भारतीय सिनेमा में स्त्री की छवि Ranjana Jaiswal द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें महिला विशेष किताबें भारतीय सिनेमा में स्त्री की छवि भारतीय सिनेमा में स्त्री की छवि Ranjana Jaiswal द्वारा हिंदी महिला विशेष 354 1.2k आजादी से पहले बाल-विवाह,बेमेल विवाह ,पर्दा-प्रथा और अशिक्षा पर केन्द्रित कई फिल्में बनाई गईं |दुनिया ना माने ,अछूत कन्या,आदमी ,देवदास ,इन्दिरा एम ए ,बालयोगिनी आदि फिल्में स्त्री –जीवन की विडंबनाओं पर केन्द्रित थीं |आजादी से पहले बनाई गयी ...और पढ़ेफिल्में सामाजिक विषयों पर थीं और उनका उद्देश्य समाज को बदलना था |लेकिन आजादी के बाद फिल्मों का लक्ष्य सामाजिक उत्थान से ज्यादा पैसा कमाना रह गया |आजादी की बाद की फिल्मों में स्त्री समस्या की जगह दाम्पत्य –जीवन में स्त्री की शुचिता,पतिव्रत व आदर्श पर अधिक ध्यान दिया जाने लगा |स्त्री को धैर्य के साथ अत्याचार सहते पति-को परमेश्वर मानकर पूजा करते दिखाने का जैसे फैशन –सा हो गया |यदि पति-पत्नी कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें भारतीय सिनेमा में स्त्री की छवि अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी Ranjana Jaiswal फॉलो