कहानी "सहयोग" में मनोरमा नाम की एक स्त्री की मानसिक स्थिति और उसके जीवन की चुनौतियों का वर्णन है। मनोरमा अपनी गलतियों के प्रति जागरूक होती है, लेकिन उसकी दूसरी भूलें उसे अपनी मानवता पर संदेह करने पर मजबूर कर देती हैं। उसकी सरलता और स्वाभाविकता धीरे-धीरे खोती जा रही है, और वह अपने जीवन में एक बनावटी रूप धारण कर लेती है। मोहन, जो उसे दिल्ली से ब्याह लाया है, उसके आत्मविश्वास को तोड़ता है और उसे एक पुतली में बदल देता है। मनोरमा अपने ससुराल में एक नए जीवन की शुरुआत करती है, लेकिन उसे अपनी पहचान और मूल गाँव की यादें धुंधली लगती हैं। मोहन की अनुपस्थिति में, जो उसे अपने साथ लेकर गया था, वह अकेलेपन और असुरक्षा का अनुभव करती है। मेला देखकर जब मोहन वापस आता है, तो वह अकेला और उदास महसूस करता है, क्योंकि उसकी प्रेमिका उसके साथ नहीं है। कहानी अंत में मोहन की अकेलेपन की भावना को उजागर करती है, जिससे वह किसी की संगति की आवश्यकता महसूस करने लगता है। कहानी में मानव संबंधों की जटिलता और व्यक्तिगत पहचान की खोज को दर्शाया गया है। Sahyog Jayshankar Prasad द्वारा हिंदी लघुकथा 2.4k 2.7k Downloads 10.1k Views Writen by Jayshankar Prasad Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण सहयोग जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद © COPYRIGHTS This book is copyrighted content of the concerned author as well as Matrubharti. Matrubharti has exclusive digital publishing rights of this book. Any illegal copies in physical or digital format are strictly prohibited. Matrubharti can challenge such illegal distribution / copies / usage in court. सहयोग मनोरमा, एक भूल से सचेत होकर जब तक उसे सुधारने में लगतीहै, तब तक उसकी दूसरी भूल उसे अपनी मनुष्यता पर ही सन्देह दिलानेलगती है। प्रतिदिन प्रतिक्षण भूल की अविच्छिन्न श्रृंखला मानव-जीवन कोजकड़े हुए है, यह उसने कभी हृदयंगम नहीं किया। भ्रम को उसने शत्रुके Novels जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ जयशंकर प्रसाद © COPYRIGHTS This book is copyrighted content of the concerned author as well as Matrubharti. Matrubharti has... More Likes This उड़ान (1) द्वारा Asfal Ashok नौकरी द्वारा S Sinha रागिनी से राघवी (भाग 1) द्वारा Asfal Ashok अभिनेता मुन्नन द्वारा Devendra Kumar यादो की सहेलगाह - रंजन कुमार देसाई (1) द्वारा Ramesh Desai मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 3 द्वारा Soni shakya शनिवार की शपथ द्वारा Dhaval Chauhan अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी