बंद खिड़कियाँ - 8 S Bhagyam Sharma द्वारा उपन्यास प्रकरण में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें उपन्यास प्रकरण किताबें बंद खिड़कियाँ - 8 बंद खिड़कियाँ - 8 S Bhagyam Sharma द्वारा हिंदी उपन्यास प्रकरण 363 702 अध्याय 8 अरुणा आराम से गाड़ी चला रही थी। सरोजिनी बाहर देखती हुई अपने विचारों में डूबी हुई बैठी थी। "क्यों दादी, गहरी सोच में हो?" धीरे से मुस्कुराते हुए पूछा। "अरे अब मुझे क्या सोचना है!" साधारण ढंग ...और पढ़ेसरोजिनी बोली। "क्यों नहीं सोचना चाहिए? क्या काम है आपके पास?" "वो ठीक है!" कहकर सरोजिनी हंसी। "मेरी सभी यादों को सोच नहीं कह सकते। कुछ खास काम किए हुए लोगों को सोचना चाहिए। मेरी सारी सोच एक सपने जैसी है। जो बिना अर्थ, बेमतलब की ।" अरुणा हंसी। "वह बिना अर्थ बेमतलब की सोच क्या है वही बता दीजिए!" कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें बंद खिड़कियाँ - 8 बंद खिड़कियाँ - उपन्यास S Bhagyam Sharma द्वारा हिंदी - उपन्यास प्रकरण (44) 8.1k 17.1k Free Novels by S Bhagyam Sharma अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी S Bhagyam Sharma फॉलो