कहानी "परीक्षा गुरू" के प्रकरण-14 में लाला श्रीनिवास दास की पत्रव्यवहार का वर्णन है। लाला मदनमोहन के आने पर उन्हें कई पत्र मिलते हैं। एक पत्र में वे दिल्ली जाने का प्रबंध करते हैं, जबकि दूसरे में जुएलर से हीरों की चेन के बारे में जानकारी मिलती है। तीसरे पत्र में अब्दुर्रहमान मेट से जल्दी पैसे भेजने की अपील है, क्योंकि उन्हें अपने काम के लिए पैसे की जरूरत है। लाला मदनमोहन अक्सर अपने कर्मचारियों के लिए काम लेते हैं, लेकिन उनका व्यवहार उनके प्रति सख्त है। वे मानते हैं कि एक बार जो कर्मचारी बन गया, वह हमेशा के लिए वही रहेगा, चाहे उसका काम अच्छा हो या बुरा। इस कारण, कर्मचारी किसी भी काम के लिए जिम्मेदार नहीं होते हैं और उनकी तनख्वाहें भी मामूली रहती हैं। कहानी में यह भी दर्शाया गया है कि किस तरह से पैसे का लेन-देन और कामकाज की व्यवस्था में अनियमितता है, जिससे कर्मचारियों का स्थिति और भी खराब हो जाती है। कुल मिलाकर, यह कहानी समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार और कर्मचारियों के अधिकारों की अनदेखी को उजागर करती है। परीक्षा-गुरु - प्रकरण-14 Lala Shrinivas Das द्वारा हिंदी लघुकथा 2.3k Downloads 6.9k Views Writen by Lala Shrinivas Das Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण लाला मदनमोहन भोजन करके आए उस्समय डाकके चपरासीनें लाकर चिट्ठीयां दीं. उन्मैं एक पोस्टकार्ड महरोलीसै मिस्टर बेलीनें भेजा था. उस्मैं लिखा था कि मेरा बिचार कल शामको दिल्ली आनेंका है आप महरबानी करके मेरे वास्तै डाकका बंदोबस्त कर दें और लोटती डाकमैं मुझको लिख भेजैं लाला मदनमोहननें तत्काल उस्का प्रबंध कर दिया. दूसरी चिट्ठी कलकत्ते सै हमल्टीन कंपनी जुएलर (जोहरी) की आई थी उस्मैं लिखा था आपके आरडरके बमूजिब हीरोंकी पाकट चेन बनकर तैयार हो गई है, एक दो दिनमैं पालिश करके आपके पास भेजी जायगी और इस्पर लागत चार हजार अंदाज रहैगी. आपनें पन्नेकी अंगूठी और मोतियोंकी नेकलेसके रुपे अब तक नहीं भेजे सो महरबानी करके इन तीनों चीजोंके दाम बहुत जल्द भेज दीजिये Novels परीक्षा-गुरु लाला मदनमोहन एक अंग्रेजी सौदागर की दुकानमैं नई, नई फाशन का अंग्रेजी अस्बाब देख रहे हैं. लाला ब्रजकिशोर, मुन्शी चुन्नीलाल और मास्टर शिंभूदयाल उन्के... More Likes This उड़ान (1) द्वारा Asfal Ashok नौकरी द्वारा S Sinha रागिनी से राघवी (भाग 1) द्वारा Asfal Ashok अभिनेता मुन्नन द्वारा Devendra Kumar यादो की सहेलगाह - रंजन कुमार देसाई (1) द्वारा Ramesh Desai मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 3 द्वारा Soni shakya शनिवार की शपथ द्वारा Dhaval Chauhan अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी