Sanyasi book and story is written by Saroj Verma in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Sanyasi is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
सन्यासी -- भाग - 2
Saroj Verma
द्वारा
हिंदी सामाजिक कहानियां
Four Stars
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विवरण
जयन्त अपनी साइकिल से जब काँलेज पहुँचा तो उसे बहुत भूख लगी थी,इसलिए कैन्टीन जाकर उसने कुछ खाने का सोचा,लेकिन कैन्टीन में कुछ भी उसके मतलब का कुछ भी नहीं था,इसलिए वो वहाँ से वापस चला आया और तभी उसका दोस्त वीरेन्द्र उसे दूर से दिखा और उसने उसे देखकर हाथ हिलाया, इसके बाद वीरेन्द्र उसके पास आकर बोला.... "भाई! तेरा मुँह क्यों लटका हुआ है"? "यार! मेरा तो वही रोज रोज का टन्टा है,बाबूजी से बहसबाजी फिर इसके बाद भूखे काँलेज चले आना, कैन्टीन गया था कुछ खाने के लिए लेकिन वहाँ मेरे मतलब का कुछ भी नहीं था,इसलिए
कभी कभी इन्सान अपने जीवन से विरक्त होकर इस सांसारिक जीवन से सन्यास लेकर सन्यासी बन जाता है, लेकिन क्या वो सच में इस संसार के चक्रव्यूह से निकल पाता है...
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