अंतिम सफर - 1
Parveen Negi
द्वारा
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अंतिम सफर,,,,,,, यह बात तब की है ,जब मैं एक बार ऊंचे पहाड़ों की तरफ घूमने निकल गया था,, मौसम एकदम खुशनुमा था,, धूप खिली हुई थी ,,महीना भी मार्च के शुरुआत का था, पहाड़ों से बहने वाले छोटे ...और पढ़ेबेहद खूबसूरत लग रहे थे ,, , पर जैसे जैसे मैं आगे बढ़ रहा था ,,मुझे ऐसा लग रहा था,, जैसे कोई धुंध मेरा पीछा कर रही हो ,,और मैं पीछे मुड़कर देखता तो गहरी घाटियों में धुंध तैरती मुझे नजर आ रही थी,,,, पर वह तो मुझसे बहुत दूर थी ,,,फिर चलते ही मुझे ऐसा क्यों आभास हो रहा कम पढ़ें