हजबां Prabodh Kumar Govil द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें लघुकथा किताबें हजबां हजबां Prabodh Kumar Govil द्वारा हिंदी लघुकथा 336 1.2k "हजबां" - प्रबोध कुमार गोविल तेज़ धूप थी। हेलमेट सुहा रहा था। क्या करें, कोई सरकारी नौकरी होती तो अभी आराम से सरकारी बिल पर चलते एसी में उनींदे से बैठे होते। या फ़िर घर का कोई व्यापार ही ...और पढ़ेतो तेज़ धूप का बहाना करके फ़ोन से कर्मचारियों को काम समझा कर घर में ही बने रह जाते। पर यहां तो घर का एक छोटा सा अख़बार था जिसके लिए सर्दी,गर्मी, बरसात हर मौसम में प्रेस में ही जाकर बैठना पड़ता था। तभी जाकर दाल रोटी निकल पाती थी। मैं बाइक के पास खड़ा अभी हेलमेट को कस ही कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें हजबां अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी Prabodh Kumar Govil फॉलो