यह कहानी एक माँ, कविता वर्मा, द्वारा अपनी बेटी मनु के लिए लिखे गए एक भावुक पत्र के रूप में है। माँ अपने अनुभवों को साझा करती हैं जब मनु का जन्म हुआ और कैसे उनके जीवन में खुशी और प्यार का संचार हुआ। वह बताती हैं कि कैसे उन्होंने मनु की हर हरकत को महसूस किया और उसे गोद में लेने की इच्छा की। जैसे-जैसे मनु बड़ी हुई, माँ ने उसके पहले मुस्कुराने, चलने-फिरने, और स्कूल जाने के अनुभवों का जिक्र किया। मनु की खुशमिजाजी और आत्मनिर्भरता पर गर्व करते हुए, माँ ने उसकी पढ़ाई, खेल, और निर्णय लेने की क्षमताओं का भी उल्लेख किया। अब जब मनु अपनी पहली नौकरी के लिए अकेले जा रही है और शादी करके एक नई दुनिया बसाने जा रही है, माँ को खुशी के साथ एक अंजाना डर भी है। वह अपने विश्वास और संस्कारों पर भरोसा जताते हुए उसे सलाह देती हैं कि नए माहौल में ढलने के लिए समय देना आवश्यक है। पत्र का अंत माँ के विश्वास के साथ होता है कि मनु अपनी नई दुनिया में जल्दी ही लोगों का प्यार और विश्वास जीत लेगी।
एक माँ का अपनी विदाई की हुई बेटी को पत्र
Kavita Verma
द्वारा
हिंदी पत्र
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विवरण
Selected in Matrubharti letter writing competition.
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