गूँगे रिश्ते Narendra Pratap Singh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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गूँगे रिश्ते

  • गूँगे रिश्ते
  • (एहसासों की सरगम)
  • "सॉरी" कितना छोटा सा शब्द है, लेकिन कितना असर कर जाता है, जोया ने टाइप किया । और अली को भेज दिया । और रेस्टोरेंट से चली गयी।

    जोया और अली के रिलेशनशिप को आज पूरा एक साल हो गया। और इसी एक साल की रिलेशन को सेलेब्रेट करने के लिए जोया ने अली को एक छोटे से रेस्टोरेंट में बुलाया । पर अली नहीं पहुँचा।

    'तुम गए क्यों नहीं ' विशाल ने अली से पूंछा । अली ने कोई जवाब नहीं दिया। विशाल ने कहा, 'अगर उसे सच्चाई बता दोगे,तो क्या आफत आ जायेगी ।'

    अली फिर भी खामोश रहा।

    अली और विशाल बचपन के गहरे दोस्त थे। दोनों ने हर क्लास में साथ साथ पढ़े, और एक दूसरे से अपनी हर छोटी- छोटी बातें भी शेयर करते।

    उस दिन अली पूरी रात सो ना सका। और सुबह उठकर सबसे पहले अपना मोबाइल उठाया। और व्हॉट्स अप खोला, तो जोया को गुड मॉर्निंग विश का msg देखकर, चेहरा खिल गया। और मॉर्निंग विश करने के बाद टाइप करने लगा " मैं आज उसी जगह उसी समय पर तुम्हारा इंतज़ार करूँगा। हो सके तो आ जाना।"

    जोया का तुरन्त रिप्लाई आया। "नो प्रॉब्लम, मैं आ जाऊँगी "। अली ने विशाल को जोया से आज होने वाली पहली मुलाकात के बारें में msg भेजा और विशाल को साथ चलने के लिए कहा। विशाल ने रिप्लाई भेजा कि आज उसे लुबना ने बुलाया है वो नहीं चल सकेगा।

    अली ने पहली बार जोया को बस स्टैंड पे लुबना के साथ देखा था। लुबना और जोया रूम मेट थीं और दोनों उस दिन कंप्यूटर क्लास के लिए जा रहीं थीं। विशाल, लुबना को पहले से जानता था। और लुबना से ही उसने जोया का मोबाइल नम्बर लेकर अली को दिया था, जब अली ने विशाल को अपने दिल की बात इशारों में बतायी।

    अली उस दिन जोया की गिफ्ट की गयी नई शर्ट पहनकर उससे मिलने, उसी रेस्टोरेंट में समय से पहले पहुँच गया।

    कुछ देर बाद जोया आयी। गुलाबी रंग की ड्रेस में जोया किसी परी से कम नहीं लग रही थी। वो आकर अली के साथ बैठ गयी। वो अली समझ गया कि यही जोया है, वेटर पानी के दो ग्लास रख गया और आर्डर के लिए पूँछा, " सर क्या लेंगें ?" अली ने मेन्यू कार्ड पर अँगुली रखकर बता दिया। कुछ देर दोनों खामोश बैठे रहे। तो जोया ने अपना मोबाईल से msg टाइप किया,"आप कुछ बोल क्यों नहीं रहे ।" अली ने रिप्लाई किया, " बोलने से अच्छी खामोशियाँ होती है, जो बिना बोले बहुत कुछ कह जाती हैं।" और उसके आँखों के कोरे गीले हो गए। जोया ने अपने छोटे से रुमाल से अली की आँखों को सुखाने लगी।

    रेस्टोरेंट के दरवाजे से विशाल और लुबना ये देखकर अपने -अपने आँसू पोछने लगे और सोंचने लगे कि क्या किसी रिश्ते के लिए शब्दों का होना जरूरी है ?

    विशाल और लुबना दोनों जानते थे कि अली और जोया बोल नहीं सकते पर दोनों ने कभी एक दूसरे को अब तक नहीं बताया था। अगर बता देते तो शायद ये *गूँगे रिश्ते * कभी नहीं बनते।

    विशाल और लुबना रेस्टोरेंट के अंदर उन दोनों के पास गए । अली विशाल को देखकर बहुत खुश हुआ। विशाल ने अली को इशारे से बताया, कि जोया भी तुहारी तरह बोल नहीं सकती । अली ने विशाल को इशारे से बताया कि वो समझ गया था, कि जोया बोल नहीं सकती।

    लुबना ने केक ऑर्डर किया। अली और जोया ने केक काटकर अपना 1 साल का रिलेशनशिप सेलेब्रेट किया।

    उस दिन रेस्टोरेंट से निकलने के बाद से जोया और अली का रिलेशन पहले से और मजबूत हो गया।

    अगले दिन अली खामोश बैठा था। तभी विशाल आया और अली से उसकी भाषा में पूँछा कि "खामोश क्यों हो" ? अली विशाल के हाँथ पर अपनी अंगुलिया फिराने लगा और लिखने लगा,"अच्छा लगता है खामोश बैठकर उसको बहुत देर तक सोचना" । विशाल मुस्कराने लगा।

    अली ने पूंछा कि "उसने पहले क्यों नहीं बताया कि जोया बोल नहीं सकती।" विशाल ने इशारे में बताया कि,"अगर पहले बता देता तो शायद तू आगे ना बढ़ता।"

    तभी अली के मोबाइल पर जोया का msg आया।

    "अली तुमने मुझे 1 साल में कभी इस बात एहसास तक नहीं होने दिया कि तुम बोल नहीं सकते, क्यों ? " बोलो

    अली ने रिप्लाई दिया, "तुमने भी तो नहीं बताया"। जोया ने एक स्माइली इमोजी भेजी, और लिखा कि,"बुद्धू हो तुम, एक नम्बर के । लड़कियाँ सब कुछ इतनी जल्दी नहीं बताती ।" "तो कब बताती है?" अली ने रिप्लाई दिया। "तुम बुध्धू ही रहोगे।" अच्छा सुनो, मुझे एक काम है, तुमसे कल मिलना मुझे, शॉपिंग मॉल में।" अली ने रिप्लाई दिया, "ओके"।

    अली के पास बैठा विशाल काफी देर से ये सोंच रहा था कि "अगर ये व्हाट्स अप ना होता,तो क्या ये कहानी यूँ आगे बढ़ पाती। क्या ये एक दूसरे को अच्छे से समझ पाते ?" शायद आज के समय में गूँगे लोगों के लिए ये व्हाट्सअप एक ऐसा वरदान बन गया है कि अपनी बात कहने के लिए उन्हें किसी और के सहारे की जरूरत नहीं होती।"

    अली अगले दिन शॉपिंग मॉल पहुँचा। कॉफी शॉप में जोया और लुबना उसका इंतज़ार कर रही थी। अली जैसे ही कॉफी शॉप में पहुँचा, जोया ने उसे देखकर हाथ से इशारा करके बुलाया। अली जोया की टेबल पर जाकर बैठ गया। लुबना ने तीन कैप्पेचीनो कॉफी आर्डर की। अली ने जोया को इशारे से पूँछा,"क्यों बुलाया मुझे ?" जोया कुछ समझा पाती इससे पहले लुबना बोली, "अली,तुम तो जानते हो, कि जोया बोल नहीं सकती, पर वो चाहती है कि तुम बोलना शुरू करो।"

    अली को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि लुबना असल में कहना क्या चाह रही है। अली कुछ इशारा कर पाता, लुबना ने कहा, "अली, जोया ने तुम्हारा इलाज़ के लिए शहर के सबसे बड़े डॉ का कल का अपॉइंटमेंट लिया है।"

    अली ने अपना मोबाइल निकाला और जोया को msg भेजा,"तुमने अपना इलाज़ क्यों नहीं करवाया ।"

    जोया कुछ टाइप कर पाती इससे पहले लुबना ने msg पढ़ लिया और बोली,"अली शायद तुम्हे पता नहीं है, जोया जन्म से गूँगी नहीं है, उसकी आवाज़ एक एक्सीडेंट में चली गयी। वो बहुत पहले अपना इलाज़ करवा चुकी है। डॉ ने साफ कह दिया है इसका वोकल कार्ड डैमेज हो चुका है। और ये जीवन में कभी नहीं बोल पायेगी । पर तुम बोल सकोगे। जोया तुम्हारे बारे में डॉ से बात कर चुकी है, डॉ ने कहा है कि पूरी जाँच के बाद ही फाइनली जवाब दे पायेगा ।" अली ख़ामोशी से लुबना को सुनता जा रहा था। "तो अली कल चलोगे " लुबना बोली। अली कुछ नहीं बोला फिर जोया ने msg टाइप किया,"ओ मेरे पगलू राम मेरी बात मान लो, अगर तुम बोल सके तो मेरे जीवन की सबसे बड़ी ख़ुशी मुझे मिल जायेगी । प्लीज़, प्लीज़,प्लीज़ ।" अली ने रिप्लाई दिया,"ओके मैं चलूँगा, पर ये बता कि तुम मेरे लिए ये सब क्यू कर रहीं, क्या लगता हूँ मैं तुम्हारा ?" जोया ने रिप्लाई दिया," अरे, ये क्यों बोल रहे, 1 साल से जानती हूँ तुम्हे, सबसे अच्छे दोस्त हो तुम मेरे।" अली msg पढ़कर हल्का मुस्कराया । और सोंचने लगा, जो मैं महसूस करता हूँ क्या तुम नहीं कर रहीं और टाइप कर के जोया को भेजा,

  • "बिन कहे समझ सको तो समझ लो ये अहसास...कह दिया तो मायनें बदल जायेंगे....!"
  • अली का msg पढ़कर जोया मुस्कराने लगी। और रिप्लाई भेजा,

    "तुम्हारे एहसासों को समझने के लिए मुझे बस तुम्हारी आँखे पढ़नी होती हैं।" msg पढ़कर अली भी मुस्कराया।

    अली डॉ के यहाँ चलने का वादा करके निकल गया। लुबना ने जोया से पूँछा," ओ मेरी ब्यूटी क्वीन,क्या तेरा दिल आ गया है अली पर ।" जोया ने हाँ में सिर हिला दिया।

    अली ने विशाल को जाकर सारी बात समझाई। विशाल ने अली से कहा," तू बहुत लकी है मेरे दोस्त, जो कोई तेरे लिए इतना कर रहा है।" अली का उदास चेहरा देखकर विशाल ने कहा, "क्या हुआ? " अली समझाने लगा, "जिस तरह वो मेरी आवाज़ सुनना चाहती है, मैं भी उसकी आवाज़ सुनना चाहता हूँ। " "पर ये मुमकिन नहीं है अली" विशाल बोला। अली ने विशाल से कल डॉ के यहाँ साथ चलने के लिये तैयार कर लिया।

    अगले दिन अली और विशाल डॉ के यहाँ पहुँचे । जोया और लुबना उनका इंतज़ार कर रहे थे। डॉ ने अली के सारे टेस्ट किये और रिपोर्ट दो दिन के बाद देने को कहा। जोया ने लुबना को इशारा किया। "हा बाबा, जाती हूँ।" डॉ के पास जाकर लुबना बोली," क्या कोई सम्भावना है डॉ, अली के बोलने में ।"

    "वैसे तो बिना रिपोर्ट के कुछ भी कहना मुमकिन नहीं, पर आप उम्मीद रख सकते हैं।" डॉ ने कहा।

    ये सुनकर जोया को कुछ उम्मीद जगी।

    दो दिन के बाद विशाल और लुबना डॉ से मिलने गए। डॉ ने रिपोर्ट उन दोनों के सामने रख दी। रिपोर्ट पढ़कर दोनों के चेहरे सफेद पड़ गए।

    ....विशाल और लुबना कभी एक दूसरे को देखते और कभी रिपोर्ट को। डॉ ने उनकी ख़ामोशी को तोड़ते हुये कहा, "आप दोनों की हालत मैं समझ रहा हूँ। पर डरिये नहीं।, इस रिपोर्ट ये दिया गया है कि अली का एक मेजर ऑपरेशन करना पड़ेगा जिसके सफल होने के चांस 50-50 हैं। और आपरेशन सफल ना हुआ तो अली की याददाश्त भी जा सकती है।"

    "पर आप मेरा भरोसा कर सकते हैं। मैं ऐसे कई केस हैंडल कर चुका हूँ।" डॉ ने अपनी बात खत्म की।

    विशाल और लुबना को थोडा सुकून मिला । "तो डॉ कब कर सकते हैं ये ऑपरेशन ", विशाल बोला।

    "पहले हमें अली की परमीशन लेनी होगी।" लुबना बोली

    "सही कहा आपने मिस " डॉ ने कहा ।

    विशाल ने अली को आकर सारी बात बतायी। अली अपनी अनकही भाषा में कहा," मुझे जोया के फैसले पर पूरा विश्वास है, मैं तैयार हूँ। " समझाकर अली खामोश हो गया। विशाल के बहुत पूंछने पर मायूस होकर उसकी पीठ पर अपनी अंगुलियां फेरने लगा।

    "कभी कभी हम शब्दों में वो नहीं कह पाते जो बिन बोले एहसास कह जाते हैं। गर मैंने बोलना शुरू कर दिया तो शब्द तो होंगे पर उनमें वो अनकहे जज्बात नहीं होंगें, जो अभी जोया मुझ में महसूस करती हैं।"

    और अली विशाल से लिपटकर फूट फूट कर रोने लगा।

    "तू रोता क्यू है गधे, शायद तू अभी जोया को समझ नहीं पाया, एक बार उससे चटिया ले सुकून आ जायेगा। बस कर गधे मेरी शर्ट भींग गयी।" विशाल ने समझाया।

    उसी शाम को अली ने जोया को msg किया।

    "जोया तू मेरी आवाज़ क्यू वापस लाना चाहती है।"

    "अली के मुंह से जोया सुनने के लिए " जोया का रिप्लाई किया। " अली का रिप्लाई," तुमने डॉ की रिपोर्ट पढ़ी "

    "हाँ" जोया ने टाइप किया । "उसके बाद भी तुम ये सब करना चाहती हो।" अली का रिप्लाई ।

    "तुम्हें कुछ नहीं होगा, मैं अल्लाह से दुआ माँगूँगी " जोया का रिप्लाई ।

    और जोया अपने मन ही मन गुनगुनाना लगी -

    "एहसासों की सरगम को यूँ ना बजा मेरे मौला,

    मैं खुद को ना भुला दूँ, इस परवाने के लिए मौला।।"

    ....."डॉ ने तुम्हारे ऑपरेशन के लिए 20 दिन बाद की डेट दी।", विशाल ने आकर अली को बताया । अली पहली बार खुश दिखा, तो विशाल से रहा नहीं गया और पूँछ बैठा,"आज सरकार के मिजाज बदले बदले से नज़र आ रहे हैं, क्या बात है ?" अली ने अनकहे अंदाज़ में समझाने लगा," मैं जोया को अपने दिल की बात बोल के कह पाऊँगा, आवाज़ आने के बाद सबसे पहले मैं जोया का नाम लेना चाहूँगा, वो भी उसके सामने ।"

    अली के भाव जानकर विशाल मुस्कराने लगा।

    कल से रमजान के पाक महीने शुरू होने वाले थे। जोया और लुबना उसी की तैयारी में लगीं थीं। तभी जोया के मोबाइल पर अली msg आया। " डॉ ने 20 दिन बाद की डेट दी है, ऑपरेशन की।"

    "अच्छा जी " जोया ने रिप्लाई के साथ एक स्माइली इमोजी भेज दी।

    आज अली का ऑपरेशन हो रहा है। और विशाल की कॉरिडोर में इधर से उधर बेचैन हुआ जा रहा है। तभी लुबना ने आकर पूंछा,"अभी कितना टाइम और लगेगा।"

    "2 घण्टे तो हो गए, और पता नहीं कितना टाइम और लेंगे ।" विशाल बोला। लुबना ने लगभग चिल्लाते हुए कहा," हमारे पास ज्यादा समय नहीं है। " तभी डॉ आकर बताता है कि ऑपरेशन सफल रहा। आप लोग 2 दिन बाद अली को ले जा सकते हैं। पर विशाल और लुबना के चेहरे पर कोई ख़ुशी नहीं दिख रही थी।

    अली का आपरेशन सफल रहा था। उसकी आवाज़ वापस आ गयी। दो दिन बाद आज अली हॉस्पिटल से डिस्चार्ज हो रहा था। विशाल और लुबना को अपने सामने देखकर अली ने विशाल से जोया के बारे में पूंछा ।

    विशाल ने कहा,"चल मिलवाता हूँ,जोया से ।"

    विशाल, अली और लुबना के साथ एक अपरिचित रास्ते पर टैक्सी से जा रहा था। अली जोया से मिलने के लिए बेचैन हुआ जा रहा था। इधर विशाल और लुबना एक अनजाने तूफान के आने से डरे जा रहे थे।

