दिल्ली, जिसे "देश का दिल" कहा जाता है, का इतिहास प्राचीन काल से लेकर आज तक महत्वपूर्ण है। इसकी स्थापना 11वीं शताब्दी में तोमरवंश के द्वारा की गई थी। इसके बाद पृथ्वीराज चौहान ने यहाँ शासन किया, और 1192 में मुहम्मद गोरी ने दिल्ली पर नियंत्रण प्राप्त किया। दिल्ली 600 वर्षों तक मुसलमान शासकों के अधीन रही, और 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेजों ने इसे अपने साम्राज्य में शामिल कर लिया। 1911 में ब्रिटिश राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित किया गया, जिससे आधुनिक दिल्ली का विकास हुआ। दिल्ली विभिन्न धर्मों के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों का केंद्र है। यहाँ लाल किला, कुतुब मीनार, जामा मस्जिद, अक्षरधाम मंदिर, और कई अन्य मंदिर और गुरुद्वारे हैं, जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। हर साल लाखों पर्यटक यहाँ आते हैं और इस शहर की संस्कृति और इतिहास का अनुभव करते हैं। राष्ट्रपति भवन, जो रायसेना पहाड़ी पर स्थित है, भारत के राष्ट्रपति का आधिकारिक निवास है। यह इमारत चार मंजिला है और इसमें 340 कमरे हैं। इसका निर्माण 17 वर्षों में हुआ और यह अद्वितीय वास्तुकला का उदाहरण है। आजादी के बाद से यह राष्ट्रपति भवन के नाम से जाना जाता है। देश का दिल दिल्ली Vinay kuma singh द्वारा हिंदी पत्रिका 513 3.2k Downloads 15.7k Views Writen by Vinay kuma singh Category पत्रिका पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण हर शहर कुछ कहता है … देश का दिल दिल्ली :ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों का संगम स्थल दिलवालो की दिल्ली का इतिहास काफी पुराना है, प्राचीन काल से मध्यकाल तक और गुलामी के समय से आज तक दिल्ली इतिहास के पन्नो में दर्ज होती आरही है । दिल्ली पर मौर्य, गुप्त, पाल, सल्तनत वंश के साथ कई वंशों के शासकों ने शासन किया । इतिहासकारो के अनुसार दिल्ली नगर की स्थापना 11वीं शताब्दी में तोमरवंश के शासको द्वारा किया गया था, चंदरबरदाई की रचना पृथवीराज रासो में तोमर वंश राजा अनंगपाल को दिल्ली का संस्थापक बताया गया है। तोमर वंश के बाद पृथ्वीराज चौहान ने दिल्ली पर शासन किया। 1192 में मुहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान कों पराजित कर दिल्ली पर कब्ज़ा किया । तब से 600 वर्षो तक दिल्ली पर मुसलमान शासको के अन्दर रहा , 1857 के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम के समय अंग्रेजों ने दिल्ली के मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर को सत्ताच्युत करके इसे अपने साम्राज्य में मिला लिया, इस तरह दिल्ली पर आग्रेजो ने कब्ज़ा कर लिया । फिर 1911 में ब्रिटिश साम्राज्य की राजधानी कलकत्ता से हटाकर दिल्ली लायी गई, उसी समय आधुनिक दिल्ली का नीव पड़ा, कई आधुनिक भवनों का निर्माण किया गया तथा पुरे दिल्ली कों योजनाबद्ध तरीके से बसाया गया आजादी के बाद भारत संघ की राजधानी बनाया गया । More Likes This इतना तो चलता है - 3 द्वारा Komal Mehta जब पहाड़ रो पड़े - 1 द्वारा DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR कल्पतरु - ज्ञान की छाया - 1 द्वारा संदीप सिंह (ईशू) नव कलेंडर वर्ष-2025 - भाग 1 द्वारा nand lal mani tripathi कुछ तो मिलेगा? द्वारा Ashish आओ कुछ पाए हम द्वारा Ashish जरूरी था - 2 द्वारा Komal Mehta अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी