भारतीय संस्कृति और पाश्चात्य संस्कृति के बीच का अंतर इस कहानी का मुख्य विषय है। भारतीय संस्कृति को प्राचीन और विविधतापूर्ण माना गया है, जिसमें धर्म, जाति, रीति-रिवाज, पहनावा, खान-पान और उत्सवों की समृद्धि है। यह संस्कृति सदाचार, भाईचारे और आदर-सत्कार को महत्व देती है। वहीं, पाश्चात्य संस्कृति, जो मुख्यतः प्राचीन यूनान और आधुनिक यूरोप तथा अमेरिका की संस्कृति से जुड़ी है, सामाजिक मानदंडों, नैतिक मूल्यों और तकनीकी प्रगति पर केंद्रित है। हालांकि, पाश्चात्य संस्कृति में नग्नता और अश्लीलता जैसी सामाजिक चिंताएं भी शामिल हैं। वर्तमान में, भारत में युवा पाश्चात्य संस्कृति की ओर आकर्षित हो रहे हैं, लेकिन इसका अनुसरण अधूरा कर रहे हैं, जिससे समाज में फूहड़ता और अपराध बढ़ रहे हैं। भारतीय संस्कृति की महानता उसकी एकता और विविधता में निहित है, जबकि पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव नकारात्मक रूप से समाज पर पड़ रहा है। भारतीय संस्कृति बनाम पाश्चात्य संस्कृति डॉ. ऋषि अग्रवाल द्वारा हिंदी पत्रिका 9 11.9k Downloads 34k Views Writen by डॉ. ऋषि अग्रवाल Category पत्रिका पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण भारतीय संस्कृति बनाम पाश्चात्य संस्कृति - चिंतन और मंथन More Likes This कल्पतरु - ज्ञान की छाया - 1 द्वारा संदीप सिंह (ईशू) नव कलेंडर वर्ष-2025 - भाग 1 द्वारा nand lal mani tripathi कुछ तो मिलेगा? द्वारा Ashish आओ कुछ पाए हम द्वारा Ashish जरूरी था - 2 द्वारा Komal Mehta गुजरात में स्वत्तन्त्रता प्राप्ति के बाद का महिला लेखन - 1 द्वारा Neelam Kulshreshtha अंतर्मन (दैनंदिनी पत्रिका) - 1 द्वारा संदीप सिंह (ईशू) अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी