Do Navon me book and story is written by Ranjana Jaiswal in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Do Navon me is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story. दो नावों में Ranjana Jaiswal द्वारा हिंदी सामाजिक कहानियां 6 2.3k Downloads 5.6k Views Writen by Ranjana Jaiswal Category सामाजिक कहानियां पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण अनामा को ऐसा लग रहा था जैसे उसके प्राण निकल जायेंगे। जैसे वह चिता पर लेटी हुई है या फिर नरक की आग में जल रही है। इतनी जलन- इतनी तड़प- इतनी बेचैनी......उफ, रह-रहकर सीने में ऐसी तकलीफ होती जैसे वहाँ आग का गोला अटक गया हो। वह बार-बार तड़पकर रोने लगती। उसके हाथ दुआ के लिए ऊपर उठ जाते- ’हे ईश्वर, रहम कर....रहम ! मुझे इस तकलीफ से निजात दिला।’ पर दर्द था कि बढ़ता ही जा रहा था। वह सोच रही थी तो क्या यह उसके पापों का दण्ड है ? पाप ! पर उसने तो कोई पाप More Likes This कल्पतरु - ज्ञान की छाया - 3 द्वारा संदीप सिंह (ईशू) क्या तुम मुझे छोड़ दोगे - भाग - 1 द्वारा Ratna Pandey CM: The untold story - 1 द्वारा Ashvin acharya खेल खेल में - जादूई - भाग 3 द्वारा Kaushik Dave पीड़ा में आनंद - भूमिका द्वारा Ashish Kumar Trivedi एक समय ऐसा भी आएगा - 1 द्वारा Wow Mission successful रौशन राहें - भाग 1 द्वारा Lokesh Dangi अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी