ध्यान Suresh Kumar Patel द्वारा पत्रिका में हिंदी पीडीएफ

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ध्यान

सफलता की चाबी आपकी जेब में |

आजकल बस हरकोई अपने अपने तरीको से सब को सफल होने के नए नए नुक्स या नियम देते रहते है| एक बात हम सब को मान लेनी होगी की जीवन में हरकोई जो अपनी मजिल को पा चूका है, या फिर मंजिल की और बढ़ रहे है वह सब जानते ही है की उनको कैसे सफल होना है और क्या करना हैअपनी सफलता के लिए | वजह की हमें दूसरो को सफल होने के लिए कोई नियम देने के हमें खुदको अपने नियम जो अपनी खुद की पहचान बनाने के लिए जरुरी है उसे फॉलो करना चाहिए | हर किसीको अपने नियम अपने आप ही बनाने चाहिए | क्युकी हम खुद ही हमारी लिमिट तय कर सकते है और महत्वपूर्ण बात हमारी केपेसिटी हमें ही मालूम होती है, तो फिर दुसरो की कही हुई बाते या दुसरो के बनाये नियम, कानून हमें कैसे सफलता तक पोह्चायेंगे?

यह १००% सच है की हमारी खुद की चाह और जूनून ही हमें हमारी मजिल की राह पार करवा सकती है..! पर सफल होने के लिए हम हमारी ‘चाह’, ‘तलब’, ‘जूनून’, ‘तड़प’ तब ही पा सकते है जब हम खुद को खुद से पूछे..!! जी हा, खुद को कोई अगर राह दिखा सकता है तो वह और कोई नही है बल्कि वह खुद ‘आप’ ही है..! आप खुद से ही खुद को मोटिवेट कर सकते है बाकी कोई आप को एक मजिल तक की सीडी चड़ने के लिए भी मोटिवेट नहीं कर सकते | क्यूकि, ये मॉडर्नलाइफ जो खूब तेज़ोतरार है| आज की कही हुई बात कल पुरानी हो जाती है, और आज के बनाये नियम भी कल बदल जाते है| और इसमें हम दुसरो की कही बाते जाने उसे परखे और उसे इस्तमाल करे अपने कार्य में सफल होने के लिए उससे अच्छा है की हमारी अपनी खुद की बात जो हमारे लिए १००% बेहतर और जो खुद के काम के लायक होगी वही मान कर चले तो सफल होने के चान्स ज्यादा है|

पर एक प्रश्न है की हम अपने आप से ही अपने लिए ये सब मोटिवेट होने के तरीके या सफल होने के नियम जाने कैसे..? तो आईये जानते है एक एसा सरल, सहज और सतीक तरीका जो आप को आपके खुदके मोटिवेटर बनाने में खूब मदद करेगा | युगों युगों से एक पद्धति हमारे पूर्वज जिसे जानते आए है और मानते भी थे| जो सायद हम सब भी जानते है उसे अपनानी होगी और वह कुछ नहीं पर वह है ध्यान या बस ‘सहज ध्यान’|

हा, ध्यान या मेडिटेशन ही एक ऐसी टेक्निक या प्रणाली है जो हमें अपने खुद के अन्दर से अपने लिए जो अच्छा है जो सब से प्रभावसाली है, जो उपयोगी है और जो अपने लायक है वह सब करने के तरीके या नियम हमें बताती है| हमारे लिए जो अच्छा है वह सब अपने आप होने लगता है. बस जब से आप ध्यान करने लगो |

अब ध्यान कैसे किया जाता है वह भी सब को मालूम ही है| क्योकि यह एक नैसर्गिक प्रक्रिया है| तो इसमें फिर वही नियम लागू पड़ेगा जो मोटिवेशन के लिए लागू होता है, यानिकी कोई आप को मोटिवेट नहीं कर सकता सिवाय आपके| वैसे ही कोई आपको ध्यान में नहीं ले जा सकता बल्कि आप के खुद के सिवाय |

हा, ध्यान की टेकनिक अलग अलग है पर उन सब में से आप के शरीर को या आपके स्वाभाव को जो शूट करे वह टेकनिक से आप ध्यान लगा सकते है |

“ध्यान” और कुछ नहीं है पर बस अपने आप में खो जाना है | जब आप अपने अन्दर उतरते हो जब आपके मन में कोई विचार नहीं रह जाता है, आपका शरीर कोई प्रक्रीया नहीं कर रहा और आप एकदम शांत चित है वह एक सहज ध्यान की अवस्था है| और जब आप यह अवस्था में आने के लिए तैयार हो वही समय उचित है आपके लिए ध्यान करने का|

जब कोई आर्टिस्ट अपनी बेहतरीन कलाकृति बनाते समय जो मन्त्र मुग्ध हो जाते है वह भी एक सचेत ध्यान ही है और वह अवस्था भी आपको सम्पूर्ण ध्यान के फायदे दे सकती है| जैसे की आपको अन्तः स्फुरणा मिलनी| अपना मनचाहा काम करते समय भी कभी कभी आपको इन्त्युसन मिल जाते है वह भी आपको ध्यान के कारण ही मिलते है| जब की आप रेगुलर ध्यान नहीं भी करते तो भी आपको ऐसे चमत्कार या सरप्राईजीस मिलते रहते है| वह भी ध्यान का प्रताप है वह कैसे..?

तो सुनिए, जब आप पुरे दिन काम करके थक जाते हो और रात को चैन की नीद में कब आप ध्यान में चले जाते हो वह खुद आप को भी मालुम नहीं होता, तो गहरी नींद भी एक प्रकार से ध्यान ही है..!

रेग्युलर ध्यान करने से हमें अपने खुद के काम आये एसे इम्पोर्टेन्ट सवाल के जवाब भी अपने अन्दर से मिलते रहते है| इसीलिए तो ध्यान करना जरुरी होता है की जब आप रेग्युलर ध्यान करते हो तो आप का इंटरनल पावर मजबूत हो जाता है और अपने आप ही जो आपके लायक है या फिर आपके लिए बेहतर से बेहतर रास्ते है वह सब मिलने लगते है या फिर उन रास्तो पर आपका मन / विचार चल पड़ता है| जो आगे जाके आपको आपकी मंजिल को पाने के लिए काम आते है जो आपको कोई और कभी भी नहीं सिखा पाते| या फिर उनके नियम आपको यह रास्ते शायद कभी दिखा भी न पाते| आपको, मुजको, सब को जो अच्छा और सच्चा रास्ता दिखा सकता है वह केवल और केवल अपना खुद का मन है| तो मन की बात समजने के लिए या फिर मन से बाते उगलवाने के लिए भी हमें ध्यान करना आवश्यक बन जाता है|

जी हा, मन को जानने के लिए या फिर अपने मन को अपने वस् में करके अपने लिए काम करवाने के लिए भी ध्यान करना अत्यंत जरुरी है| मन को वस् में करने का एक ही तरीका है ध्यान| और अगर आपने अपने मन को वश में कर लिया तो समज लो आपकी मंजिल आपके कदम चूमेंगी...! क्युकी मन की अपार शक्तियों से आप कोई भी मुस्किलें पार कर सकते हो| तो फिर आपकी मंजिल भला आपके लिए क्या कोई बड़ी मुस्किल है..!?

यह फ़ास्ट लाइफ में सब सफलता पाने के लिए बड़े बड़े धुरंधरो के पास जाते है| पर वह लोग यह भूल जाते है की अपने खुद के लिए जो सच्चा, पक्का और शोर्टकट सही रास्ता दिखाएगा वह धुरंधर और कोई नहीं पर उसका मन है...!

ध्यान से कैसे मिलती है सब जानकारी...?

ध्यान करने से आपके अन्दर के सभी सातो शक्तिचक्र प्रभावित होते है और वह सब एक्टिव हो जाते है| और हम सब जानते है की जैसे हर एक चक्र का अपना कोइना कोई इम्पोर्टेन्टस है तो जैसे जैसे चक्र एक्टिव होते है और प्रभाव बढ़ता जाता है वैसे वैसे वह अपने चमत्कार दिखाते जाते है और हमें वह अदभुत स्फुरणा व् ताकत देते है| और कई अनजानी जानकारियां भी देते है| जो हमें हमारी मंजिल की और ले जाती है| हमारा मन जो की हमारी महत्वकांक्षाये भी जनता है और हमारे सपने भी, तो हमें वही रास्ता दिखाता है जो हमारे लिए या फिर हमारे सपनो के लिए अच्छा हो..!! हमारा मन ही है जो हमारी कमजोरियां भी जानता है तो वह हमें उन रास्तो से दूर भी रखता है जिससे हमें डर या फिर गभराहट होती हो| मान लो अपना मन अपने लिए अपने स्वभाव, अपनी ताकत, अपनी कमजोरी, के मुताबिक अपना मास्टर प्लान हमें बनाके दे देता है और उन पर हमसे फॉलो भी करवाता है, और हम कैसे वह सब नियम या रूल्स को फॉलो करने लग जाते है वह हमैं खुद को भी पता नहीं चलता|इसीलिए दुनिया में जो ज्यादातर लोग सफल हुए है वह सब अपने मन की बात मानकर ही हुए है| और अपने मन की बात मानना ही एक प्रकार से ‘ध्यान’ है| और ध्यान करने से ही अपना मन अपने लिए काम करेगा वह भी तय है| नाहीतर ‘मन’ काफी चंचल स्वभाव का होता है तो उसे वस् करना या उससे अपना कार्य निकलवाना कठिन हो जाता है| तो एसे मन को अपने जीवन डगर पर एक गाइड के रूप में इस्तमाल करने के लिए ध्यान अति अवश्यक है|

एक चित हो कर मन लगाना ही तो ध्यान है तो जैसे हम एक चित हो कर अपने मन पर ध्यान केन्द्रित करेंगे तो मन अपने आप एक जगह स्थिर हो जायेगा और हमारा चंचल स्वभाव भी धीरेधीरे शांत हो जाता है और हम वह चीजों पर या काम पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान लगा सकते है जो हमारे लिए जरुरी है या हमारी सफलता की और ले जा रहे हो|

जब हम किसी सफल व्यक्ति को देखते है तो उनमे और असफल व्यक्तिओ में क्या फरक महसूस होता है..?

सफल और असफल व्यक्ति में एक ही चीज़ का फर्क है और वह है उन की मन की स्थिति|जी हा, जो अपने मन से अपने किये हुए सभी काम को एन्जॉय करके उत्साहित हो करके कर रहे हो और उनके साथ साथ सभी उन काम को पोसिटिव रूप से महसूस कर रहे हो तो वह कार्य सफल हो जाता है वह व्यक्ति सफल हो जाती है| और वही कार्य कोई चंचल मन या विचलित मन से करे तो उनका खुद का मन उस कार्य में नहीं लगा सकते तो कोई और उस कार्य को कैसे पोसिटीवली ले सकते है तो वह कार्य तो असफल होना ही है..!

और अगर कोई कार्य नया भी है तो उसको पूर्ण करने के बेहतरीन तरीके भी अपना मन दे सकता है और वह भी एक से बढ़कर एक क्रिएटिव आइडियास निकाल देता है हमारा मन| तो, अबकी बार आपको कोई मोटिवेट करेगा तो वोह होंगे आप खुद...!! और यह सब पाने के लिए आपको करना होगा सिर्फ थोडा सा ध्यान वह भी आप के समय अनुसार, अनुकूल और अनुरूप |

तो यह ‘ध्यान’ ही है इस मोर्डेन, फ़ास्ट फॉरवर्ड लाइफ में सफल होने की चाबी. जिसे आपको जल्द ही इस्तमाल करनी है अपनी मजिल के रास्तो में आने वाले रूकावटरूपी तालों को खोलने के लिए..!!

“Real Treasure of the World lies WITHIN you..!”

आपका जीवन ध्यानमय हो..!

@ Article by: Suresh Patel

( skumar_1068@yahoo.com )