कहानी "चूडीवाली" जयशंकर प्रसाद द्वारा लिखी गई है और इसमें एक चूडीवाली का वर्णन है, जो अपने आकर्षण और चतुराई से एक घर में प्रवेश करती है। चूडीवाली, जिसका नाम विलासिनी है, एक सुंदर और युवा महिला है, जो बम्बई से नई चूडियाँ लेकर आती है। वह बहूजी को चूडियाँ पहनाने की कोशिश करती है, लेकिन बहूजी उसकी हंसी और चतुराई से परेशान होती हैं। विलासिनी की अदाओं और उसके चूड़ियों के प्रति प्रेम ने बहूजी को हंसी में डाल दिया, जबकि वह उसके प्रति क्रोधित भी होती हैं। चूडीवाली कभी-कभी बिना बुलाए ही आ जाती है, जिससे बहूजी को असुविधा होती है। कहानी में एक संवाद होता है, जिसमें बहूजी और चूडीवाली के बीच हंसी-मज़ाक और तिरस्कार का आदान-प्रदान होता है। कहानी का अंत चूडीवाली के चुपचाप जाने के साथ होता है, जब बहूजी उसे जाने के लिए कहती हैं। विलासिनी, जो एक प्रसिद्ध नर्तकी की बेटी है, अपने रहस्य और आकर्षण के साथ कहानी को समाप्त करती है। यह कहानी न केवल चूड़ी और उसकी खरीद-फरोख्त के इर्द-गिर्द घूमती है, बल्कि महिलाओं के बीच प्रतिस्पर्धा, स्वाभिमान, और प्रेम के विभिन्न पहलुओं को भी उजागर करती है। चूडीवाली Jayshankar Prasad द्वारा हिंदी लघुकथा 10.7k 3.3k Downloads 11.1k Views Writen by Jayshankar Prasad Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण चूडीवाली जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद © COPYRIGHTS This book is copyrighted content of the concerned author as well as Matrubharti. Matrubharti has exclusive digital publishing rights of this book. Any illegal copies in physical or digital format are strictly prohibited. Matrubharti can challenge such illegal distribution / copies / usage in court. चूडीवाली “अबी तो पहना गई हो।” “बहूजी, बडी अच्छी चूडियाँ हैं। सीधे बम्बई से पारसल मँगाया है। सरकार का हुक्म है; इसलिए नई चूडियाँ आते ही चली आती हूँ।” “तो जाओ, सरकार को ही पहनाओ, मैं नहीं पहनती।” “बहूजी! जरा देख तो लीजिए।” कहती मुस्कराती हुई Novels जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद © COPYRIGHTS This book is copyrighted content of the concerned author as well as Matrubharti. Matrubharti has... More Likes This उड़ान (1) द्वारा Asfal Ashok नौकरी द्वारा S Sinha रागिनी से राघवी (भाग 1) द्वारा Asfal Ashok अभिनेता मुन्नन द्वारा Devendra Kumar यादो की सहेलगाह - रंजन कुमार देसाई (1) द्वारा Ramesh Desai मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 3 द्वारा Soni shakya शनिवार की शपथ द्वारा Dhaval Chauhan अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी