Komal ki Diary - 19 book and story is written by Dr. Suryapal Singh in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Komal ki Diary - 19 is also popular in Travel stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
कोमल की डायरी - 19 - खरगोश भी नाच उठे
Dr. Suryapal Singh
द्वारा
हिंदी यात्रा विशेष
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विवरण
उन्नीसखरगोश भी नाच उठे गुरूवार अट्ठारह मई २००६ आज जियावन आया था। उसने हरखू की व्यथा बताई। आसपास क्या हो रहा है? इसे भी। हरखू का खेत चला गया। बच गई केवल मड़ई और आबादी की थोड़ी सी ज़मीन। उसी में कभी कभी मूली-गाजर उगा लेता। एक गाय पालकर किसी तरह गुजर-बसर करता। एक ही लड़का था। बम्बई में रंगाई-पुताई करता। साल दो साल में कभी आता। हजार-पाँच सौ घर में रहकर खर्च कर जाता। फिर बम्बई । खेत जब मालिक ने जोत
हर रचना की एक आधारभूमि होती है। स्थानीयता का सच जब वैश्विक सच में बदल जाता है, रचना काल एवं स्थान की सीमाओं का अतिक्रमण कर जाती है। कोई भी उपन्यासकार...
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