कबीर, जो लगभग छह सौ साल पहले आए थे, ने अपने विचारों से समाज पर गहरा प्रभाव छोड़ा। उस समय का समाज सामंती था, जहाँ जातीय भेद, अंधविश्वास और बाह्याचार आम थे। हिन्दू और मुस्लिम दोनों समाजों में जाति-भेद का जहर फैल चुका था। कबीर ने इन भेदभावों के खिलाफ आवाज उठाई और मानवता की राह दिखाने का प्रयास किया। उनके अनुयायी 'कबीरपंथ' के नाम से उनके विचारों को फैलाने लगे। कबीर ने हिन्दू-मुस्लिम दोनों धर्मों के अनुयायियों को धर्म के बाह्याचारों से सावधान किया और उनके विचार आज भी उनके अनुयायियों द्वारा फैलाए जा रहे हैं। कबीर ने एक समानता और मानवतावाद का संदेश दिया, जो दोनों समुदायों के बीच एकता की ओर ले जाने का प्रयास था।
कबीरपंथ से कबीर ही गायब!!!!
Dr Musafir Baitha
द्वारा
हिंदी पत्रिका
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विवरण
विडंबना और अचम्भा देखिये कि कबीरपंथ से क्रांतिकारी कबीर ही गायब हो जाने को मजबूर हो गये हैं! कैसे जानने के लिए यह छोटा सा गागर में सागर भरा आलेख पढ़िए।
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