यह कहानी चार भागों में विभाजित है, जिनमें सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। 1. **आदर्श**: इस भाग में आदर्शों का वर्णन किया गया है, जो गीली मिट्टी के सांचे में ढलते हैं। यह बताता है कि आदर्श स्त्री के लिए कठोर और चुभन देने वाले होते हैं, जबकि पुरुषों के लिए ये आसानी से ढह जाते हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि समाज में आदर्शों के प्रति भेदभाव है। 2. **हे अहिल्या**: इस भाग में अहिल्या के प्रतीक के माध्यम से विश्वास और मुक्ति का प्रश्न उठाया गया है। अहिल्या की स्थिति का वर्णन किया गया है, जहाँ वह राम के स्पर्श का इंतजार करती है, जो उसे मुक्त करेगा। यह भाग सामाजिक बंधनों और धारणाओं की आलोचना करता है, यह पूछते हुए कि क्या वास्तव में कोई मुक्ति है या यह केवल एक भ्रम है। 3. **नेता और चुनाव**: यहाँ चुनावी राजनीति और नेताओं के व्यवहार की आलोचना की गई है। नेताओं का जनता के साथ धोखा, काले धन का उपयोग, और चुनावों में किए गए वादों का उल्लंघन प्रमुख विषय हैं। यह भाग दर्शाता है कि कैसे नेता जनता की समस्याओं का समाधान करने के बजाय अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए काम करते हैं। 4. **नीलामी**: इस भाग में किसानों की स्थिति और उनके संघर्ष का चित्रण किया गया है। यहाँ पर किसानों को साहुकारों और सरकार के द्वारा शोषण का शिकार बताया गया है। यह भाग कृषि संकट और किसानों के कठिन जीवन को उजागर करता है, जहाँ वे अपने हक के लिए लड़ रहे हैं जबकि उनके हाथों से अन्न का अधिकार छीना जा रहा है। कुल मिलाकर, यह कहानी सामाजिक अन्याय, राजनीतिक धोखे और आर्थिक शोषण के मुद्दों पर गहरी टिप्पणी करती है। आदर्श Hemlata Yadav द्वारा हिंदी कविता 1.2k 2k Downloads 7.4k Views Writen by Hemlata Yadav Category कविता पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण 1 आदर्श दोगली गीली मिट्टी के सांचे में ढले आदर्श स्त्री के तपते शरीर पर चिपक कठोर बन जाते है चुभन देते है किंतु पुरुष के सीलन भरे शरीर पर ढह जाता है गीले आदर्शो का आकार। 2 हे अहिल्या हे अहिल्या आस्था के मनके बुनती समाधिस्थ मत करों इंतजार राम का पैर के स्पर्श मात्र से मुक्त व्यर्थ भ्रम है नाम का, संदेह से बुद्धि, भ्रष्ट साधु की हुई सदियों तक शिला, पर तुम बन गई बिन अपराध, अपराधिन सी तुम जड़वत करती इंतजार राम का पैर के स्पर्श मात्र से मुक्त व्यर्थ भ्रम More Likes This जिंदगी संघर्ष से सुकून तक कविताएं - 1 द्वारा Kuldeep Singh पर्यावरण पर गीत – हरा-भरा रखो ये जग सारा द्वारा Poonam Kumari My Shayari Book - 2 द्वारा Roshan baiplawat मेरे शब्द ( संग्रह ) द्वारा Apurv Adarsh स्याही के शब्द - 1 द्वारा Deepak Bundela Arymoulik अदृश्य त्याग अर्धांगिनी - 1 द्वारा archana ग़ज़ल - सहारा में चल के देखते हैं - प्रस्तावना द्वारा alka agrwal raj अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी