I was just Aarav book and story is written by Rohan Beniwal in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. I was just Aarav is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story. मैं सिर्फ आरव था Rohan Beniwal द्वारा हिंदी सामाजिक कहानियां 1.1k 1.5k Downloads 4.5k Views Writen by Rohan Beniwal Category सामाजिक कहानियां पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण जब आरव पाँच साल का था, तब उसकी माँ ने पहली बार उससे कहा, "बेटा, ज़रा ऐसे बैठो, आँखें बंद कर लो और मुस्कराते रहो।" आरव को कुछ समझ नहीं आया, लेकिन उसने वैसा ही किया जैसा माँ ने कहा। माँ ने उसके सामने एक छोटी सी दरी बिछा दी थी, कुछ फूल और मिठाइयाँ रख दी। थोड़ी ही देर में तीन-चार औरतें आईं, जिनमें से एक ने आरव के पैर छुए और बोली, "देखो कितना दिव्य बच्चा है। इसकी आँखों में भगवान बसते हैं।"आरव डर गया। वो समझ नहीं पा रहा था कि क्या हो रहा है। उसकी माँ More Likes This ज़िंदगी की खोज - 1 द्वारा Neha kariyaal अधूरा इश्क़ एक और गुनाह - 1 द्वारा archana सुकून - भाग 1 द्वारा Sunita आरव और सूरज द्वारा Rohan Beniwal विक्रम और बेताल - 1 द्वारा Vedant Kana Middle Class Boy द्वारा Bikash parajuli तहम्मुल-ए-इश्क - 4 द्वारा M choudhary अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी