कार्यालयीन आध्यात्म (महेश अनघ) Niti Singh Shrivastava द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें लघुकथा किताबें कार्यालयीन आध्यात्म (महेश अनघ) कार्यालयीन आध्यात्म (महेश अनघ) Niti Singh Shrivastava द्वारा हिंदी लघुकथा 117 378 सेवानिवृत आदमी के पास और कुछ हो, न हो, लेकिन दो महत्वपूर्ण चीजें जरूर होती हैं। एक- उम्र के अनुसार 'आध्यात्मिक चिन्तन की और स्वाभाविक झुकाव, औरदो- सरकारी कार्यालयों के काम काज का राई रत्ती अनुभव। वस्तुतः और कुछ ...और पढ़ेपास होता भी नहीं । शरीर, जो है, सो घिस घिसा कर लचर हो चुका होता है। फन्ड, ग्रेच्युटी आदि का जो पैसा मिला था वह तत्काल बहू-बेटे के हित में विनिवेश हो चुका होता है, और सामाजिक प्रतिष्ठा जिसे कहते हैं, वह तो नौकरी के चक्कर में अर्जित ही नहीं हो पाती है। मकान, यदि बनवा चुके होते हैं, कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें कार्यालयीन आध्यात्म (महेश अनघ) अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी Niti Singh Shrivastava फॉलो