कबीर, जो लगभग छह सौ साल पहले आए थे, ने अपने विचारों से समाज पर गहरा प्रभाव छोड़ा। उस समय का समाज सामंती था, जहाँ जातीय भेद, अंधविश्वास और बाह्याचार आम थे। हिन्दू और मुस्लिम दोनों समाजों में जाति-भेद का जहर फैल चुका था। कबीर ने इन भेदभावों के खिलाफ आवाज उठाई और मानवता की राह दिखाने का प्रयास किया। उनके अनुयायी 'कबीरपंथ' के नाम से उनके विचारों को फैलाने लगे। कबीर ने हिन्दू-मुस्लिम दोनों धर्मों के अनुयायियों को धर्म के बाह्याचारों से सावधान किया और उनके विचार आज भी उनके अनुयायियों द्वारा फैलाए जा रहे हैं। कबीर ने एक समानता और मानवतावाद का संदेश दिया, जो दोनों समुदायों के बीच एकता की ओर ले जाने का प्रयास था। कबीरपंथ से कबीर ही गायब!!!! Dr Musafir Baitha द्वारा हिंदी पत्रिका 5k 2.6k Downloads 9.7k Views Writen by Dr Musafir Baitha Category पत्रिका पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण विडंबना और अचम्भा देखिये कि कबीरपंथ से क्रांतिकारी कबीर ही गायब हो जाने को मजबूर हो गये हैं! कैसे जानने के लिए यह छोटा सा गागर में सागर भरा आलेख पढ़िए। More Likes This इतना तो चलता है - 3 द्वारा Komal Mehta जब पहाड़ रो पड़े - 1 द्वारा DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR कल्पतरु - ज्ञान की छाया - 1 द्वारा संदीप सिंह (ईशू) नव कलेंडर वर्ष-2025 - भाग 1 द्वारा nand lal mani tripathi कुछ तो मिलेगा? द्वारा Ashish आओ कुछ पाए हम द्वारा Ashish जरूरी था - 2 द्वारा Komal Mehta अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी