Bahurupiae book and story is written by Bhagwati Prasad Dwivedi in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Bahurupiae is also popular in Short Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story. बहुरुपिए Bhagwati Prasad Dwivedi द्वारा हिंदी लघुकथा 1.1k Downloads 4.7k Views Writen by Bhagwati Prasad Dwivedi Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण बहुरूपिये दोनों कुलियों ने माथे पर लदे माल—असबाब उतारे और गमछे से अपने—अपने चेहरे का पसीना पोंछने लगे, ‘‘बड़ा जानलेवा उमस है, बाबू साहिब !'' बाबूजी मुझे देखते ही हड़बड़ा कर उठे और खरगोश की रफ्रतार से मेरी ओर लगभग कुलाँचते हुए लपके । जब उनके चरण—स्पर्श करने की खातिर श्र(ानत होकर उनकी तरपफ झुका, तो उन्होंने मुझे गले लगा लिया । भावातिरेक में उनकी आँखें छलछला आयीं । मेरी नजरें उनके चेहरे को पढ़ने की भरसक कोशिश करने लगीं । वाकई कितनी बूढ़ी हो गयी थीं उनकी पनीली आँखें ! पहले मैं कभी भूलकर भी बाबूजी के चेहरे की तरपफ अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी