प्यार की सिमा - 2 Sanjay Nayka द्वारा नाटक में हिंदी पीडीएफ

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प्यार की सिमा - 2

 

(पुनः पूर्णविराम प्राप्त करती एक प्रेम-गाथा)

Full length Hindi Natak

PART-2

[तीसरा दृश्य]

(सुबह का वक्त है| राहुल कसरत कर रहा है और कसरत करते-करते पसीने में तरबतर हो गया है और वह गहरी-गहरी श्वास ले रहा है, मानो 100 मीटर की दौड़ लगाकर आया हो | डोरबेल बजती है|)

राहुल : प्रिया, प्लीज दरवाजा खोलोगी ?

(प्रिया का कोई जवाब नहीं आता है|)

राहुल : प्रिया... ??

(पुनः कोई आवाज नहीं आती है, अतः राहुल हाँफता-हाँफता दरवाजा खोलने के लिए जाता है| तब ही वहाँ शांति आंटी आ जाती हैं|)

शांति आंटी : ओह, सॉरी सॉरी गलत समय पर आ गई| कुछ देर के बाद आती हूँ, बाय ...

(आंटी चली जाती हैं|)

राहुल : अरे आंटी ? क्या हुआ ? ऐसा कुछ नहीं ! खाया- पिया कुछ नहीं और ग्लास तोड़ा बारह आना

(आंटी चली जाती हैं और राहुल दरवाजा बंद करता है| प्रिया झाडू लेकर आती है|)

प्रिया : मुझे बुला रहे थे ? कौन आया था ?

राहुल : शांति आंटी थीं, आप कहाँ थीं ?

प्रिया : एक चूहा रसोईघर में घूम रहा था, उसे ही ढूंढ रही थी|

राहुल : ओह !

(प्रिया फिर रसोईघर में जाती है| राहुल स्वयं को व्यवस्थित करता है| पसीना पोंछता है, पानी पीता है और अपने कमरे में जाता है| प्रिया झाडू लेकर चूहे को पकड़ने के लिए दौड़ती- दौड़ती आती है और चूहे के आगे-पीछे भागती है| लेकिन चूहा हाथ में नहीं आता है| प्रिया थक कर एक जगह खड़ी रहती है और गहरी-गहरी श्वास लेती हैं | फिर डोरबेल बजती है| प्रिया दरवाजा खोलने के लिए हाँफती-हाँफती जाती है| फिर शांति आंटी आती हैं|)

शांति आंटी : अब भी ?? सॉरी-सॉरी (आंटी जाती है|)

प्रिया : अरे आंटी ! क्या हुआ आंटी ?

(राहुल आता है|)

राहुल : कौन था, प्रिया ? और तुम हांफ क्यों रही हो ?

प्रिया : शांति आंटी थीं और सॉरी-सॉरी कह कर चली गईं |

राहुल : शांति आंटी भी न ! उस समय तुम भी इसी तरह हाँफ रही थीं ?

प्रिया : हाँ, क्यों क्या हो गया ? और तुम भी मतलब ?

राहुल : अरे, मैं सवेरे कसरत कर रहा था, उस समय पसीने से तरबतर गहरी श्वास ले रहा था और तब उसी समय शांति आंटी आ गईं व पसीने से तरबतर और गहरी श्वास लेते देख कर वेज बात को नान-वेज समझ कर चली गईं और फिर तुम हाँफती-हाँफती गईं, इसलिए उन्हें फिर शायद नान-वेज विचार आया होगा| ये शांति भी नान-वेज आंटी हैं|

प्रिया : अच्छा ! अब समझीं (क्षणिक शर्मीली हास्य देती हुईं) इसीलिए आप कह रहे थे कि ‘खाया- पिया कुछ नहीं ग्लास तोड़ा बारह आना’ क्यों ?

(मजाक करती हुई झाडू उठा लेती है|)

राहुल : नहीं, मैंने ऐसा कहाँ कहा ?

(प्रिया झाडू लेकर राहुल की ओर आती है|)

राहुल : आंटी के चक्कर में मुझे मार खाने की नौबत आएगी| प्रिया... देख तेरे नीचे चूहे... चूहे...

(प्रिया का ध्यान हटाते हुए कहा)

प्रिया : कहाँ है, कहाँ है (चूहे को मारने के लिए इधर-उधर देखती है|)

(प्रिया के झाडू से बचते हुए राहुल अपने कमरे में जाता है|)

प्रिया : बाहर निकलो तो ?

राहुल : नहीं ! यह मेरा इलाका है और मेरे इलाके में आने के लिए आदमी दस बार सोचता है |

प्रिया : इलाके की क्या बात करते हो ! बाहर आओ, सब इलाके भुला दूँगी|

राहुल : तुम आओ मेरे कमरे में, मम्मी-पापा का खेल नहीं खेलूँगा बस !

प्रिया : किसी दिन तो बाहर निकलोगे न ! तब देख लूँगी|

(प्रिया अपने कमरे की ओर जाती है|)

राहुल : हम तुम एक कमरे में बंद हों और चाबी खो जाए |

(प्रिया गुस्से में राहुल की ओर झाडू फेंकती है|)

राहुल : अरे, देख कर, लग जाएगी (झाडू से बचता हुआ बड़बड़ाता है)

(राहुल मेज के ड्राअर में से एक सिगरेट निकालकर मुँह में लेता हुआ लाइटर ढूँढता है

और तब ही वहाँ प्रिया आ जाती है)

प्रिया : किस खुशी में सिगरेट पी जा रही है?

राहुल : ओह प्रिया ! नहीं, यह तो कभी किसी वक्त ही !

प्रिया : सिगरेट इज इन्जुरियस तू हेल्थ ! सेहत के लिए हानिकारक होती है|

राहुल : फ़िल्मी डायलाग है| जब प्रिया जिंदा थी, तब उसने मेरी सिगरेट

छुड़ाने की बहुत कोशिश की, लेकिन नहीं छुड़ा सकी !

प्रिया : मैं सिगरेट छुड़ा दूँ तो ?

राहुल : तुम जो कहोगी, वह करूँगा |

प्रिया : ऐसा है ? तो लाओ सिगरेट

राहुल : क्यों, तुम पीनेवाली हो ?

(राहुल प्रिया को सिगरेट देता है| प्रिया सिगरेट लेकर उस पर ‘प्रिया’ नाम लिखती है

और राहुल को दे देती है|)

प्रिया : यह लो ! सिगरेट पर ‘प्रिया’ नाम लिख दिया है, अब देखना है कि तुम प्रिया को किस तरह सुलगाते हो !

राहुल : ओह ! एक सिगरेट पर नाम लिख दिया, लेकिन दूसरी सिगरेट का क्या ?

प्रिया : पहली भी प्रिया थी ! और दूसरी भी प्रिया ही है, अब तुम्हारी मर्जी !

राहुल : पहली प्रिया को तो खो दिया, लेकिन अब दूसरी प्रिया को खोना नहीं चाहता हूँ|

(राहुल सिगरेट नष्ट कर देता है|)

प्रिया : गुड !

राहुल : प्रिया ! एक बात पूछना चाहता था !

प्रिया : हाँ, बोलो !

राहुल : तुम मेरी स्वर्गवासी पत्नी से कभी मिली थीं ?

प्रिया : नहीं तो ? क्यों क्या हो गया ?

राहुल : तुम्हारे हाथों से बने व्यंजनों का स्वाद इतना समान कैसे है ? मतलब कि सुबह की चाय, दोपहर का ऊँधिया और शाम के आलू-बड़े ! वाह ! वाह प्रिया, तुम्हें मान गए !

प्रिया : इसमें इतना सोचने जैसा कुछ नहीं है ! आपको व्यंजन अच्छे लगे न ? बस तो फिर |

(प्रिया रसोई की ओर जाती है|)

राहुल : प्रिया ? (जाती हुई प्रिया को रोकने के लिए कहा और प्रिया खड़ी रहती है|)

प्रिया : हाँ, बोलो !

राहुल : तुमने प्रिया की कमी को कुछ हद तक पूरा कर दिया है |

प्रिया : मतलब ?

राहुल : मेरा मतलब ये कि सुबह की कड़क मीठी पुदीना वाली चाय ! दोपहर में मजेदार मस्त स्वादिष्ट पाव-भाजी ! शाम को गर्मागर्म आलू-पूरी ! अब रात का भी जुगाड़ कर दो |

प्रिया : रात का क्या जुगाड़ (जोर से चीखते हुए)

राहुल : अरे !! तुम गलत सोच रही हो, मैं तो रात के भोजन के लिए

लहसन के साथ आलू की सब्जी की बात कर रहा था |

प्रिया : फिर ठीक है !

राहुल : तुम क्या समझीं (मजाक करते हुए )

प्रिया : आप जितने सामाजिक लगते हो, उतने हो नहीं !

(राहुल हल्के से मुस्कराता है| प्रिया रसोईघर की ओर चल देती है|)

राहुल : प्रिया ! वह रात में मेरे सिर में तेल डालकर मालिश कर देती थी|

(ऐसा मन ही मन बड़बड़ाता है, जिसे प्रिया नहीं सुन सके|)

(राहुल के मोबाईल पर फोन आता है|)

राहुल : हाँ बोलो, एच आर मेडम !

एच.आर. : हाँ राहुल भाई, आप कब ऑफिस ज्वाइन कर रहे हो ?

राहुल : अरे शादी की छुट्टी मिली है, तो फिर जब छुट्टियाँ पूरी हों, उसके बाद ही ऑफिस ज्वाइन करूँगा न !

एच.आर. : ओ.के., वह तो तुम कहते थे न कि तुम पहले ही ऑफिस ज्वाइन कर लेने वाले हो, इसलिए फोन किया |

राहुल : हाँ, कहता था, लेकिन अब बात कुछ अलग है |

एच.आर. : क्यों , अब क्या हो गया (मजाक करते हुए)

राहुल : अरे आप तो... ?

एच.आर. : ओह, टॉप सीक्रेट ! कुछ नहीं एंजाय करो ! बाय

राहुल : बाय

(फोन कट करता है|)

राहुल : (स्वगत) क्या हुआ ?? इन्हें क्या कहूँ कि मुझे ‘पुनः प्रेम हो गया है’ (रोमांटिक संगीत बज रहा है)

कल प्रिया का बर्थ डे है, यह मैंने उसके पान कार्ड में देख लिया है| कल उसे प्रेम का इकरार कर दूँगा, देखो उसे कैसा सरप्राईज देता हूँ !

(राहुल मन ही मन खुश होता हुआ अपने कमरे में जाता है और प्रिया अपने कमरे में से निकलती है और ऐसा चेहरा बनाती है, मानो उसने राहुल की सब बात सुन ली है|)

[अँधेरा]

[चतुर्थ दृश्य]

(प्रिया एक हाथ में सूटकेस और दूसरे हाथ में एक कागज लेकर अपने कमरे से आती है| उसका पहनावा और बाह्य रूप आज कुछ अलग है| दुल्हन की लाल साड़ी के स्थान पर उसने जीन्स पेंट और टी-शर्ट पहना हुआ है| गले का मंगलसूत्र व माथे का कुमकुम गायब है| आज प्रिया विवाहित स्त्री नहीं, बल्कि एक कुँवारी कन्या जैसी लग रही है| जहाँ रेडिओ रखा है, प्रिया वहाँ आकर खड़ी हो जाती है| हाथ में रखा कागज रेडिओ के पास रख देती है और उस कागज पर मंगलसूत्र रखकर वहाँ से जाने की तैयारी करती है, लेकिन उसकी भूल से रेडिओ का स्विच चालू हो जाता है|)

रेडिओ की आवाज : हेलो, मेरा नाम राहुल है |

(राहुल का नाम सुनते ही प्रिया के आगे बढ़ रहे कदम रुक जाते हैं|)

आर. जे. : राहुलजी, आपका इस प्रोग्राम में स्वागत है, जिसका नाम है ‘डायरेक्ट दिल तक’, तो बताइए आप आपका संदेश किसे भेजना चाहते हैं ?

राहुल : मेरी पत्नी को

आर. जे. : क्यों क्या इस समय आपकी पत्नी आपके साथ नहीं है?

राहुल :नहीं, ऐसा नहीं है| वह मेरे साथ ही रहती हैं, लेकिन बात यह है कि यह मेरी दूसरी शादी है और मेरी पत्नी का नाम प्रिया है | प्रिया की भी यह दूसरी शादी है ! शादी के पहले दिन ही हम दोनों ने यह तय कर लिया कि हम दोनों एक-दूसरे के साथ पति-पत्नी के रूप में नहीं बल्कि फ्रेंड्स के रूप में रहेंगे, क्योंकि हम दोनों ने शादी घरवालों की खुशी के लिए की थी, न कि मन की खुशी के लिए | लेकिन कुछ दिन प्रिया के साथ हँसी-मजाक में बिताने के बाद, मेरे शुष्क दिल में प्रेम के अँकुर फूटने लगे | मेरे चट्टान जैसे मन में जैसे कोई कुछ कुरेद गया था | मेरी पहली पत्नी की मृत्यु के बाद मैंने निश्चय किया था कि अब मैं प्रेम नहीं करूँगा, लेकिन अब लगता है मुझे पुनः प्रेम हो गया है |

(प्रिया रेडिओ की ओर देखती है|)

आर. जे. : राहुलजी ! तो भेजें आपका संदेश आपकी प्रिय प्रिया को !

राहुल : हैप्पी बर्थ डे प्रिया ! मुझे माफ़ करना कि मैं मेरे प्रेम का इजहार करने के लिए रेडिओ का सहारा ले रहा हूँ, क्योंकि शायद तुम्हारे समक्ष मैं नहीं कह सकूँगा कि प्रिया, मैं तुमसे बहुत प्रेम करता हूँ |

(राहुल के शब्द सुनकर प्रिया को बहुत अचरज होता है| बेकग्राउंड में जोरदार संगीत बजता है|)

आर. जे. : हैप्पी बर्थ डे प्रिया ! तो प्रिया को आप कौनसा गीत सुनाना चाहते हैं|

राहुल : दो दिल मिल रहे हैं, मगर चुपके-चुपके...

आर. जे. : तो आपकी प्रिया के लिए आ रहा है आपकी पसंद का रोमांटिक गीत|

ओ. के. बाय | गीत ‘दो दिल मिल रहे हैं, मगर चुपके-चुपके...’

बजता है और प्रिया अपना सामान लेकर घर से बाहर चली जाती है |

(प्रिया के जाने पर अँधेरा हो जाता है और कुछ देर बाद फिर रोशनी हो जाती है|)

(ड्राइंगरूम में रेडिओ बज रहा है | राहुल ‘प्रिया...’, ‘प्रिया...’ नाम से आवाज

लगाता हुआ आता है | राहुल के हाथ में केक है |)

राहुल : ‘प्रिया.....? , ‘प्रिया.....? कहाँ हो ? अरे, रेडिओ भी चालू है |

(राहुल रेडिओ बंद करता है| केक रखकर प्रिया को ढूँढने के लिए राहुल रसोईघर में जाता है, लेकिन वहाँ उसे प्रिया नहीं मिलती है, इसलिए वह प्रिया के कमरे के पास खड़े होकर उसे बुलाता है|)

राहुल : ‘प्रिया...’, ‘प्रिया... ?

(प्रिया के कमरे से आवाज न आने पर, वह उसके कमरे में जाता है, लेकिन कमरे में से भी प्रिया दिखाई नहीं देती है, इसलिए वह उदास होकर मेज के नजदीक वहाँ खड़ा रहता है, जहाँ रेडिओ है| अब राहुल की नजर कागज व मंगलसूत्र पर जाती है |

भयभीत नजरों से राहुल मंगलसूत्र की ओर देखता है और फिर काँपते हाथों से कागज़ उठा कर पढ़ता है |)

प्रिया की आवाज : राहुल, मुझे माफ करना ! मैं तुम्हारे जीवन से हमेशा के लिए जा रही हूँ |

(इतने शब्दों को पढ़ कर राहुल को आघात लगता है |)

आप भी सोच रहे होंगे कि इतने दिन हँसी-खुशी रही और अब अचानक जा रही है ! राहुल आप दिल से एकदम सच्चे व प्रमाणिक हो | यदि मैं आपसे कहूँ कि आपने मुझ से कोई बात छिपाई नहीं है, तो यह गलत नहीं होगा | आप एक दर्पण की तरह हैं | लेकिन ... मैं वैसी नहीं हूँ | मैंने आपसे कई बातें छिपाई हैं | मैं इतने दिनों से आपको धोका दे रही थी |

(ऐसा जोरदार संगीत बजता है, मानो इस वाक्य से राहुल के दिल पर खंजर चुभा हो |)

शादी के पहले दिन ही मैंने कहा था न ? कि मेरी शादी हो गई है और मेरे पति की मृत्यु हो गई है | वह सब मैंने झूठ कहा था| लेकिन हकीकत यह है कि शादी के पहले मैं एक लड़के के प्रेम में थी और हम दोनों की विवाह-बंधन में बंधने की इच्छा थी | मैंने मेरे घरवालों को मेरे प्रेम की बात की, लेकिन वे नहीं मानें | लेकिन मैं तो उसी लड़के के साथ शादी रचाना चाहती थी | इसलिए हमने घर छोड़ कर कोर्ट-मैरेज करने का निर्णय लिया | प्रेम में प्रेमी सब भूल जाते हैं, लेकिन वहाँ मैं मेरी वास्तविक उम्र ही भूल गई थी | मैं भूल गई थी कि मैंने अभी 18 वर्ष पूरे नहीं किए हैं | अभी भी 18 वर्ष पूरे होने में 6 महीने बाकी थे, इसलिए तय किया कि ये 6 माह घर पर ही बिताएँगे और 18 वर्ष पूर्ण होने पर घर से भाग कर कोर्ट-मैरेज कर लेंगे और फिर हमारा अलग संसार बसाएँगे | लेकिन हमारा विचार हमारा नहीं हुआ| इन 6 महीनों को पूरा होने में कुछ दिन शेष थे, कि मेरे पापा को हार्ट-अटैक आ गया| पापा की हालत नाजुक होने के कारण मुझे आपके साथ शादी करना पड़ी | आपके साथ शादी हुई, तब 18 वर्ष पूर्ण होने में 7 दिन बाकी थे | सच कहूँ तो मात्र ये 7 दिन बिताने के लिए ही आपके साथ शादी की थी| ये दिन बिताने और आपका मुझ पर किसी तरह का शक न हो, इसलिए मैं आपके मनपसंद व्यंजन बनाकर खिलाती रही | आप मेरे संबंध में कुछ गलत न सोचें, इसलिए मैंने आपसे कुछ हँसी-मजाक की| अब आप यह सोचते होंगे कि मुझे यह कैसे मालूम हुआ कि आपके मनपसंद व्यंजन आपकी स्वर्गवासी पत्नी कैसे बनाती थीं ? उसका जवाब है, आपकी स्वर्गवासी पत्नी की डायरी ! उस डायरी में आपकी पत्नी जब जिंदा थी, तब उसने आपके मनपसंद व्यंजनों के बारे मैं और उनकी विधि लिखी है, अतः उसमें से देखकर व्यंजन खिलाए और आपने उनकी तारीफ़ की|

(राहुल की आँखों से आँसुओं का तेज प्रवाह बहने लगा |)

आज मेरी बर्थ डे है और आज से मैं 18 वर्ष की हो गई हूँ तथा अब मुझे कोर्ट-मैरेज करने से कोई नहीं रोकेगा | मैं मेरे प्रेम के पास जा रही हूँ | हो सके तो माफ़ करना | मुझे मालूम है कि आप मुझसे प्रेम करने लगे हैं, लेकिन आप मुझे पुनः माफ़ कर देना, लेकिन अब मुझसे पुनः प्रेम नहीं हो सकेगा | मुझे आशा है कि आप आपके प्रेम के प्रेम में अड़चन नहीं बनेंगे |

प्रिया ....

(पत्र पढ़ कर राहुल उसकी स्वर्गवासी पत्नी की तस्वीर के सामने नजरे गढ़ाए, आँखों में आँसुओं के महासागर के साथ निढाल होकर गिर पड़ता है और इतने जोर से चीखता है, मानो उसके दिल में किसी ने खंजर घोंप दिया हो !)

‘प्रि........ या......’

[अँधेरा]

[पाँचवाँ दृश्य]

आवाज: 6 माह के बाद

(राहुल के ड्राइंगरूम की दशा फिर वैसी ही अव्यवस्थित हो गई है, जो शादी के पहले के दिनों में थी| उदासी से घिरा राहुल ड्राइंगरूम में इधर-उधर चक्कर लगा रहा है | राहुल के लिए अब समय काटे, नहीं कट रहा है | अचानक उसके पैर रुक गए और वह जेब से सिगरेट निकालकर मुँह में रखता है और फिर पुनः कुछ विचार आता है और वह सिगरेट फेंक देता है और रेडिओ की ओर जाकर रेडिओ चालू करता है |)

गीत बज रहा है – ‘ओ जानेवाले, हो सके तो लौट के आना’

राहुल चैनल बदलता है|

दूसरा गीत बजता है – ‘मेरा जीवन कोरा कागज़, कोरा ही रह गया’

फिर चैनल बदलता है, गीत है- ‘जिएँ तो जिएं कैसे बिन आपके’

फिर चैनल बदलता है, गीत है- ‘अच्छा सिला दिया, तूने मेरे प्यार का’

राहुल : अरे, रेडिओ पर जब चाहे तब किसी भी मूड के गीत बजते हैं, जब रोमांटिक गीत बजना चाहिए, तब नान-वेज गीत बजते हैं और जब खुशी के गीत सुनना हो, तब दर्द भरे गीत बजते रहते हैं|

(राहुल फिर रेडिओ की चैनल बदलता है, गीत है- ‘प्रिया तू...... अब तो आजा ....’ दरवाजे में से शांति आंटी ऐसे मुस्काती हुई आती हैं, मानो गीत उनके लिए ही बजाया गया हो|)

शांति आंटी : हाँ, मैं आ गई हूँ |

(आंटी को देखकर राहुल रेडिओ बंद कर देता है|)

शांति आंटी : अरे मधुर गीत है न, बजने दे !

राहुल : अरे आंटी आप ? अंकल का तो ट्रांसफर हो गया था न ?

शांति आंटी : ट्रांसफर कैंसल करा दिया और 6 महीने में फिर रिटर्न फाईल

राहुल : रिटर्न फाईल ?

शांति आंटी : अरे वापिस आ गए !

राहुल : ओह !

शांति आंटी : प्रिया कहाँ है ? कहीं बाहर गई है ? मेरी आवाज सुनकर

तो वह अब तक आ गई होती !

राहुल : प्रिया ? प्रिया तो नहीं है |

शांति आंटी : नहीं ? मतलब ?

राहुल : मतलब वह गई है |

शांति आंटी : कहाँ गई ?

राहुल : वह, उसके घर गई है |

शांति आंटी : ओह, क्यों क्या हो गया ?

राहुल : अरे आंटी ! पत्नी मेरी है और मुझे जितनी चिंता नहीं है, उससे अधिक चिंता आपको हो रही है |

शांति आंटी : हाँ इसीलिए ! चिंता नहीं से मतलब ? दोनों के बीच लड़ाई-झगड़ा

हुआ क्या ?

राहुल : आंटी, ऐसा कुछ नहीं | आपको कहा न कि वह उसके घर गई है |

शांति आंटी : तुम मुझसे कुछ छिपा रहे हो |

राहुल : अरे आंटी, आप चीनी भाषा जानती हैं ?

शांति आंटी : नहीं, लेकिन चीनी व्यंजन बनाना जानती हूँ|

राहुल : तो मैंने हिंदी में ही कहा था कि ऐसा कुछ नहीं है | चलो, मुझे ऑफिस जाने में देरी हो रही है |

शांति आंटी : ओह ! चलो, तो मैं भी इजाजत लेती हूँ |

राहुल : थैंक यूं आंटी !

(शांति आंटी कुछ कदम चलीं और अचानक बोल पड़ीं |)

शांति आंटी : ओह, अब समझीं !

राहुल : क्या समझीं ?

शांति आंटी : समझ गई कि कोई गुड न्यूज है, इसलिए प्रिया उसके घर रहने गई है, ठीक है न ?

राहुल : काश, मैं आर्मी में होता !

शांति आंटी : आर्मी में ?

राहुल : उन्हें एक खून माफ़ होता है न ?

शांति आंटी : हाय-हाय, तुम किसका खून करना चाहते हो ?

राहुल : 2 मिनट खड़ी रहो ! मैं किचन से चाकू लेकर आता हूँ, फिर बात करते हैं |

शांति आंटी : अरे, मुझे एक काम याद आ गया | मैं जाती हूँ |

(शांति आंटी जल्दी-जल्दी चली जाती हैं| राहुल जोरों से दरवाजा बंद करता है |)

राहुल : क्या गुड-न्यूज ? पिछले एक साल से न्यूज-पेपर भी नहीं पढ़ा है| गुड-न्यूज की बात करती हैं !

(राहुल के मोबाईल पर फोन आता है | राहुल अपने कमरे से झाडू लेकर आता है |)

राहुल : हेलो, कौन ? बोलो ?

सामने से : तुम्हारा बाप बोल रहा हूँ !

राहुल : बोलो बाप !

सामने से : तुम्हारा बाप बलवंतराय बोल रहा हूँ |

राहुल : पिताजी (एकदम चौंक कर) क्यों, आपके फोन को क्या हुआ ?

पिताजी : अभी रिपेरिंग में है | हर वक्त हम ही फोन कर, तुम्हारी सेहत के बारे में पूछते हैं ?

राहुल : अरे पिताजी ! काम में और काम में....

पिताजी : चलो अब रहने दो ! बहाने बंद करो ! और बताओ अपने हालचाल ? कोई समाचार ?

राहुल : नए भी नहीं और पुराने भी नहीं !

पिताजी : क्या ?

राहुल : अरे पिताजी !

पिताजी : चल अब रहने दे ! लो तुम्हारी माँ के साथ बातें करो !

(राहुल की माता बात करती है |)

माँ : राहुल बेटे ! कल हम शाम की बस से तुम्हारे घर आ रहे हैं |

तुम हमें लेने के लिए आ जाना | चलो, फोन रखती हूँ |

राहुल : माँ ? हेलो ?

(फोन कट हो जाता है| राहुल माँ को पुनः फोन लगाने की कोशिश करता है, लेकिन फोन स्विच ऑफ आता है |)

राहुल : (स्वगत) अरे, माँ ने भी फोन एस.एम.एस जैसा किया| क्यों आ रहे हैं ? कारण भी नहीं बताया | माताजी- पिताजी आएँगे और प्रिया के बारे में पूछेंगे, तो क्या कहूँगा ? चलो, देखते हैं कि मेरे जीवन में कितने चक्कर हैं या फिर मैं ही घनचक्कर हूँ |

[अँधेरा]

[छठा दृश्य]

(माताजी- पिताजी का सामान लेकर राहुल ड्राइंगरूम में आता है और वे घर के ड्राइंगरूम की ओर नजर करते हैं | घर का ड्राइंगरूम एकदम व्यवस्थित और सुघड़ लग रहा था | कमरे की साफ-सफाई ऐसी थी, जैसी शादी के दूसरे दिन प्रिया ने की थी | घर की सफाई देखकर राहुल चौंक जाता है और सोचता है कि इस कमरे की साफ-सफाई किसने की होगी ?)

राहुल : आइए, माँ-पिताजी आइए !

पिताजी : हाँ, अब अंदर ही आना है, और कहाँ जाएँगे ? (पिताजी ने राहुल की बात पर कैंची चला दी |)

माँ : वाह राहुल ! घर तो एकदम सुंदर रखा है न ?

पिताजी : अरे यह क्या रखेगा साफ-सफाई ? साफ-सफाई तो प्रिया ही रखती होगी ! याद है न जब पहले आए थे, तब कमरे की क्या हालत थी ? रूमाल सोफे पर लटक रहा था, कचरा कहीं भी पड़ा हुआ था और कपड़े कुर्सी पर और चड्डी- बनियान फर्श पर फैले हुए थे |

राहुल : पिताजी ...... !

पिताजी : चल, अब रहने दे |

माँ : बस करो न अब ! अभी तो आए हो और चालू हो गए ! चलो बैठो !

(माताजी-पिताजी बैठ जाते हैं |)

माँ : राहुल बेटे ! प्रिया कहाँ है ? अब तक बाहर नहीं आई ?

राहुल : कुएँ में होगा, तब ही घड़े में आएगा न ? (धीरे से बोला|)

माँ : क्या ?

राहुल : माँ-पिताजी आपके साथ मुझे एक जरूरी बात करना है !

(राहुल माँ-पिताजी के पास घुटनों के बल बैठ जाता है |)

माँ : क्या हुआ बेटे ? कोई चिंता की बात है?

राहुल : प्रिया की ही बात है ! यदि आप गुस्सा न करें तो !

पिताजी : गुस्सा नहीं, लेकिन लकड़ी से जरूर मारूँगा, यदि तुमने कोई बात छुपाई तो ?

माँ : अरे, दो मिनट ! आप शांत हो जाओ ! तुम बोलो बेटे !

राहुल : बात यह है कि !

(उसी समय प्रिया सबके लिए ठंडे पेय लेकर आ जाती है |)

प्रिया : कैसे हो माँ-पिताजी ?

(प्रिया की आवाज सुनते ही राहुल एकदम आश्चर्यचकित हो जाता है |)

राहुल : प्रिया .... ??

(माँ-पिताजी को प्रिया ठंडे पेय देती है और एक ग्लास राहुल को देने के लिए भी जाती है | राहुल के पास प्रिया आकर ऐसे खड़ी हो जाती है, मानो कुछ हुआ ही न हो ! प्रिया की ओर राहुल रोष भरी नजरों से देखता है और उसे मालूम होता है कि प्रिया के चेहरे व स्वभाव में कोई बदलाव नहीं आया है, लेकिन ... यह क्या, प्रिया प्रेग्नेंट है ...... ??? उसके मन में सवालों की तरंगें उछलने लगती हैं| प्रिया को मुझे छोड़े 6 महीने हो गए और जब साथ रहते थे, तब भी अलग-अलग कमरों में रहते थे और फिर यह प्रेगनन्सी ? माँ-पिताजी भी प्रिया के साथ ऐसा व्यवहार कर रहे हैं, मानो प्रिया की प्रेगनन्सी के बारे में उन्हें मालूम हो ! और यह बच्चा किसका है ?)

[अँधेरा]

[प्रथम अंक समाप्त]