GULKAND - 8 book and story is written by श्रुत कीर्ति अग्रवाल in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. GULKAND - 8 is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
गुलकंद - पार्ट 8
श्रुत कीर्ति अग्रवाल
द्वारा
हिंदी सामाजिक कहानियां
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विवरण
गुलकंद पार्ट - 8 बैंकिंग आवर अपने पीक पर था और कस्टमर खचाखच भरे हुए थे। उधर अपनी कुर्सी पर बैठे वीरेश को लग रहा था मानों शरीर जवाब दिये जा रहा हो, हाथ-पैर ठंढे हो रहे हों। किसी भी काम के लिये मन एकाग्र हो ही नहीं पा रहा था तो 'डू नाॅट डिस्टर्ब' की तख्ती लगा खिड़की से सटे सोफे पर आ बैठा। कई-कई उनींदी रातों के बाद अब उसने यह तय किया था कि अम्मा उसकी पहली जिम्मेदारी हैं और उनको खुश रखने के लिये वह सबकुछ करेगा। सही-गलत का निर्णय समय पर छोड़ना होगा। अम्मा और
मैं, एक लेखिका, श्रुत कीर्ति अग्रवाल, आज पहली बार आपके साथ अपनी रचनाओं के माध्यम से नहीं, स्वयं अपने-आप को माध्यम बना आपके समक्ष हूँ। अभी तक मुझे लगता...
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