कहानी "ख़्वाबों की क़ीमत" के दूसरे भाग में अवनि और सौरभ अमेरिका पहुँचते हैं। अवनि अपने परिवार से दूर जाने की खुशी और दुःख दोनों महसूस करती है। कुछ दिन मौज-मस्ती के बाद, सौरभ ऑफिस लौट जाता है, जबकि अवनि घर की सफाई और खाना बनाने की योजना बनाती है। जब सौरभ घर लौटता है, तो वह अवनि के द्वारा कमरे में किए गए बदलावों पर गुस्सा हो जाता है। यह पहली बार है जब सौरभ ने अवनि पर गुस्सा किया, जिससे अवनि को गहरा आघात लगता है। वह महसूस करती है कि उसका सामान और उसका कमरा उसके लिए महत्वपूर्ण हैं, और इस स्थिति में उसे सौरभ भी पराया लगने लगता है। कहानी में अवनि की भावनाओं और संबंधों में बदलाव को दर्शाया गया है, जो उसकी नई जिंदगी में उत्पन्न हुए तनाव को दर्शाता है।
ख्वाबों कि क़ीमत - 2
Khushi Saifi
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
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विवरण
“मेरा सामान.. मेरा कमरा” ये लफ्ज़ बार बार अवनि के दिल पर घूंसा बन कर लग रहे थे, क्या उसका कुछ भी नही.. उसे यूँ महसूस हुआ कि सौरभ भी उसका नही, अचानक सब पराया सा लगने लगा.. ये घर, ये सामान, ये मोहब्बत, खुद उसका पति सौरभ भी... Khushi Saifi
कभी कभी ख्वाब देखना एक जुर्म बन जाता है, अवनि और सौरभ के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ.. उन्हें अपने ख़्वाबों की क्या क़ीमत चुकानी पड़ी, पढ़िए ख़्वाबों की क़ीमत - K...
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