यह कहानी एक दलाल की है, जो अपने को एक शिक्षाविद के रूप में प्रस्तुत करता है। उसे "डॉक्टर साहब" कहकर बुलाने पर गर्व होता है, जबकि उसकी पीएचडी की डिग्री का स्रोत कोई नहीं जानता। वह सफल दलाल है, जिसके पास कई संपत्तियाँ और लग्जरी कारें हैं, और उसका बेटा एक बड़े स्कूल में पढ़ता है। वह शिक्षा के विकास के लिए कई स्वैच्छिक संगठनों की स्थापना करता है, जिनमें देश के प्रमुख राजनेता और विद्वान शामिल हैं। वह बड़े सेमिनार आयोजित करता है जिनमें लोग भाग लेते हैं, लेकिन एक बार किसी ने उसे नशे में "दलाल" कह दिया, जिससे वह बहुत नाराज हुआ। एक सेमिनार के बाद, वह एक युवा दलित नेता से मिलता है, जो पैसे को सही जगह लगाने के बारे में सलाह मांगता है। दलाल ने उसे ग्लोबलाइजेशन और निवेश के मौके के बारे में बताया, और उसके साथ स्विस बैंक में पैसे रखने का प्रबंध करने का आश्वासन दिया। इस प्रकार, उसकी चालाकी और धूर्तता का पर्दाफाश होता है।
दलाल का एक दिन
Sanjay Kundan द्वारा हिंदी लघुकथा
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विवरण
एक बौद्धिक व्यक्ति को लगता है कि दलाली करके ही सफलता मिल सकती है। और वह इस रास्ते से सफलता हासिल भी करता है। लेकिन उसका मन कचोटता है। वह पश्चाताप की आग में जलता रहता है।
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