"छाया" कहानी एक बड़े शहर की है, जहां लोग एक-दूसरे को अनदेखा करते हुए अपने गंतव्य की ओर बढ़ते हैं। शहर में विभिन्न वर्ग के लोग रहते हैं, जिनके पास अलग-अलग जीवन स्तर होते हैं, लेकिन सभी अलग-अलग जी रहे होते हैं। कहानी का नायक एक सामान्य नौकरी पाकर खुश है और शहर के केंद्र से दूर रह रहा है। वह एक दिन बाजार में टहलता है और अचानक एक अंजान व्यक्ति उसे पहचानने की कोशिश करता है। नायक चौंक जाता है और उसे संदेह होता है कि वह व्यक्ति कोई ठग है। वह उस व्यक्ति से गंभीरता से कहता है कि वह उसे नहीं जानता। कहानी में शहर की भीड़भाड़ और अकेलेपन का भाव है, जो नायक की मानसिक स्थिति के साथ जुड़ता है। अंत में, नायक को एहसास होता है कि वह अकेला है और उसके चारों ओर का माहौल बदल गया है। छाया Manish Kumar Singh द्वारा हिंदी लघुकथा 1.2k 1.7k Downloads 6.2k Views Writen by Manish Kumar Singh Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण शहर के अजनबी माहौल में हर किसी को एक हमदर्द की तलाश होती है। कभी-कभी ऐसा हमदर्द हमें अनजान आदमी के रुप में मिलता है। More Likes This उड़ान (1) द्वारा Asfal Ashok नौकरी द्वारा S Sinha रागिनी से राघवी (भाग 1) द्वारा Asfal Ashok अभिनेता मुन्नन द्वारा Devendra Kumar यादो की सहेलगाह - रंजन कुमार देसाई (1) द्वारा Ramesh Desai मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 3 द्वारा Soni shakya शनिवार की शपथ द्वारा Dhaval Chauhan अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी