है जिसने भारत का दुख दूर करने में अपने प्राण की बाजी भी लगा दी है । ये कहानी है भारत माता के ऐसे सच्चे बेटे की जिसे बहुत ही कम लोग जानते हैं लेकिन जिस किसी ने भी उसे जान लिया और सुन लिया वो जीवन पर्यंत उसके ज्ञान का और सादगी का कायल हो गया। हम बात कर रहे हैं स्वदेशी के प्रखर प्रवक्ता ज्ञान के महासागर श्री राजीव दीक्षितजी की जिन्हें देश मे राजीवभाई के नाम से जाना जाता है और जिनके अपार समृध्द एवं व्यापक ज्ञान के कारण उन्हें चलता फिरता कंप्यूटर , इनसाइक्लोपीडिया आदि कई नामो से लोग सम्बोधित करते हैं
राजीव दीक्षित एक ऐसी बहुमुखी प्रतिभा के स्वामी थे जो एक इंजीनियर डॉक्टर वैज्ञानिक इतिहासकार भूगोलविद अर्थशास्त्री आदि आदि तो थे ही लेकिन जो सबसे विशेष बात उनमें थी वो थी भारतमाता के लिए प्रतिपल जीना एवं भारतमाता के लिए ही हमेशा अपनी जान न्योछावर करने के लिए तैयार रहना ।
राजीवाजी आजादी के बाद के ऐसे अकेले क्रांतिकारी रहे जिन्होंने देश की गम्भीर समस्याओ यथा गरीबी, भूखमरी, बेरोजगारी ,जीडीपी दर, बीमारियां, मानसिक गुलामी, बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के मकड़जाल, ऐसे अनेक विषयों पर चिंतन किया एवं उससे बचने के व्यवहारिक उपाय भी बताये।
यदि स्वामी दयानंद ने स्वदेशी आंदोलन का बीज बोया यदि लोकमान्य तिलक ने स्वदेशी आंदोलन रूपी पौधे को खाद और पानी दिया यदि महात्मा गांधी द्वारा स्वदेशी आंदोलन की सिंचाई करके उसे वृक्ष बनाया तो निश्चित ही राजीव दीक्षित ने स्वदेशी आंदोलन के पौधे को एक बड़ा वटवृक्ष बनाया और उसके फलों को पूरे देशवासियों तक पहुंचाया ।
राजीवजी के बारे में संक्षिप्त परिचय दिया जाय तो 30 नवंबर, 1967 उत्तरप्रदेश के अलीगढ़ में राधेश्याम दीक्षित और मिथिलेश कुमारी के घर एक बच्चा पैदा हुआ, जिसे उन्होंने राजीव नाम दिया। शुरुआती पढ़ाई वैसे ही हुई, जैसे यूपी के किसी मिडिल क्लास फैमिली के बच्चों की होती है। लेकिन इलाहाबाद में बीटेक करने के दौरान राजीव को उनका मकसद मिला. यहां अपने टीचर्स और कुछ साथियों के साथ राजीव ने ‘आजादी बचाओ आंदोलन’ शुरू किया। जिद थी भारत का सब कुछ स्वदेशी बनाना। बाद में एम टेक के लिए उन्होंने कानपुर IIT में प्रवेश लिया । इसके बाद राजीवजी ने विज्ञान और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) जैसे महत्वपूर्ण संस्थान में काम किया साथ साथ एक रिसर्च प्रोजेक्ट में भारत के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के साथ भी ढाई वर्षों तक काम किया । लेकिन 6 दिसम्बर 1984 के दिन भारत के इतिहास की सबसे बड़ी दुर्घटना भोपाल गैस त्रासदी ने उन्हें अंदर से हिला दिया जिसमे 22000 लोग प्रत्यक्षतः मारे गए और एक लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए । उस घटना के बाद से उन्होंने अपनी पढ़ाई अपना व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन हमेशा के लिए त्याग दिया और अपने सम्पूर्ण जीवन को देशसेवा के लिये झोंक दिया। राजीवजी ने भोपाल गैस कांड की गहराई में जाकर पड़ताल की और उन्हें जो सच्चाई मालूम पड़ी उसे उन्होंने पूरे देश को बताया की 6 दिसम्बर 1984 के दिन भोपाल में अमेरिका की कम्पनी यूनियन कार्बाइड के प्लांट में मिथाइल आइसो सायनाइड नामक गैस का जो रिसाव हुआ था वो एक दुर्घटना नही थी बल्कि बाकायदा एक प्रयोग किया गया था । प्रयोग ये हुआ था की यदि मिथाइल आइसो सायनाइड गैस का परीक्षण करना हो कि इससे कितने लोग मारे जाते हैं। इसलिये भारत के भोपाल शहर में किए गये प्रयोग का परिणाम लोग आज तक भुगत रहे हैं , सन्तानें आज भी विकलांग और मानसिक अस्वस्थ पैदा हो रही हैं । जब अमेरिका इस गैस के परीक्षण से आश्वस्त हो गया तब उसने 1989 में इराक के साथ हुए खड़ी युद्ध मे इसी मिथाइल आइसो सायनाइड गैस से रसायनिक बम बनाकर बमबारी की और नरसंहार किया। लेकिन राजीव दीक्षित ने मन मे ठान लिया था कि इस कम्पनी को देश से भगाना ही है । इसके लिए राजीवजी ने एक आंदोलन चलाया और यूनियन कार्बाइड कम्पनी कोभारत से भगा दिया।
1991-92 में राजस्थान के अलवर जिले में केडिया कम्पनी (जो हर दिन चार करोड़ लीटर दारू बनाने वाली थी) के शराब-कारखानों को बन्द करवाने में श्री राजीव भाई जी ने बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।
1995-96 में टिहरी बाँध के खिलाफ ऐतिहासिक मोर्चे में उन्होंने बहुत संघर्ष किया और वहाँ पर हुए पुलिस लाठी चार्ज में उन्हें काफी चोटें भी आई।
इसी प्रकार श्री राजीव दीक्षित जी ने CARGILL, DU PONT, केडिया जैसी कई बड़ी विदेशी कंपनियों को भगाया जो इस देश को बड़े पैमाने पर लूटने की नियत से इस देश में अपना डेरा जमाना चाहती थी।
उसके बाद 1997 में सेवाग्राम आश्रम, वर्धा में प्रख्यात् इतिहासकार प्रो० धर्मपाल के साथ अँग्रेजों के समय के ऐतिहासिक दस्तावेजों का अध्ययन करके समूचे देश को संगठित और आन्दोलित करने का काम किया। अपने व्याख्यानों से देश के स्वाभिमान को जगाने, देश को संगठित करने में बहुत महत्वपूर्ण योगदान निभाया। राजीव भाई ने स्वदेशी आंदोलन तथा आजादी बचाओ आंदोलन की शुरुआत की तथा इनके प्रवक्ता बने।
मजबूत तथ्यों और दमदार आवाज के साथ उनके व्याख्यानों में इतनी सच्चाई और चुम्बक- जैसा आकर्षण होता था कि सभी लोग उन्हें सुनने के लिए खींचे चले आते थे। उनके दिमाग में 5000 से भी अधिक वर्षो का ज्ञान समाहित था। उन्हें चलता फिरता”एनसाइक्लोपेडिया ” कहा जाता है। श्री राजीव जी के हृदय में अत्यंत तीव्र ज्वाला थी, इस भ्रष्ट तंत्र, भ्रष्ट व्यवस्था के प्रति। इस देश कि गरीबी को देखकर उनकी आखो से आंसु निकल पड़ते थे। बिना मीडिया की सहायता के उन्होंने पूरे देश को जगाया।
राजीवजी का कहना था कि मुगल राजा जहांगीर ने भारत मे ईस्ट इण्डिया कम्पनी को 17वी शताब्दी में व्यापार करने का लाइसेंस दिया जिसका परिणाम देश ने दो सौ वर्षों तक भुगता। और आज भारत मे 5000 से भी ज्यादा विदेशी कंपनियां हैं जो भारत को उसी तरह लूट रही हैं जैसे ईस्ट इंडिया कम्पनी लूटती थी। राजीवजी के अनुसार 1991 में वित्तमंत्री द्वारा उदारीकरण निजीकरण और वैश्वीकरण के नाम पर जिस आर्थिक नीति की शुरुआत की गई वो भारत को फिर से गुलाम बनाने की दिशा में एक कदम था । इस नीति के अनुसार सरकार ने अपने बाजार को अन्य देशों के लिये इस तरह खोल दिया कि जैसे भारत कोई खैराती धर्मशाला है जहाँ हर कोई आ सकता है और अपना अड्डा जमा सकता है। उन्होंने ऐसे कई कम्पनियो के नाम बताए जो भारत मे बहुत ही थोड़ी पूंजी लेकर आई थी एवं उससे कई कई गुना लाभ अपने देश में ले जा रही हैं। राजीवजी हमेशा कहते थे ये सारी कम्पनियां भारत मे शून्य तकनीकी वाले उत्पाद बेचती हैं
(जैसे कि चिप्स नमकीन ठंडा पेय टोमेटोसोस साबुन मंजन आदि ) लेकिन कोई भी देश अपनी तकनीकी दूसरे देश को नही देता है एवम कोई भी कम्पनी टेक्नोलॉजी लेकर नही आती । राजीवजी कहा करते थे कि टेक्नोलॉजी हमेशा लोकल होती है उनकी थ्योरी यूनिवर्सल हुआ करती है। हर देश अपनी जरूरत के हिसाब से तकनीक का ईजाद करता है । भारत के प्रधानमंत्री राजीवगांधी ने अपने कार्यकाल में अपने विश्वसनीय दोस्त रूस से क्रायोजनिक इंजन की मांग की थी जिसे रूस ने अमेरिका के दबाव में आकर देने से मना कर दिया । इसी तरह जब भारत ने सुपरकम्प्यूटर की मांग की तब विकसित देशों ने देने से मनाकर दिया लेकिन वैज्ञानिको ने सरकार को भरोसा दिलाया और भारत का पहला स्वदेशी सुपरकम्प्यूटर "परम" को तैयार किया।
राजीवजी कहा करते थे कि जब तक कोई देश आत्मनिर्भर नही हो जाता उसकी समस्याओ का निवारण कभी नही हो सकता। देश की अर्थव्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए देश को पूँजी उत्पादन करना ही होगा। जिस तरह किसी मरीज के शरीर मे खून बनना बन्द हो जाये तो बोतल का खून चढ़ाकर उसे ज्यादा दिनों तक जिंदा नही रखा जा सकता उसे आज नहीं तो कल अपना खून बनाना ही पड़ेगा। उसी तरह जिस देश मे पूंजी बनना बन्द हो जाये वो देश बाहर के देशों से कर्ज मांगकर, विश्वबैंक से उधार लेकर ज्यादा नही चल सकते। लेकिन भारत सरकार यही कर रही है और इतना कर्ज ले रही है कि उसका व्याज भरने के लिए भी कर्ज लेना पड़ रहा है।
राजीवजी ने देश को ये सच्चाई बताई की15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र नहीं हुआ मात्र सत्ता का हस्तांतरण किया गया। अंग्रेजो ने भारत के कुछ नेताओं से या यूं कहें कि कुछ सत्ताप्रेमी नेताओं से ट्रांसफर ऑफ पावर एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करके उन्हें सत्ता सौंप दी। स्वतन्त्रता का अर्थ समझते हुए उन्होंने बताया कि स्वतंत्रता मतलब अपना तंत्र अपना शाषन अपने कानून अपनी व्यवस्था। लेकिन आजादी के बाद भी भारत मे अंग्रेजो के बनाये वो सभी 34735 कानून ज्यों के त्यों चल रहे हैं। भारत की न्यायपालिका, भारत की शिक्षाव्यवस्था, भारत की क़ानूनव्यवस्था( IPC CPC CRPC आदि अंग्रेजो के जमाने की ही हैं ), भारत का राष्ट्रपति भवन ( जो पहले वॉयसरोय हाउस हुआ करता था ), भारत की संसद की शून्याकार ढांचा ( जिसमे सेशून्य परिणाम ही निकलता है ) और जिसके बारे में गांधीजी ने भी कहा था कि इस संसद को बम से उड़ा देना चाहिए क्यों कि ये अंग्रेजों की देन है, ये सभी अंग्रेजो का दिया हुआ है। 15 अगस्त 1947 के बाद सत्ता सिर्फ गोरे अंग्रेजो के हाथ से काले अंग्रेजों के हाथ मे आई है बदला कुछ भी नही सिवाय माउंटबेटन के नाम की जगह नेहरूजी का नाम आ गया।
संविधान के बारे में राजीव दीक्षितजी का कहना था कि संविधान की प्रारूप समिति के अध्यक्ष श्री बाबा साहेब अंबेडकर जी ने 1953 में राज्यसभा में कहा था कि ये संविधान हमने जल्दबाजी में बनाया है और यदि कोई मुझे अनुमती दे तो इस संविधान को जलाने वाला में पहला व्यक्ति होऊँगा क्यो की इस संविधान से किसी का भला नही होने वाला राजीवजी ने बताया कि भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान सिर्फ 11 महीने 18 दिन इतने कम समय में कैसे लिख दिया गया। उसकी सच्चाई ये है कि भारत का संविधान अंग्रेजो द्वारा बनाया गया एक कानून है जिसका नाम भारत सरकार अधिनियम 1935 है जिसे अंग्रेजो ने भारत पर शाषन करने के लिए भारत को गुलाम बनाकर रखने के लिए बनाया था , इस कानून का अल्पविराम और पूर्णविराम हूबहू भारत के संविधान में मौजूद है और जो अन्य अनुच्छेद हैं वो अन्य देश जैसे कि रशिया अमेरिका इंग्लैंड जापान कनेडा ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के कानून से उठाकर हमारे देश के संविधान में कॉपी पेस्ट कर दिया गया है। संविधान सभा के अन्य नेता जैसे कि सरदार पटेल सच्चिदानन्द सिन्हा आदि के बयान हैं कि भारत के शहीदों ने क्रांतिवीरों ने जिस कल्पना से देश कि आजादी की लड़ाई लड़ी है उस कल्पना को ये संविधान कहीं भी पूरा नहीं करता।
राजीवजी ने बताया कि किस तरह भारत की संसद में पचास साल बाद तक भी बजट शाम को 5 बजे तक पेश होता रहा। ऐसा इसलिए क्यों कि शाम को जब भारत मे 5 बजते हैं तब इंग्लैंड में 11.30 बजते हैं जिससे ''यदि वहां पर किसी को बजट सुनना हो तो उन्हें आसानी रहे। लेकिन राजीवजी ने इसका सच सभी सांसदों को बताया कि ये बजट 1927 के एक कानून के आधार पर भारत मे 5 बजे तक पेश होता रहा। राजीवजी ने इस कानून की कॉपी 250 सांसदों को सौंपी। और पूर्वप्रधानमंत्री चन्द्रशेखर ने संसद में प्रस्ताव रखा और उसके बाद से भारत की संसद में बजट सुबह 11 बजे से पेश होने लगा।
1994 में जब GATT करार भारत सरकार द्वारा किया गया जिसे बाद में WTO नाम दिया गया राजीवजीने इसका काफी सूक्ष्म अध्ययन किया कि ये पश्चिमी देशों की चाल है। इस समझौते के आधार पर भारत जैसे देशों को अपने बाजार को खोलना पड़ेगा और ये छोटे व्यापारियों का नाश कर देगा। सरकार द्वारा जो किसानों को सब्सिडी दी जाती है वो बन्द कर दी जाएगी जिससे किसानों की दुर्दशा होगी। और आज ये हो रहा है WTO से सम्बंधित भारत सरकार और अमेरिका के मामले अन्तर्राष्ट्रीय अदालत में लंबित है
राजीवजी ने अपने व्याख्यानों में हमेशा कहा कि बड़े नोट बन्द कर देने चाहिए जिससे कि रिश्वतखोरी कम हो सके और कालाधन वापस आ सके। बड़े नोटों के बन्द होने से आतंकवादियों की रीढ़ की हड्डी टूट सके जिससे वो नकली नोट नही छाप सके क्यों कि छोटी नॉट को छापने का खर्च नॉट कि रकम से ज्यादा आता है राजीवजी की इस बात को भारत सरकार ने 2016 में कुछ रूप से माना और पुराने 500 और 1000 के नोट बन्द किये गए।
श्री राजीव दीक्षित ने लाखोँ लोगो के दिलो-दिमाग में प्रत्यक्ष रूप से देशभक्ति की ज्वाला नहीं अपितु धधकता लावा प्रज्वलित किया। इस देश को कैसे महाशक्ति बनाया जा सकता है, इसके लिए बहुत ही सरल उपाय बताये जिन उपायों पर आज बहुत से लोग कार्य कर रहे हैं।
ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिए बहुत ही जबरदस्त उपाय बताये। ग्लोबल वार्मिंग एवं वैश्विक भुखमरी को एक साथ ख़त्म करने के लिए पूरे प्रमाणों के साथ सिद्ध किया की अगर मांसाहारी खाना खाना बंद कर दिया जाये तो दोनों समस्याओं से एक साथ छुटकारा पाया जा सकता है। विदेशी षणयंत्रों से पहली बार पूरे देश को अवगत करवाया। उनके पास हर एक समस्या का समाधान बहुत ही सरलता और प्रमाणिकता के साथ उपलब्ध रहता था।
पेट्रोल, डीजल आदि की समस्या का छुटकारा पाने के लिए कुछ साथियों के साथ मिलकर उन्होंने गोबर गैस से व्हिकल चलाने के सफल प्रयोग किये जिसमें नाम मात्र का खर्चा आता है।
राजीव दीक्षित जी के अन्दर एक महान वैज्ञानिक, एक महान विचारक, एक महान इतिहासकार, एक महान वैद्य, एक महान वक्ता, एक महान शोधकर्ता, एक महापुरुष के सभी गुण विद्यमान थे। उन्होंने बिना दवाईयों के पूरा जीवन स्वस्थ रहने के अत्यंत सरल सिद्धांत बताये, जिनसे आज लाखो लोग लाभान्वित हो रहे हैं।
राजीव भाई ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की 150वीं जयंती की शाम को कोलकाता में आयोजित किये गए कार्यक्रम का नेतृत्व किया, जो कि विभिन्न संगठनों व प्रख्यात व्यक्तियों द्वारा प्रोत्साहित व प्रचारित किया गया था और पूरे देश में मनाया गया था। उन्होंने नयी दिल्ली में स्वदेशी जागरण मंच के नेतृत्व में 50,000 लोगों को संबोधित किया।
हमारे देश का धन विदेशी बेंको में काले धन के रूप में जमा पड़ा है, इस बात की जानकारी सबसे पहले पूरे देश की जनता को भाई राजीव दीक्षित जी ने ही बताई थी। जनलोकपाल जेसे कानूनों के बारे में सर्वप्रथम इस देश को श्री राजीव दीक्षित जी ने ही बताया। राइट टू रिजेक्ट और राइट तो रिकॉल जैसे कई मजबूत कानूनों के बारे में पूरे देश को जानकारी दी।
हमारे देश के गाँव गाँव में जाकर इस देश की हर एक समस्या को देखा, समझा तथा उसके निवारण के लिए प्रभावशाली उपाय बताये और किये। वो होमियोपेथी और आयुर्वेद के महान विद्वान रहे है। महर्षि वाघभट्ट जी के”अष्टांग हृदयं”नामक ग्रन्थ को कई वर्षी तक अध्ययन कर उसे आज की जलवायु एवं परिस्थितियों के हिसाब से पुनर्रचित किया तथा बहुत ही सरल तरीकों से उसे आम जनता के बीच बताया जिससे हम बिना किसी दवाई के, बस खाने-पीने आदि के समय और सही तरीके मात्र से स्वस्थ रहने के उपाय बताये।
उनके ह्रदय में स्वदेश के प्रति इतनी तड़प थी की वो रात दिन अपने अंतिम स्वांस तक बस स्वदेश और स्वदेशी के लिए ही कार्य करते रहे। उन्होंने पूरे देश में 15,000 से अधिक प्रत्यक्ष व्याख्यान दिए और अगर उनके अप्रत्यक्ष व्याख्यानों को शामिल किया जाये तो गिनती करना असंभव हो जायेगा।
श्री राजीव दीक्षित जी ने विभिन्न विषयों पर अनेकों लेख व पुस्तकें लिखी हैं – बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का मकड़जाल, अष्टांग ह्रदयम् (स्वदेशी चिकित्सा), हिस्ट्री ऑफ द एमेन्सिस, भारत और यूरोपीय संस्कृति, स्वदेशी : एक नया दर्शन, हिन्दुस्तान लिवर के कारनामे आदि आदि।
श्री राजीव दीक्षित ने पिछले 30 वर्षो तक हमारे देश के लिए कई घातक कानूनों को बनने से रोका तथा कई अच्छे कानून बनवाने में उनका योगदान रहा। भारतीय और पश्चिमी संस्कृति, सभ्यता आदि पर गहन अध्ययन कर पूरे देश के सामने रखा। श्री धर्मपाल जी के साथ मिलकर हमारे पुराने गौरवशाली इतिहास को पुनः एकत्रित किया और पूरे देश में प्रचारित किया।
उन्होंने कई बार अपनी जान पर खेलकर कई घातक कानूनों और खतरनाक विदेशी कम्पनियों को हमारे देश में आने से रोका। देश की रक्षा करते हुए उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा, लेकिन श्री राजीव दीक्षित जी पीछे नहीं हटे।
स्वामी रामदेव के संपर्क में आने के बाद 9 जनवरी 2009 को स्वामी रामदेव और श्री राजीव दीक्षित जी ने भारत स्वाभिमान ट्रस्ट शुरू किया और इसका पूर्ण दायित्व अपने कंधो पर संभाला और पूरे देश के गांव-गांव शहर शहर में घूम कर स्वदेशी कि अलख जगाई। श्री राजीव दीक्षित जी ने पूर्ण निर्भीकता के साथ विदेशी कंपनियों की पोल खोली तथा बहुत सारी विदेशी कंपनियों को हमारे देश से खदेड़ा जो कि हमारे देश को बहुत बुरी तरह लूट रही थी/लुटने वाली थी।
श्री राजीव दीक्षित जी लाखों युवाओ को देशभक्ति की राह पर लाये और उनके जीवन को दिव्य बना दिया जो की पश्चिमी सभ्यता एवं मानसिक गुलामी में पूर्ण रूप से डूब चुके थे। श्री राजीव दीक्षित जी अपनी हर एक बात प्रामाणिकता के साथ कहते थे उनके पास हर एक बात के तथ्य,सबूत होता था। उनके दिमाग में कम्पूटर से भी तेज गणनाएँ कर पाने की अद्भुत क्षमता थी। श्री राजीव दीक्षित जी के पास बहुत बार विदेशी कंपनियों और आसुरी ताकतों की धमकियां एवं ऑफर भी आते थे परन्तु श्री राजीव दीक्षित ना तो कभी बिके और न ही कभी रुके।
श्री राजीव दीक्षित जी पुरे जीवन ब्रह्मचारी रहे तथा पूरा का पूरा जीवन देश हित के कार्यो में लगा दिया। श्री राजीव दीक्षित जी ने ही हमें “पूर्ण स्वराज” की परिभाषा समझाई और इसे प्राप्त करने के बहुत ही असरदार तरीके बताये।
लेकिन एक दिन ऐसा आया जब मां भारती के इस लाल को इस दुनिया से जाना पड़ा। लेकिन जाने से पहले राजीवजी इस देश को इतना अद्भुत ज्ञान और विरासत देकर गए जैसा कि युगपुरुष श्री कृष्ण ने अर्जुन को दिया था। उनके अवतरण दिवस 30 नवम्बर 2010 के दिन ही भिलाई छत्तीसगढ़ में उनका शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया। पूरे देश मे यह प्रचारित किया गया कि राजीव भाई की मृत्यु हृदयघात के कारण हुई है लेकिन उनके करीबी जो वहां मौजूद थे उनका कहना है कि राजीवजी को जहर दिया गया था क्यों कि मृत्यु के समय उनका शरीर नीला पड़ गया था और रामदेव से कई राजीवजी के समर्थकों ने पोस्टमार्टम कराने की मांग की लेकिन उनके शरीर का पोस्टमार्टम नही कराया गया। राजीवजी ने अपने व्याख्यान में लाल बहादुरशास्त्रीजी की मौत के बारे में बताया कि ताशकन्द समझौते पर गए शास्त्रीजी को भी जहर दे दिया गया और उनकी मृत्यु को हार्ट अटैक कहकर प्रचारित किया गया और शास्त्रीजी के शरीर का भी पोस्टमार्टम नही होने दिया गया। शास्त्रीजी की पत्नी श्रीमती ललितादेवी का भी यही कहना था कि शास्त्रीजी का शरीर नीला पड़ गया था। इसी तरह की हत्या की साजिश राजीव जी के साथ हुई। लेकिन राजीव कभी मर नही करते। राजीव दीक्षित के जाने के बाद लाखो लाख लोग राजीव दीक्षित बन रहे हैं और वतन पर जान देनेवालों का सैलाब आ रहा है। कुछ लोग व संगठन उनके हत्या की जांच की CBI मांग कर रहे हैं देखते हैं उन्हें कब न्याय मिलता है।
राजीव भाई जिनका निष्कलंक जीवन सादगी, स्वदेशी, पवित्रता, भक्ति, श्रद्धा, विश्वास से भरा हुआ था। चाहे लोगों ने उन्हें कितना भी कष्ट दिया हो उन्होंने उफ नहीं की। राजीव भाई लगभग दो ढाई दशक से अपना संपूर्ण जीवन लोगों के लिये जी रहे थे। राजीव भाई भगवान के भेजे हुए एक श्रेष्ठतम रचना थे, धरती पर एक ऐसी सौगात जिसे हम चाह कर भी पुन: निर्मित नहीं कर सकते। राजीव भाई के ह्रदय में एक ऐसी आग थी, जिससे प्रतीत होता था कि वे अभी ही भ्रष्टतंत्र को, भ्रष्टाचार को खत्म कर देंगे। ‘भारत स्वाभिमान आंदोलन’के साथ आज पूरा देश उनके साथ खडा हुआ है।

वे अपने माता-पिता के लाल नही थे, बल्कि करोडों-करोडों लोगों के दुलारे और प्यारे थे। वे भारत माता के लाल थे। प्रतिभावान, विनम्र, निष्कलंक जीवन था राजीव भाई का। राजीव भाई को ’इन्साइक्लोपीडिया’ कहा जाता था। वे चलते-फिरते अथाह ज्ञान के सागर थे। 5000 वर्षों का ज्ञान, असीम स्मृति वाले, अपरिमित क्षमता वाले थे राजीव भाई। आर्थिक मामलों पर उनका स्वदेशी विचार सामान्य जन से लेकर बुद्धिजीवियों तक को आज भी प्रभावित करता है। उनकी जिव्हा पर स्वयं माँ सरस्वती जी विराजमान रहते थे। उनकी आवाज में इतना ओज है की जो भी उनको एक बार सुन ले वो उनका भक्त हो जाये।
मीडिया ने कभी भी श्री राजीव दीक्षित को एवं उनके व्याख्यानों को नहीं दिखाया नहीं तो आज हमारा देश महाशक्ति बन चुका होता लेकिन फिर भी उनके पुरुषार्थ की वजह से आज देश जाग रहा है ।
एक श्री राजीव दीक्षित जी के शरीर को तो मिटा दिया गया है पर अब इस देश में लाखो-करोडो राजीव भाई पैदा हो गए है उन्हें मिटाना मुश्किल ही नहीं वरन असंभव भी है, हम सब मिलकर स्वर्णिम भारत का निर्माण अवश्य करेंगे चाहे कुछ भी हो जाये। श्री राजीव दीक्षित जी कोई व्यक्ति नहीं थे, अपितु वो एक “दिव्य-आत्मा”, एक विचार, एक क्रांति का आगाज, एक स्वदेशी अलख थे। वो भारत मां के अनमोल रत्न थे
श्री राजीव दीक्षित जी को अगर ज्ञात-अज्ञात इतिहास के सबसे महान स्वदेशी महापुरुष कहा जाये तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। श्री राजीव भाई जी का जीवन सादगी, पवित्रता, समर्पण, उत्साह, जोश, स्वदेशी भाव से पूर्ण था। उन्होंने पहले “आज़ादी बचाओ आंदोलन” और फिर “भारत स्वाभिमान” के तहत पुरे देश को संगठित और आंदोलित किया। बारम्बार प्रणाम है ऐसे माता-पिता के चरणों में जिन्होंने इस “दिव्य-आत्मा” को जन्म दिया। वो अपने माता-पिता के ही नहीं अपितु सम्पूर्ण देश के प्यारे-दुलारे है. वो माँ भारती के लाल है।

राजीव दीक्षितजी के द्वारा कहे गए कुछ रोचक एवम चौंका देने वाले तथ्य..

1. भारत का राष्ट्र गान जन गण मन वास्तव में अंग्रेजो के राजा ज्योर्ज पंचम की स्तुति करने के लिए रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा लिखा गया था जिसमे उसे भारत भाग्य विधाता कहकर संबोधित किया गया है

2. इंग्लैण्ड की रानी जब भी भारत की यात्रा पर आती है उसे वीजा और नही लेना पड़ता जबकि भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को इंग्लैण्ड जाने के लिए वीजा की जरूरत पड़ती है

3. इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट के अनुसार भारत को अंग्रेजो द्वारा 99 साल की लीज पर दिया गया है

4. आजादी के पचास साल बाद तक भारत की संसद में बजट शाम को 5.30 बजे इसलिए पेश होता रहा ताकि इंग्लैण्ड में तब सुबह 11 बजे होते हैं और वहां यदि किसी को देखना हो तो वो देख सके।

6. अंग्रेजी अंतरराष्ट्रीय भाषा नही है। यह सिर्फ अंग्रेजो द्वार गुलाम बनाये गए 14 देशों में बोली जाती है। जापान चीन रशिया फ्रांस जर्मनी इटली आदि विकसित देश अंग्रेजी के बिना ही इतने समृद्ध बन सके हैं।

7. संस्कृत दुनिया की एक मात्र वैज्ञानिक भाषा है जो सबसे प्रचीन है जिसका व्याकरण सबसे सटीक है जिसके पास सबसे ज्यादा शब्द भंडार है एवं जो कम्प्यूटर के अल्गोरिदम के लिए सबसे उपयुक्त भाषा है। संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है एवं कम शब्दों में सबसे स्पष्ट अर्थ कहने की क्षमता रखनेवाली भाषा है जिसकी वैज्ञानिकता नासा ने भी स्वीकार की है।

8. पाइथागोरस से पहले बोधायन ऋषि ने वो प्रमेय दिया था जिसमे आधार और लंब का वर्ग के जोड़ को कर्ण के बराबार होता है। पहला विमान राइट ब्रदर्स से पहले बड़ौदा के वैज्ञानिक शिवकरबापू तलपड़े ने उड़ाया था। आर्यभट्ट ने पृथ्वी को सूर्य के चारो और परिक्रमा करने का दावा किया था। पहली सर्जरीचिकित्सा सुश्रुत ऋषि द्वारा की गई थी।
ऐसे कई शोध और खोज भारत का स्वर्णिम अतीत रहा है

9. आजादी के समय 1947 को 1 रूपया बराबर 1 डॉलर था लेकिन उसके बाद आई सरकारों ने विकास के नाम पर विदेशी बैंकों से इतना कर्ज लिया कि रुपया दिन पर दिन गिरता चला जा रहा है।

10. जो देश अपने शहीद क्रांतिकारियों की बलिदानियों को भुला देता है उसे पुनः गुलामी की और आगे बढ़ने से कोई नही रोक सकता है।

11.राजनैतिक पार्टियाँ लुटेरों के संगठित गिरोह हैं जो हमे बेवकूफ बनाकर लूटते हैं चाहे भाजपा हो या कोंग्रेस। एक पार्टी आएगी पांच साल लूटेगी फिर दूसरी पार्टी आएगी पांच साल वो लूटेगी। एक नागनाथ दूसरा सांपनाथ।

12. जिस तरह हमे पता चलता है कि हमारे घर का नौकर चोर है तो हम उसे निकाल देते हैं उसी तरह हमारे पास RIGHT TO RECALL का अधिकार होना चाहिए जिससे यदि हमारे सांसद विधायक काम नही कर रहे तो हम उसे वापस बुला ले और गद्दी से हटा सकें।

13. किसानों की आत्महत्या को रोकने का कोई रास्ता है तो वो है जीरो बजट खेती प्राकृतिक खेती जैविक खेती। किसान जंतुनाशक और कीटनाशक और रासायनिक खाद डालने के चक्कर मे जमीन फसल और स्वयम का भी नुकसान करते हैं। और सरकार इन्हें इसलिए नही रोकती क्यों कि ये खाद और जंतुनाशक विदेशी कम्पनी के होते हैं जिन्होंने सरकार को करोड़ो रूपये रिश्वत दी होती है

14. राजनीति की यदि व्याख्या की जाय तो वह सिर्फ टॉयलेट रूम जैसी है उससे ज्यादा कुछ नही। घर मे टॉयलेट रूम एक छोटी सी जगह पर होता है न कि पूरे घर में। राजनीति भी वैसी ही है इसे जरूरत से ज्यादा सिर पर चढ़ा लिया तो खतरनाक हो जाएगा

15. यदि भारत मे आपको किसी स्कूल का चपरासी बनना है तो आपके पास कोई न्यूनतम योग्यता होना अनिवार्य है लेकिन आपको सांसद विधायक प्रधानमंत्री राष्ट्रपति बनना है तो कोई योग्यता नही चाहिए। आप गुंडे मवाली लुच्चे लफंगे डॉन माफिया हो तो भी आप ये सब बन सकते हो

16. गांधीजी ने कहा था कि आजादी आई नही है सिर्फ सत्ता का हस्तांतरण हुआ है इसलिए कोंग्रेस को खत्म कर दो वरना ये आगे जाकर देश को ऐसे ही लूटेगी जैसे अंग्रेज लूटते थे।

17. केवल स्वदेशी नीतियों से ही देश फिर से सोने की चिड़िया बन सकता है। स्वदेशी आने वाली शताब्दी का मूलमंत्र साबित होगा।

18. कभी भी अंग्रेजी भाषा बोलने में शर्म महसूस न करें क्यों कि अंग्रेज हमारी मातृभाषा नही बोल सकता तो हम कैसे बोल सकते हैं। अपनी मातृभाषा पर गर्व करो। सिर्फ अंग्रेजी के जानने से ज्ञान का आंकलन नही होता क्यों कि यूरोप और अमेरिका में झाड़ू मारने वाला भी अंग्रेजी जानता है।

19. भारत मे कोई भी नोबल विजेता इसलिए जल्दी से नही बन पाता क्यों कि हमने अपनी मातृभाषा को सम्मान नही दिया। कोई भी मौलिक शोष या बेसिक रिसर्च का काम तभी सम्भव है जब वो अपनो मातृभाषा मे किया जाय। भारत का बच्चा पहले अंग्रेजी सीखता है फिर अंग्रेजी में विज्ञान सीखता है जबकि जापान का बच्चा बचपन से ही जापानी मे विज्ञान सीखता है। मातृभाषा की तुलना में विदेशी भाषा मे ज्ञान अर्जित करने में 6 गुना ज्यादा समय लगता है

20. 1757 में एक मीर जाफर था जिसने देश से गद्दारी करके देश को एक विदेशी कम्पनी के हाथों में बेच दिया था आज ऐसे 1000 से ज्यादा मीर जाफर हैं जो रोज नई कम्पनी से समझौता करते हैं और देश को गुलाम बनाने में लगे हुए हैं।

21. राजनीति में लोगो के चेहरे कुछ होते हैं और मुखौटे कुछ। केवल एक ही पार्टी ऐसी होती है जो किसानों और गरीबो के हित की बात करती है और विदेशी कम्पनी और FDI का विरोध करती है और वो होती है विपक्षी पार्टी। जैसे ही इन्हें सत्ता मिलती है जैसे ही वो सत्ता में आती है विदेशी कम्पनियों का स्वागत लाल कालीन बिछाकर करती है और गरीब और किसानों को भूल जाती है।

22. देश जनता से कर्मचारियों से चलता है न कि नेता उसे चलाते हैं। इसलिए हमारी जो भी समस्या है उसे हमे खुद ही समाधान करना होगा कोई नेता उसे ठीक करने नही आएगा। क्यों कि दुख हमको है तकलीफ हमको है नेता को नही इसलिए हमें ही आगे आना होगा और क्रांति करनी होगी।

23. जिस देश मे तात्या टोपे के परिवारजन चाय बेचकर गुजारा करे और सिंधिया ख़ानदान जैसे गद्दार जिन्होंने झांसी की रानी और तात्या टोपे की हत्या करवाई वो अलग अलग राज्य में मंत्री बनकर शाषन करें ऐसे देश मे क्रांति अनिवार्य है।

24. भारत मे दस लाख लोग खादी पहनते हैं फिर भी खादी उद्योग में एक लाख लोगों को रोजगार मिलता है यदि दस करोड़ लोग खादी पहनने लगें तो एक करोड़ लोगों को रोजगार दिया जा सकता है।

25. पेप्सी और कोकाकोला जैसी विदेशी कम्पनिया सॉफ्ट ड्रिंक के नाम पर जहर बेच रही है जो एक टॉयलेट कलीनर है जिसमे DDT क्रोमियम बेंजीन आदि आदि जहर होते हैं।

26. परिवर्तन जब होता है तो शुरू में किसी को भरोसा नहीं होता लेकिन बाद में वो हो जाता है

27. दुनिया में कोई भी देश गुलामी की निशानियों को संजो कर नहीं रखता..

28. भारत का 300 लाख करोड़ रुपये (काला धन) जो विदेशी बैंको मे जमा है देश की संपत्ति है...


राजीव दीक्षितजी के लिए लिखी गई कुछ पंक्तियाँ..

खो गया है भारत माँ का वो सितारा
जिसे अपना देश था प्राणो से प्यारा..

अर्थ में तकनीक में , भूगोल में विज्ञान में
स्वास्थ्य में इतिहास में और आँकड़ोँ के ज्ञान में

कुछ समय में ही वो हमको रुप अपना दिखा गया
मरके भी जो सीखे ना वो काम ऐसा सीखा गया

मधुरवाणी, ज्ञानकोष और सादगी की परिभाषा
एक ऐसा युगपुरुष जो सारे देश की अभिलाषा

साँस, सपने, सोच और संपूर्ण जीवन है स्वदेशी
तन स्वदेशी, मन स्वदेशी अंत में कफन स्वदेशी

ना वो रुकता था कभी और ना ही थकता था कभी
छोड़ यूँ चला जायेगा कोई सोच सकता था कभी

उस अमर आत्मा को पाकर पावन हुआ है काल भी
करते नमन दो हाथ से उसको सदा महाकाल भी

आँखे सभी की नम हुई रो रो के तुम्हेँ पुकारती
तू लौट आ जाने ना दूँगी कहती स्वयँ माँ भारती

अद्भुत, अलौकिक, अमर, अविनाशी, अटल और अद्वितीय
राजीवभाई एक "देशी मर्द" , न भूतो न भविष्यति

अधिक जानकारी के लिए इंटरनेट यु ट्यूब पर राजीव दीक्षित को सर्च करे

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