इस कहानी में एक बेटी अपनी माँ को पत्र लिख रही है, जिसमें वह अपनी भावनाएँ और अनुभव साझा करती है। वह अपनी माँ के प्रति आभार व्यक्त करती है और बताती है कि कैसे माँ की शिक्षाएँ और मार्गदर्शन ने उसे जीवन में सही रास्ता चुनने में मदद की है। बेटी अपने विवाह के समय की यादें ताजा करती है जब उसकी माँ और पिता भावुक हो गए थे। अब, जब उसने अपनी बेटी "अनिशा" का विवाह किया है, तो वह भी उसी भावनात्मक स्थिति से गुजर रही है। वह महसूस करती है कि एक बार विदा होने के बाद बेटी पराई हो जाती है, चाहे वह पास ही क्यों न हो। बेटी माँ से यह भी कहती है कि उसने माँ से सीखी हुई बातें अपनी बेटी को भी सिखाई हैं, जैसे परिवार में तालमेल रखना और सभी के प्रति सम्मान रखना। वह अपनी बेटी की समझदारी की प्रशंसा करती है और उसके सुखद जीवन की कामना करती है। इसके साथ ही, वह अपने बेटे आयुष की चिंता भी करती है, जो विदेश में पढ़ाई कर रहा है। उसे अपने बच्चों की खुशियों और सुरक्षा की चिंता है। अंत में, वह माँ से यह सवाल करती है कि माँ का दिल हमेशा क्यों तड़पता है, जब उनके बच्चे दूर होते हैं। कहानी एक माँ और बेटी के बीच की गहरी भावनात्मक संबंध को दर्शाती है, जिसमें परिवार, प्यार और चिंता की भावना प्रमुख है।
एक बेटी का ससुराल से अपनी माँ को पत्र
Rashmi Tarika
द्वारा
हिंदी पत्र
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विवरण
Selected in Matrubharti letter writing competition.
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