Pagal - 54 book and story is written by कामिनी ‘त्रिवेदी’ झा in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Pagal - 54 is also popular in Love Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story. पागल - भाग 54 Kamini Trivedi द्वारा हिंदी प्रेम कथाएँ 1 1.3k Downloads 3k Views Writen by Kamini Trivedi Category प्रेम कथाएँ पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण भाग–५४ "ये जो लोग ,, जिन्हे मैं तुम्हारे माता पिता बनाकर लाया हूं। ये वंदना के माता पिता है।" अभिषेक ने कहा। मैने देखा वो लोग कमरे के बाहर खड़े थे। मुझे पता नही चला कबसे। मगर उनकी आंखो में बेहिसाब आंसू थे । मैं उठकर उन लोगों के पास गई। और मैने उनकी और देखा। वो लोग मुझमें अपनी वंदना को ढूंढ रहे थे। उनकी आंखे दर्द और लाचारी से भीगी हुई थी। मैने वंदना की मां को गले से लगा लिया और रोने लगी। मैं भी मां और पापा के प्यार को तरस गई थी। वंदना की मां Novels पागल पागल,, हां सही नाम से पुकारा करता था वो मुझे। (हंसते हुए) पागल ही तो हूं मैं उसके लिए , उसके पीछे , उसके प्यार में।" रात के 1 बज चुके थे । आंखो... More Likes This Krick और Nakchadi - 1 द्वारा krick D J Chapter 1 द्वारा R D Digital तेरा...होने लगा हूं - 1 द्वारा Sony मीरा प्रेम का अर्थ - 5 - इंसेक्योरिटी या डर.. द्वारा sunita maurya बेरहम सईया - 1 द्वारा riya pandey आर्यन और रिया की प्रेम कहानी। द्वारा Anand Tripathi I Hate Love - 1 द्वारा aruhi अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी