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मुन्ना

मुन्ना …

नीरजा के पती का ट्रान्स्फर हो गया और वो दोनो इस शहर मे आये थे |

पेहेले दो तीन दिन हॉटेल मे रहने के बाद उनको एक अच्छा घर मिल गया |

जैसे ही सामान आ गया वो नये घरमे शिफ्ट हो गये |

ये नया घर याने आमने सामने छोटे छोटे बंगले वाली एक कॉलनी थी |

नीरजा की शादी हुये दस साल हुये थे | अभी तक तो उन दोनोका कोई बच्चा नही था |

मगर नीरजा को छोटे बच्चे बहोत पसंद थे | पती ब्यांक म्यानेजर थे तो उनको इस बारेमे सोचने को टाईम ही

नही मिलता था | उनका तो मानना था जब जब जो जो होना है तब तब सो सो होगा | इसमे सोचने वाली कौनसी बात है ..? सोचने से परिस्थिती मे बदल तो नही हो सकता | मगर नीरजा का क्या ?

वो तो पेहेलेसे बहोत भावुक थी, उसपर पती का ये फंडा उसके पल्ले नही पडता था | दिन भर पती काममे व्यस्त होते थे, रातको देर से आते थे ..कभी कभी तो छुट्टी मे भी काम ...रीश्तेदार, फ्रेंड्स दुरके गावमे थे | हर दो बरस बाद पती की ट्रान्स्फर की वजह से नये रिश्ते जुडते, पुराने छुट जाते | घरमे दो लोगोका कुछ ज्यादा काम भी नही होता था | ऐसेमे नीरजा बहोत “बोअर” होती थी और बच्चा न होने के कारन दुखी भी | मायके और ससुराल के लोगोने अब तो पक्का ही किया था की नीरजा को बच्चा होगा ही नही, इसलिये कोई उसको अब कुछ नही पुछता था..| आज सुबह नीरजा जग गयी नये घरमे तो उसे बहोत ही फ्रेश लग रहा था | चार दिन हॉटेल मे गुजारकर थोडी उब सी गयी थी वो ..| बेड रूम के बाहर ही एक बडा सा पेड था, लाल छोटे छोटे फुल उसपर गदराये थे | कुछ “अलग “सी खुशबु भी मेहेसुस हो रही थी ..पंछी भी चहक रहे थे | फ्रेश होकर उसने अपने लिये चाय तय्यार की | पती दो दिन कामके वास्ते बाहर थे | अकेली वो चाय का बडा वाला मग लेकर बरामदे की कुर्सी मे आके बैठ गयी | बाहर कॉलोनी मे लोगो की चेहेल पेहेल शुरू हुई थी | अचानक उसे मेहेसुस हुआ दरवाजे के बाहर से कोई झाक रहा था | वो दबे पाव बाहर गयी ..और देखा तो क्या एक दो तीन सालका छोटा बच्चा टूकुर, टूकुर देख रहा था | “हम आपके घर मे आ सकते है क्या ?सवाल सुनकर उसे हसी आ गयी ..,”जी बिलकुल आ सकते है किसने रोका है ?मम्मी बोलती है किसीके घर बिना पुछे नही जाते ..अब तो पुछ लिया है ना ..अब आओ अंदर ..नीरजा प्यार से बोली | उसने देखा बच्चा बडा ही प्यारा था, गोरा रंग, भुरी बडी बडी आखे, लाल लाल गाल, छोटे छोटे दात, काले काले बात तेल लगाकर सवरे हुये.| “क्या नाम है तुम्हारा ?हमारा नाम नीरज है और आपका ?“ बच्चे ने पुछां नीरजा को आचरज लगा, उसका और बच्चेका नाम एक जैसा था ये तो एक संजोग वाली बात थी | “वो बोली “मेरा नाम भी नीरजा है लेकीन तुम मुझको मौसी बुला सकते हो और मै तुमको मुन्ना बोलुंगी चलेगा ना “हा मौसी ..लेकीन आपका नाम नीरजा कैसे रखा ? ये तो मेरा नाम है “नीरजा हस दि, उसे अपने पास लिया और बोली ..”ये बताओ तुम खुद को “हम “क्यो बोलते हो ?“क्योंकी हम अब बडे हुवे है, अपने आप नहाते है, दुध पिते है, खाना भी खाते है और अगले बरस स्कुल भी जानेवाले है तो बोलो मौसी अब तो है न हम बडे ?”उसकी बाते सुनकर नीरजा बडी खुश हुई ...“चलो अंदर तुमको कुछ खाने को देती हु ““नही नही मम्मी गुस्सा होगी, मैने तुम्हारे घर मे कुछ खाया तो ..“मै समझा दुंगी मम्मी को…आओ अंदर”“और मौसी ये भी बताना उसको की तुमने बुलाया इसलिये मै अंदर आया | ”“ हा बाबा वैसे ही बोलुंगी, बोलो क्या चाहिये तुमको केक या बिस्कीट ?“वैसे तो मुझे केक पसंद है मगर तुम मुझे रोज केक मत देना क्योंकी रोज केक खांना ठीक नही है | बच्चा बडा ही होशियार था ..दोनो बाते करते रहे ..तभी बाहर से आवाज आई “नीरज कहा हो तुम ?...मम्मी मै यहा हु, नीरज ने जवाब दिया | तभी एक औरत अंदर आ गयी, और बोली नमस्ते मै नीरज की मम्मी, आप लोग आज ही आये हो ना ?नीरजा बोली हा आज ही आये, अभी अभी मेरे पतीका ट्रान्स्फर हुआ है यहा | “फिर वो बोली, ” देखो पेहेले हि दिन ये शैतान तुम्हारे घर मे घुसकर तुम्हे सता रहा ना ?”तभी नीरज बोला मम्मी ये मेरी मौसी है और इन्होने ही मुझे अंदर बुलाया मै तो बाहर खेल रहा था | नीरजा बोली, हा ये सच बोलता है ..”इस सुंदर बच्चे को मैने ही बुलाया था ..| अब नीरज की मम्मी भी हसने लगी और बोली दिदि इसे ज्यादा सरपे मत चढाओ, तंग करेगा तुम्हे | उसका दीदी बोलना नीरजा को पसंद आया, एक अपनापन मह्सुस हुआ | अब नीरज कब आके उसकी गोद मे बैठा उसे पता ही नही चला | थोडी बाते करके नीरजा के बारे मे मालूम करने के बाद वो चली गयी, वो बाहर कही नौकरी करती थी | उसके पती भी सेल्समन नौकरी के कारन ज्यादा तर बाहर थे तो उसने अपने यहा एक रिश्तेदार को लाया था नीरज की देखभाल करने के लिये | “ चलो अब घर मौसी को अपना काम करने दो ऐसे बोलकर वो नीरज को लेकर चल पडी | “मौसी मै बादमे फीर आऊंगा फिर खुब खेलेंगे हम लोग “कहकर नीरज चला गया | उस दिनसे मानो नीरजा की “जिंदगी ‘ही बदल गयी | वो छोटा दोस्त अब रोज आने जाने लगा उसके घरमे ...सुबह हुई नही की वो उसकी खिडकी कब खुलेगी देखता और जल्दी से ब्रश करके दुध पीकर आ जाता | फिर जब उसकी मम्मी काम पर चली जाती थी तो उसको बाय बाय बोलके सीधा नीरजा के यहा आता था | दुपहर हो गयी तो बस खाने और सोने के लिये घर जाता था | दो तीन बाद जैसे नीरजा को लगा जैसे वो उसके कुटुंब का एक सदस्य है | और मानो उन दोनोका कुच्छ पिछले जनम का “रिश्ता “ है | दिनमे दस बार उसके मुह से मुन्ना, मुन्ना निकल रहा था | नीरज की मम्मी को भी अजीब लगा, दो तीन दिन मे इतना घुल गया वो नीरजा के साथ जैसे बहोत दिनोसे उसे जानता था | बादमे जब उसके पती दौरे से वापस आ गये तो नीरजा को देख कर चकित रह गये | “क्या बात है नीरजा ?आज एकदम “खिली खिली” दिख रही हो “नीरजा मुसकायी .”तुम ही दो तीन दिन बाद आये हो और आतेही मेरा मजाक उडा रहे हो ?“नही नीरजा तुम बहोत ही “खुश और उत्साहित “लग रही हो | ऐसे दोनो बात कर ही रहे थे ..की मुन्ना दौडते दौडते आ गया ..और नीरजा के पती को देख कर बोला “मौसी ये कौन है और यहा क्या कर रहे है ?इस प्यारे बच्चे को देखकर नीरजा के पती एकदम चकीत रह गये ..“ अरे भाई ये साब कौन है हमे हमारे ही घरमे आने को रोकने वाले ?“हम तो मुन्ना है और ये हमारी मौसी “..मगर आप हमारे मौसी के घर क्यो आये हो ?नीरजा एकदम ठहाका लगाकर हसने लगी ..और पती को बोली, “ ये है नीरज उर्फ मुन्ना हमारा नया दोस्त ..और मुन्ना ये मेरे पती और तुम्हारे अंकल ““अरे वा बडा ही प्यारा है तुम्हारा दोस्त “..ऐसे बोलकर उसने मुन्ना को उठा लिया | “आपको भी हम प्यारे लगे ना ?मगर देखो ना मम्मी तो हमे “शैतान “बोलती है | फिर नीरजा और उसके पती के हसने से सारा घर भर दिया | नीरजा ने भी बहोत दिनो बाद अपने पतीको हसते हुये देखा | अब तो मुन्ना का सारा सारा दिन यही बितने लगा | उसके कुछ खिलौने, कपडे, स्टोरी बुक भी उसके साथ मौसी के घर ही रहने लगे | उसकी मम्मी को अब जबरन उसको घर ले जाना पडता था | वो बोलती थी, ”दिदि कितना सताता है मेरा बेटा तुम्हे और तुम हो के “उफ्फ” नही करती | ”

“ नही रे पगली उसके घर मे आतेही मानो रौनक आती है, और तुम भी अजीब हो मुझे दीदी बोलती हो उपर से मुन्ना की शिकायत करती “..नीरजा बोलती थी और ये सुनकर मुन्ना तालीया बजाता था| “अच्छा हुआ मम्मी तुम्हे मौसी ने डाटा”.. कभी कभी रात को भी मौसी के साथ सोने की “जिद “करता था और निरजा भी मना नही कर पाती थी | जब उसकी गोदमे मुन्ना सोता था तो उसको एकदम सुकून महसूस होता था | ऐसा ” सुख “मिलता था जो वो बयान नही कर सक्ती थी | एक मर्तबा नीरजा और मुन्ना किसी बागमे खेलने गये और खेलते खेलते अचानक वो भिड्मे नीरजा के नजरसे पार हो गया था | इधर नीरजा उसे बागके अंदर खोजने लगी और मुन्ना को लगा मौसी बाहर चली गयी इसलिये वो रस्ते पर चल दिया | उस समय तो नीरजा की जैसे “जान “निकल गयी थी ..| मगर सौभाग्य वश किसी औरत ने उसे देखा और नाम पुछां तो उसने खुदका और नीरजा का भी पुरा नाम बताया | वो औरत नीरजा के पती ओर नीरजा को भी जानती थी, इसलिये आधे घंटे मे उसने मुन्ना को नीरजाके घर पहुचा दिया था | लेकीन उस आधे घंटे मे नीरजा की हालत बहोत ही बुरी हुई थी | एक दिन मुन्ना घर आया तो नीरजा को अचानक उसका शरीर तपा हुआ ल्गां | उसने थर्मामिटर लगा के देखा तो हदसे ज्यादा बुखार लग रहा था | उस दिन नीरजा के पती भी घर नही थे और मुन्ना की मम्मी भी ऑफिस से देर से आनेवाली थी, फीर नीरजा ने झट से मुन्ना को उठाया और रिक्षा से सीधा अस्पताल ले गयी| डॉक्टर ने बोले वायरल बुखार है, अभी कम है मगर बढ सकता है | उनहोने जल्दी से “इलाज “चालु किया, सलाईन भी लगाया | दो तीन दिन हुये उसे ठीक होकर घर आनेमे तब तक नीरजा दिन रात उसके पास अस्पताल मे बैठी रही | वो बुखार मे भी मौसी, मौसी करके पुकारता | जब अस्पताल से घर आया तो मुन्नाकी मम्मीके आखोमे आसू आ गये .| ”सच मे दीदी तुमने अपना मोसी का प्यार और कर्तव्य दोनो बखुबी निभाया | सच कहते है मौसी का प्यार मा से भी बडा होता है ..| ,मै तुम्हारा ये एहसान कभी नही भूल सकती “,, और रोने लगी | ऐसे ही बहोत कुछ खट्टी मिठी यादे मुन्नाके साथ जुडने लगी थी ऐसे ही दिन महिने और महिने साल मे कब बदल गये नीरजा को पताही नही चला | हाल ही मे तबियत बिगडने के कारन डॉक्टर के पास गयी थी तो उसे ये पता चला था की वो अब मां बनने वाली थी | इतने बरसो के बाद ये “खुश खबरी “सुन कर नीरजा और उसके पती तो खुशिसे झूम उठे थे | अब तो वो मानने लगी की मुन्ना उसके लिये बहोत “लकी “है | उसी दिन वो मुन्नाकी”मनपसंद “बर्फी लेकर गयी | मुन्ना को स्वीट बहोत पसंद था | मुन्ना की मम्मी भी बहोत ही खुश हो गयी | “मुन्ना अब तेरे साथ खेलने के लिये एक दोस्त आनेवाला है “..नीरजा बोली “उसको आने दो मौसी, मै खेलुंगा ..पर ये बर्फी उसको मै बिलकुल नही दुंगा और तुम्हारी गोदमे भी सिर्फ मै ही बैठून्गा ..मुन्ना बोला तब नीरजा बहोत हसी ..थी, अच्छा बाबा जैसा तुम चाहो अब खुश ? नीरजा बोली और वो मौसी के गले पड गया था अचानक एक दिन खबर आई नीरजा के पती का ट्रान्स्फर हो गया | ये ट्रान्स्फर अब रिजन के बाहर दिल्लीमे हुआ था और वो भी “प्रमोशन “पर | इस ह्प्तेमे उसे वहा जॉईन होना था | नीरजा को सुनकर जैसे “धक्का “लगा | अभी तो उसकी और मुन्नाकी “नयी दुनिया “बन रही थी ..और अब नये मेहेमान की भी “खबर “थी | वो अपनी सब खुशियोमे “मुन्ना “ का साथ चाहती थी | मगर ये अब क्या हुआ ..ये दुनिया तो छुटने वाली थी ..| फिर शुरूहुवी सब चीजे समेटने की तय्यारी ..नीरजा के पती दो दिनमे वहा जाकर घर “पसंद “करके आये थे | अब दो दिन मे सामान भेजना था | एक अहम बात ये थी की मुन्नाको ये बाते कौन और कैसे कहेगा और बादमे उसे समझायेगा कौन ? उसकी मम्मी भी “चिंता “मे पड गयी | मगर ये नौबत नही आयी, मुन्ना खुद ये समझ गया | मौसी तुम कही जा रही क्या “.एक दिन उसने पुछां “ हां मुन्ना अंकल का ट्रान्स्फर हुआ ना अब हमे जाना होगा “.बोलतेही नीरजा के आखोसे आसुकी “नदिया “बेहेने लगी | “रोती क्यो हो मौसी ? अंकल का ट्रान्स्फर हुआ वो चले जायेंगे, तुम कही नही जाओगी “और अगर मुझे छोडके गयी तो याद रखो मै तुम्हारे साथ कभी कभी बात नही करुंगा ..”और मुन्ना गुस्सा होकर अपने घर चला गया | अब उसको मनाना किसीके लिये मुमकिन नही था | उस रात नीरजा बहोत रोयी, रात भर सोये हुवे मुन्ना को बस देखती रही और मन ही मन उसने उसे छोड जानेके लिये माफी भी मांग ली | दुसरे दिन घरका सब सामान चला गया | मुन्ना जान गया अब मौसी भी चली जायेगी, उस दिन सुबह से वो नीरजा के घर बिल्कुल नही गया | बहोत गुस्सेमे वो अपने दोस्त के साथ स्कुल चला गया | बहोत नाराज था वो | मगर कोई क्या कर सकता था ?मुन्नाकी मम्मी और नीरजा दोनो एकदम गुमसुम सी हुवी थी | उस दिन मुन्ना की की मम्मी ने नीरजा को विदा करने के लिये छुट्टी ली थी, और नीरजा को खाने पर बुलाया था | दोनो खाना खाने को बैठी | मुन्ना की मम्मी ने बहोत अच्छा खाना बनाया था | मगर दोनो ने भरे हुये मनसे पानीके साथ निवाले लिये | नीरजा ने मुन्नाके स्कुल जानेके बाद उसे बिना बताये दिल्ली जाने के लिये “तय “ किया था, | अब मुन्नाके सामने से चले जानेकी उसकी” हिम्मत” नही थी | दिल्ली की फ्लाईट का टाईम हो गया तो मुन्नाके मम्मी के गले मिलकर वो रिक्षा से हवाई अड्डे के तरफ चल दि | मुन्नाके आने के बाद वो क्या “हंगामा “करेगा और ऊसका सामना उसकी मम्मी कैसे करेगी ये “सोच भी नीरजा के बस के बाहर थी | फ्लाईट उपर उडने लगी तो उसका “जी “भर आया और फिरसे आसू बहने लगे पता नही अब फीर मुन्नासे मुलाकात हो पायेगी की नही ये सोचकर,उमड उमड कर रो पडी नीरजा .. !!

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