Shoharat ka Ghamand - 127 book and story is written by shama parveen in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Shoharat ka Ghamand - 127 is also popular in Women Focused in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
शोहरत का घमंड - 127
shama parveen
द्वारा
हिंदी महिला विशेष
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विवरण
आर्यन की बात सुन कर आलिया बोलती है, "मैं जॉब करती हूं वहां पर, और मुझे कबीर शेखावत की सारी बाते माननी पड़ती है"।तभी आर्यन आलिया को ला कर सोफे पर बिठा देता है और नोटो की गड्डी उसे देता है और बोलता है, "लो ये पैसे, और कम पड़ जाए तो बता देना, मैं और दे दूंगा, मगर उस कबीर शेखावत के यहां पर तुम अब जॉब के लिए नहीं जाओगी "।आलिया वो पैसे वापस से आर्यन के हाथों में रख देती है और बोलती है, "मुझे तुम्हारे पेसो की कोई जरूरत नहीं है, और ऊपर वाले ने मुझे
आलिया का आज कॉलेज में आखिरी दिन है। इसलिए आज वो कॉलेज में पार्टी कर रही है सभी के साथ क्योंकि अब वो कॉलेज नही आयेगी। अब वो एग्जाम देगी और उसके बाद कॉल...
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