    टैक्सी एक बहुत बड़े हॉस्पिटल के सामने आके रुकी।

    "यहाँ हम क्यों आये हैं, मुझे जोया से मिलना है, तुम लोग मुझे यहाँ क्यों ले आये " अली ने चौंककर पूंछा। "हम सही जगह आये हैं" लुबना बोली । "मतलब, जोया यहाँ हैं, क्या हुआ उसे ?", अली ने लगभग चीखते हुए कहा। "अंदर चलो, सब बताता हूँ " विशाल ने उसे शांत करते हुए कहा।

    अली के अंदर विचारों का द्वन्द चल रहा था। "क्या हुआ उसे, वो ठीक तो होगी ना, इन दोनों के चेहरों के रंग भी उड़े से लग रहे है।"

    लुबना ने ख़ामोशी को तोड़ते हुए कहा,"अली, जो मैं कहने जा रही हूँ, उसे ध्यान से सुनना।" अली बुदबुदाया," हाँ बोलो।" लुबना ने बोलना शुरू किया,"अली, जोया ने ये बताने से मना किया था पर अब बताना मेरी मजबूरी है। क्योंकि उसके पास ज्यादा समय नहीं है।" अली के शरीर का सारा खून लगभग जम सा गया। विशाल ने उसे सम्हाला। और पास ही बेंच पर बैठाया । एक गिलास पानी लाकर उसे दिया। जब थोडा रिलैक्स हुआ तो उसने लुबना से पूँछा,"क्या हुआ है, जोया को।"

    "जोया की दोनों किडनियां फेल हो चुकी हैं, और वो कई दिनों से डायलिसिस पर ही रहती थी। पर अब डॉ ने जवाब दे दिया हैं, उसके पास केवल दो दिन का ही समय है। "लुबना बोलती गयी।

    विशाल ने कहा," हमने डोनर भी ढूँढने की बहुत कोशिश की, पर असफल रहे । क्यों कि जोया का ब्लड ग्रुप AB- है, जो बहुत रेयर है ।"

    "मुझे जोया से मिलना है, मुझे उसके पास ले चलो।" अली ने कहा। लुबना और विशाल, अली को लेकर सीधे जोया के रूम में पहुँचे ।

    जोया शांत लेटी हुई थी। "जोया" अली ने पुकारा। जोया के कानों में पड़ी इस आवाज़ ने जोया के शरीर में अजीब सी हरकत की और अली को देखते ही उसकी आँखे नम हो गयी। अली ने उसकी आँखे अपने दोनों हाँथों की एक एक ऊँगली से सुखा दिया। जोया बहुत खुश हुई, और लुबना से इशारा करके कहा कि वो वहाँ मिठाई का डिब्बा रखा है। वो ले आये। लुबना ले आई । जोया ने एक पीस मिठाई का टुकड़ा निकाला और अली को खिलाने लगी। अली ने खाने से मना कर दिया। अली ने कहा,"तुमने तो पराया कर दिया जोया, इतनी बड़ी बात मुझ से छुपायी।"

    जोया मायूस हो गयी। और लुबना से अपना मोबाइल माँगा और पहले एक सेव्ड msg अली को फॉरवर्ड कर दिया ।

    जोया ने जो msg अली को फॉरवर्ड किया, वो कुछ यूँ था। " अली, जब तुम इसे पढ़ रहे होंगे तो शायद मैं तुमसे बहुत दूर जा चुकी होउंगी। तुम्हारे मन में कई सवाल भी होंगे। जिसके लिए मैं तुम्हे परेशान नहीं करना चाहती । मेरी दोनों किडनियां फेल हो चुकी हैं, और मैं कई महीनों से डायलिसिस पर हूँ। पर अब मेरे पास ज्यादा वक़्त नहीं बचा। शायद तुम्हारे मुँह से जोया सुनने की मेरी आखिरी विश भी ना पूरी हो पाये। तुम मुझसे कई बार पूँछ चुके हो कि मैं तुम्हारी आवाज़ क्यों वापस लाना चाहती हूँ। जोया तो तुम्हारे हर एहसास को महसूस करती है, समझती है।

    पर मेरे पास तो ज्यादा वक़्त नहीं है, पर तुम्हारे सामने पूरी लाइफ पड़ी हुई है। बिना आवाज़ के जीना क्या होता है ? मुझ से बेहतर कौन समझ सकता है।

    पर जब "शब्दों को जब स्वर का अवलम्बन मिल जाता है तब मानो चंदन और पानी एकाकार हो जाते है।"

    इसलिए मैं तुम्हारी आवाज़ वापस लाना चाहती थी।

    अली जब तुम्हारी आवाज़ वापस आ जायेगी, तो मैं चैन से इस दुनिया से विदा ले सकूँगी। जोया ने तुम्हारी फील को हर पल महसूस किया है। पर अली क्या तुमने जोया की फील को महसूस किया है। शायद मैं ये जान भी ना पाऊं।

    जोया कभी अली की तकलीफ नहीं बनना चाहेगी, अली हो सके तो, मुझे माफ़ कर देना।

    --जोया।

    ये msg पढ़कर अली को पहली बार जोया ने रोते हुए सुना। विशाल ने उसे सम्हाला और डाँटा "रोता क्यू हैं गधे ? अभी जोया ज़िंदा है।" जोया ने अली की ओर अपना रुमाल बढ़ाया, और अली ने अपना रोता हुआ चेहरा आगे कर दिया। ये देखकर लुबना बोली, "आज से मैं तुम दोनों को एक साथ जोड़ देती हूँ। और इस नाम से बुलाऊंगी,

    "जोयाली"

    अली और जोया ने जब लुबना का दिया हुआ नया नाम सुना, तो दोनों मुस्कराने लगे। अली ने लुबना का हाँथ अपने हाँथों में लिया और बोला, " जोया अगर तुम मुझे ये सब पहले बता देतीं,तो क्या मैं तुमसे दूर चला जाता ? अली पर इतना भरोसा भी नहीं था क्या?" जोया कुछ बोल पाती इससे पहले लुबना बोली," भरोसा, अली, उसने तुम्हारे लिए अपनी जान की परवाह भी नहीं की । जिस दिन से डॉ ने तुम्हें डेट दी थी उस दिन से जोया पूरे रोज़े रखे हैं, हर नमाज की दुआ में बस अली की आवाज़ वापसी की इल्तज़ा । हर पल हर घड़ी बस एक ही उम्मीद अली बोल सकेगा, अली जरूर बोलेगा।" लुबना लगभग रुआंसी सी होकर बोली," जबकि डॉ ने रोज़ा रखने से मना किया था, जोया को और इसी वजह से इसे हॉस्पिटल में एडमिट कराना पड़ा।"

    अली बोला, "जोया, आज तुमने अली को खरीद लिया । अगर इस जीवन में तुम्हारे किसी काम आ सकूँ, तो ये मेरा इक़बाल होगा।" जोया ने अली को दो उँगलियाँ दिखाई और इशारा किया कि बस दो दिन है मेरे पास। अली बोला, " मेरे होते हुए तुम्हें कुछ नहीं होगा। पर पहले तुम खाना खा लो, अब तो तुम्हारी दुआ भी कबूल हो गयी।" अली ने विशाल को खाना लाने को कहा और मिठाई का वो टुकड़ा आधा जोया को खिलाया और आधा जोया ने अली को। तभी लुबना बोली, भाई कोई मुझे भी मीठा खिला दो, मेरा भी तो कुछ हक़ बनता है खाने का।"

    जोया मुस्कराने लगी और एक पीस लुबना की ओर बढ़ा दिया।

    विशाल खाना लेकर आ गया। अली ने अपने हाथों से जोया को खाना खिलाया। खाते समय जोया सोंच रही थी कि

    "क्या एहसासों को भी शब्दों की बैशाखी की जरूरत होती है ? तभी क्या एहसास जी उठते हैं ?"

    जोया को खाना खिलाकर अली विशाल को लेकर रूम से निकल गया। अभी वो हॉस्पिटल से बाहर ही आया था। कि परिचित कॉल आया, और वो अंदर की ओर भागा ।

    अली और विशाल भागते हुये जोया के रूम में पहुँचे। लुबना ने जोया के मोबाइल से अली को कॉल किया था। जोया की हालत खराब हो रही थी। विशाल और अली डॉ को बुलाने गए। "डॉ साहब जल्दी चलिए, जोया की हालत ठीक नहीं है "विशाल बोला। "जिसका मुझे डर था वही हुआ।" डॉ बोला । अली ने पूंछा," कैसा डर, डॉ ।" डॉ ने समझाया,"मैंने कहा था कि जल्द से जल्द डोनर का इंतज़ाम कीजिये, वरना मेरे हाथ में कुछ नहीं रहेगा ।" अली बोला, "डॉ आप मेरा ब्लड टेस्ट कर लीजिये, मैं जोया को अपनी किडनी दे दूंगा। " डॉ ने कहा, " आल राईट, मैं आपका ब्लड टेस्ट करवाता हूँ ।"

    "सिस्टर, इनका ब्लड टेस्ट करके रिपोर्ट जल्दी लाओ ।" डॉ ने नर्स से कहा।

    15 मिनट में सिस्टर रिपोर्ट के साथ दाखिल हुई। डॉ ने एक बार में पूरी रिपोर्ट पढ़ी। और विशाल की ओर देखते हुए बोला, इन्हें कहा से लाये हैं आप । "क्यों क्या हुआ ? डॉ" विशाल घबराते हुए बोला । "अरे आप घबराये नहीं, बल्कि खुश हो जाएँ, ये वो महाशय हैं, जिनका हम पिछले कई दिनों से इंतज़ार कर रहे थे, ये भी AB- ब्लड group के मालिक हैं। और हम इनकी किडनी ले सकते हैं।" अली और विशाल ने एक दूसरे को देखा, मानो उन्हें मन की मुराद मिल गयी हो। "अल्लाह का करम हैं हम पर जो हमे जोया के लिए ज़िन्दगी मिल गयी।" अली बुदबुदाया। विशाल ने उसका हाँथ हल्के से दबाकर सहमति दी। "तो, डॉ हमें जल्द से जल्द ये करना होगा।" विशाल बोला। डॉ बोला,"हम कल आपरेशन करेंगे । "ओके डॉ" अली बोला। विशाल को याद आया और बोला, "डॉ वो जोया को प्रॉब्लम हो रही थी।" डॉ बोला,"आप लोगों के आते ही मैंने सिस्टर को भेज दिया था, अब वो ठीक है। आप कल की तैयारी करें।"

    अली और विशाल डॉ के केबिन से निकले ही थे कि अली बोला," विशाल एक एहसान करेगा, मुझ पर।"

    "नहीं करूँगा, और मैं जानता हूँ कि तू क्या कहने वाला है ?"

    विशाल बोला। अली बोला,"बोल क्या कहना चाहता हूँ मैं ? "

    "यही की मैं जोया को डोनर के बारें में ना बताऊँ ।" विशाल ने मुस्कराते हुए कहा। अली के चेहरे पर अजीब सी कशमकश झलक आयी। "अच्छा नहीं बताऊंगा,और डॉ को भी मना कर दूँगा। पर इसकी वजह मुझे बता। वो तो बहुत खुश होगी ये जानकर " विशाल बोला। अली ने बोलना शुरू किया, " विशाल, तुम से ज्यादा मैं जोया को अच्छे से जानता हूँ। वो मुझे कभी इसके लिए नहीं कहेगी। पर मैं हमेशा उसकी ख़ुशी चाही है। और वो मेरी पूरी दुनिया है।"

    "अच्छा ठीक है, अब ज्यादा देवदास ना बनो। मैं किसी से नहीं कहूँगा, पर याद रखना ये एहसान नहीं है।" विशाल ने समझाया।

    विशाल ने जोया के रूम में आकर बताया,कि जोया के लिए डोनर मिल गया है, कल जोया की किडनी ट्रांसप्लांट की जायेगी । जोया को इस बात पे यकीन नहीं हो रहा था। जो डोनर इतने महीनों के बावजूद नहीं मिला, वो आज कैसे मिल गया। उसने विशाल से इशारे से पूँछा कौन दे रहा है किडनी ।

    विशाल ने कहा,"डॉ ने ही डोनर ढूँढा है और ज्यादा डिटेल नहीं पता उसे।" अली जोया की इस उलझन को समझ गया था।

    आज जोया की किडनी ट्रांसप्लांट होने को थी, और जोया की निगाहें बार बार अली को ढूंढ रही थीं। उसने विशाल और लुबना से अली के बारे में जानना भी चाहा, तो विशाल ने उससे कहा कि कुछ बहुत जरूरी काम था। पर वो आ जायेगा।

    ओटी में जाते हुए भी जोया की आँखे, अली को तलाश कर रही थी। दो घण्टे के बाद डॉ ने विशाल और लुबना को बताया कि आपरेशन सफल रहा। दोनों ने डॉ को बधाई दी।

    अगले दिन अली, हाँथ में एक, जोया के फेवरेट आर्किड के फूलों का गुलदस्ता लिए हॉस्पिटल पहुँचा। जोया अली को देखकर खिल गयी। " नया जीवन मुबारक हो जोया।" अली बोला। "कल कहा थे तुम", जोया ने इशारा किया।

    "सॉरी, आई यम रिअली सॉरी, कल एक बहुत जरूरी काम था। फँस गया था, सॉरी " अली माफ़ी माँगते हुए बोला।

    जोया को अली के मुँह से सॉरी सुनना बहुत अच्छा लग रहा था।

    "और जोयाली क्या हो रहा है ?" लुबना, जोया और अली को छेड़ते हुए बोली। "मेरी क्लास लग रही है।" अली बोला। और जोया मुस्कराने लगी। " बीस दिन के बाद जोया डिस्चार्ज हो जायेगी।" विशाल ने आकर सबको ये खुशखबरी दी।

    आज बीस दिन के बाद जोया हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होकर, अली, विशाल और लुबना के निकल रही थी । तभी गेट पर डॉ ने घुसते हुए जोया से पूंछा, "अब कैसा फील कर रही हो,जोया।" जोया ने अपनी अनकही भाषा में कहा कि वो अच्छा महसूस कर रही है। "

    "और आप मि0 अली, आप के कैसा फील कर रहे हो।" डॉ अली की ओर मुखातिब हुआ। तभी लुबना बोली,"इन्हें क्या हुआ है डॉ।" डॉ ने चौकतें हुए कहा," आपको नहीं पता, अरे यही तो वो फ़रिश्ता है जिसने जोया को नई ज़िन्दगी दी है।

    ख्याल रखियेगा अपना मि0 अली और जो दवाएं लिखी है, उन्हें समय से लेते रहिएगा।" डॉ अपनी नेक सलाह देता हुआ निकल गया। जोया ने अली को हसरत भरी निगाहों से देखा,

    और अपनी अनकही भाषा में पूछा," ये सब क्या है ?, बताया क्यू नहीं पहले, मुझे तो पहले ही डाउट हो रहा था।" अली कुछ बोल पाता तभी विशाल बोला," इसे डर था, कि तुम इसे किडनी देने से मना कर दोगी । पर मुझे इस पर गर्व है कि ये खुद अभी हॉस्पिटल से होकर आया, और किडनी देने की हिम्मत की। और अली मैंने इसीलिए डॉ को नहीं कहा, क्यों कि जो तुमने किया है वो करने की हिम्मत हर किसी में नहीं होती और जोया को ये जानना बेहद जरूरी है कि अली में जोया बसती है।" जोया की नज़र में अली का कद, उस खुदा की जगह हो गया जिसके लिए वो सजदा करे। और ये करने के लिए वो आगे बढ़ी, तो अली ने पकड़ लिया और तुम्हारी जगह यहाँ नहीं नहीं मेरे दिल में है। और जोया को अपने सीने में कैद कर लिया। धीरे से उसके कान में फुसफुसाया, "शादी करोगी मुझसे ?" जोया ने अपने हाँथ और कस लिए और धीरे से अपनी मौन स्वीकृति दे दी।

    और विशाल ने लुबना से कहा," देखा, आज ये सही मायने में जोयाली हुए।" और दोनों हँसने लगे।

    "प्रेम में बस समर्पण होता है,जो बस एक दूसरे को देना जानता हैं। और जो देना जानता है, पाने हक़ सिर्फ उसी को होता है।"

    जोया ने अली की आवाज़ लाने के लिये अपना प्रेम जाहिर किया तो अली ने जोया को नई जिंदगी देकर अपना ।

    लोग प्रेम करते हैं पर इन दोनों ने प्रेम को जिया है।

    "एहसासों की सरगम से जब निकलते कभी कोई रिश्ते,

    ना होकर सब कुछ होते हैं पर रहते हमेशा "गूँगे रिश्ते।"

  • #THE END#
  • लेखक - नरेंद्र प्रताप सिंह "आरव",
  • c/o श्री देवेन्द्र प्रताप सिंह,
  • सुभाष नगर, तिर्वागंज,
  • जनपद- कन्नौज,(उ0प्र0)
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