Aloo Ke Paranthe book and story is written by Yogesh Kanava in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Aloo Ke Paranthe is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
आलू के परोंठे
Yogesh Kanava
द्वारा
हिंदी सामाजिक कहानियां
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विवरण
आलू के परोंठे मेरे हाथ आटे में सने थे, डोर बैल बार बार बज रही थी । मैने फंकी (हां मेरी बड़ी बेटी) को आवाज़ लगाई और दरवाज़े पर देखने के लिए कहा । वो अपने म्यूजिक में मस्त थी और उसे म्यूजिक सुनते समय कोई भी बोले तो बहुत बुरा लगता है । ख़ैर मेरी आवाज़ से वो चली गयी लेकिन दरवाज़े से ही आवाज़ लगाई मम्मी कोई आदमी आया है आपको ही पूछ रहा है आप ही देख लो । मैं आटे सने हाथों से ही दरवाज़े के पास चली गई दरवाज़े के पार झक सफेद बाल थोड़ी
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