हमसफर भी तुम ही हो Sumit Singh द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

हमसफर भी तुम ही हो

Sumit Singh मातृभारती सत्यापित द्वारा हिंदी लघुकथा

अविनाश सुबह समय पर उठा नहीं तो संस्कृति को चिंता हुई. उस ने अविनाश को उठाते हुए उस के माथे पर हाथ रखा. माथा तप रहा था. संस्कृति घबरा उठी. अविनाश को तेज बुखार था. दो दिन से वह ...और पढ़े


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