Gagan - 18 book and story is written by किशनलाल शर्मा in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Gagan - 18 is also popular in Biography in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
गगन--तुम ही तुम हो मेरे जीवन मे - 18
Kishanlal Sharma
द्वारा
हिंदी जीवनी
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विवरण
वह गगन यानी मेरी पत्नी को बहु के नाम से ही बुलाते थे।उनसे मधुर सम्बन्ध हो गए थे।उन्होंने कभी हमे किरायेदार नही समझा।उनके जितने भी रिश्तेदार आते या हमारे एक दूसरे से घुल जाते थे। इस मकान में आने पर पत्नी फिर गर्भवती हो गयी थी।पहली डिलीवरी ऑपरेशन से हुई थी।और उस समय बड़े झंझट और तकलीफ झेलनी पड़ी थी।मेने उसी समय नही उससे पहले ही सोच रखा था कि हम दो हमारे दो।और वह नई मुसीबत या बीमारी से घबरा गई थी।मैं भी लेकिन समस्या गम्भीर नही निकली।मैने निश्चय किया कि दूसरी डिलीवरी आगरा में नही करूँगा।मैने पत्नी को
Your life partner will be beautiful
But not easy to live with her
ऐसा नही है कि हरेक के साथ इत्तफाक हो।पर किसी के साथ हो भी सकता है।
कहानी तो शुरू...
But not easy to live with her
ऐसा नही है कि हरेक के साथ इत्तफाक हो।पर किसी के साथ हो भी सकता है।
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