भक्ति माधुर्य - 7 Brijmohan sharma द्वारा आध्यात्मिक कथा में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें आध्यात्मिक कथा किताबें भक्ति माधुर्य - 7 भक्ति माधुर्य - 7 Brijmohan sharma द्वारा हिंदी आध्यात्मिक कथा 1.1k 3.1k 7सूरदास – भक्ति रस परम माधुर्य अब हों नाच्यौ बहुत गोपाल। काम क्रोध कौ पहिरि चोलना, कंठ विषय की माल॥ महामोह के नूपुर बाजत, निन्दा सब्द रसाल। भरम भरयौ मन भयौ पखावज, चलत कुसंगति चाल॥ तृसना नाद करति घट ...और पढ़ेनानाविध दै ताल। माया कौ कटि फैंटा बांध्यो, लोभ तिलक दियो भाल॥ कोटिक कला काछि दिखराई, जल थल सुधि नहिं काल। सूरदास की सबै अविद्या, दूरि करौ नंदलाल॥ भावार्थ : संसार के प्रवृति मार्ग पर भटकते-भटकते जीव अंत में प्रभु से कहता है, तुम्हारी आज्ञा से बहुत नाच मैंने नाच लिया। अब इस प्रवृति से मुझे छुटकारा दे दो, कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें भक्ति माधुर्य - 7 भक्ति माधुर्य - उपन्यास Brijmohan sharma द्वारा हिंदी - आध्यात्मिक कथा 7.9k 23.1k Free Novels by Brijmohan sharma अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी Brijmohan sharma फॉलो